भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता,2023
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(2023 का अधिनियम संख्या 46)
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अध्याय 1
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प्रारंभिक
(Preliminary)
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इस अधिनियम का संक्षिप्त क्या नाम है?
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता का अधिनियम क्रमांक (Act no.) क्या है?
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2023 का 46
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता को राष्ट्रपति की स्वीकृति कब प्राप्त हुई?
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25 दिसंबर, 2023
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 विधेयक लोकसभा में कब पारित किया गया?
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20-12-2023
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 विधेयक राज्यसभा में कब पारित किया गया?
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21-12-2023
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के लागू होने की तिथि क्या है?
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1 जुलाई, 2024
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भारतीय न्याय संहिता में कितनी धाराएं और कितने अध्याय है?
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531 धाराएं, 39 अध्याय
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता,2023 के अध्याय 9,11 और 12 से संबंधित प्रावधानों को छोड़कर, शेष प्रावधान किसमें लागू नहीं होगें?
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क. नागालैंड राज्य को;
जनजाति क्षेत्रों को,
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किस धारा में परिभाषाएँ वर्णित की गई हैं?
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धारा 2 मे
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श्रव्य दृश्य (Audio-video) इलेक्ट्रॉनिक को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(क)
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वीडियो कांफ्रेंसिंग के प्रयोजनों के लिए,
पहचान की आदेशिकाओं को अभिलिखित करना,
तलाशी और अभिग्रहण या साक्ष्य,
इलैक्ट्रानिक संसूचना का पारेषण और
ऐसे अन्य प्रयोजनों के लिए किसी संसूचना युक्ति का प्रयोग और ऐसे अन्य साधन हैं, जिसे राज्य सरकार नियमों द्वारा उपबंधित करे, ऐसे साधन क्या कहलाते है?
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श्रव्य दृश्य इलेक्ट्रॉनिक
(Audio-video electronic)
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जमानत (Bail) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1) (ख)
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किसी अधिकारी या न्यायालय द्वारा
अधिरोपित कतिपय शर्तों पर किसी अपराध के कारित किए जाने के
अभियुक्त या
संदिग्ध व्यक्ति द्वारा
किसी बंधपत्र या
जमानतपत्र के निष्पादन पर
विधि की अभिरक्षा से ऐसे व्यक्ति का छोड़ा जाना क्या कहलाता है?
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जमानत
(Bail)
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जमानतीय अपराध (Bailable offence) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(ग)
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जमानतीय अपराध (Bailable offence) का क्या अर्थ है?
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जो प्रथम अनुसूची में जमानतीय के रूप में दिखाया गया है या
तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा जमानतीय बनाया गया है और
“अजमानतीय अपराध” से कोई अन्य अपराध अभिप्रेत है;
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जमानतपत्र (Bail bond) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(घ)
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जमानतपत्र (Bail bond) का क्या अर्थ है?
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प्रतिभूति के साथ छोड़े जाने के लिए कोई वचनबंध अभिप्रेत है
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बंधपत्र (Bond) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(ड़)
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बंधपत्र (Bond) का क्या अर्थ है?
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प्रतिभूति के बिना छोड़े जाने के लिए कोई वैयक्तिक बंधपत्र या वचनबंध अभिप्रेत है
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आरोप (Charge) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(च)
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आरोप (Charge) का क्या अर्थ है?
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जब आरोप में एक से अधिक शीर्ष हों, आरोप का कोई भी शीर्ष है
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संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(छ)
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संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) का क्या अर्थ है?
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जिसमें, कोई पुलिस अधिकारी
प्रथम अनुसूची के या
तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अनुसार वारण्ट के बिना गिरफ्तार कर सकता है
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परिवाद (Complaint) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(ज)
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परिवाद (Complaint) किससेसम्बन्धित हो सकता है?
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किसी संज्ञेय या किसी असंज्ञेय अपराध से
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क्या परिवाद अज्ञात व्यक्ति के विरुद्ध भी किया जा सकता हैं?
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हां
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परिवाद किस प्रकार किया जा सकता है?
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या तो लिखित या मौखिक
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परिवाद में शामिल नहीं किया गया है?
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पुलिस रिपोर्ट को
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किसी भी परिवाद का सर्वाधिक आवश्यक तत्व क्या है-
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कोई कार्यवाही किए जाने के दृष्टिकोण से किए गए किसी अपराध का आरोप
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इस संहिता के अधीन मजिस्ट्रेट द्वारा कार्रवाई किए जाने की दृष्टि से मौखिक या लिखित रूप में उससे किया गया यह अभिकथन कि किसी व्यक्ति ने, चाहे वह ज्ञात हो या अज्ञात, अपराध किया है, किंतु इसमें पुलिस रिपोर्ट सम्मिलित नहीं है,क्या कहलाता है?
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परिवाद
(Complaint)
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ऐसी रिपोर्ट जो पुलिस अधिकारी द्वारा किसी मामले में, अन्वेषण के पश्चात् किसी असंज्ञेय अपराध का किया जाना प्रकट करती है, ऐसी रिपोर्ट क्या समझी जाएगी?
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परिवाद
(Complaint)
स्पष्टीकरण धारा 2(1)(ज)
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इलैक्ट्रानिक संसूचना (Electronic communication) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(झ)
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उच्च न्यायालय (High court) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1) (ञ)
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जांच (Inquiry) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(ट)
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जाँच किस के द्वारा संपन्न की जाती है?
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मजिस्ट्रेट अथवा न्यायालय द्वारा
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विचारण से भिन्न, जो इस संहिता के अधीन किसी मजिस्ट्रेट या न्यायालय द्वारा की जाए,क्या है?
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जांच
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अन्वेषण (Investigation) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(ठ)
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अन्वेषण किसके द्वारा संपन्न किया जाता है?
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केवल पुलिस द्वारा
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अन्वेषण (Investigation) का क्या उद्देश्य है?
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आरोपी के विरूद्ध साक्ष्य एकत्रित करना
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न्यायिक कार्यवाही (judicial proceding) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1) (ड.)
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ऐसी कोई भी कार्यवाही, जिसके दौरान शपथ पर साक्ष्य एकत्रित किए जाते हैं, को क्या कहा जाता है?
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न्यायिक कार्यवाही
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किसी माध्यस्थ के समक्ष सुनवाई क्या एक न्यायिक कार्यवाही है?
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नहीं
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स्थानीय अधिकारिता (local jurisdiction) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(ढ)
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असंज्ञेय अपराध (Noncognizable offence) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(ण)
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किसी असंज्ञेय अपराध के मामले में पुलिस के पास क्या अधिकार नहीं है-
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वारंट के बिना अभियुक्त को गिरफ्तार करने का
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किसी असंज्ञेय अपराध के अन्वेषण हेतु अनुमति किसके द्वारा प्रदान की जा सकती है?
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वाद के विचारण का क्षेत्राधिकार रखने वाले मजिस्ट्रेट द्वारा
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क्या अन्वेषण स्वयं मजिस्ट्रेट द्वारा संपन्न किया जा सकता है?
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हां
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अपराध (Offence) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(थ)
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असंज्ञेय अपराध (Noncognizable offence) की प्रकृति होती है-
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जमानतीय एवं साधारण
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जो तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा दण्डनीय बनाया गया है और इसके अंतर्गत कोई ऐसा कार्य भी है जिसके संबंध में पशु अतिचार अधिनियम, 1871 की धारा 20 के अधीन कोई परिवाद किया जा सकेगा, वह कहलाता है?
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अपराध
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पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी (Officer in charge of a police station) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(द)
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स्थान (Place) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(ध)
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गृह, भवन, तम्बू, यान और जलयान क्या हैं?
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स्थान
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पुलिस रिपोर्ट (Police report) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(न)
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पुलिस रिपोर्ट (Police report) पुलिस अधिकारी के द्वारा मजिस्ट्रेट को किस धारा अंतर्गत भेजी जाती है?
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धारा 193
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पुलिस थाना (Police station) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(प)
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लोक अभियोजक (Public prosecutor) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(फ)
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धारा 18 के अधीन नियुक्त कोई व्यक्ति क्या है?
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लोक अभियोजक
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लोक अभियोजक के निदेशों के अधीन कार्य करने वाला कोई व्यक्ति क्या है?
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लोक अभियोजक
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उपखण्ड (Subdivision) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(ब)
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समन- मामले (Summon case) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(भ)
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समन- मामले का अर्थ है, अपराध से संबंधित है ऐसा मामला जो दण्डनीय है-
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दो वर्ष से अनधिक की अवधि के कारावास से
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पीड़ित (Victim) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(म)
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पीड़ित में कौन शामिल है?
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जिसे कोई क्षति करित हुई है,
उसका संरक्षक,
उसका विधिक उत्तराधिकारी
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वारंट मामले (Warrant case) को किस धारा में परिभाषित किया गया है?
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धारा 2(1)(य)
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दो वर्ष से अधिक के कारावास के साथ दंडनीय किसी अपराध का सम्बन्ध किससेहै
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वारंट मामला से
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वारंट मामले से आशय ऐसे मामले से होता है जिसमें-
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ऐसा अपराध जुड़ा हो जो
मृत्युदंड,
आजीवन कारावास अथवा
दो वर्ष से अधिक के कारावास से दंडनीय हो
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भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अधीन सभी अपराधों का अन्वेषण, जांच, विचारण और उनके संबंध में अन्य कार्यवाही का प्रावधान किस धारा में है?
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धारा 4
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अध्याय 2
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दंड न्यायालयों और कार्यालयों का गठन
(Constitution Of Criminal Courts and Offices)
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 धारा 6 क्या उपबंधित करती है?
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दंड न्यायालयों और कार्यालयों का गठन
(Classes of Criminal Courts)
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दंड न्यायालयों और कार्यालयों का गठन से संबंधित प्रावधान किस अध्याय में दिए गये है
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अध्याय 2
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उच्च न्यायालयों और इस संहिता से भिन्न किसी विधि के अधीन गठित न्यायालयों के अतिरिक्त, प्रत्येक राज्य में किन वर्गों के दंड न्यायालय होंगे?
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सेशन न्यायालय;
प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट;
द्वितीय वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट; और
कार्यपालक मजिस्ट्रेट |
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 प्रावधानों के अनुसार सेशन न्यायालय, प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट और कार्यपालक मजिस्ट्रेट क्या है?
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दंड न्यायालय
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सबसे बड़ा आपराधिक मामलों का न्यायालय कौन सा है?
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उच्च न्यायालय
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धारा 7(3) के अंतर्गत जिलों का विभाजन सत्रों में किसके द्वारा किया जाएगा?
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उच्च न्यायालय से परामर्श के बाद राज्य सरकार
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सत्र न्यायालय और उसके न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान किस धारा में है?
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धारा 8
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धारा 8 के अंतर्गत सत्र न्यायालय की स्थापना किसके द्वारा की जाएगी?
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राज्य सरकार
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प्रत्येक सत्र न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति किसके द्वारा की जाएगी?
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उच्च न्यायालय
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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश और सहायक सत्र न्यायाधीश की नियुक्ति न्यायालय द्वारा की जाएगी।
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उच्च न्यायालय
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सत्र न्यायालय की बैठक कहा होगी?
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जैसा कि उच्च न्यायालय अधिसूचना द्वारा निर्दिष्ट कर सकता है
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एक न्यायाधीश तथा मजिस्ट्रेट के अधिकारों एवं कर्तव्यों का उपयोग अथवा निर्वहन किसके द्वारा किया जा सकता है?
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कार्यालय में उसके अनुवर्ती द्वारा
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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की नियुक्ति कौन करेगा?
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उच्च न्यायालय
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न्यायिक मजिस्ट्रेटों न्यायालय (Court of judicial magistrates) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 9
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न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय किसके द्वारा स्थापित की जाएंगी?
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उच्च न्यायालय से परामर्श के बाद राज्य सरकार
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प्रथम श्रेणी या द्वितीय श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के विशेष न्यायालयों की स्थापना किसके द्वारा की जाएगी
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राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय से परामर्श के बाद,
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न्यायिक मजिस्ट्रेट की स्थानीय अधिकारिता किसके द्वारा नियंत्रित की जाती है?
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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट
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उच्च न्यायालय, प्रथम श्रेणी या द्वितीय श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की शक्तियां कब प्रदान कर सकता है।
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राज्य की न्यायिक सेवाओं का कोई भी सदस्य जो सिविल न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहा हो।
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किसी भी जिले में न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालयों की संख्या किसके द्वारा निर्धारित की जाती है?
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राज्य सरकार
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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, आदि (Chief Judicial Magistrate and Additional Chief Judicial Magistrate, etc.) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 10
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प्रत्येक जिले में किसी प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नियुक्त कौन करेगा।
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उच्च न्यायालय
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विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (Special judicial magistrates) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 11
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विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट की नियुक्ति किसके द्वारा की जाएगी?
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उच्च न्यायालय, यदि केन्द्र या राज्य सरकार द्वारा अनुरोध किया जाए
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विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट की नियुक्ति एक निश्चित अवधि के लिए की जाएगी।
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एक समय में एक वर्ष से अधिक नहीं
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न्यायिक मजिस्ट्रेटों की स्थानीय अधिकारिता (Local Jurisdiction of Judicial Magistrates) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 12
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न्यायिक मजिस्ट्रेटों का स्थनीय क्षेत्राधिकार किसके द्वारा निश्चित किया जाएगा?
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उच्च न्यायालय के नियंत्रण के अधीन, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट
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न्यायिक मजिस्ट्रेटों का अधीनस्थ होना (Subordination of Judicial Magistrates) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 13
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प्रत्येक मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट किसके के अधीनस्थ होगा?
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सेशन न्यायाधीश
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कार्यपालक मजिस्ट्रेट (Executive Magistrates) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 14
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कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त कौन कर सकेगा?
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राज्य सरकार
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विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट (Special Executive Magistrates) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 15
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विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त की जाएगी?
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कार्यपालक मजिस्ट्रेट या ऐसे किसी पुलिस अधिकारी को, जो पुलिस अधीक्षक की पंक्ति से नीचे का न हो
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कार्यपालक मजिस्ट्रेटों की स्थानीय अधिकारिता (Local jurisdiction of Executive Magistrates) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 16
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कार्यपालक मजिस्ट्रेटों का स्थनीय क्षेत्राधिकार किसके द्वारा निश्चित किया जाएगा?
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जिला मजिस्ट्रेट के नियंत्रण के अधीन राज्य सरकार का
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कार्यपालक मजिस्ट्रेटों का अधीनस्थ होना (Subordination of Executive Magistrates) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 17
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धारा 17 के अनुसार सभी कार्यपालक मजिस्ट्रेट, किसके अधीनस्थ होंगे?
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जिला अधिकारी
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किसी उपखंड में शक्तियों का प्रयोग करने वाला प्रत्येक कार्यपालक मजिस्ट्रेट (उपखंड मजिस्ट्रेट से भिन्न), किसके अधीनस्थ होगा?
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जिला मजिस्ट्रेट के साधारण नियंत्रण के अधीन रहते हुए, उपखंड मजिस्ट्रेट
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कौन समय-समय पर अपने अधीनस्थ कार्यपालक मजिस्ट्रेटों के बीच कार्य के वितरण या आबंटन के बारे में इस संहिता से संगत नियम बना सकेगा या विशेष आदेश दे सकेगा?
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जिला मजिस्ट्रेट
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लोक अभियोजक (Public Prosecutors) की नियुक्ति किस धारा से संबंधित है?
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धारा 18
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लोक अभियोजक नियुक्त कौन कर सकेगा?
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केन्द्र सरकार या राज्य सरकार उच्च न्यायालय से परामर्श के बाद
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धारा 18 के अंतर्गत प्रत्येक जिले के लिए लोक अभियोजक तथा जिले के लिए एक या एक से अधिक अपर लोक अभियोजक नियुक्त कौन कर सकेगा?
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राज्य सरकार
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धारा 18(4) के अनुसार, जिले के लिए लोक अभियोजक या अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए उपयुक्त व्यक्तियों का पैनल कौन तैयार करेगा।
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जिला मजिस्ट्रेट, सत्र न्यायाधीश के परामर्श से
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धारा 18(7) के अनुसार, कोई व्यक्ति लोक अभियोजक या अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त होने के लिए पात्र कब होगा?
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केवल तभी जब वह कम से कम सात वर्षों से अधिवक्ता के रूप में विधि व्यवसायकर रहा हो
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धारा 18(8) के अनुसार, कोई व्यक्ति विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त होने के लिए पात्र कब होगा?
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केवल तभी जब वह कम से कम दस वर्षों से अधिवक्ता के रूप में विधि व्यवसायकर रहा हो
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विशेष लोक अभियोजक नियुक्त कौन कर सकेगा?
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केन्द्र सरकार या राज्य सरकार
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सहायक लोक अभियोजक (Assistant Public Prosecutors) की नियुक्ति किस धारा से संबंधित है?
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धारा 19
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सहायक लोक अभियोजक नियुक्त कौन कर सकेगा?
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राज्य सरकार
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जहां कोई सहायक लोक अभियोजक किसी विशिष्ट मामले के प्रयोजनों के लिए उपलब्ध नहीं है……किसी अन्य व्यक्ति को उस मामले का भारसाधक सहायक लोक अभियोजक कौन नियुक्त कर सकता है?
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जिला मजिस्ट्रेट
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धारा 19(2) के अनुसार मजिस्ट्रेट न्यायालय में किसी मामले या मामलों के वर्ग के लिए सहायक लोक अभियोजकों की नियुक्ति कौन कर सकता है?
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केन्द्र सरकार
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धारा 19(3) के अनुसार जहां कोई सहायक लोक अभियोजक उपलब्ध नहीं है, वहां किसी अन्य व्यक्ति को सहायक लोक अभियोजक कौन नियुक्त कर सकता है?
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जिला मजिस्ट्रेट
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अभियोजन निदेशालय (Directorate of Prosecution) की स्थापना और नियुक्ति किस धारा से संबंधित है?
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धारा 20
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अभियोजन निदेशालय (Directorate of Prosecution) की स्थापना कौन करेगा?
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राज्य सरकार
राज्य में एक अभियोजन निदेशालय स्थापित कर सकेगी, जिसमें एक अभियोजन निदेशक और उतने अभियोजन उपनिदेशक हो सकेंगे, जैसा वह ठीक समझे
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धारा 20(2)(क) के अनुसार, अभियोजन निदेशक या अभियोजन उप-निदेशक के रूप में नियुक्त होने के लिए पात्र कब होगा?
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केवल तभी जब वह अधिवक्ता के रूप में कम से कम पंद्रह वर्ष से अधिवक्ता के रूप में विधि व्यवसायकर रहा है, सेशन न्यायाधीश है या रहा है
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धारा 20(2)(ख) के अनुसार, अभियोजन सहायक निदेशक के रूप में नियुक्त होने के लिए पात्र कब होगा?
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केवल तभी जब वह अधिवक्ता के रूप में कम से कम सात वर्ष तक व्यवसाय में रहा हो या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट रहा हो
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अभियोजन निदेशालय के प्रमुख निदेशक प्रशासनिक किसके नियंत्रण के अधीन कृत्य करेगा?
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राज्य में गृह विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन
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कब एक पुलिस अधिकारी को लोक अभियोजक नियुक्त किया जा सकता है?
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जब वह निरीक्षक की श्रेणी से नीचे का न हो तथा उस अन्वेषण का हिस्सा न रहा हो
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अध्याय 3
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न्यायालयों की शक्ति
(Power Of Courts)
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न्यायालय, जिनके द्वारा अपराध विचारणीय हैं, (Courts by which offences are triable) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 21
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भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अधीन किसी अपराध का विचारण किन न्यायालयो के द्वारा किया जा सकेगा?
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उच्च न्यायालय; या
सेशन न्यायालय; या
किसी अन्य न्यायालय, जिसके द्वारा ऐसे अपराध का विचारणीय होना प्रथम अनुसूची में दर्शाया गया है:
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धारा 21(ख) के प्रावधानों के अनुसार, किसी अन्य कानून के अधीन कोई अपराध जब कोई न्यायालय ऐसा उल्लेखित न हो, तब उसका विचारण किन न्यायालयो द्वारा किया जा सकेगा?
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उच्च न्यायालय; या
कोई अन्य न्यायालय, जिसके द्वारा ऐसे अपराध का विचारणीय होना प्रथम अनुसूची में दर्शाया गया है
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उच्च न्यायालय और सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित किये जाने वाले दण्ड (Sentences which High Courts and Sessions Judges may pass) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 22
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उच्च न्यायालय कौन से दण्ड पारित कर सकता है?
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विधि द्वारा प्राधिकृत कोई भी दंडादेश
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सेशन न्यायाधीश विधि द्वारा प्राधिकृत कोई भी दंडादेश दे सकेगा, किंतु ऐसे किसी न्यायाधीश द्वारा दिया गया मृत्यु दंडादेश, किसके द्वारा पुष्ट किया जाना आवश्यक होगा?
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उच्च न्यायालय द्वारा
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दंडादेश, जो दे सकेंगे (Sentences which High Courts and Sessions Judges may pass) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 23
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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कौन सा दण्ड पारित कर सकता है?
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सात वर्ष से अनधिक की अवधि
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प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट कौन से दण्ड पारित कर सकते है?
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तीन वर्ष से अनधिक अवधि के लिए कारावास का या
पचास हजार रुपए से अनधिक जुर्माने का, या दोनों का, या
सामुदायिक सेवा का
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द्वितीय श्रेणी मजिस्ट्रेट कौन से दण्ड पारित कर सकते है?
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एक वर्ष से अनधिक अवधि के लिए कारावास का या
दस हजार रुपए से अनधिक जुर्माने का, या दोनों का, या
सामुदायिक सेवा का
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जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने पर कारावास का दंडादेश (sentence of imprisonment in default of fine) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 24
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सामुदायिक सेवा का अर्थ क्या है?
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जिसको किसी दोषसिद्ध व्यक्ति को दंड के ऐसे रूप में,
जो समुदाय के लाभ के लिए हो,
करने के लिए न्यायालय आदेश करे, जिसके लिए वह किसी पारिश्रमिक का हकदार नहीं होगा
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एक ही विचारण में कई अपराधों के लिए दोषसिद्ध होने के मामलों में दंडादेश (Sentence in cases of conviction of several offences at one trial) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 25
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शक्तियां प्रदान करने का ढंग (Mode of conferring powers) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 26
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नियुक्त अधिकारियों की शक्तियां (Powers of officers appointed) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 27
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शक्तियों को वापस लेना (Withdrawal of powers) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 28
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न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों की शक्तियों का उनके पद- उत्तरवर्तियों द्वारा प्रयोग किया जा सकना (Powers of Judges and Magistrates exercisable by their successors-in office) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 29
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अध्याय 4
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वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की शक्तियां और मजिस्ट्रेट तथा पुलिस को सहायता
(Powers Of Superior Officers of Police and Aid to The Magistrates and The Police)
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वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की शक्तियां (Powers of superior officers of police) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 30
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मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी की सहायता करने के लिए कौन आबद्ध है?
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प्रत्येक व्यक्ति
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कौन सी धारा के अधीन जनता मजिस्ट्रेट और पुलिस की सहायता करेगी?
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धारा 31
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पुलिस अधिकारी से भिन्न ऐसे व्यक्ति को सहायता जो वारंट का निष्पादन कर रहा है (Aid to person, other than police officer, executing warrant) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 32
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कौन सी धारा अपराधों की सूचना जनता द्वारा दिया जाने से संबंधित है?
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धारा 33
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ग्राम के मामलों के संबंध में नियोजित अधिकारियों का कतिपय रिपोर्ट करने का कर्तव्य (Duty of officers employed in connection with affairs of a village to make certain report) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 34
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अध्याय 5
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व्यक्तियों की गिरफ्तारी
(Arrest Of Persons)
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कौन सा अध्याय संज्ञेय और असंज्ञेय मामलों में व्यक्तियों की गिरफ्तारी के संबंध में प्रावधान प्रदान करता है?
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अध्याय 5
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किस प्रावधान के अंतर्गत पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तारी (when police may arrest without warrant) कर सकती है?
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धारा 35
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धारा 35 के अंतर्गत कितने आधार बताए गए हैं जिनके अंतर्गत पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकता है?
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10 आधार
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एक पुलिस अधिकारी को समुचित संदेह है कि 'क' एक हत्या के मामले में संलिप्त है। तो वह-
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'क' को वारंट के बिना ही गिरफ्तार कर सकता है
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कौन सा पुलिस अधिकारी बिना वारंट के किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है जिस पर संघ के सशस्त्र सेनाबलों में से किसी एक के भगोड़ा होने का संदेह हो-
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कोई भी पुलिस अधिकारी
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पुलिस बिना वारंट के कब गिरफ्तारी कर सकती है?
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जो पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में संज्ञेय अपराध करता है
जो राज्य सरकार द्वारा अपराधी उद्घोषित किया जा चुका है
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गिरफ्तारी की प्रक्रिया और गिरफ्तारी करने वाले अधिकारी के कर्तव्य (Procedure of arrest and duties of officer making arrest) किस धारा से संबंधित है?
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धारा 36
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किसी गिरफ्तार व्यक्ति की गिरफ्तारी के ज्ञापन पर किसके अनुप्रमाणन और सत्यापन की आवश्यकता है?
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कुटुंब का सदस्य है या उस परिक्षेत्र के सदस्य गिरफ्तार किए गए व्यक्ति द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित
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दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ग जिले में नियंत्रण कक्ष को बदलकर किस धारा में अन्तर्निहित कर दिया गया हैं?
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धारा 37
पदाभिहित पुलिस अधिकारी
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एक पुलिस नियंत्रण कक्ष की स्थापना कौन करेगी?
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राज्य सरकार
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धारा 38 किस अधिकार से संबंधित है?
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गिरफ्तार व्यक्ति का अधिवक्ता से मिलने का अधिकार
(Right of arrested person to meet an advocate of his choice during interrogati)
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गिरफ्तार व्यक्ति को किस समय अपने अधिवक्ता से मिलने का अधिकार है?
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पूछताछ के दौरान समय-समय पर
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क्या अधिवक्ता पूछताछ के पूरे समय उपस्थित रह सकता है?
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नहीं, सिर्फ समय-समय पर मिलने की अनुमति है
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किस धारा के अंतर्गत एक मजिस्ट्रेट किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है?
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धारा 43
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गिरफ्तार व्यक्ति का अधिवक्ता से मिलने का अधिकार किस संविधानिक अधिकार से भी जुड़ा हुआ है?
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अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार)
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क्या पुलिस को वकील से मिलने के अधिकार की सूचना गिरफ्तार व्यक्ति को देना अनिवार्य है?
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हाँ
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धारा 38 के अनुसार वकील की उपस्थिति किस तरह की होती है?
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समय-समय पर
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नाम और निवास बताने से इंकार करने पर गिरफ्तारी किस धारा से संबंधित है?
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धारा 39
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यदि कोई व्यक्ति पुलिस को अपना नाम और पता बताने से मना करता है, तो पुलिस अधिकारी क्या कर सकता है?
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तुरंत गिरफ्तारी
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गिरफ्तारी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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पहचान सुनिश्चित करना
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धारा 40 किससे संबंधित है?
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निजी व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी
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एक निजी व्यक्ति किस परिस्थिति में गिरफ्तारी कर सकता है?
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जब अपराध संज्ञेय हो
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धारा 40 के अनुसार गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति को कहाँ प्रस्तुत करना अनिवार्य है?
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नजदीकी पुलिस अधिकारी के समक्ष
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क्या प्राइवेट व्यक्ति को गिरफ्तारी के लिए वारंट लेना आवश्यक है?
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नहीं
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गिरफ्तारी करने वाला व्यक्ति यदि पुलिस को सुपुर्द नहीं करता है, तो...?
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यह अवैध हिरासत मानी जा सकती है
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प्राइवेट व्यक्ति द्वारा की गई गिरफ्तारी में क्या प्राथमिक आवश्यकता है?
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संज्ञेय अपराध का घटित होना
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पुलिस के समक्ष गिरफ्तारी सौंपने में देरी होना किसका उल्लंघन है?
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अनुच्छेद 21
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क्या निजी व्यक्ति अपराध करने के शक में किसी को गिरफ्तार कर सकता है?
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नहीं, केवल अपराध होते देखे जाने पर
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने निजी व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी को वैध माना था जब अपराध प्रत्यक्ष देखा गया था?
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उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राम सागर यादव
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कौन-सा केस ‘अवैध हिरासत’ के खिलाफ चेतावनी के लिए प्रसिद्ध है, जो धारा 40 के अनुपालन की आवश्यकता को रेखांकित करता है?
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डीके बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
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किस मामले में कहा गया कि पुलिस को निजी व्यक्ति द्वारा की गई गिरफ्तारी के तुरंत बाद जाँच करनी चाहिए?
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पंजाब राज्य बनाम अजायब सिंह
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क्या निजी व्यक्ति बल प्रयोग कर सकता है गिरफ्तारी करते समय?
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हाँ, केवल आवश्यक सीमा तक
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यदि प्राइवेट व्यक्ति गलत व्यक्ति को गिरफ्तार करता है, तो...?
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अवैध हिरासत का मामला बन सकता है
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निजी व्यक्ति गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति को किस समय सीमा में पुलिस को सौंपे?
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यथाशीघ्र
(without unnecessary delay)
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यदि कोई नागरिक किसी अपराधी को पकड़ता है और पुलिस के पास नहीं ले जाता, तो वह...?
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कानूनी रूप से दोषी हो सकता है
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क्या एक दुकान मालिक चोरी करते समय पकड़े गए व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है?
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हाँ, यदि अपराध प्रत्यक्ष हुआ हो
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प्राइवेट गिरफ्तारी का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
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पुलिस की मदद करना
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किस स्थिति में निजी व्यक्ति गिरफ्तारी नहीं कर सकता?
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अपराध उसकी उपस्थिति में न हुआ हो
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धारा 41 किससे संबंधित है?
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मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी
(Arrest by Magistrate)
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मजिस्ट्रेट किस स्थिति में गिरफ्तारी कर सकता है?
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जब अपराधी को अपराध करते देखे
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मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी किस प्रकार का अधिकार है?
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वैधानिक अधिकार
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मजिस्ट्रेट किसे गिरफ्तार कर सकता है?
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अपने समक्ष अपराध करते हुए व्यक्ति को
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क्या मजिस्ट्रेट को गिरफ्तारी हेतु पुलिस अधिकारी को आदेश देना पड़ता है?
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नहीं, स्वयं गिरफ्तार कर सकता है
|
मजिस्ट्रेट किस अपराध में गिरफ्तारी कर सकता है?
|
केवल संज्ञेय अपराध
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यदि कोई व्यक्ति मजिस्ट्रेट के समक्ष अदालत में दंगा कर रहा हो, तो मजिस्ट्रेट क्या कर सकता है?
|
स्वयं गिरफ्तार कर सकता है
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मजिस्ट्रेट गिरफ्तारी के पश्चात किस प्रक्रिया का पालन करेगा?
|
उसे ट्रायल के लिए प्रस्तुत करेगा
|
क्या मजिस्ट्रेट बिना वर्दी के गिरफ्तारी कर सकता है?
|
हाँ
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मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी के समय क्या वारंट आवश्यक है?
|
नहीं
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मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी का उद्देश्य क्या है?
|
अपराध रोकना
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मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तार व्यक्ति को कितने समय के भीतर न्यायालय में पेश करना चाहिए?
|
24 घंटे
|
मजिस्ट्रेट द्वारा की गई गिरफ्तारी की वैधता किस न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है?
|
उच्च न्यायालय
|
यदि मजिस्ट्रेट के समक्ष कोई व्यक्ति हत्या करते पकड़ा जाए, तो मजिस्ट्रेट?
|
तुरंत गिरफ्तार कर सकता है
|
क्या मजिस्ट्रेट अदालत परिसर में अपराध होते ही आरोपी को पकड़ सकता है?
|
हाँ
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी में मजिस्ट्रेट की भूमिका को स्पष्ट किया था?
|
जोगिंदर कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
|
किस मामले में अदालत ने गिरफ्तारी की वैधानिक प्रक्रिया पर जोर दिया?
|
अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य
|
यदि मजिस्ट्रेट के समक्ष कोई व्यक्ति हत्या करते पकड़ा जाए, तो मजिस्ट्रेट?
|
तुरंत गिरफ्तार कर सकता है
|
धारा 42 का मुख्य विषय क्या है?
|
सशस्त्र बलों के सदस्यों का गिरफ्तारी से संरक्षण
(Protection of members of Armed Forces from arrest)
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किस कानून के तहत सशस्त्र बलों के सदस्यों को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया गया है?
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), धारा 42
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धारा 42 के तहत सशस्त्र बलों के सदस्य कब तक गिरफ्तारी से संरक्षित हैं?
|
जब वे अपने अधिकार क्षेत्र में कर्तव्यों का पालन कर रहे हों
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सशस्त्र बलों के सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए किसकी पूर्व अनुमति आवश्यक है?
|
केंद्र सरकार की
|
धारा 42 का संरक्षण किस प्रकार के अपराधों पर लागू होता है?
|
केवल कर्तव्य पालन के दौरान किए गए कृत्यों पर
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यदि सशस्त्र बल का कोई सदस्य अपने कर्तव्य का पालन करते हुए गलती से नागरिक को चोट पहुँचाता है, तो क्या बिना अनुमति गिरफ्तारी संभव है?
|
नहीं
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धारा 42 के अंतर्गत संरक्षण पाने वाले बल कौन से हैं?
|
अर्धसैनिक बल
|
सशस्त्र बलों के सदस्यों की गिरफ्तारी का मामला किस अदालत में सुनवाई के लिए जाता है?
|
केंद्र सरकार के निर्देशानुसार
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गिरफ्तारी से पहले केंद्र सरकार से अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
|
पूर्व स्वीकृत
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क्या राज्य सरकार सशस्त्र बलों के सदस्य की गिरफ्तारी के लिए स्वीकृति दे सकती है?
|
नहीं
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क्या सशस्त्र बलों के सदस्य को व्यक्तिगत दुश्मनी के आरोप में बिना अनुमति गिरफ्तार किया जा सकता है?
|
नहीं
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि सशस्त्र बलों के सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है?
|
नागा पीपुल्स मूवमेंट बनाम भारत संघ
|
किस मामले में यह तय हुआ कि सशस्त्र बलों द्वारा कार्य करते समय कृत्य पर सामान्य आपराधिक प्रक्रिया लागू नहीं होगी जब तक सरकार स्वीकृति न दे?
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अतिरिक्त न्यायिक निष्पादन पीड़ित परिवार एसोसिएशन बनाम भारत संघ
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यदि सेना का अधिकारी नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कार्यवाही के दौरान गलती से नागरिक को घायल करता है, तो गिरफ्तारी हेतु क्या करना होगा?
|
केंद्र सरकार की स्वीकृति लेनी होगी
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क्या छुट्टी पर गए सशस्त्र बल सदस्य को बिना अनुमति गिरफ्तार किया जा सकता है?
|
नहीं, यदि कार्य से संबंधित हो
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केंद्र सरकार की अनुमति किस दस्तावेजी रूप में दी जाती है?
|
लिखित आदेश
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धारा 43 किससे संबंधित है?
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गिरफ्तारी कैसे की जाएगी
(Arrest how made)
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गिरफ्तारी करते समय पुलिस को क्या करना अनिवार्य है?
|
गिरफ्तारी का कारण बताना
|
गिरफ्तारी करते समय पुलिस द्वारा आरोपी को किस अधिकार की जानकारी देना आवश्यक है?
|
जमानत का अधिकार
|
गिरफ्तारी करते समय बल का प्रयोग कब किया जा सकता है?
|
जब आरोपी विरोध करे
|
धारा 43 के अनुसार, किसे अधिकृत किया गया है गिरफ्तारी करने के लिए?
|
पुलिस अधिकारी या अधिकृत व्यक्ति
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गिरफ्तारी के समय महिला आरोपी को कैसे गिरफ्तार किया जाएगा?
|
केवल महिला अधिकारी द्वारा
|
क्या गिरफ्तारी के दौरान आरोपी को स्पर्श किया जाना अनिवार्य है?
|
नहीं, केवल यदि वह सहयोग न करे
|
महिला को गिरफ्तारी के समय किस प्रकार का बल प्रयोग किया जा सकता है?
|
यथासंभव कम बल
|
गिरफ्तारी के समय पुलिस को किसे सूचना देना आवश्यक है?
|
आरोपी के परिवार को
|
गिरफ्तारी के बाद आरोपी को किस समय सीमा में मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना होता है?
|
24 घंटे
|
गिरफ्तारी के बाद कौन-सा दस्तावेज आवश्यक होता है?
|
गिरफ्तारी ज्ञापन
(Arrest Memo)
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किस मामले में गिरफ्तारी के दौरान अधिकारों की जानकारी देने की अनिवार्यता को सर्वोच्च न्यायालय ने रेखांकित किया?
|
जोगिंदर कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी ज्ञापन (Arrest Memo) की आवश्यकता पर बल दिया था?
|
डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
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गिरफ्तारी के मानकों का उल्लंघन करने पर कौन-सा मूल अधिकार प्रभावित होता है?
|
अनुच्छेद 21
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धारा 44 किससे संबंधित है?
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उस स्थान की तलाशी जिसमें ऐसा व्यक्ति प्रविष्ट हुआ है जिसकी गिरफ्तारी की जानी है
(Search of place entered by person sought to be arrested)
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यदि पुलिस को विश्वास है कि वांछित व्यक्ति किसी स्थान में छिपा है, तो वह क्या कर सकती है?
|
उस स्थान की तलाशी ले सकती है
|
यदि तलाशी का आदेश न मिले तो पुलिस क्या कर सकती है?
|
वारंट प्राप्त कर तलाशी ले सकती है
|
यदि घर का मालिक प्रवेश से मना करता है, तो पुलिस अधिकारी क्या कर सकता है?
|
प्रवेश करने के लिए बल का प्रयोग कर सकता है
|
तलाशी के दौरान पुलिस अधिकारी को क्या दिखाना आवश्यक है?
|
गिरफ्तारी वारंट
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तलाशी और गिरफ्तारी के समय उचित प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है?
|
डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
|
किस मामले में तय किया गया कि तलाशी के दौरान स्वतंत्र गवाहों की उपस्थिति अनिवार्य है?
|
पंजाब राज्य बनाम बलबीर सिंह
|
सुप्रीम कोर्ट ने किस मामले में कहा कि महिला के घर में प्रवेश करने से पहले उसे बाहर आने का अवसर दिया जाना चाहिए?
|
शीला बरसे बनाम महाराष्ट्र राज्य
|
धारा 45 किस विषय से संबंधित है?
|
अन्य अधिकारिताओं मैं अपराधियों का पीछा करना
(Pursuit of offenders into other jurisdictions)
|
क्या एक पुलिस अधिकारी अपने क्षेत्राधिकार के बाहर अपराधी का पीछा कर सकता है?
|
हाँ
|
अपराधी का पीछा किस सीमा तक किया जा सकता है?
|
भारत के किसी भी भाग में
|
अपराधी का पीछा करते समय, पुलिस अधिकारी को अन्य क्षेत्राधिकार में क्या करना चाहिए?
|
वहाँ की स्थानीय पुलिस को सूचित करना
|
यदि पुलिस अधिकारी अन्य राज्य में प्रवेश करता है, तो उसे क्या करना चाहिए?
|
संबंधित पुलिस स्टेशन को सूचित करना चाहिए
|
अन्य राज्य में अपराधी का पीछा करने पर किस प्रकार का सहयोग अपेक्षित है?
|
स्थानीय पुलिस से
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपराधी का पीछा क्षेत्राधिकार की सीमा से प्रभावित नहीं होना चाहिए?
|
हरियाणा राज्य बनाम भजन लाल
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस के अधिकारों और कर्तव्यों का विस्तार से वर्णन किया है, जिसमें पीछा करना भी शामिल है?
|
प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ
|
क्या पुलिस अधिकारी बिना वारंट के अपराधी का पीछा कर सकता है?
|
हाँ
|
अपराधी को पकड़ने के बाद किस न्यायिक अधिकारी के सामने उसे प्रस्तुत किया जाना चाहिए?
|
मजिस्ट्रेट के सामने
|
धारा 46 किस विषय से संबंधित है?
|
अनावश्यक अवरोध न करना
(No unnecessary restraint)
|
गिरफ्तारी के समय "अनावश्यक अवरोध" का क्या अर्थ है?
|
गिरफ्तारी में अनावश्यक देरी करना
|
गिरफ्तारी करते समय अनावश्यक अवरोध से बचना क्यों आवश्यक है?
|
आरोपी की गरिमा की रक्षा के लिए
|
गिरफ्तारी के समय अनावश्यक अवरोध से क्या परिणाम हो सकता है?
|
गिरफ्तारी अमान्य हो सकती है
|
गिरफ्तारी के समय यदि आवश्यक अवरोध उत्पन्न होता है, तो आरोपी क्या कर सकता है?
|
उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है
|
गिरफ्तारी के दौरान न्यूनतम बल प्रयोग करने की नीति किस न्यायसिद्धांत से जुड़ी है?
|
प्राकृतिक न्याय
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के दौरान न्यूनतम बल के प्रयोग का निर्देश दिया?
|
डी के बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
|
किस मामले में ने गिरफ्तार व्यक्ति के मानवाधिकारों की रक्षा पर बल दिया, जिसमें अनावश्यक अवरोध न करने का सिद्धांत शामिल है?
|
मेनका गांधी बनाम भारत संघ
|
किस मामले में यह कहा गया कि गिरफ्तारी केवल तभी हो जब बिल्कुल आवश्यक हो?
|
अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य
|
गिरफ्तारी के समय अनावश्यक अवरोध उत्पन्न करने पर आरोपी किस संवैधानिक अधिकार के उल्लंघन का दावा कर सकता है?
|
जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
|
धारा 46 का अनुपालन न करने पर कौन सी कार्यवाही हो सकती है?
|
पुलिस अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही
|
अनावश्यक अवरोध से बचने का सिद्धांत किस प्रकार से "न्याय का सिद्धांत" का अंग है?
|
प्रक्रिया के अनुसार विधि सिद्धांत
|
धारा 47 किस विषय से संबंधित है?
|
गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों और जमानत के अधिकार की सूचना दिया जाना
(Person arrested to be informed of grounds of arrest and of right to bail)
|
गिरफ्तारी के समय पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार व्यक्ति को क्या बताना अनिवार्य है?
|
गिरफ्तारी के आधार
|
धारा 47 पुलिस को किस अधिकार के बारे में भी बताना होगा?
|
जमानत का अधिकार
|
गिरफ्तारी के आधारों की सूचना किस समय दी जानी चाहिए?
|
गिरफ्तारी के तुरंत बाद
|
गिरफ्तारी के समय सूचना न देना किस संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है?
|
अनुच्छेद 21
|
गिरफ्तारी के समय आरोपी को जानकारी देना किस सिद्धांत का पालन करना है?
|
प्राकृतिक न्याय
|
धारा 47 के तहत गिरफ्तारी के आधारों की सूचना किस प्रकार दी जानी चाहिए?
|
मौखिक रूप से
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के समय गिरफ्तारी के कारण बताने की आवश्यकता को अनिवार्य किया?
|
डी के बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
|
किस निर्णय में कहा गया कि गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत अपने जमानत के अधिकार की जानकारी दी जानी चाहिए?
|
जोगिंदर कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
|
किस केस ने गिरफ्तारी के समय पारदर्शिता को न्याय का एक अनिवार्य तत्व माना?
|
मेनका गांधी बनाम भारत संघ
|
अगर गिरफ्तारी के आधार और जमानत का अधिकार नहीं बताया गया, तो क्या परिणाम हो सकता है?
|
गिरफ्तारी अमान्य हो सकती है
|
गिरफ्तारी के समय सूचना न मिलने पर आरोपी किस अदालत में रिट याचिका दायर कर सकता है?
|
उच्च न्यायालय
|
गिरफ्तारी के समय सूचना देने का कर्तव्य किसके ऊपर है?
|
गिरफ्तार करने वाला पुलिस अधिकारी
|
गिरफ्तारी के समय जानकारी देना किस सिद्धांत को लागू करता है?
|
दूसरी ओर को सुनने का सिद्धांत (Audi Alteram Partem)
|
धारा 48 का मुख्य विषय क्या है?
|
गिरफ्तारी करने वाले व्यक्ति की,गिरफ्तारी आदि के बारे में, नातेदार या मित्र को जानकारी देने की बाध्यता
|
धारा 48 के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति के किसे सूचना दी जानी चाहिए?
|
नातेदार या मित्र को
|
गिरफ्तारी के तुरंत बाद सूचना देना क्यों आवश्यक है?
|
गिरफ्तार व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए
|
गिरफ्तारी की सूचना देने की जिम्मेदारी किसकी होती है?
|
गिरफ्तारी करने वाले अधिकारी की
|
यदि नातेदार या मित्र की सूचना नहीं दी जाती है तो किस संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन होता है?
|
अनुच्छेद 21
|
गिरफ्तारी के समय आरोपी को किस बात का अवसर मिलना चाहिए?
|
नातेदार या मित्र से संपर्क करने का
|
धारा 48 गिरफ्तारी की सूचना किस समय दी जानी चाहिए?
|
गिरफ्तारी के तुरंत बाद
|
गिरफ्तार व्यक्ति को सूचना देने के बाद किस दस्तावेज में उसका उल्लेख करना अनिवार्य है?
|
गिरफ्तारी अवैध घोषित हो सकती है
|
गिरफ्तार व्यक्ति को नातेदार से संपर्क करने का अधिकार किस सिद्धांत पर आधारित है?
|
प्राकृतिक न्याय सिद्धांत
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के समय नातेदार या मित्र को सूचना देना अनिवार्य करार दिया?
|
डी के बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
|
किस मामले में न्यायालय ने "गिरफ्तारी पारदर्शिता" पर बल दिया?
|
डी के बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
|
नातेदार को सूचना न देने पर गिरफ्तार व्यक्ति किस उपाय का सहारा ले सकता है?
|
उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका
|
गिरफ्तारी के समय नातेदार या मित्र को सूचना देने का सिद्धांत किस प्रकार का है?
|
बाध्यकारी
|
गिरफ्तार व्यक्ति से उसकी सूचना किस भाषा में ली जानी चाहिए?
|
आरोपी की समझने योग्य भाषा में
|
धारा 49 का मुख्य विषय क्या है?
|
गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की तलाशी
(Search of arrested person)
|
गिरफ्तार व्यक्ति की तलाशी किसके द्वारा की जाती है?
|
गिरफ्तार करने वाला अधिकारी
|
तलाशी के दौरान जब्त वस्तुएं किसे सौंपी जानी चाहिए?
|
मजिस्ट्रेट को
|
गिरफ्तार व्यक्ति की तलाशी के दौरान क्या तैयार करना अनिवार्य है?
|
तलाशी सूची
|
यदि गिरफ्तार व्यक्ति महिला है, तो तलाशी किसके द्वारा की जाएगी?
|
महिला पुलिसकर्मी
|
तलाशी के समय जब्त वस्तुओं का उल्लेख किस दस्तावेज़ में किया जाता है?
|
लाशी ज्ञापन
(Search Memo)
|
तलाशी के दौरान गिरफ्तार व्यक्ति से जब्त की गई वस्तुओं की जानकारी किसे दी जानी चाहिए?
|
गिरफ्तार व्यक्ति को
|
तलाशी के समय गिरफ्तार व्यक्ति यदि महिला है, तो प्रक्रिया किस सिद्धांत पर आधारित होगी?
|
गरिमा और निजता का सिद्धांत
|
किस केस ने पुलिस हिरासत में गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तलाशी सूची को अनिवार्य बताया?
|
डी के बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
|
यदि तलाशी के दौरान कोई अवैध वस्तु पाई जाती है, तो उसे किसके समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य है?
|
मजिस्ट्रेट के समक्ष
|
तलाशी के समय जब्त वस्तुओं की सूची तैयार न करने पर क्या परिणाम हो सकता है?
|
आरोपी को दोषमुक्त किया जा सकता है
|
धारा 50 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 का मुख्य विषय क्या है?
|
आक्रामक आयुध का अभिग्रहण करने की शक्ति
|
"आक्रामक आयुध" से क्या तात्पर्य है?
|
हथियार और अन्य खतरनाक वस्तुएं
|
पुलिस अधिकारी आक्रामक आयुध कब जब्त कर सकता है?
|
जब उसे संदेह हो कि वह अपराध में प्रयुक्त हो सकता है
|
आक्रामक आयुध का अभिग्रहण किस अधिकारी द्वारा किया जा सकता है?
|
कोई भी पुलिस अधिकारी
|
आक्रामक आयुध का जब्ती किसका उल्लंघन नहीं करती?
|
अनुच्छेद 21
|
जब आक्रामक आयुध जब्त किया जाता है, तो उसे किसके समक्ष प्रस्तुत किया जाता है?
|
मजिस्ट्रेट के समक्ष
|
आक्रामक आयुध का जब्ती किस प्रकार से दर्ज किया जाता है?
|
लिखित जब्ती ज्ञापन द्वारा
|
यदि आक्रामक आयुध का कब्जा आरोपी से लिया गया है, तो उसे किस प्रक्रिया के तहत न्यायालय में पेश किया जाता है?
|
जब्ती ज्ञापन के साथ
|
जब्त आक्रामक आयुध का प्रयोग कब वैध माना जाएगा?
|
मजिस्ट्रेट की अनुमति के बाद
|
आक्रामक आयुध की जब्ती के समय किसकी उपस्थिति महत्वपूर्ण मानी जाती है?
|
स्वतंत्र साक्षी की
|
नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत जब्ती के सिद्धांत को किस प्रकार भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 50 के सिद्धांत से जोड़ा जा सकता है?
|
स्वतंत्र साक्षी की उपस्थिति
|
किस मामले में कहा गया कि बिना उचित प्रक्रिया के जब्त वस्तु को सबूत नहीं माना जा सकता?
|
पंजाब राज्य बनाम बलबीर सिंह
|
आक्रामक आयुध की जब्ती का दस्तावेज कौन तैयार करता है?
|
गिरफ्तारी करने वाला अधिकारी
|
जब्त किए गए आक्रामक आयुध का नियंत्रण किसके अधीन रहता है?
|
मजिस्ट्रेट के
|
जब्ती के समय स्वतंत्र गवाहों की उपस्थिति क्यों आवश्यक है?
|
पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए
|
जब्त वस्तुओं की सूची में किसकी पुष्टि आवश्यक होती है?
|
स्वतंत्र साक्षी की
|
यदि जब्ती के नियमों का पालन नहीं किया गया, तो उस वस्तु को किस रूप में माना जाएगा?
|
अवैध सबूत
|
धारा 51 किससे संबंधित है?
|
पुलिस अधिकारी की प्रार्थना पर चिकित्सा- व्यवसायी द्वारा अभियुक्त की परीक्षा
|
अभियुक्त की चिकित्सकीय परीक्षा किसके अनुरोध पर की जाती है?
|
पुलिस अधिकारी की प्रार्थना पर
|
अभियुक्त की चिकित्सकीय परीक्षा कौन कर सकता है?
|
चिकित्सा-व्यवसायी
|
चिकित्सा परीक्षा किस उद्देश्य से कराई जाती है?
|
अपराध से संबंधित साक्ष्य एकत्र करने के लिए
|
महिला अभियुक्त की चिकित्सा परीक्षा कौन करेगा?
|
महिला चिकित्सा-व्यवसायी
|
अभियुक्त की चिकित्सकीय परीक्षा के लिए क्या आवश्यक है?
|
पुलिस अधिकारी का अनुरोध
|
चिकित्सकीय परीक्षा में क्या प्रकार के साक्ष्य एकत्र किए जा सकते हैं?
|
DNA नमूने
|
क्या अभियुक्त की चिकित्सकीय परीक्षा बलपूर्वक कराई जा सकती है?
|
हाँ, कानून अनुमति है
|
चिकित्सा व्यवसायी किसके तहत अभियुक्त की जाँच करेगा?
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता
के दिशा-निर्देशों के अनुसार
|
अभियुक्त की चिकित्सकीय परीक्षा किस प्रकार होनी चाहिए?
|
न्यायसंगत और सम्मानजनक
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के बाद अभियुक्त की चिकित्सकीय जांच के अधिकार पर बल दिया?
|
डी के बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
|
DNA नमूना लेना अभियुक्त के किस मौलिक अधिकार से संबंधित प्रश्न उठाता है?
|
जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार
|
किस मामले में अदालत ने कहा कि डीएनए टेस्ट करवाना निजता का उल्लंघन नहीं है यदि वह कानूनन आवश्यक हो?
|
सेल्वी बनाम कर्नाटक राज्य
|
अभियुक्त की चिकित्सकीय परीक्षा से प्राप्त रिपोर्ट किसका साक्ष्य बन सकती है?
|
अभियोजन साक्ष्य
|
अभियुक्त की चिकित्सकीय परीक्षा में कौनसा सिद्धांत लागू होता है?
|
प्राकृतिक न्याय सिद्धांत
|
महिला अभियुक्त की परीक्षा करने में किसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए?
|
निजता और गरिमा का
|
चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान अभियुक्त को किस बात की जानकारी दी जानी चाहिए?
|
परीक्षण का उद्देश्य
|
यदि अभियुक्त की चिकित्सकीय परीक्षा कानून के अनुसार नहीं होती है, तो क्या परिणाम हो सकता है?
|
साक्ष्य अवैध घोषित किया जा सकता है
|
धारा 52 किस विषय से संबंधित है?
|
बलात्संग के अपराधी व्यक्ति की चिकित्सा- व्यवसायी द्वारा परीक्षा
(Examination of person accused of rape by medical practitioner)
|
बलात्कार के अभियुक्त की चिकित्सकीय परीक्षा किसके अनुरोध पर होती है?
|
पुलिस अधिकारी की प्रार्थना पर
|
बलात्कार के आरोपी की चिकित्सा परीक्षा कौन करता है?
|
पंजीकृत चिकित्सा-व्यवसायी
|
बलात्कार के अभियुक्त की चिकित्सा परीक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
|
अपराध के सबूत एकत्र करना
|
बलात्कार के अभियुक्त से कौनसे प्रकार के साक्ष्य एकत्र किए जा सकते हैं?
|
DNA नमूना
|
बलात्कार के अभियुक्त की चिकित्सा परीक्षा किस समय की जानी चाहिए?
|
यथाशीघ्र गिरफ्तारी के बाद
|
बलात्कार के अभियुक्त की चिकित्सा परीक्षा में किसका विशेष ध्यान रखा जाता है?
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आरोपी की गरिमा का
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बलात्कार के आरोपी की चिकित्सा परीक्षा के बाद तैयार रिपोर्ट को किसे सौंपा जाता है?
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पुलिस अधिकारी को
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बलात्कार के आरोपी के परीक्षण से प्राप्त सबूत किसके तहत प्रयोग किए जा सकते हैं?
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आपराधिक न्याय प्रक्रिया में
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क्या बलात्कार के अभियुक्त की चिकित्सा परीक्षा बलपूर्वक कराई जा सकती है?
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हाँ, कानून के प्रावधानों के अनुसार
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बलात्कार के मामलों में अभियुक्त की चिकित्सा परीक्षा की आवश्यकता पर बल किस केस ने दिया?
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पंजाब राज्य बनाम गुरमित सिंह
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बलात्कार के मामलों में DNA साक्ष्य को किस मामले में निर्णायक माना गया?
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मुकेश और अन्य बनाम राज्य (निर्भया केस)
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बलात्कार के अभियुक्त की चिकित्सकीय परीक्षा रिपोर्ट में क्या उल्लेख किया जाता है?
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शरीर पर चोट के निशान
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बलात्कार के आरोपी से जो DNA नमूना लिया जाता है, वह किस प्रक्रिया का हिस्सा है?
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अपराध से जुड़े साक्ष्य एकत्रण का
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बलात्कार के आरोपी की चिकित्सा परीक्षा के दौरान किन सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए?
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पारदर्शिता और सम्मान
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बलात्कार के अभियुक्त की चिकित्सा परीक्षा में असफलता का क्या प्रभाव हो सकता है?
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अभियोजन पक्ष के साक्ष्य कमजोर हो सकते हैं
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बलात्कार के मामलों में अभियुक्त की चिकित्सकीय परीक्षा रिपोर्ट किस प्रकार के साक्ष्य के रूप में काम करती है?
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प्राथमिक साक्ष्य
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धारा 53 किससे संबंधित है?
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गिरफ्तार व्यक्ति की चिकित्सा अधिकारी द्वारा परीक्षा
(Examination of arrested person by medical officer)
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धारा 53 के अनुसार गिरफ्तारी के बाद चिकित्सा परीक्षा किसके अनुरोध पर होती है?
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पुलिस अधिकारी
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गिरफ्तार व्यक्ति की चिकित्सा-परीक्षा कराने का उद्देश्य क्या है?
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अभियुक्त के शरीर पर अपराध से संबंधित सबूत एकत्र करना अभियुक्त
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गिरफ्तार व्यक्ति की चिकित्सा-परीक्षा कौन कर सकता है?
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कोई भी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर
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यदि अभियुक्त महिला है, तो उसे कौन परीक्षण करेगा?
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महिला रजिस्टर्ड चिकित्सा-व्यवसायी
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गिरफ्तारी के दौरान आरोपी के शरीर से कौन से नमूने लिए जा सकते हैं?
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रक्त, बाल, DNA
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गिरफ्तारी के समय अभियुक्त से नमूने लेने के लिए किसकी अनुमति आवश्यक होती है?
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चिकित्सा-व्यवसायी की, यदि आवश्यकता हो
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गिरफ्तार व्यक्ति की मेडिकल जाँच का रिकॉर्ड कहाँ प्रस्तुत किया जाता है?
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संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष
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गिरफ्तार व्यक्ति की चिकित्सा-परीक्षा का मुख्य लाभ क्या है?
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वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्र करना
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“कस्टडी में किसी व्यक्ति के शारीरिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता" यह किस मामले में कहा गया था?
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डी के बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
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गिरफ्तार व्यक्ति के शरीर से DNA नमूना लेने की वैधानिकता किस मामले मेंचर्चा का विषय रही?
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सेल्वी बनाम कर्नाटक राज्य
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गिरफ्तारी के बाद मेडिकल परीक्षण का अस्वीकार करने पर क्या परिणाम हो सकता है?
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अदालत द्वारा प्रतिकूल अनुमान लगाया जा सकता है
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गिरफ्तार व्यक्ति से "Forceful Blood Sample" लेना किस स्थिति में अनुमेय है?
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जब कानून विशेष रूप से इसकी अनुमति दे
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गिरफ्तार व्यक्ति की चिकित्सा-परीक्षा के दौरान कौन से नियमों का पालन किया जाना चाहिए?
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गोपनीयता और गरिमा
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गिरफ्तार व्यक्ति की चिकित्सा-परीक्षा में दोषपूर्ण प्रक्रिया का प्रभाव क्या होगा?
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अभियुक्त दोषमुक्त हो सकता है
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 54 किससे संबंधित है?
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गिरफ्तार व्यक्ति की शिनाख्त
(Identification of person arrested)
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धारा 54 के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति की शिनाख्त पर कौन आदेश दे सकता है?
|
मजिस्ट्रेट
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शिनाख्त परेड किस उद्देश्य से कराई जाती है?
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मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में अपराध साबित करने हेतु
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शिनाख्त परेड के दौरान गिरफ्तार व्यक्ति को किन अधिकारों की रक्षा मिलती है?
|
गोपनीयता का अधिकार
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शिनाख्त परेड का आयोजन कब किया जाता है?
|
जल्द से जल्द
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शिनाख्त परेड में अभियुक्त को अन्य व्यक्तियों के साथ रखा जाता है ताकि:
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निष्पक्ष पहचान हो सके
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यदि गिरफ्तार व्यक्ति शिनाख्त परेड के लिए सहयोग नहीं करता तो:
|
न्यायालय प्रतिकूल अनुमान लगा सकता है
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शिनाख्त परेड आयोजित करने की प्रक्रिया किसके नियंत्रण में होती है?
|
मजिस्ट्रेट
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गिरफ्तारी के बाद देरी से शिनाख्त परेड कराने का प्रभाव क्या होता है?
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साक्ष्य की विश्वसनीयता कम हो सकती है
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शिनाख्त परेड की साक्ष्यात्मक वैधता पर महत्वपूर्ण निर्णय कौन सा है?
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महाराष्ट्र राज्य बनाम सुरेश
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किस मामले में कहा गया कि शिनाख्त परेड पुलिस जांच का हिस्सा है और साक्ष्य नहीं है?
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कांता प्रसाद बनाम दिल्ली राज्य
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किस निर्णय में कहा गया कि शिनाख्त परेड में देरी होने से साक्ष्य की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है?
|
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राजेश गौतम
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शिनाख्त परेड किस स्थान पर कराई जानी चाहिए?
|
मजिस्ट्रेट द्वारा नियंत्रित स्थान पर
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शिनाख्त परेड के दौरान अभियुक्त की गोपनीयता क्यों महत्वपूर्ण है?
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निष्पक्ष पहचान सुनिश्चित करने के लिए
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शिनाख्त परेड के लिए अभियुक्त की सहमति आवश्यक है क्या?
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नहीं, सहमति आवश्यक नहीं
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शिनाख्त परेड के विफल रहने पर अभियोजन पक्ष को क्या करना चाहिए?
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अन्य स्वतंत्र साक्ष्य प्रस्तुत करना
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गिरफ्तार व्यक्ति के खिलाफ शिनाख्त परेड की रिपोर्ट किसके समक्ष प्रस्तुत की जाती है?
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संबंधित मजिस्ट्रेट
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 55 किससे संबंधित है?
|
जब पुलिस अधिकारी वारंट के बिना गिरफ्तार करने के लिए अपने अधीनस्थ प्रतिनियुक्त करता है तब प्रक्रिया
(Procedure when police officer deputes subordinate to arrest without warrant)
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धारा 55 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अनुसार, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी किसे वारंट के बिना गिरफ्तारी के लिए निर्देश दे सकता है?
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अपने अधीनस्थ पुलिस अधिकारी को
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अधीनस्थ पुलिस अधिकारी को गिरफ्तारी के निर्देश किस रूप में देने होते हैं?
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लिखित आदेश से
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लिखित आदेश में क्या-क्या उल्लेख होना चाहिए?
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गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति का नाम
अपराध का विवरण
गिरफ्तारी का कारण
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अधीनस्थ अधिकारी गिरफ्तारी करते समय किसे प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है?
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वरिष्ठ अधिकारी का लिखित आदेश
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वरिष्ठ अधिकारी द्वारा लिखित आदेश नहीं देने पर गिरफ्तारी की वैधता क्या होगी?
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गिरफ्तारी अवैध मानी जाएगी
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क्या अधीनस्थ अधिकारी अपनी मर्जी से गिरफ्तारी कर सकता है बिना लिखित आदेश के?
|
नहीं
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लिखित आदेश में यदि अपराध का विवरण न दिया जाए तो गिरफ्तारी होगी:
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संदिग्ध
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गिरफ्तारी के समय क्या गिरफ्तार व्यक्ति को आदेश दिखाना अनिवार्य है?
|
हाँ
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अधीनस्थ अधिकारी को गिरफ्तारी करते समय किस स्तर का व्यवहार करना चाहिए?
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यथासंभव संयमित और कानूनी
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वरिष्ठ पुलिस अधिकारी किस श्रेणी के मामले में अधीनस्थ को बिना वारंट गिरफ्तारी के लिए भेज सकता है?
|
संज्ञेय अपराध
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अधीनस्थ पुलिस अधिकारी किस आधार पर गिरफ्तारी करेगा?
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वरिष्ठ अधिकारी के लिखित आदेश पर
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 56 किससे संबंधित है?
|
गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का स्वास्थ्य और सुरक्षा
(Health and safety of arrested person)
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गिरफ्तार व्यक्ति के स्वास्थ्य की देखभाल कब तक करनी होती है?
|
पूरी हिरासत अवधि के दौरान
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क्या पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार व्यक्ति को यातना देना अनुमन्य है?
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नहीं, बिल्कुल नहीं
|
यदि गिरफ्तार व्यक्ति घायल हो या बीमार हो तो पुलिस का कर्तव्य क्या है?
|
उसे चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना
|
गिरफ्तारी के दौरान यदि कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है तो पुलिस को क्या करना चाहिए?
|
अस्पताल ले जाना
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क्या गिरफ्तार व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना भी पुलिस का दायित्व है?
|
हाँ
|
गिरफ्तार व्यक्ति को मेडिकल सुविधा न देने पर उसके पास कौन सा उपाय उपलब्ध है?
|
मजिस्ट्रेट के समक्ष याचिका दायर करना
|
गिरफ्तार व्यक्ति की चिकित्सा जाँच कब कराई जानी चाहिए?
|
गिरफ्तारी के तुरंत बाद
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गिरफ्तार व्यक्ति को यदि जानबूझ कर चोट पहुंचाई जाती है, तो पुलिसकर्मी के विरुद्ध कौन-सा कार्यवाही हो सकती है?
|
आपराधिक कार्यवाही
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 57 किस विषय से संबंधित है?
|
गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का मजिस्ट्रेट या पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी समक्ष ले जाया जाना
|
धारा 57 के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति को किस समय सीमा के भीतर मजिस्ट्रेट या अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य है?
|
24 घंटे
|
यदि गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया, तो यह किसका उल्लंघन है?
|
संविधान के अनुच्छेद 22(2) का
|
क्या पुलिस अधिकारी को गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति को बिना प्रस्तुत किए हिरासत में रखने का अधिकार है?
|
नहीं
|
गिरफ्तार व्यक्ति को प्रस्तुत करते समय अधिकारी को क्या सुनिश्चित करना चाहिए?
|
व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति
|
यदि मजिस्ट्रेट उपलब्ध नहीं हो, तो गिरफ्तार व्यक्ति को किसके समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है?
|
पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी
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मजिस्ट्रेट के सामने पेशी के दौरान यदि आरोपी को चोट लगी हो तो मजिस्ट्रेट का कर्तव्य क्या है?
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चिकित्सा जांच का आदेश देना
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मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए बिना हिरासत बढ़ाने के लिए कौन-सी कानूनी प्रक्रिया अपनानी पड़ती है?
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रिमांड आदेश लेना
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किस मामले में कहा गया कि गिरफ्तारी के बाद बिना देरी के व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना आवश्यक है?
|
जोगिंदर कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
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यदि पुलिस गिरफ्तार व्यक्ति को निर्धारित समय के भीतर प्रस्तुत नहीं करती, तो यह किस प्रकार का अधिकार हनन है?
|
संवैधानिक अधिकार
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किस मामले में अदालत ने कहा कि "गिरफ्तार व्यक्ति को बिना विलम्ब मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना उसके मानवाधिकार का अभिन्न अंग है?
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हुस्नआरा खातून बनाम बिहार राज्य
|
गिरफ्तार व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने में देरी किस परिस्थिति में उचित मानी जा सकती है?
|
यातायात बाधा
|
मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तार व्यक्ति को हिरासत में रखने के लिए अधिकतम कितने दिनों का पुलिस रिमांड दिया जा सकता है?
|
15 दिन
|
गिरफ्तारी के बाद मजिस्ट्रेट द्वारा हिरासत की अवधि बढ़ाने के लिए किसे प्रमाण प्रस्तुत करना पड़ता है?
|
अभियोजन पक्ष
|
यदि गिरफ्तारी के बाद मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किए बिना व्यक्ति को हिरासत में रखा जाए, तो आरोपी किस कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है?
|
उच्च न्यायालय
|
पुलिस द्वारा गैर-कानूनी हिरासत में रखा गया व्यक्ति किस प्रकार के मुआवजे के लिए दावा कर सकता है?
|
संविधान के तहत मुआवजा
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 58 किस विषय से संबंधित है?
|
गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का चौबीस घंटे से अधिक निरुद्ध न किया जाना
(Person arrested not to be detained more than twenty-four hours)
|
धारा 58 के अनुसार किसी गिरफ्तार व्यक्ति को बिना मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किए अधिकतम कितने घंटे हिरासत में रखा जा सकता है?
|
24 घंटे
|
गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक निरुद्ध करने के लिए कौन सा आदेश आवश्यक है?
|
मजिस्ट्रेट का आदेश
|
धारा 58 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
|
गिरफ्तार व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा
|
यदि किसी व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक हिरासत में रखना हो, तो पुलिस को क्या करना होगा?
|
मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना
|
24 घंटे में कौन-सी अवधि शामिल नहीं की जाती है?
|
सफर में लगा समय
|
पुलिस द्वारा 24 घंटे से अधिक हिरासत में रखने के उल्लंघन पर गिरफ्तारी को क्या माना जाएगा?
|
अवैध
|
गिरफ्तार व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत न करने पर कौन सी रिट याचिका दायर की जा सकती है?
|
हेबियस कॉर्पस
|
पुलिस द्वारा बिना मजिस्ट्रेट के आदेश के हिरासत बढ़ाना किस धारा का उल्लंघन होगा?
|
धारा 58
|
अनुच्छेद 22(2) भारतीय संविधान के तहत गिरफ्तारी के बाद क्या गारंटी दी गई है?
|
गिरफ्तारी के बाद 24 घंटे में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेशी
|
पुलिस द्वारा 24 घंटे की अवधि में सफर के समय को कैसे लिया जाता है?
|
अवधि से घटाया जाता है
|
गिरफ्तार व्यक्ति की हिरासत बढ़ाने के लिए किस प्रकार के मजिस्ट्रेट से आदेश लेना होता है?
|
न्यायिक मजिस्ट्रेट
|
यदि मजिस्ट्रेट गिरफ्तार व्यक्ति को पुलिस हिरासत में भेजते हैं तो उसकी अवधि क्या हो सकती है?
|
अधिकतम 15 दिन
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 59 किस विषय से संबंधित है?
|
पुलिस का गिरफ्तारियों की रिपोर्ट करना
(Police to report apprehensions)
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धारा 59 के अनुसार पुलिस को गिरफ्तारी की रिपोर्ट कहाँ भेजनी होती है?
|
मजिस्ट्रेट को
|
गिरफ्तारी रिपोर्ट भेजने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
|
गिरफ्तारी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखना
|
धारा 59 के अंतर्गत गिरफ्तारी की रिपोर्ट किस समय पर भेजी जानी चाहिए?
|
गिरफ्तारी के शीघ्र बाद
|
गिरफ्तारी रिपोर्ट में क्या विवरण अनिवार्य है?
|
गिरफ्तारी का स्थान, समय और कारण
|
पुलिस द्वारा भेजी गई गिरफ्तारी रिपोर्ट किसके आदेश पर आवश्यक हो जाती है?
|
मजिस्ट्रेट के आदेश पर
|
यदि पुलिस गिरफ्तारी रिपोर्ट समय पर न भेजे तो क्या प्रभाव पड़ता है?
|
गिरफ्तारी अवैध हो सकती है
|
गिरफ्तारी रिपोर्ट भेजने की अनिवार्यता किस बड़े सिद्धांत का हिस्सा है?
|
विधि के शासन का सिद्धांत
|
गिरफ्तारी की रिपोर्ट न भेजने पर आरोपी किस अदालत में राहत के लिए आवेदन कर सकता है?
|
उच्च न्यायाल
|
गिरफ्तारी रिपोर्ट भेजने का जिम्मा किस अधिकारी पर होता है?
|
अन्वेषण अधिकारी
|
गिरफ्तारी की रिपोर्ट किस फॉर्मेट में भेजी जाती है?
|
लिखित रूप में
|
गिरफ्तारी रिपोर्ट भेजने का प्रावधान किस उद्देश्य से है?
|
गिरफ्तारी की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 60 किस विषय से संबंधित है?
|
पकड़े गए व्यक्ति का उन्मोचन
|
धारा 60 के तहत पकड़े गए व्यक्ति का उन्मोचन कब किया जा सकता है?
|
जब गिरफ्तारी की आवश्यकता न हो
(Discharge of person apprehended)
|
उन्मोचन का क्या अर्थ है?
|
पकड़े गए व्यक्ति को छोड़ देना
|
किस परिस्थिति में व्यक्ति को पकड़े जाने के बाद छोड़ा जा सकता है?
|
यदि गिरफ्तारी अनावश्यक हो
|
पकड़े गए व्यक्ति के उन्मोचन के लिए क्या आवश्यक है?
|
कारणों का उल्लेख
|
धारा 60 के तहत पकड़े गए व्यक्ति को किस पर छोड़ा जा सकता है?
|
उसके स्वयं के मुचलके पर
|
व्यक्ति का उन्मोचन करते समय पुलिस को क्या करना चाहिए?
|
लिखित आदेश देना
|
अगर पुलिस अधिकारी उन्मोचन का आदेश देता है तो उसे किसे सूचित करना होता है?
|
मजिस्ट्रेट
|
उन्मोचन आदेश में क्या उल्लेख करना आवश्यक नहीं है?
|
व्यक्ति की व्यक्तिगत संपत्ति
|
उन्मोचन आदेश में क्या अवश्य होना चाहिए?
|
आरोपी की रिहाई का स्पष्ट आदेश
|
धारा 60 के तहत उन्मोचन करने के बाद पुलिस को क्या करना चाहिए?
|
आरोपी को रिहा करना
|
उन्मोचन का आदेश किसके अनुरूप होना चाहिए?
|
विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया
|
पुलिस द्वारा उन्मोचन न करने पर आरोपी को किस अदालत से राहत मिल सकती है?
|
उच्च न्यायालय
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 61 किस विषय से संबंधित है?
|
निकल भागने पर पीछा करने और पकड़ने की शक्ति
(Power, on escape, to pursue and retake)
|
धारा 61 के अनुसार यदि कोई गिरफ्तार व्यक्ति निकल भागता है तो पुलिस अधिकारी क्या कर सकता है?
|
उसका पीछा करके फिर से गिरफ्तार कर सकता है
|
पीछा करते समय पुलिस अधिकारी को कौन-कौन से स्थान में प्रवेश करने का अधिकार होता है?
|
किसी भी स्थान में
|
धारा 61 के तहत पुलिस अधिकारी द्वारा पीछा करते समय कौन सा अधिकार प्राप्त होता है?
|
बिना वारंट प्रवेश करने का
|
किसी व्यक्ति को बिना वारंट के पकड़ते समय किन बातों का पालन करना अनिवार्य है?
|
कारण बताना
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 62 किस विषय से संबंधित है?
|
गिरफ्तारी का सर्वथा संहिता के अनुसार ही किया जाना
|
धारा 62 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अनुसार गिरफ्तारी कैसे की जानी चाहिए?
|
संहिता में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार
(Arrest to be made strictly according to Sanhita)
|
गिरफ्तारी के समय पुलिस अधिकारी को क्या करना आवश्यक है?
|
आरोपी को गिरफ्तार करने का कारण बताना
|
धारा 62 के तहत गिरफ्तारी का उल्लंघन होने पर गिरफ्तारी क्या होगी?
|
अवैध
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के किस खंड में गिरफ्तारी के नियमों को विनियमित किया गया है?
|
अध्याय V
|
|
अध्याय 6
|
हाजिर होने को विवश करने के लिए आदेशिकाएं
(Processes To Compel Appearance)
|
समन (Summons)
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 63 किससे संबंधित है?
|
समन का प्ररूप से
(Form of summons)
|
समन में किन विवरणों का होना आवश्यक है?
|
नाम और पता
|
कौन सी धाराओं का समूह समन से सम्बंधित है?
|
63 से 71
|
समन में किसकी मोहर और हस्ताक्षर होना आवश्यक है?
|
मजिस्ट्रेट का
|
समन किस माध्यम से भेजा जा सकता है?
|
डाक द्वारा
|
समन का उद्देश्य क्या है?
|
किसी व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित कराना
|
समन में कौन-सा विवरण देना अनिवार्य है?
|
तारीख, समय और स्थान
|
समन से संबंधित कौन-सा प्रसिद्ध केस है?
|
के.टी.एम.एस. मोहम्मद बनाम भारत संघ
|
समन को स्वीकार नहीं करने की स्थिति में क्या हो सकता है?
|
वारंट जारी किया जा सकता है
|
समन का पालन नहीं करने पर क्या कार्रवाई की जा सकती है?
|
दंडात्मक कार्यवाही
|
समन में अनुपस्थित रहने पर न्यायालय क्या कर सकता है?
|
गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है
|
हाजिर होने को विवश करने के लिए आदेशिकाएं को किस खंड में विनियमित किया गया है?
|
अध्याय 6
|
भारतीय न्याय संहिता की धारा 64 के अनुसार समन किसके माध्यम से तामील किया जा सकता है?
|
व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से
|
समन की तामील का प्रमाण कौन प्रस्तुत करता है?
|
तामीलकर्ता अधिकारी
|
क्या कोई समन एक से अधिक बार तामील किया जा सकता है?
|
हाँ, जब तक यह विधिवत तामील न हो जाए
|
यदि समन प्राप्तकर्ता घर पर नहीं है, तो तामील कैसे की जा सकती है?
|
घर में रहने वाले किसी वयस्क सदस्य को दिया जा सकता है
|
समन की वैध तामील के लिए किन दो तत्वों की पूर्ति आवश्यक है?
|
तामील की विधिवत सूचना और संबंधित व्यक्ति
|
क्या समन की तामील डाक द्वारा की जा सकती है?
|
हाँ, रजिस्टर्ड डाक से
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने समन की तामील में उचित प्रक्रिया का पालन, पर टिप्पणी की?
|
एम.पी. राज्य बनाम हाजी मोहम्मद
|
अगर समन की तामील वयस्क सदस्य के माध्यम से की जाती है, तो उसमें क्या आवश्यक है?
|
सदस्य की हस्ताक्षरित स्वीकृति
|
समन की तामील में देरी होने पर कौन जिम्मेदार हो सकता है?
|
तामील करने वाला अधिकारी
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 65 किससे संबंधित है?
|
निगमित निकायों, फर्मों और सोसाइटियों पर समन की तामील (Service of summons on corporate bodies, firms and societies)
|
धारा 65 के अंतर्गत समन तामील किस पर लागू होती है?
|
कंपनियों, फर्मों और सोसाइटियों पर
|
कंपनी को समन तामील करते समय किसे समन दिया जाता है?
|
कंपनी के पंजीकृत कार्यालय में नियुक्त प्रमुख अधिकारी या निदेशक को
|
यदि कंपनी का पंजीकृत कार्यालय बंद है, तो समन तामील कैसे की जाती है?
|
समन को कंपनी के बाहर चिपकाया जाता है
|
फर्म पर समन की तामील करते समय किसे तामील किया जाएगा?
|
किसी साझेदार (partner) को
|
समन की वैध तामील के लिए कंपनी को किस प्रकार की सूचना दी जाती है?
|
लिखित समन उचित अधिकारी को
|
अगर कोई सोसाइटी अपने पंजीकृत कार्यालय से कार्य नहीं कर रही है, तो समन की तामील कहाँ की जा सकती है?
|
सोसाइटी के अंतिम ज्ञात कार्यालय पर
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को समन की विधिवत तामील, पर बल दिया?
|
मेसर्स जीएचसीएल एम्प्लॉइज स्टॉक ऑप्शन ट्रस्ट बनाम इंडिया इन्फोलाइन लिमिटेड
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने समन जारी करने से पहले न्यायिक संतोष की आवश्यकता, को स्पष्ट किया?
|
मेसर्स पेप्सी फूड्स लिमिटेड बनाम विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट
|
यदि किसी कंपनी का कोई अधिकृत अधिकारी उपलब्ध नहीं है, तो समन किस प्रकार तामील होगा?
|
समन को कंपनी के कार्यालय के द्वार पर चिपका दिया जाएगा
|
धारा 66 के अनुसार यदि समन प्राप्त करने वाला व्यक्ति नहीं मिलता है, तो तामील कैसे की जाती है?
|
समन को उसके निवास स्थान पर चस्पा किया जाता है
|
समन चस्पा करने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
|
चस्पा तामील
(Affixation or Substituted Service)
|
चस्पा तामील के बाद क्या अनिवार्य होता है?
|
अधिकारी द्वारा लिखित रिपोर्ट
|
चस्पा तामील की रिपोर्ट में क्या शामिल होना चाहिए?
|
समय, स्थान और परिस्थिति का विवरण
|
समन चस्पा करने से पहले किसका प्रयास करना अनिवार्य है?
|
समन की व्यक्तिगत तामील
|
यदि समन गलत व्यक्ति को चस्पा किया जाए, तो क्या होगा?
|
कार्यवाही निरस्त हो सकती है
|
कौन सा मामला समन की वैकल्पिक तामील, से संबंधित है?
|
भारत संघ बनाम घनश्याम दास गुप्ता
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चस्पा तामील की विधि, पर निर्णय दिया?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम डॉ. प्रफुल्ल बी.देसाई
|
धारा 67 किससे संबंधित है?
|
जब पूर्व उपबंधित प्रकार से तामील न की जा सके तब प्रक्रिया
(Procedure when service cannot be effected as before provided)
|
यदि समन की तामील व्यक्तिगत रूप से, डाक से, या चस्पा करके नहीं हो पा रही हो, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
|
वैकल्पिक तामील का आदेश दे सकता है
|
धारा 67 में न्यायालय किसकी अनुमति से वैकल्पिक तामील का आदेश दे सकता है?
|
स्वयं के विवेकाधिकार से
|
समन की तामील नहीं हो पाने की स्थिति में कौन सा माध्यम उपयोग में लाया जा सकता है?
|
अखबार में प्रकाशन,
सोशल मीडिया पर पोस्ट,
ईमेल
|
क्या धारा 67 केवल आरोपी पर लागू होती है?
|
नहीं, यह गवाहों पर भी लागू हो सकती है
|
न्यायालय धारा 67 के अंतर्गत किस प्रकार की तामील को निर्देशित कर सकता है?
|
वैकल्पिक विधियों से जैसे समाचार पत्र में प्रकाशन
|
समाचार पत्र में प्रकाशन के लिए न्यायालय को क्या करना होता है?
|
कारणों का उल्लेख करना होता है
|
किस मामले में, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समन स्वीकार्य है, में क्या निर्णय दिया गया था?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम डॉ. प्रफुल्ल बी.देसाई (2003)
|
किस मामले में, किस सिद्धांत आरोपी को अंतिम अवसर देना, पर जोर दिया गया?
|
बच्चन सिंह बनाम पंजाब राज्य
|
धारा 68 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस प्रकार के व्यक्ति पर तामील की प्रक्रिया को विनियमित करती है?
|
सरकारी सेवक
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जब कोई सरकारी सेवक न्यायालय द्वारा समनित होता है, तब तामील किसके माध्यम से की जाती है?
|
संबंधित विभाग के मुखिया को
|
धारा 68 के अनुसार, क्या समन की तामील सीधे सरकारी सेवक को दी जा सकती है?
|
नहीं, केवल विभाग के प्रमुख के माध्यम से
|
यदि सरकारी सेवक तामील के बावजूद न्यायालय में उपस्थित नहीं होता, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
|
वारंट जारी कर सकता है
|
सरकारी सेवक को तामील करते समय कौन-सा दस्तावेज अनिवार्य होता है
|
न्यायालय का हस्ताक्षरित समन
|
यदि विभाग प्रमुख समन को संबंधित कर्मचारी को नहीं भेजता, तो वह क्या माना जाएगा?
|
अवज्ञा
(Contempt of Court)
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क्या सेवानिवृत्त सरकारी सेवक पर धारा 68 लागू होती है?
|
नहीं
|
यदि सरकारी सेवक विदेश पोस्टेड हो, तो समन की तामील कैसे की जा सकती है?
|
भारतीय दूतावास के माध्यम से
|
किस मामले में सेवा से बर्खास्तगी में न्यायिक हस्तक्षेप, मुख्य बिंदु था?
|
भारत संघ बनाम तुलसीराम पटेल (1985)
|
किस मामले में समन की तामील से इंकार सेवा अनुशासन का उल्लंघन है, निर्णय दिया गया?
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एस.सी. शर्मा बनाम पंजाब राज्य
|
धारा 69 किस विषय से संबंधित है?
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स्थानीय क्षेत्र के बाहर समन की तामील
(Service of summons outside local limit)
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जब किसी व्यक्ति को अन्य राज्य या स्थानीय क्षेत्र में समन तामील करना हो, तो यह कार्य कौन करता है?
|
संबंधित क्षेत्र का मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी
|
यदि आरोपी दूसरे राज्य में रहता है, तो समन की तामील कैसे होती है?
|
उस राज्य के मजिस्ट्रेट के माध्यम से
|
क्या न्यायालय अपने क्षेत्र के बाहर सीधे समन तामील करवा सकता है?
|
नहीं, केवल संबंधित क्षेत्र के मजिस्ट्रेट की सहायता से
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क्या न्यायालय इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (जैसे ईमेल) से समन भेज सकता है यदि व्यक्ति अन्य राज्य में है?
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हाँ, यदि वह विधिक रूप से अनुमत हो
|
समन की प्रतिलिपि तामील के समय किसे दी जाती है?
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संबंधित व्यक्ति को या किसी वयस्क परिजन को
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स्थानीय सीमा से बाहर समन भेजते समय न्यायालय किस धारा के तहत प्रक्रिया अपनाता है?
|
धारा 69
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धारा 70 किससे संबंधित है?
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तामीलकर्ता की अनुपस्थिति में समन की तामील का प्रमाण
(Proof of service in such cases and when serving officer not present)
|
यदि तामीलकर्ता न्यायालय में उपस्थित नहीं हो पाता है, तो उसकी ओर से कौन गवाही दे सकता है?
|
जिसे तामील के समय उपस्थिति में रखा गया हो (गवाह)
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क्या समन की तामील पर प्रश्न उठने पर न्यायालय तामीलकर्ता को बुला सकता है?
|
हाँ, न्यायालय ऐसा कर सकता है
|
धारा 71 का संबंध किससेहै?
|
साक्षी पर समन की तामील
(Service of summons on witness)
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साक्षी पर समन की तामील किस उद्देश्य से की जाती है
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साक्ष्य देने हेतु न्यायालय में उपस्थिति सुनिश्चित करने हेतु
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क्या समन की तामील व्यक्तिगत रूप से साक्षी को करना आवश्यक है?
|
हाँ
|
यदि साक्षी उपलब्ध न हो, तो समन किसे दिया जा सकता है?
|
साक्षी के नजदीकी रिश्तेदार या वयस्क सदस्य को
|
यदि साक्षी समन प्राप्त करने से इंकार करता है, तो अधिकारी क्या कर सकता है?
|
इसे दर्ज कर न्यायालय में रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकता है
|
समन की प्रतिलिपि पर कौन-से हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं?
|
तामीलकर्ता के
|
साक्षी को समन की सेवा किस प्रकार की जानी चाहिए?
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व्यक्तिगत रूप से या डाक, दोनों
|
क्या साक्षी समन प्राप्त करने के बावजूद न्यायालय में उपस्थित नहीं होता है, तो क्या कार्रवाई की जा सकती है?
|
वारंट जारी किया जा सकता है
|
किस मामले में साक्षी के संबंध में उसे पहले बुलाना अनिवार्य नहीं, निर्देश दिया गया?
|
सतीश मेहरा बनाम दिल्ली प्रशासन
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किस मामले में साक्षी को कानूनी सहायता देना, महत्वपूर्ण बिंदु था?
|
खत्री बनाम बिहार राज्य
|
|
ख - गिरफ्तारी का वारंट (Warrant of arrest)
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 72 किस विषय से संबंधित है?
|
गिरफ्तारी के वारंट का प्ररूप और अवधि
|
कौन सी धाराओं का समूह गिरफ्तारी का वारंट से सम्बंधित है?
|
72 से 83
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गिरफ्तारी के वारंट पर किसकी मुहर और हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं?
|
मजिस्ट्रेट
|
क्या भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 72 के तहत गिरफ्तारी वारंट की कोई वैधता अवधि निर्धारित हैं?
|
नहीं, यह तब तक वैध है जब तक रद्द न किया जाए
|
गिरफ्तारी वारंट किस प्रकार का दस्तावेज है?
|
लिखित आदेश
|
क्या वारंट में आरोपी का नाम और विवरण स्पष्ट होना आवश्यक है?
|
हाँ
|
क्या गिरफ्तारी वारंट को केवल एक बार निष्पादित किया जा सकता है?
|
नहीं, यह तब तक वैध रहता है जब तक निष्पादित या रद्द न किया जाए
|
क्या गिरफ्तारी का वारंट एक स्थान से दूसरे राज्य में भी लागू होता है?
|
हाँ
|
यदि वारंट में आरोपी का नाम अज्ञात हो, तो क्या किया जा सकता है?
|
केवल उसकी पहचान के पर्याप्त विवरण होने चाहिए
|
वारंट में किस अपराध का उल्लेख किया जाना चाहिए?
|
अपराध का संक्षिप्त विवरण
|
यदि वारंट की तिथि पुरानी हो गई है, तो क्या यह अमान्य हो जाता है?
|
नहीं, जब तक उसे रद्द नहीं किया जाए
|
किस मामले में गिरफ्तारी के दौरान हथकड़ी लगाने की वैधता, सिद्धांत से संबंधित है?
|
प्रेम शंकर शुक्ला बनाम दिल्ली प्रशासन
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के अधिकारों की सीमाएँ तय की, महत्वपूर्ण निर्देश दिया?
|
जोगिंदर कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
|
किस मामले में गिरफ्तारी के समय दस्तावेज देना, प्रक्रिया को अनिवार्य बनाया गया?
|
डीके बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
|
किस मामले में गिरफ्तारी से पूर्व जांच आवश्यक, मुख्य निष्कर्ष था?
|
अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य
|
धारा 73 किससे संबंधित है?
|
प्रतिभूति लिए जाने का निदेश देने की शक्ति
(Power to direct security to be taken)
|
धारा 73 के अंतर्गत कौन न्यायालय प्रतिभूति लेने का निर्देश दे सकता है?
|
सत्र न्यायालय या प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट
|
प्रतिभूति का उद्देश्य क्या होता है?
|
व्यक्ति की भविष्य में उपस्थिति सुनिश्चित करना
|
यदि व्यक्ति प्रतिभूति देने में असफल रहता है, तो क्या हो सकता है?
|
उसे हिरासत में लिया जा सकता है
|
क्या न्यायालय आरोपी की पहचान और आचरण के लिए भी प्रतिभूति की मांग कर सकता है?
|
हाँ
|
क्या न्यायालय यह निर्देश दे सकता है कि यदि कोई व्यक्ति भविष्य में अपराध करता है तो प्रतिभूति ज़ब्त होगी?
|
हाँ
|
कितनी अधिकतम अवधि तक प्रतिभूति ली जा सकती है?
|
3 वर्ष
|
क्या न्यायालय बिना सुनवाई के किसी व्यक्ति से प्रतिभूति मांग सकता है?
|
नहीं
|
प्रतिभूति की शर्तें पूरी न करने पर व्यक्ति को कहाँ भेजा जा सकता है?
|
न्यायिक हिरासत
|
धारा 74 किससे संबंधित है?
|
वारंट किसको निदिष्ट होंगे
(Warrants to whom directed)
|
गिरफ्तारी वारंट सामान्यतः किसे निदिष्ट किया जाता है?
|
किसी पुलिस अधिकारी को
|
क्या कोई वारंट एक से अधिक व्यक्तियों को निदिष्ट किया जा सकता है?
|
हाँ
|
क्या वारंट किसी प्राइवेट व्यक्ति को निदिष्ट किया जा सकता है? हाँ,
|
विशेष परिस्थितियों में
|
यदि किसी पुलिस अधिकारी को निदिष्ट वारंट निष्पादित नहीं किया जा सकता, तो क्या किया जाना चाहिए?
|
वह अधिकारी उसे अन्य अधिकारी को सौंप सकता है
|
वारंट का निदेशन किस प्रपत्र में होना चाहिए?
|
लिखित रूप में
|
क्या किसी अन्य राज्य के पुलिस अधिकारी को वारंट निदिष्ट किया जा सकता है?
|
हाँ, उचित प्रक्रिया से
|
वारंट पर किसकी मुहर और हस्ताक्षर आवश्यक हैं?
|
मजिस्ट्रेट
|
धारा 76 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 का मुख्य विषय क्या है?
|
पुलिस अधिकारी को निदिष्ट वारंट
(Warrant directed to police officer)
|
गिरफ्तारी वारंट सामान्यतः किसे निदिष्ट किया जाता है?
|
किसी पुलिस अधिकारी को
|
क्या गिरफ्तारी वारंट एक से अधिक पुलिस अधिकारियों को निदिष्ट किया जा सकता है?
|
हाँ
|
यदि वारंट किसी विशेष पुलिस अधिकारी को निदिष्ट किया गया है और वह अनुपलब्ध है, तो क्या किया जा सकता है?
|
वैकल्पिक अधिकारी को विशेष अनुमति से निष्पादन करना होगा
|
गिरफ्तारी वारंट कितने दिनों के लिए वैध होता है?
|
जब तक रद्द न किया जाए
|
क्या कोई न्यायालय वारंट को एक निजी व्यक्ति को निदिष्ट कर सकता है?
|
हाँ, विशेष परिस्थिति में
|
गिरफ्तारी वारंट तामील करने के बाद पुलिस अधिकारी को क्या करना चाहिए?
|
मजिस्ट्रेट को सूचित करना
|
कौन-सा दस्तावेज गिरफ्तारी वारंट के साथ आवश्यक रूप से संलग्न होता है?
|
मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर और मुहर
|
किस मामले में कहा गया कि “गिरफ्तारी केवल एक प्रक्रिया है, दंड नहीं”?
|
जोगिंदर कुमार बनाम यूपी राज्य
|
किस मामले में पुलिस को वारंट निष्पादन के स्पष्ट निर्देश, सिद्धांत स्पष्ट किया गया?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम क्रिश्चियन कम्युनिटी वेलफेयर काउंसिल ऑफ इंडिया
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केवल गंभीर मामलों में ही गिरफ्तारी हो, निर्देश दिए?
|
अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य
|
धारा 77 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
वारंट के सार की सूचना
(Notification of substance of warrant)
|
धारा 78 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का न्यायालय के समक्ष अविलम्ब लाया जाना
(Person arrested to be brought before Court without delay)
|
गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति को किसके समक्ष प्रस्तुत करना होता है?
|
नजदीकी मजिस्ट्रेट
|
क्या पुलिस गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति को सीधे जेल भेज सकती है बिना मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए?
|
नहीं
|
मजिस्ट्रेट को गिरफ्तार व्यक्ति को प्रस्तुत किए बिना कितने समय तक पुलिस उसे हिरासत में रख सकती है?
|
24 घंटे (यात्रा का समय छोड़कर)
|
मजिस्ट्रेट द्वारा पुलिस हिरासत अधिकतम कितने दिनों के लिए दी जा सकती है?
|
14 दिन (प्रारंभिक)
|
पुलिस हिरासत के बाद न्यायिक हिरासत कितने दिनों तक दी जा सकती है (गंभीर मामलों में)?
|
90 दिन
|
धारा 79 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
वारंट कहां निष्पादित किया जा सकता है
(Where warrant may be executed)
|
वारंट कहां निष्पादित किया जा सकता है?
|
भारत के किसी भी स्थान में
|
धारा 80 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
अधिकारिता के बाहर निष्पादन के लिए भेजा गया वारंट
(Warrant forwarded for execution outside jurisdiction)
|
जब कोई मजिस्ट्रेट अपने क्षेत्राधिकार से बाहर किसी व्यक्ति के विरुद्ध वारंट जारी करता है, तो उसे कैसे निष्पादित किया जाता है?
|
संबंधित जिले के मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी के माध्यम से
|
वारंट का निष्पादन किसी दूसरे जिले में करवाने के लिए किसे प्राधिकृत किया जाता है?
|
संबंधित जिले के पुलिस प्रमुख या मजिस्ट्रेट
|
वारंट किस रूप में भेजा जाता है यदि उसे दूरस्थ क्षेत्र में निष्पादित करना हो?
|
प्रमाणित प्रति
|
वारंट निष्पादन में यदि कोई कानूनी समस्या आती है तो उसका समाधान कौन करेगा?
|
निष्पादन स्थल का मजिस्ट्रेट
|
धारा 81 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
अधिकारिता के बाहर निष्पादन के लिए पुलिस अधिकारी को निदिष्ट वारंट
|
धारा 82 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
जिस व्यक्ति के विरुद्ध वारंट जारी किया गया है,उसके गिरफ्तार होने पर प्रक्रिया
(Procedure on arrest of person against whom warrant issued)
|
धारा 83 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
उस मजिस्ट्रेट द्वारा प्रक्रिया जिसके समक्ष ऐसे गिरफ्तार किया गया व्यक्ति लाया जाए
(Procedure by Magistrate before whom such person arrested is brought)
|
|
ग- उद्घोषणा और कुर्की (Proclamation and attachment)
|
धारा 84 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा
(Proclamation for person absconding)
|
कौन सी धाराओं का समूह उद्घोषणा और कुर्की से सम्बंधित है?
|
84 से 89
|
उद्घोषणा कब की जाती है?
|
जब गिरफ्तारी वारंट निष्पादित नहीं हो पा रहा हो,
जब मजिस्ट्रेट को लगता है कि व्यक्ति जानबूझकर छिपा है
|
उद्घोषणा किस न्यायिक अधिकारी द्वारा की जा सकती है?
|
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी
|
उद्घोषणा में अभियुक्त को कितने दिनों के भीतर न्यायालय में उपस्थित होने को कहा जाता है?
|
न्यूनतम 30 दिन
|
उद्घोषणा कैसे प्रकाशित की जाती है?
|
आरोपी के निवास स्थान पर चिपकाया जाता है सार्वजनिक स्थानों पर पढ़ा जाता है स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित किया जाता है
|
क्या उद्घोषणा आदेश में समय और स्थान स्पष्ट करना आवश्यक है?
|
हाँ
|
उद्घोषणा आदेश की अवहेलना पर अगला कदम क्या हो सकता है?
|
कुर्की का आदेश
|
धारा 85 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
फरार व्यक्ति की संपत्ति की कुर्की
(Attachment of property of person absconding)
|
धारा 85 के तहत कुर्की का आदेश कब दिया जा सकता है?
|
जब आरोपी उद्घोषणा के बाद भी उपस्थित न हो
|
कुर्क की जाने वाली संपत्ति क्या हो सकती है?
|
चल और अचल दोनों संपत्तियाँ
|
क्या बिना उद्घोषणा किए सीधे संपत्ति कुर्क की जा सकती है?
|
नहीं
|
क्या धारा 85 के अंतर्गत कुर्क की गई संपत्ति की बिक्री तुरंत हो सकती है?
|
नहीं, मजिस्ट्रेट द्वारा आदेश के बिना नहीं
|
क्या आरोपी की कुर्क की गई संपत्ति को बहाल किया जा सकता है यदि वह बाद में उपस्थित हो जाए?
|
हाँ, यदि न्यायालय संतुष्ट हो
|
धारा 86 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
उद्घोषित व्यक्ति की संपत्ति की पहचान और कुर्की
|
क्या धारा 86 के अंतर्गत ऐसी संपत्ति भी कुर्क की जा सकती है जो नामतः उद्घोषित व्यक्ति की न हो?
|
हाँ, यदि वह वास्तव में उसी की हो
|
धारा 86 के अनुसार संपत्ति की कुर्की कब की जाती है?
|
उद्घोषित अपराधी घोषित होने के बाद
(Identification and attachment of property of proclaimed person)
|
संपत्ति को किसके आदेश से कुर्क किया जा सकता है?
|
सक्षम मजिस्ट्रेट
|
उद्घोषित व्यक्ति की संपत्ति की पहचान किस आधार पर की जाती है?
|
व्यवहारिक स्वामित्व
|
क्या मजिस्ट्रेट संपत्ति कुर्क करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित कर सकता है?
|
हाँ, किसी भी अधिकृत अधिकारी को
|
यदि संपत्ति किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर हो पर वास्तव में उद्घोषित व्यक्ति की हो, तो क्या कुर्की संभव है?
|
हाँ
|
क्या अन्य व्यक्ति को अपनी आपत्ति दर्ज करने का अधिकार है?
|
हाँ
|
धारा 87 का संबंध किससेहै?
|
कुर्की के बारे में दावे और आपत्तियां (Claims and objections to attachment)
|
क्या अन्य व्यक्ति को कुर्की के खिलाफ दावा या आपत्ति उठाने का अधिकार है?
|
हाँ
|
धारा 87 के अंतर्गत दावे की सुनवाई कौन करता है?
|
सक्षम मजिस्ट्रेट
|
मजिस्ट्रेट को धारा 87 के तहत क्या करना होता है?
|
आपत्तियों की जांच कर उचित आदेश देना
|
दावे और आपत्तियों की सुनवाई के लिए मजिस्ट्रेट को क्या करना होता है?
|
गवाहों को बुलाना
|
क्या दावा और आपत्ति की सुनवाई दीवानी प्रक्रिया की तरह होती है?
|
हाँ
|
क्या सुप्रीम कोर्ट ने तृतीय पक्ष के अधिकारों की रक्षा को संवैधानिक संरक्षण माना है?
|
हाँ
|
धारा 88 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
कुर्क की हुई संपत्ति को निर्मुक्त करना, विक्रय और वापस करना
(Release, sale and restoration of attached property)
|
यदि उद्घोषित व्यक्ति आत्मसमर्पण करता है, तो कुर्क संपत्ति का क्या होता है?
|
उसे मुक्त किया जा सकता है
|
कुर्क संपत्ति की वापसी का अधिकार किसके पास है?
|
मजिस्ट्रेट
|
क्या मजिस्ट्रेट बिना कारण कुर्क संपत्ति बेच सकता है?
|
नहीं
|
उद्घोषित व्यक्ति गिरफ्तारी से पहले आत्मसमर्पण करता है, तो संपत्ति की स्थिति क्या होगी?
|
मजिस्ट्रेट उसे वापस करने पर विचार कर सकता है
|
धारा 88 के अंतर्गत संपत्ति की वापसी किसकी स्वीकृति से होती है?
|
सक्षम मजिस्ट्रेट
|
क्या कुर्क संपत्ति का विक्रय तभी संभव है जब उसकी देखरेख महंगी हो या वह खराब होने योग्य हो?
|
हाँ
|
क्या संपत्ति के मुक्तिकरण के लिए आवेदन देना आवश्यक है?
|
हाँ
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति की विक्रय से पूर्व कारण दर्शाना आवश्यक है, कहा?
|
राजस्थान राज्य बनाम कल्याण सिंह
|
किस मामले में के अनुसार जब्त संपत्ति का दीर्घकालीन रखाव न्याय के विरुद्ध है?
|
सुंदरभाई अंबालाल देसाई बनाम गुजरात राज्य
|
धारा 89 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
कुर्क संपत्ति की वापसी के लिए आवेदन नामंजूर करने वाले आदेश नामंजूर करने वाले आदेश से अपील
|
|
घ - आदेशिकाओं संबंधी अन्य नियम (Other Rules Regarding Processes)
|
धारा 90 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
समन के स्थान पर या उसके अतिरिक्त वारंट का जारी किया जाना
(Issue of warrant in lieu of, or in addition to, summons)
|
कौन सी धाराओं का समूह आदेशिकाओं संबंधी अन्य नियम से सम्बंधित है?
|
90 से 93
|
मजिस्ट्रेट किस स्थिति में समन के स्थान पर वारंट जारी कर सकता है?
|
जब व्यक्ति छिपता हो
जब व्यक्ति उपस्थित होने की संभावना नहीं हो
जब व्यक्ति पहले भी समन का उल्लंघन कर चुका हो
|
क्या मजिस्ट्रेट समन और वारंट दोनों एक साथ जारी कर सकता है?
|
हाँ
|
क्या धारा 90 केवल संज्ञेय अपराधों पर लागू होती है?
|
नहीं
|
यदि आरोपी समन के बाद भी उपस्थित नहीं होता, तो अगला कदम क्या हो सकता है?
|
गिरफ्तारी का वारंट
|
क्या मजिस्ट्रेट बिना समन दिए सीधे वारंट जारी कर सकता है?
|
हाँ, यदि उसे कारण ज्ञात हों
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के पास वारंट सीधे जारी करने की शक्ति है, स्पष्ट किया?
|
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम पूसू
|
किस मामले मेंयह माना गया कि मजिस्ट्रेट का वारंट जारी करना न्यायिक विवेक का विषय है?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम तुलसीराम
|
क्या धारा 91 केवल संज्ञेय अपराधों पर लागू होती है?
|
हाजिरी के लिए बंधपत्र या जमानतपत्र लेने की शक्ति
|
समन या वारंट जारी करने के लिए कौन सशक्त है?
|
न्यायालय का पीठासीन अधिकारी
|
क्या धारा 92 केवल संज्ञेय अपराधों पर लागू होती है?
|
नहीं
|
|
अध्याय 7
|
चीजें पेश करने को विवश करने के लिए आदेशिकाएं
(Process To Compel the Production of Things)
|
क- पेश करने के लिए समन (Summons To Produce)
|
धारा 94 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
दस्तावेज या वस्तु को प्रस्तुत करने हेतु समन
(Summons to produce document or other thing)
|
कौन सी धाराओं का समूह पेश करने के लिए समन से सम्बंधित है?
|
94-95से
|
धारा 94 के अंतर्गत कौन समन जारी कर सकता है?
|
मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी
|
समन के द्वारा किसे आदेश दिया जा सकता है?
|
व्यक्ति को दस्तावेज या वस्तु न्यायालय में प्रस्तुत करने का
|
यदि कोई व्यक्ति समन के बावजूद दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करता तो क्या हो सकता है?
|
न्यायालय उसे दंडित कर सकता है
|
क्या पुलिस अधिकारी भी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने हेतु समन जारी कर सकता है?
|
हाँ, यदि वह जाँच कर रहा हो
|
क्या धारा 94 के अंतर्गत कोई भी वस्तु या दस्तावेज मांगा जा सकता है?
|
नहीं, केवल जो न्यायिक कार्यवाही में सहायक हो
|
यदि कोई वस्तु अदालत में प्रस्तुत नहीं की जाती, तो अदालत क्या कर सकती है?
|
जब्ती या तलाशी वारंट जारी कर सकती है
|
दस्तावेज़ प्रस्तुत करने का समन अस्वीकार करने पर क्या किया जा सकता है?
|
तलाशी वारंट जारी
|
धारा 95 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 किस विषय से संबंधित है?
|
पत्रों के संबंध में प्रक्रिया
(Procedure as to letters)
|
|
ख- तलाशी वारंट (Search-Warrants)
|
कौन सी धाराओं का समूह तलाशी वारंट से सम्बंधित है?
|
96 से 101
|
“तलाशी वारंट कब जारी किया जा सकता है” से सम्बंधित धारा कौन सी है?
|
धारा 96
|
धारा 96 के अंतर्गत तलाशी वारंट किसके द्वारा जारी किया जाता है?
|
न्यायिक मजिस्ट्रेट
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने तलाशी वारंट के बिना तलाशी अवैध है जब तक आपातकालीन परिस्थिति न हो, निर्णय दिया?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम कचरूसिंह संतरामसिंह राजपूत
|
यदि मजिस्ट्रेट को विश्वास हो कि कोई दस्तावेज या संपत्ति किसी स्थान पर छिपाई गई है जो किसी अपराध से संबंधित है, तो वह क्या कर सकता है?
|
तलाशी वारंट जारी कर सकता है
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तलाशी वारंट पूर्व जांच के लिए भी जारी किया जा सकता है, सिद्धांत को मान्यता दी?
|
दीपक महाजन बनाम प्रवर्तन निदेशालय
|
धारा 97 के अंतर्गत किस परिस्थिति में तलाशी ली जा सकती है?
|
जब मजिस्ट्रेट को विश्वास हो कि किसी स्थान में चुराई हुई संपत्ति या कूटरचित दस्तावेज रखे हैं
|
धारा 97 में उल्लिखित कौन-सी वस्तुएँ तलाशी का आधार बन सकती हैं?
|
चुराई गई संपत्ति कूटरचित दस्तावेज अपराध में प्रयुक्त सामग्री
|
यदि मजिस्ट्रेट को संदेह हो कि कोई कूटरचित दस्तावेज किसी स्थान में छिपाया गया है, तो वह क्या कर सकता है?
|
तलाशी वारंट जारी कर सकता है
|
तलाशी वारंट निष्पादन के बाद जब्त की गई सामग्री कहाँ प्रस्तुत की जाती है?
|
मजिस्ट्रेट के समक्ष
|
धारा 97 के अंतर्गत तलाशी वारंट जारी करने के लिए मजिस्ट्रेट को किस प्रकार की जानकारी की आवश्यकता होती है?
|
उचित संदेह या विश्वास
|
किस मामले में तलाशी वारंट वैध है यदि कानून द्वारा स्वीकृत प्रक्रिया का पालन किया गया हो, विचार व्यक्त किया गया?
|
एम.पी. शर्मा बनाम सतीश चंद्र (1954)
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट का तलाशी वारंट के बिना तलाशी अवैध है, निर्णय था?
|
जिला रजिस्ट्रार एवं कलेक्टर बनाम केनरा बैंक (2004)
|
यदि तलाशी वारंट जारी होने के बाद तलाशी नहीं की जाती है, तो वह वारंट...?
|
स्वतः समाप्त हो जाता है
|
धारा 99 के अंतर्गत किसे यह अधिकार है कि वह कुछ प्रकाशनों को समपहृत (forfeit) घोषित कर सकता है?
|
राज्य सरकार
|
धारा 99 के तहत किन प्रकाशनों को जब्त किया जा सकता है?
|
जो अश्लील हों जो राजद्रोहात्मक हों जो विधि द्वारा निषिद्ध अपराधों को बढ़ावा देते हों
|
कोई हित रखने वाला व्यक्ति समपहरण की घोषणा के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से कितने समय के भीतर घोषणा को अपास्त कराने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन कर सकता है?
|
२ मास के भीतर
|
कोई हित रखने वाला व्यक्ति समपहरण की घोषणा को अपास्त कराने के लिए कहाँ आवेदन कर सकता है?
|
उच्च न्यायालय में
|
क्या राज्य सरकार को प्रकाशनों के जब्त की सूचना राजपत्र (Official Gazette) में प्रकाशित करनी होती है?
|
हाँ
|
राज्य सरकार द्वारा जब्त प्रकाशन की वैधता को कौन चुनौती दे सकता है?
|
कोई भी संबंधित व्यक्ति उच्च न्यायालय में
|
यदि उच्च न्यायालय राज्य सरकार की समपहृत (forfeiture) घोषणा को रद्द कर देता है, तो क्या होगा?
|
आदेश निरस्त माना जाएगा
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क्या पुलिस बिना वारंट के धारा 99 के तहत तलाशी कर सकती है?
|
नहीं
|
कौन सा केस आपत्तिजनक प्रकाशनों की जब्ती बात से संबंधित है?
|
बाबूलाल पराते बनाम महाराष्ट्र राज्य (1961)
|
यदि किसी प्रकाशन को सरकार ने जब्त घोषित कर दिया है, और वह न्यायालय में चुनौती नहीं दी जाती है, तो उसका प्रभाव क्या होगा?
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वह वैध बना रहेगा
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धारा 100 का क्या उद्देश्य है?
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ऐसे व्यक्ति को ढूँढना जो अवैध रूप से परिरुद्ध (confined) है
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धारा 100 के अंतर्गत किसे तलाशी वारंट जारी करने का अधिकार है?
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जिला मजिस्ट्रेट, उपखण्ड मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट
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धारा 100 के तहत तलाशी वारंट कब जारी किया जा सकता है?
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जब मजिस्ट्रेट को यह विश्वास हो कि कोई व्यक्ति अवैध रूप से बंद किया गया है
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धारा 100 के तहत, तलाशी किस स्थान पर की जा सकती है?
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किसी घर या परिसर में जहाँ व्यक्ति के परिरुद्ध होने की आशंका हो
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क्या तलाशी के दौरान स्वतंत्र साक्षी की उपस्थिति आवश्यक होती है?
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हाँ
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किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निजता का अधिकार (Right to Privacy), रेखांकित किया?
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खड़क सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (1963)
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किस मामले में अवैध परिरुद्ध व्यक्ति को न्यायिक संरक्षण मिलना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया?
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सुनील बत्रा बनाम दिल्ली प्रशासन (1978)
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किस मामले में अवैध रूप से बंद व्यक्तियों की रिहाई से संबंध है?
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हुस्नआरा खातून बनाम बिहार राज्य
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धारा 101 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता किस विषय से संबंधित है?
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अपहृत स्त्रियों को वापस करने के लिए विवश करने की शक्ति
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धारा 101 के तहत किसे यह अधिकार प्राप्त है कि वह अपहृत स्त्री को उसके अभिभावक को सौंपने का आदेश दे सके?
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जिला मजिस्ट्रेट,
उपखंड मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट
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धारा 101 के तहत आदेश किस प्रकार का होता है?
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अनिवार्य पालन हेतु बाध्यकारी
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यदि कोई महिला बालिग है और अपनी मर्जी से अपहरणकर्ता के साथ रह रही है, तो क्या मजिस्ट्रेट उसे जबरन वापस भेज सकता है?
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नहीं, यदि वह बालिग है और उसकी सहमति है
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ग. - तलाशी संबंधी साधारण उपबंध (General Provision relating to searches)
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तलाशी वारंटों का निदेशन आदि किस धारा में वर्णित है
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धारा 102
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धारा 103 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता किस विषय से संबंधित है?
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बद स्थान के भारसाधक व्यक्ति तलाशी लेने देंगे
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धारा 103 के अंतर्गत किस व्यक्ति से दरवाजा खोलने और तलाशी देने की अपेक्षा की जाती है?
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जो उस स्थान का भारसाधक (occupier) हो
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यदि भारसाधक व्यक्ति तलाशी देने से इनकार करता है, तो क्या किया जा सकता है?
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दरवाजा तोड़ा जा सकता है
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क्या पुलिस को तलाशी से पहले भारसाधक व्यक्ति को तलाशी का उद्देश्य बताना होता है?
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हाँ
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क्या धारा 103 महिलाओं के संबंध में कोई विशेष निर्देश देती है?
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हाँ, यदि महिला घर में है तो उसे सूचित कर बाहर आने का अवसर देना चाहिए
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तलाशी के समय किनकी उपस्थिति आवश्यक मानी जाती है?
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दो स्वतंत्र गवाहों की
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क्या तलाशी के समय वीडियो रिकॉर्डिंग की अनुमति है?
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हाँ, तकनीकी सहूलियत होने पर
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किस मामले में बंद स्थान से सोने की बरामदगी, विषय पर विचार किया गया?
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महाराष्ट्र राज्य बनाम नटवरलाल दामोदरदास सोनी (1980)
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किस मामले में साक्ष्य के रूप में तलाशी में प्राप्त वस्तुएँ मान्य हैं या नहीं, संबंध है?
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पूरन मल बनाम निरीक्षण निदेशक (1974)
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अधिकारिता के परे तलाशी में पाई गई चीजों का व्ययन किस धारा में वर्णित है?
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धारा 104
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कौन सी धाराओं का समूह तलाशी संबंधी साधारण उपबंध से सम्बंधित है?
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102 से 104
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घ- प्रकीर्ण (Miscellaneous)
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धारा 105 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता किस विषय से संबंधित है?
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श्रव्य-दृश्य इलैक्ट्रानिक साधनों के माध्यम से तलाशीऔर अभिग्रहण का अभिलेख करना
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धारा 105 के अनुसार, तलाशी और अभिग्रहण की रिकॉर्डिंग किस माध्यम से की जानी चाहिए?
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श्रव्य-दृश्य इलैक्ट्रानिक साधनों द्वारा
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धारा 105 के अंतर्गत वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए प्राथमिक रूप से कौन जिम्मेदार होता है?
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थाना प्रभारी या तलाशी करवाने वाला अधिकारी
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कौन सी धाराओं का समूह कुछ संपत्ति को अभिगृहीत करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति से सम्बंधित है?
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धारा 106
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धारा 107 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता किस विषय से संबंधित है?
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कुर्क की गई या जब्त संपत्ति के निपटारे हेतु प्रावधान
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मजिस्ट्रेट संपत्ति के संबंध में क्या आदेश दे सकता है?
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उसकी वापसी या उचित अभिरक्षा का
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धारा 107 के अंतर्गत कौन संपत्ति की वापसी हेतु आवेदन कर सकता है?
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कोई भी व्यक्ति जो उसका वैध स्वामी है
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धारा 107 के अनुसार, यदि संपत्ति कोई जीवित वस्तु हो (जैसे पशु), तो मजिस्ट्रेट क्या कर सकता है?
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उसे बेच सकता है
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जब्त संपत्ति का अस्थायी निपटारा कब होता है?
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न्यायालय की अनुमति से
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यदि संपत्ति का मालिक ज्ञात न हो, तो मजिस्ट्रेट क्या कर सकता है?
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संपत्ति को जप्त करके राजकोष में जमा करवा सकता है
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धारा 107 किस प्रकार की संपत्ति पर लागू होती है?
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चल और अचल दोनों संपत्तियों पर
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किस मामले मेंजब्त संपत्ति को यथासंभव जल्द लौटाना चाहिए कहा गया?
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सुंदरभाई अंबालाल देसाई बनाम गुजरात राज्य (2002)
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वाहन दुर्घटना में जब्त संपत्ति की वापसी से संबंधित कौन सा केस है?
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जनरल इंश्योरेंस काउंसिल बनाम स्टेट ऑफ ए.पी. (2007)
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किस निर्णय में कहा गया कि जब्त संपत्ति उचित सावधानी से रखी जानी चाहिए?
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बसवलिंगप्पा बनाम मैसूर राज्य (1964)
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उचित मालिक को संपत्ति लौटाना से संबंधित कौन सा केस है?
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गोपालदास बनाम भारत संघ (2004)
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वाहन की जब्ती के बाद उचित भंडारण से संबंधित केस कौन सा था?
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म.प्र. राज्य बनाम उदय सिंह (2020)
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धारा 108 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अंतर्गत किसे तलाशी की प्रक्रिया में उपस्थित रहने का अधिकार है?
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मजिस्ट्रेट
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मजिस्ट्रेट किस परिस्थिति में तलाशी में उपस्थित हो सकता है?
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जब वह स्वयं तलाशी को उचित रूप से देखना चाहता हो
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क्या मजिस्ट्रेट तलाशी का आदेश स्वयं लिखित रूप में दे सकता है?
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हाँ
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धारा 108 किस प्रकार की तलाशी को अधिक प्रभावी बनाती है?
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मजिस्ट्रेट की देखरेख में पारदर्शी तलाशी
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मजिस्ट्रेट किस श्रेणी का अधिकारी होना चाहिए जो तलाशी में उपस्थित रह सकता है?
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कार्यपालिका मजिस्ट्रेट या न्यायिक मजिस्ट्रेट
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यदि मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में तलाशी ली जाती है, तो उसका दस्तावेज़ीकरण कैसे होना चाहिए?
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मजिस्ट्रेट की लिखित टिप्पणी सहित
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क्या मजिस्ट्रेट किसी विशेष कारण से तलाशी का आदेश दे सकता है?
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हाँ, यदि उसे संदेह हो कि तलाशी बिना निष्पक्षता के नहीं हो पाएगी
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पेश की गई दस्तावेज आदि,को परिबद्ध करने की शक्ति किस धारा में वर्णित है
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धारा 109
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धारा 110 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता किस विषय से संबंधित है?
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आदेशिकाओं के बारे में व्यतिकारी व्यवस्था
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यदि दो आदेश परस्पर विरोधी हों, तो कौन-सा आदेश लागू होगा?
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उच्च प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश
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धारा 110 किस प्रकार की व्यवस्था प्रदान करती है?
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आदेशों के टकराव को सुलझाने के लिए व्यतिकारी व्यवस्था
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क्या मजिस्ट्रेट का आदेश जिला मजिस्ट्रेट के आदेश को निरस्त कर सकता है?
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नहीं
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यदि एक उप-विभागीय मजिस्ट्रेट और एक जिला मजिस्ट्रेट दोनों ने परस्पर विरोधी आदेश जारी किए हों, तो किसका पालन किया जाएगा?
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जिला मजिस्ट्रेट का
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क्या धारा 110 केवल प्रशासनिक आदेशों पर लागू होती है?
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हाँ
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व्यतिकारी व्यवस्था का क्या अर्थ है?
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एक आदेश के प्रभाव में होने पर अन्य आदेश का न चलना
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क्या एक वरिष्ठ अधिकारी अपने अधीनस्थ के आदेश को अधिरोहित (override) कर सकता है?
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हाँ
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यदि कोई आदेश उच्च अधिकारी द्वारा स्पष्ट रूप से निरस्त नहीं किया गया हो, तब भी क्या उसका आदेश प्रभावी रहेगा?
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हाँ
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उच्च प्राधिकारी के आदेश की प्रधानता का सिद्धांत किस मामले मेंदिया गया?
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सम्राट बनाम सिबनाथ बनर्जी (1945)
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आदेशों के टकराव और निष्पक्ष प्रक्रिया से संबंधित केस कौन सा है?
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पी. रामचन्द्र राव बनाम कर्नाटक राज्य (2002)
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किस निर्णय में कहा गया कि व्यतिकारी आदेशों में वरीयता महत्वपूर्ण है?
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बसंत लाल बनाम बिहार राज्य (2001)
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किस निर्णय में प्रशासनिक आदेशों की वरीयता सिद्धांत पर बल दिया गया?
|
कलेक्टर ऑफ कस्टम्स बनाम नाथेला संपथु चेट्टी (1962)
|
|
अध्याय 8
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कुछ मामलों में सहायता के लिए व्यतिकारी व्यवस्था तथा संपत्ति की कुर्की और समपहरण के लिए प्रक्रिया
(Reciprocal Arrangements for Assistance in Certain Matters and Procedure for Attachment and Forfeiture of Property)
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संविदाकारी राज्य किस धारा में वर्णित है?
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धारा 111 क
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पहचान करना किस धारा में वर्णित है?
|
धारा 111 ख
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अपराध के आगम किस धारा में वर्णित है?
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धारा 111 ग
|
संपत्ति किस धारा में वर्णित है?
|
धारा 111 घ
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धारा 112 किस विषय से संबंधित है?
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भारत के बाहर किसी देश या स्थान में अन्वेषण के लिए सक्षम प्राधिकारी को अनुरोधपत्र
|
अन्य देश में स्थित साक्ष्य प्राप्त करने के लिए भारत सरकार क्या जारी करती है?
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अनुरोध पत्र
(Letter of Request)
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अनुरोध पत्र किसके माध्यम से भेजा जाता है?
|
भारत सरकार
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अनुरोध पत्र किसके अनुरोध पर जारी किया जाता है?
|
न्यायालय के निर्देश पर
|
यदि साक्ष्य किसी विदेशी देश में हैं, तो उसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
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अनुरोध पत्र के माध्यम से
|
धारा 112 किस प्रकार की विधिक सहायता की श्रेणी में आती है?
|
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक सहयोग
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किस मामले में भारत सरकार ने अनुरोध पत्र माध्यम से विदेश में स्वीकृति प्राप्त करने की प्रक्रिया अपनाई?
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सीबीआई बनाम दाऊद इब्राहिम (2002)
|
किस मामले में विदेशी डेटा के लिए अनुरोध पत्र प्रक्रिया अपनाई गई?
|
रतन टाटा बनाम भारत संघ (राडिया टेप केस)
|
धारा 113 किस विषय से संबंधित है?
|
भारत के बाहर के किसी देश या स्थान से भारत में अन्वेषण के लिए किसी न्यायालय या प्राधिकारी को अनुरोधपत्र
|
धारा 114 किस विषय से संबंधित है?
|
व्यक्तियों का अंतरण सुनिश्चित करने में सहायता
|
धारा 115 किस विषय से संबंधित है?
|
संपत्ति की कुर्की या समपहरण के आदेशों के संबंध में सहायता
|
धारा 116 किस विषय से संबंधित है?
|
विधिविरुद्धता अर्जित संपत्ति की पहचान करना
|
धारा 117 किस विषय से संबंधित है?
|
सम्पत्ति का अभिग्रहण या कुर्की
|
धारा 119 किस विषय से संबंधित है?
|
संपत्ति के समपहरण की सूचना
|
धारा 121 किस विषय से संबंधित है?
|
समपहरण के बदले जुर्माना
|
धारा 122 किस विषय से संबंधित है?
|
कुछ अंतरणों का अकृत और शून्य होना
|
धारा 123 किस विषय से संबंधित है?
|
अनुरोधपत्र की बाबत प्रक्रिया
|
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अध्याय 9
|
परिशांति कायम रखने के लिए और सदाचार के लिए प्रतिभूति
(Security For Keeping the Peace and For Good Behaviour)
|
धारा 125 किस विषय से संबंधित है?
|
दोषसिद्ध व्यक्ति से परिशांति बनाए रखने हेतु प्रतिभूति
|
धारा 125 के तहत न्यायालय किस परिस्थिति में प्रतिभूति की मांग करता है?
|
जब दोषसिद्ध व्यक्ति के भविष्य में परिशांति भंग करने की आशंका हो
|
प्रतिभूति की अधिकतम अवधि कितनी हो सकती है?
|
3 वर्ष तक
|
क्या न्यायालय दोषसिद्ध व्यक्ति को प्रतिभूति न देने पर कारावास दे सकता है?
|
हाँ
|
धारा 125 में प्रतिभूति न देने पर क्या विकल्प है?
|
कारावास
|
प्रतिभूति किस रूप में ली जा सकती है?
|
नकद या जमानती
|
किस निर्णय में कहा गया कि प्रतिभूति तब ली जा सकती है जब स्पष्ट आधार हों?
|
मदन गोपाल बनाम पंजाब राज्य (AIR 1968 SC 1438)
|
किस निर्णय में कहा गया कि दोषसिद्धि के बाद ही प्रतिभूति का आदेश दिया जा सकता है
|
बालकराम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (1974)
|
किस निर्णय में कहा गया कि प्रतिभूति देने में असफलता पर कारावास दिया जा सकता है?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम रामलाल देवजी (1973)
|
किस निर्णय में कहा गया कि यह एक निवारक उपाय है?
|
सुरेश चंद्रा बनाम मध्य प्रदेश राज्य (1985)
|
मजिस्ट्रेट को विवेक से कार्य करना चाहिए केस में क्या निर्देश दिया गया?
|
किशन लाल बनाम राज्य (1991)
|
धारा 126 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 किससे संबंधित है?
|
अन्य दशाओं में परिशांति कायम रखने के लिए प्रतिभूति
|
धारा 126 के अंतर्गत प्रतिभूति किससेली जाती है?
|
किसी ऐसे व्यक्ति से जिसके विरुद्ध परिशांति भंग की आशंका हो
|
धारा 126 में कौन आदेश जारी कर सकता है?
|
कार्यपालिक मजिस्ट्रेट
|
प्रतिभूति देने का उद्देश्य क्या है?
|
परिशांति बनाए रखना
|
क्या व्यक्ति को दोषसिद्ध होना आवश्यक है इस धारा के तहत प्रतिभूति लेने हेतु?
|
नहीं
|
धारा 126 का प्रयोजन क्या है?
|
निवारक उपाय
(Preventive Measure)
|
यदि व्यक्ति प्रतिभूति देने से इंकार करता है, तो क्या किया जा सकता है?
|
उसे हिरासत में लिया जा सकता है
|
प्रतिभूति का समय कितनी अवधि तक हो सकता है?
|
3 वर्ष
|
क्या धारा 126 के तहत कार्यवाही अपील योग्य है?
|
हाँ
|
सुप्रीम कोर्ट ने धारा 107 (अब 126 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023) की धारा को निवारक रूप में माना?
|
मधु लिमये बनाम एसडीएम (एआईआर 1971 एससी 2486)
|
किस निर्णय में कहा गया कि केवल पूर्व अपराध पर आधारित कार्यवाही अवैध है?
|
राम रंजन बनाम एम्परर
(AIR 1915 Cal 545)
|
किस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने प्रक्रिया के पालन पर बल दिया?
|
गुलाम अब्बास बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (1981 एआईआर 2198)
|
किस मामले में मजिस्ट्रेट की मनमानी प्रतिभूति आदेश देने से शक्तियों को सीमित किया गया था?
|
जगदीश बनाम बिहार राज्य (एआईआर 1972 पैट 252)
|
धारा 127 किससे संबंधित है?
|
कतिपय मामलों को फैलाने वाले व्यक्तियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति
|
मजिस्ट्रेट किससेप्रतिभूति की मांग कर सकता है?
|
ऐसे व्यक्ति से जो किसी संज्ञेय अपराध में संलग्न होने की संभावना में हो
|
धारा 127 के अंतर्गत प्रतिभूति लेने का अधिकतम समय क्या हो सकता है?
|
1 वर्ष
|
मजिस्ट्रेट किसके आधार पर आदेश जारी कर सकता है?
|
विश्वसनीय सूचना या पुलिस रिपोर्ट
|
धारा 127 की प्रकृति कैसी होती है?
|
निवारक
|
किस मामले मेंसुप्रीम कोर्ट ने कहा न्यायिक विवेक और प्रक्रियात्मक न्याय आवश्यक है?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम भाऊराव पंजाबराव गावंडे
(AIR 2008 SC 3056)
|
किस निर्णय में कहा गया कि प्रतिभूति आदेश तर्कसंगत होनी चाहिए?
|
के. पी. मुश्रान बनाम मध्य प्रदेश राज्य (1959)
|
किस निर्णय में बिना उचित आधार के प्रतिभूति आदेश को अवैध दोषी ठहराया गया?
|
राम चरण बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (1980)
|
धारा 128 किससे संबंधित है?
|
संदिग्ध व्यक्तियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति
|
धारा 128 किस प्रकार के व्यक्तियों पर लागू होती है?
|
संदिग्ध उद्देश्य से घूमने वाले व्यक्ति
|
इस धारा के अंतर्गत किससेप्रतिभूति ली जाती है?
|
ऐसे व्यक्ति जो किसी स्थान में बिना उद्देश्य के घूम रहे हों
|
क्या मजिस्ट्रेट को कारण बताना आवश्यक है?
|
हाँ, मजिस्ट्रेट को लिखित रूप में कारण बताना आवश्यक है
|
धारा 129 किससे संबंधित है?
|
आभ्यासिक अपराधियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति
|
धारा 129 में कौन आदेश जारी कर सकता है?
|
कार्यपालिक मजिस्ट्रेट
|
धारा 129 का प्रयोग किन व्यक्तियों पर होता है?
|
आभ्यासिक अपराधी
|
इस धारा के तहत अधिकतम प्रतिभूति की अवधि कितनी हो सकती है?
|
3 वर्ष
|
आभ्यासिक अपराधी का क्या अर्थ है?
|
जिसने बार-बार संज्ञेय अपराध किए हों
|
धारा 129 की प्रकृति कैसी है?
|
निवारक
|
क्या इस धारा के अंतर्गत व्यक्ति को सुनवाई का अधिकार है?
|
हाँ, व्यक्ति को सुनवाई का पूर्ण अवसर मिलना चाहिए
|
मजिस्ट्रेट किस आधार पर इस धारा के अंतर्गत कार्यवाही कर सकता है?
|
विश्वसनीय सूचना या पुलिस रिपोर्ट पर
|
आभ्यासिक अपराधियों पर विशेष नियंत्रण आवश्यक निष्कर्ष किस मामले में दिया गया था?
|
सम्राट बनाम दुर्गाप्रसाद (1911 आईएलआर 33 सभी 1)
|
धारा 130 किससे संबंधित है?
|
आदेश का दिया जाना
|
क्या आदेश मौखिक रूप से दिया जा सकता है?
|
नहीं, केवल लिखित रूप में
|
धारा 130 के अंतर्गत आदेश में क्या स्पष्ट होना चाहिए?
|
जिस कारण से उसे प्रतिभूति देने की आवश्यकता है
|
क्या आदेश में यह बताना आवश्यक है कि कितने समय के लिए प्रतिभूति चाहिए?
|
हाँ
|
क्या आरोपी को आदेश की एक प्रति दी जानी चाहिए?
|
हाँ
|
धारा 130 किस प्रकार के आदेश से संबंधित है?
|
न्यायिक
|
किस निर्णय में कहा गया कि आदेश का स्पष्ट, लिखित और सूचना-सहित होना आवश्यक है?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम भाऊराव गावंडे (2008)
|
किस निर्णय में कहा गया कि आदेश स्पष्ट, ठोस कारणों के साथ होने चाहिए?
|
के.पी. मुशरान बनाम एमपी राज्य (1959 एमपी एलजे 437)
|
किस निर्णय में कहा गया कि आदेश में आवश्यक विवरण और अवधि शामिल होना चाहिए?
|
सुरेश चंद्र बनाम राज्य
(एआईआर 1976 सभी 326)
|
किस निर्णय में कहा गया कि स्पष्ट आधार और न्यायसंगत स्पष्टीकरण आवश्यक हैं?
|
के.के. बिड़ला
(एआईआर 1962 कैल 592)
|
धारा 131 किससे संबंधित है?
|
न्यायालय में उपस्थित व्यक्ति के बारे में प्रक्रिया
|
धारा 132 किससे संबंधित है?
|
ऐसे व्यक्ति के बारे में समन या वारंट जो उपस्थित नहीं है
|
यदि कोई व्यक्ति न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं होता है, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
|
उसके खिलाफ समन या वारंट जारी कर सकता है
|
क्या धारा 132 केवल अभियुक्त पर लागू होती है?
|
नहीं, यह गवाहों पर भी लागू हो सकती है
|
समन या वारंट जारी करने का उद्देश्य क्या है?
|
न्यायालय की उपस्थिति सुनिश्चित करना
|
समन और वारंट में मुख्य अंतर क्या है?
|
समन सूचना है, वारंट गिरफ्तारी हेतु आदेश
|
यदि व्यक्ति विदेश में है और न्यायालय में उपस्थित नहीं हो रहा है, तो क्या धारा 132 लागू की जा सकती है?
|
हाँ
|
क्या धारा 132 न्यायिक प्रक्रिया को बाधा से बचाने के लिए है?
|
हाँ
|
किस निर्णय में कहा गया कि न्यायालय को समन या वारंट जारी करने का पूर्ण अधिकार है यदि व्यक्ति अनुपस्थित हो?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम नारायण शामराव पुराणिक
(AIR 1982 SC 1198)
|
किस निर्णय में कहा गया कि अनुपस्थित रहने पर सीधे गिरफ्तारी वारंट जारी किया जा सकता है?
|
कैलाश चंद्र बनाम राज्य (एआईआर 1985 राज 56)
|
किस निर्णय में कोर्ट ने वारंट जारी करके आरोपी को पेश करने का आदेश दिया?
|
हरिओम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2007 CrLJ 1638)
|
धारा 133 किससे संबंधित है?
|
समन या वारंट के साथ आदेश की प्रति होगी
|
धारा 134 किससे संबंधित है?
|
वैयक्तिक हाजिरी से अभिमुक्ति देने की शक्ति
|
धारा 134 के अंतर्गत कौन व्यक्ति छूट की मांग कर सकता है?
|
अभियुक्त
|
न्यायालय किस आधार पर वैयक्तिक उपस्थिति से छूट प्रदान कर सकता है?
|
जब आरोपी दूरस्थ स्थान पर हो और उसकी उपस्थिति आवश्यक न हो
|
क्या मजिस्ट्रेट धारा 134 के अंतर्गत बिना कारण बताए उपस्थिति से छूट दे सकता है?
|
नहीं, कारण उल्लेखित करना आवश्यक है
|
धारा 134 किस प्रकार की सुनवाई में विशेष उपयोगी हो सकती है?
|
हल्के/संज्ञेय अपराधों में जहाँ आरोपी की उपस्थिति जरूरी न हो
|
धारा 135 किससे संबंधित है?
|
इत्तिला की सच्चाई के बारे में जांच
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धारा 135 में प्रतिभूति किसके लिए ली जाती है?
|
परिशांति या सदाचार बनाए रखने के लिए
|
धारा 136 किससे संबंधित है?
|
प्रतिभूति देने का आदेश
|
धारा 136 के अंतर्गत हिरासत की अवधि क्या है?
|
जब तक वह प्रतिभूति नहीं देता या निर्देशित अवधि पूरी नहीं हो जाती
|
क्या धारा 136 केवल धारा 135 के उल्लंघन पर लागू होती है?
|
हाँ
|
धारा 136 के अंतर्गत हिरासत में लेने का अधिकार किसे है?
|
मजिस्ट्रेट
|
क्या हिरासत में लिया गया व्यक्ति प्रतिभूति देने के बाद रिहा हो सकता है?
|
हाँ
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धारा 137 किससे संबंधित है?
|
उस व्यक्ति का उन्मोचन जिसके विरुद्ध इत्तिला दी गई है
|
धारा 138 किससे संबंधित है?
|
जिस अवधि के लिए प्रतिभूति अपेक्षित की गई है उसका प्रारंभ
|
प्रतिभूति की निर्धारित अवधि कब प्रारंभ होती है?
|
जब प्रतिभूति निष्पादित (execute) की जाती है
|
यदि अदालत 1 मई को प्रतिभूति देने का आदेश देती है और अभियुक्त 5 मई को प्रतिभूति देता है, तो अवधि कब से मानी जाएगी?
|
5 मई
|
धारा 138 किससे संबंधित है?
|
प्रतिभूति की अवधि की सटीक गणना सुनिश्चित करना
|
यदि अभियुक्त प्रतिभूति देने में देरी करता है, तो क्या प्रतिभूति की अवधि पीछे से लागू होगी?
|
नहीं
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प्रतिभूति निष्पादन के बिना क्या अवधि प्रारंभ मानी जाती है?
|
नहीं, निष्पादन आवश्यक है
|
यदि अभियुक्त ने प्रतिभूति आदेश की तारीख के 10 दिन बाद प्रतिभूति निष्पादित की, तो कौन-सी तारीख से अवधि प्रारंभ मानी जाएगी?
|
प्रतिभूति निष्पादन की तिथि
|
धारा 139 किससे संबंधित है?
|
बंधपत्र की अंतर्वस्तुएं
|
बंधपत्र में क्या अनिवार्य रूप से शामिल होना चाहिए?
|
प्रतिभूति की राशि और उद्देश्य
|
क्या बंधपत्र में जमानतदाता का विवरण आवश्यक है?
|
हाँ, अगर जमानतदाता है
|
यदि बंधपत्र में आवश्यक विवरण नहीं हैं, तो उसका प्रभाव क्या होगा?
|
वह विधिक रूप से अमान्य हो सकता है
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किस निर्णय में उचित अवसर और कारण का उल्लेख को सर्वोपरि माना गया?
|
मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978)
|
किस निर्णय में न्यायालय ने बंधपत्र की स्पष्ट शर्तों और उद्देश्य का वर्णन आवश्यक है पर बल दिया?
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समरेंद्र नाथ बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
|
क्या कोई व्यक्ति बिना स्पष्ट शर्तों के बंधपत्र निष्पादित कर सकता है?
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नहीं, सभी शर्तों का स्पष्ट उल्लेख आवश्यक है
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धारा 140 किससे संबंधित है?
|
प्रतिभुओं को अस्वीकार करने की शक्ति
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न्यायालय किस स्थिति में प्रतिभूति को अस्वीकार कर सकता है?
|
जब न्यायालय को संदेह हो कि वह सक्षम नहीं है
|
क्या मजिस्ट्रेट को बिना कारण बताए प्रतिभूति अस्वीकार करने का अधिकार है?
|
नहीं, कारण बताना आवश्यक है
|
क्या अभियुक्त दूसरी बार नई प्रतिभूति प्रस्तुत कर सकता है यदि पहली अस्वीकार हो जाए?
|
हाँ
|
मजिस्ट्रेट द्वारा प्रतिभूति अस्वीकार करने का अधिकार किस पर आधारित होता है?
|
न्यायिक विवेक (Judicial Discretion) पर
|
अस्वीकृत प्रतिभूति का क्या प्रभाव होता है?
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अभियुक्त को न्यायिक हिरासत में लिया जाता है
|
किस निर्णय में सख्त जमानत नियमों पर पुनर्विचार की चर्चा थी?
|
हुस्नारा खातून बनाम बिहार राज्य
(AIR 1979 SC 1369)
|
यदि प्रतिभूति केवल नाम मात्र की हो और वह सक्षम नहीं हो, तो क्या मजिस्ट्रेट उसे अस्वीकार कर सकता है?
|
हाँ, स्पष्ट आधार देकर
|
धारा 141 किससे संबंधित है?
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प्रतिभूति देने में व्यतिक्रम होने पर कारावास
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यदि अभियुक्त प्रतिभूति देने में असफल होता है, तो उसे किसके आदेश पर कारावास में डाला जा सकता है?
|
मजिस्ट्रेट
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क्या धारा 141 के अंतर्गत कारावास एक दंडात्मक सजा है?
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नहीं, यह निवारक है
|
कारावास की अवधि कितनी होती है जब तक प्रतिभूति न दी जाए?
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वह अवधि जो आदेश में निर्दिष्ट हो
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क्या अभियुक्त प्रतिभूति न दे पाने की स्थिति में पुनः आवेदन कर सकता है?
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हाँ
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प्रतिभूति देने में असफल व्यक्ति को हिरासत में क्यों लिया जाता है?
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यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह बाद में प्रतिभूति देगा
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धारा 142 किससे संबंधित है?
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प्रतिभूति देने में असफलता के कारण कारावासित व्यक्तियों को छोड़ने की शक्ति
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यदि कोई व्यक्ति प्रतिभूति नहीं देता है, तो उसे अधिकतम कितने समय तक कारावास में रखा जा सकता है?
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जब तक प्रतिभूति न दी जाए या अधिकतम अवधि समाप्त न हो जाए
|
किस निर्णय में कहा गया कि रिहाई के लिए मजिस्ट्रेट का विवेक जरूरी है?
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सुरेश चंद्र बनाम बिहार राज्य (पटना उच्च न्यायालय)
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धारा 142 के अंतर्गत रिहाई आदेश किस स्थिति में नहीं दिया जा सकता?
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यदि व्यक्ति अभी भी प्रतिभूति देने को तैयार नहीं है
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धारा 143 किससे संबंधित है?
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बंधपत्र की शेष अवधि के लिए प्रतिभूति
|
यदि कोई व्यक्ति प्रतिभूति की शर्तों का उल्लंघन करता है, तो धारा 143 के अंतर्गत क्या किया जा सकता है?
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उसे शेष अवधि के लिए पुनः प्रतिभूति देने का आदेश दिया जाता है
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बंधपत्र की शेष अवधि का तात्पर्य किससेहै?
|
बंधपत्र समाप्त होने तक की शेष अवधि
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किस निर्णय में कहा गया कि बंधपत्र की शर्तें न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट होनी चाहिए?
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राम नारायण सिंह बनाम दिल्ली राज्य
(एआईआर 1953 एससी 277)
|
किस निर्णय में कहा गया कि न्यायालय का क्या कर्तव्य होता है जब कोई व्यक्ति बंधपत्र की शर्तों का उल्लंघन करता है, उसे शेष अवधि के लिए पुनः प्रतिभूति देने को कहना?
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गुरबख्श सिंह सिब्बिया बनाम पंजाब राज्य (एआईआर 1980 एससी 1632)
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अध्याय 10
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पत्नी, संतान और माता-पिता के भरणपोषण लिए आदेश
(Order For Maintenance of Wives, Children and Parents)
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धारा 144 किससे संबंधित है?
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पत्नी, संतान और माता-पिता के भरणपोषण लिए आदेश
|
धारा 144 के तहत भरणपोषण के लिए आदेश किसे दिया जा सकता है?
|
पति, जो भरणपोषण देने में असफल है
|
धारा 144 के तहत किन व्यक्तियों को भरणपोषण प्राप्त करने का अधिकार है?
|
पत्नी, नाबालिग संतान और माता-पिता
|
क्या धारा 144 के अंतर्गत विवाहित पुत्री को भरणपोषण मिल सकता है?
|
हाँ, यदि वह शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम हो
|
क्या मजिस्ट्रेट बिना साक्ष्य के भरणपोषण आदेश दे सकता है?
|
नहीं
|
किस निर्णय में कहा गया कि मुस्लिम महिला को भी धारा 125 CrPC (अब धारा 144 BNSS) के अंतर्गत भरणपोषण का अधिकार है?
|
मो. अहमद खान बनाम शाह बानो बेगम
(1985 एआईआर 945)
|
किस निर्णय में कहा गया कि भरणपोषण याचिका को शीघ्र निपटाना आवश्यक है?
|
भुवन मोहन सिंह बनाम मीना (2014 SC)
|
किस निर्णय में कहा गया कि पूर्व न्यायालय को पत्नी की आवश्यकता और पति की आय पर विचार करना चाहिए?
|
चतुर्भुज बनाम सीता बाई (2008 SC)
|
किस निर्णय में कहा गया कि पत्नी का कमाने योग्य होना भरणपोषण रोकने का आधार नहीं?
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शैलजा और अन्य. वी. खोब्बान्ना (2017 SC)
|
यदि पति भरणपोषण आदेश का पालन नहीं करता तो क्या हो सकता है?
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मजिस्ट्रेट उसे कारावास की सजा दे सकता है
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भरण-पोषण की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना किस केस से संबंधित है?
|
रजनेश बनाम नेहा (2020)
|
किस निर्णय में कहा गया कि भरण-पोषण आदेश के मामलों में देरी न्याय से वंचित करना है?
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भुवन मोहन सिंह बनाम मीना एवं अन्य (2014)
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किस निर्णय में कहा गया कि पत्नी को अलग रहने का कारण सिद्ध करना जरूरी नहीं है यदि वह अलग रह रही है और भरण-पोषण मांग रही है
|
चतुर्भुज बनाम सीता बाई (2008)
|
धारा 144 के तहत भरण-पोषण आदेश की अवहेलना करने पर क्या सजा हो सकती है?
|
जब तक भुगतान न हो तब तक कारावास
|
क्या धारा 144 के अंतर्गत अंतरिम भरण-पोषण (interim maintenance) का आदेश भी दिया जा सकता है?
|
हाँ, सभी को
|
धारा 144 के अंतर्गत आवेदन किस न्यायालय में दायर किया जाता है?
|
प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट
|
धारा 144 के अंतर्गत अधिकतम मासिक भरण-पोषण राशि कितनी हो सकती है?
|
कोई निश्चित सीमा नहीं
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धारा 144 के अंतर्गत भरण-पोषण पाने का अधिकार किसे प्राप्त है?
|
पत्नी, संतान और माता-पिता
|
धारा 145 किस विषय से संबंधित है?
|
भरण-पोषण आदेश की प्रक्रिया
|
धारा 145 में आदेश पारित करने के लिए किन बातों का विचार किया जाता है?
|
आरोपी की आमदनी
पत्नी या माता-पिता की आवश्यकता बच्चों की भरण-पोषण की मांग
|
धारा 145 के तहत मजिस्ट्रेट किसका ध्यान रखते हुए आदेश देता है?
|
व्यक्ति की आर्थिक स्थिति और भरण-पोषण की ज़रूरत
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क्या धारा 145 में आदेश पारित करने से पहले पक्षों को सुनवाई का अधिकार होता है?
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हाँ, दोनों पक्षों को
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क्या मजिस्ट्रेट धारा 145 के तहत अंतरिम आदेश पारित कर सकता है?
|
हाँ
|
यदि व्यक्ति आदेश का पालन नहीं करता, तो क्या हो सकता है?
|
उसकी संपत्ति जब्त की जा सकती है
उसके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया जा सकता है उसे जेल भेजा जा सकता है
|
धारा 145 के तहत मजिस्ट्रेट किसके विरुद्ध आदेश पारित कर सकता है?
|
वह व्यक्ति जो भरण-पोषण देने में असफल रहा हो
|
क्या धारा 145 के तहत आदेश संशोधित किया जा सकता है?
|
हाँ
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किस निर्णय में कहा गया कि पत्नी को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार है
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शमीमा फारूकी बनाम शाहिद खान (2015)
|
अंतरिम भरण-पोषण से संबंधित है?
|
राजथी बनाम सी. गणेशन (2017)
|
किस निर्णय में कहा गया कि भरण-पोषण विलम्ब से नहीं मिलना चाहिए?
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भुवन मोहन सिंह बनाम मीना (2014)
|
किस निर्णय में कहा गया कि सौतेली माँ को भरण-पोषण अधिकार नहीं है
|
कीर्तिकांत डी. वडोदरिया बनाम गुजरात राज्य (1996)
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किस निर्णय में कहा गया कि नौकरी न होने पर भी पत्नी भरण-पोषण की हकदार?
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सुनीता कछवाहा बनाम अनिल कछवाहा (2014)
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धारा 146 का संबंध किससेहै?
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भत्ते (Maintenance Allowance) में परिवर्तन
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धारा 146 के अंतर्गत किसे भत्ते में परिवर्तन की मांग करने का अधिकार है?
|
भत्ता प्राप्त करने वाला या देने वाला कोई भी पक्ष
|
भत्ते में परिवर्तन के लिए क्या आवश्यक है?
|
आर्थिक स्थिति में परिवर्तन
|
मजिस्ट्रेट को भत्ते में परिवर्तन का आदेश पारित करने के लिए क्या देखना होता है?
|
आय में वृद्धि या कमी भत्ता प्राप्त करने वाले की जरूरतें
|
धारा 146 के अंतर्गत आदेश पारित कौन करता है?
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प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट
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भत्ते में संशोधन के लिए कौन सा केस मार्गदर्शक सिद्धांतों को स्पष्ट करता है?
|
रजनेश बनाम नेहा (2020)
|
धारा 147 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
|
भरण-पोषण आदेशों का प्रवर्तन (Enforcement)
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धारा 147 के अंतर्गत भरण-पोषण की अदायगी न करने पर क्या दंड हो सकता है?
|
आर्थिक दंड कारावास
|
धारा 147 के तहत अधिकतम कारावास की अवधि क्या है?
|
3 महीने
|
भरण-पोषण की राशि का भुगतान न करने पर अदालत क्या कर सकती है?
|
वारंट जारी कर सकती है
संपत्ति ज़ब्त कर सकती है कारावास दे सकती है
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किस निर्णय में कहा गया कि अदालत कारावास के साथ-साथ राशि की वसूली भी कर सकती है
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शैल कुमारी देवी बनाम कृष्ण भगवान पाठक (2008)
|
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अध्याय 11
|
लोक व्यवस्था और प्रशांति बनाए रखना
(Maintenance Of Public Order and Tranquillity)
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क - विधिविरुद्ध जमाव (Unlawful Assemblies)
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धारा 148 का संबंध किससे है?
|
सिविल बल के प्रयोग द्वारा जमाव को तितर-बितर करना
|
धारा 149 का संबंध किससे है?
|
जमाव को तितर-बितर करने के लिए सशस्त्र बल का प्रयोग
|
धारा 150 का संबंध किससे है?
|
जमाव को तितर-बितर करने की सशस्त्र बल के कतिपय अधिकारियों की शक्ति
|
धारा 151 का संबंध किससे है?
|
धारा 148, धारा 149 तथा धारा 150 के अधीन किए गए कार्यों के लिए अभियोजन से संरक्ष
|
|
ख - लोक न्यूसेन्स (Publice Nuisances)
|
धारा 152 किससे संबंधित है?
|
न्यूसेन्स हटाने के लिए सशर्त आदेश से
|
धारा 152 के अंतर्गत कौन अधिकारी सशर्त आदेश दे सकता है?
|
जिला मजिस्ट्रेट या
उपखंड मजिस्ट्रेट या
राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त विशेषतया सशक्त किसी अन्य कार्यपालिका मजिस्ट्रेट
|
धारा 152 के तहत उपद्रव में क्या शामिल नहीं होता?
|
वैध व्यवसाय
|
धारा 152 के अंतर्गत किसी मजिस्ट्रेट द्वारा पारित सशर्त आदेश को सिविल न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती। यह कथन-
|
सही है
|
किस धारा के अंतर्गत एक जिला मजिस्ट्रेट अथवा उप खंड मजिस्ट्रेट पर्यावरणीय प्रदूषण को रोक सकता है-
|
धारा 152
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सार्वजनिक स्थल पर प्रदूषण फैलाने वाला कारखाना किस धारा के अंतर्गत हटाया जा सकता है?
|
धारा 152
|
किस मामले मेंसर्वोच्च न्यायालय ने सार्वजनिक हित में उपद्रव हटाना आवश्यक है, पर बल दिया?
|
कचरूलाल भागीरथ अग्रवाल बनाम महाराष्ट्र राज्य (2005)
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने नगरपालिका की जिम्मेदारी है कि वह न्यूसेन्स दूर करे कहा?
|
नगर परिषद, रतलाम बनाम वरदीचन (AIR 1980 SC 1622)
|
धारा 153 किस विषय से संबंधित है?
|
आदेश की तामील या अधिसूचना
|
धारा 153 के अनुसार आदेश की तामील कैसे की जा सकती है?
|
जो समनों की तामील के लिए उपबंधित है
|
यदि आदेश की व्यक्तिगत तामील संभव न हो, तो मजिस्ट्रेट क्या कर सकता है?
|
आदेश की सार्वजनिक अधिसूचना कर सकता है
|
धारा 153 के तहत सार्वजनिक अधिसूचना का क्या अर्थ है?
|
स्थान पर आदेश की प्रति चिपकाना या स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित करना
|
धारा 153 के अंतर्गत आदेश तामील करने का दायित्व किसका है?
|
पुलिस अधिकारी
|
किस स्थिति में आदेश की तामील अधिसूचना के माध्यम से की जाती है?
|
जब आरोपी फरार हो
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अधिसूचना के माध्यम से तामील विधिसम्मत है कहा था?
|
पंजाब राज्य बनाम अमर सिंह (AIR 1974 SC 994)
|
किस मामले में डिक्री की अधिसूचना से सार्वजनिक हित के मामलों में अधिसूचना जरूरी है, संबंध है?
|
एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ (1987)
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तामील पर न्यायपूर्ण तामील न्यायसंगत प्रक्रिया का हिस्सा है टिप्पणी की?
|
हरि शंकर बनाम राव गिरधारी लाल चौधरी
(AIR 1963 SC 698)
|
धारा 154 में किसका प्रावधान है?
|
जिस व्यक्ति को आदेश संबोधित है वह उसका पालन करे या कारण दर्शित करे
|
यदि कोई व्यक्ति धारा 154 के अंतर्गत आदेश का पालन नहीं करता और कारण नहीं दर्शाता, तो मजिस्ट्रेट क्या कर सकता है?
|
दंडात्मक कार्यवाही कर सकता है
|
किस मामले मेंकारण न देने पर न्यायालय दंडात्मक कार्यवाही कर सकता है, स्थापित किया गया?
|
गोपालदास बनाम राजस्थान राज्य
(एआईआर 1961 राज 153)
|
किस मामले में कारण बताने का अवसर देना अनिवार्य है, सर्वोच्च न्यायालय ने किसका सिद्धांत स्पष्ट किया?
|
बिहार राज्य बनाम कामेश्वर सिंह (1952 SC)
|
यदि व्यक्ति यह दावा करे कि वह आदेश प्राप्त नहीं कर सका, तो कौन-सा केस लागू हो सकता है?
|
राज्य बनाम हरिशंकर एआईआर 1970 एमपी 234
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की किस धारा के अंतर्गत एक मजिस्ट्रेट सीधे स्थानीय अन्वेषण का निर्देश जारी कर सकता है?
|
धारा 158
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किस समुचित धारा के अंतर्गत एक मजिस्ट्रेट व्यादेश जारी कर सकता है?
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धारा 161
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एक मजिस्ट्रेट को आशंकित खतरे अथवा न्यूसेंस के 'अर्जेण्ट मामलों से निपटने हेतु शक्ति भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की किस धारा में प्राप्त हैं-
|
धारा 164
|
धारा 162 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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न्यूसेंस या आशंकित खतरे के अर्जेंट मामलों मैं आदेश जारी करने की शक्ति
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धारा 162 का आदेश किस परिस्थिति में जारी किया जा सकता है?
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जब तत्काल खतरा
|
|
ग- न्यूसेंस या आशंकित खतरे के अर्जेंट मामले (Urgent Cases of Nuisance or Apprehended Ddanger)
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धारा 163 में किसका प्रावधान है?
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जिला मजिस्ट्रेट
|
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घ-स्थावर संपत्ति के बारे में विवाद; (Disputes as to Immovable Property)
|
धारा 164 किस प्रकार की संपत्ति के विवाद पर लागू होती है?
|
स्थावर संपत्ति
|
धारा 164 किससे सम्बंधित है?
|
जहां भूमि या जल से संबद्ध विवादों से परिशन्ति भांग होना संभाव्य है वहां प्रक्रिया
|
धारा 164 के अंतर्गत कौन अधिकारी आदेश दे सकता है?
|
जिला मजिस्ट्रेट या
उपखंड मजिस्ट्रेट या
राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त विशेषतया सशक्त किसी अन्य कार्यपालिका मजिस्ट्रेट
|
मजिस्ट्रेट किस स्थिति में धारा 164 के तहत हस्तक्षेप कर सकता है?
|
जब विवाद से लोक-शांति भंग होने की आशंका हो
|
धारा 164 के तहत आदेश जारी करने से पहले मजिस्ट्रेट को क्या करना आवश्यक है?
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पक्षकारों को नोटिस देना
|
धारा 164 के आदेश को कौन चुनौती दे सकता है?
|
उच्च न्यायालय के समक्ष
|
धारा 165 किससे सम्बंधित है?
|
विवाद की विषयवस्तु का कुर्क करने की और रिसीवर नियुक्त करने की शक्ति
|
धारा 166 किससे सम्बंधित है?
|
भूमि या जल के उपयोग के अधिकार से संबद्ध विवाद
|
धारा 167 किससे सम्बंधित है?
|
स्थानीय जांच
|
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अध्याय 12
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पुलिस का निवारक कार्य
(Preventive Action of the Police)
|
धारा 168 किससे सम्बंधित है?
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पुलिस का संज्ञेय अपराधों का निवारण करना
|
क्या पुलिस बिना वारंट के निवारक गिरफ्तारी कर सकती है?
|
हाँ, यदि उसे संदेह हो कि व्यक्ति अपराध कर सकता है
|
“प्रत्येक पुलिस अधिकारी किसी संज्ञेय अपराध के किए जाने का निवारण करने के प्रयोजन से अन्तःक्षेप कर सकेगा और अपनी पूरी सामर्थ्य से उसे निवारित करेगा”,
|
धारा 168
|
निवारक कार्यवाही के तहत पुलिस किसे सूचित करने की बाध्यता रखती है?
|
मजिस्ट्रेट
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निवारक गिरफ्तारी में मौलिक अधिकार स्थगित हो सकते हैं, मुख्य निष्कर्ष क्या था?
|
एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला (1976)
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को स्वतंत्र रूप से कार्य करने की शक्ति है, बात को स्पष्ट किया?
|
बिहार राज्य बनाम जे.ए.सी. सल्दान्हा (1980)
|
धारा 169 किससे सम्बंधित है?
|
संज्ञेय अपराधों के किए जाने की परिकल्पना की इत्तिला
|
धारा 170 किससे सम्बंधित है?
|
संज्ञेय अपराधों का किया जाना रोकने के लिए गिरफ्तारी
|
धारा 171 किससे सम्बंधित है?
|
लोक संपत्ति की हानि का निवारण
|
धारा 172 किससे सम्बंधित है?
|
व्यक्तियों का पुलिस के युक्तियुक्त निदेशों के अनुरूप बाध्य होना
|
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अध्याय 13
|
पुलिस को इतिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियां
(Information To the Police and Their Powers to Investigate)
|
धारा 173 के अंतर्गत कौन-सा अपराध शामिल होता है?
|
संज्ञेय अपराध
|
धारा 173 किससे सम्बंधित है?
|
संज्ञेय मामलों में इत्तिला
|
किसी प्रथम सूचना में एक अपराध संज्ञेय है तो संपूर्ण मामले को क्या माना जाएगा-
|
संज्ञेय
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किसी संज्ञेय अपराध के घटित होने की प्रत्येक सूचना पर किसके हस्ताक्षर होने आवश्यक हैं-
|
सूचना देने वाले के
|
किस मामले में संज्ञेय अपराध में FIR दर्ज करना अनिवार्य है, सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
|
ललिता कुमारी बनाम सरकार यूपी के (2014)
|
किस मामले में गलत FIR रद्द की जा सकती है, कोर्ट ने क्या स्पष्ट किया?
|
हरियाणा राज्य बनाम भजन लाल (1992)
|
किस मामले में एक अपराध के लिए केवल एक FIR वैध होती है, मुख्य निष्कर्ष था?
|
टी.टी. एंटनी बनाम केरल राज्य (2001)
|
प्रथम सूचना रिपोर्ट एक सारभूत साक्ष्य नहीं होता, विचारण के दौरान इसका उपयोग किस प्रयोजन से किया जा सकता है?
|
केवल सूचना देने वाले के साक्ष्य की पुष्टि करने हेतु,
केवल सूचना देने वाले के साक्ष्य के खंडन हेतु
|
बलात्संग पीड़ित द्वारा दी जाने वाली सूचना को कौन दर्ज करेगा?
|
महिला पुलिस अधिकारी अथवा कोई महिला अधिकारी
|
धारा 174 का संबंध किस प्रकार के अपराधों से है?
|
असंज्ञेय अपराध
|
धारा 174 के तहत पुलिस अधिकारी असंज्ञेय अपराध की सूचना पर क्या कर सकता है?
|
मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति से जांच कर सकता है
|
यदि कोई असंज्ञेय अपराध घटित होता है, तो पुलिस सबसे पहले क्या करेगी?
|
सूचना को रजिस्टर में दर्ज करेगी
|
असंज्ञेय अपराध में जांच प्रारंभ करने के लिए पुलिस को किसकी अनुमति लेनी होती है?
|
मजिस्ट्रेट
|
धारा 175 का संबंध किससेहै?
|
संज्ञेय मामलों का अन्वेषण करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति
|
संज्ञेय अपराध की सूचना मिलने पर पुलिस अधिकारी क्या कर सकता है?
|
तुरंत अन्वेषण प्रारंभ कर सकता है
|
पुलिस को संज्ञेय अपराध की जांच प्रारंभ करने के लिए किसकी अनुमति लेनी होती है?
|
कोई अनुमति आवश्यक नहीं
|
यदि पुलिस संज्ञेय अपराध की सूचना पर FIR दर्ज नहीं करती, तो पीड़ित क्या कर सकता है?
|
मजिस्ट्रेट के पास जा सकता है
|
धारा 176 का संबंध किससेहै?
|
अन्वेषण के लिए प्रक्रिया
|
धारा 176 के अंतर्गत अन्वेषण कौन करता है?
|
धारा 176 के अंतर्गत अन्वेषण कौन करता है?
|
अन्वेषण के बाद पुलिस किस रिपोर्ट को न्यायालय में प्रस्तुत करती है?
|
आरोप पत्र (चार्जशीट)
|
यदि अन्वेषण में कोई अपराध नहीं पाया गया, तो पुलिस क्या दाखिल कर सकती है?
|
फाइनल रिपोर्ट (क्लोजर रिपोर्ट)
|
धारा 177 किससे संबंधित है?
|
रिपोर्ट कैसे दी जाएंगी
|
धारा 177 के अनुसार रिपोर्ट किसे दी जानी चाहिए?
|
मजिस्ट्रेट को जो इस पर संज्ञान लेने के लिए सक्षम है
|
अन्वेषण के पश्चात पुलिस अधिकारी द्वारा रिपोर्ट किस रूप में प्रस्तुत की जाती है?
|
लिखित रूप में और हस्ताक्षर सहित
|
क्या रिपोर्ट में संपूर्ण विवरण देना आवश्यक है?
|
हाँ, अन्वेषण के समस्त तथ्यों का संक्षेप
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धारा 177 के अंतर्गत रिपोर्ट में किन तथ्यों को शामिल करना आवश्यक होता है?
|
अपराध, साक्ष्य, और गवाहों की जानकारी
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया मजिस्ट्रेट रिपोर्ट के आधार पर अभियोजन चला सकता है?
|
भगवंत सिंह बनाम पुलिस आयुक्त (1985)
|
रिपोर्ट की मजिस्ट्रेट के पास वैधता किस केससे संबंधित है?
|
बिहार राज्य बनाम जेएसी सलदान्हा (1980)
|
धारा 178 किससे संबंधित है?
|
अन्वेषण या प्रारंभिक जांच करने की शक्ति
|
धारा 178 किसे प्रारंभिक जांच या अन्वेषण की शक्ति प्रदान करती है?
|
पुलिस अधिकारी
|
क्या धारा 178 पुलिस अधिकारी को असंज्ञेय अपराधों की प्रारंभिक जांच की अनुमति देती है?
|
हाँ, यदि मजिस्ट्रेट की अनुमति प्राप्त हो
|
धारा 179 किससे संबंधित है?
|
साक्षियों की हाजिरी की अपेक्षा करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति
|
धारा 179 के अंतर्गत पुलिस अधिकारी किसे उपस्थित होने के लिए कह सकता है?
|
साक्षी
|
धारा 179 के अंतर्गत, क्या पुलिस अधिकारी ऐसे किसी व्यक्ति को भी बुला सकता है जो घटनास्थल के पास रहता हो?
|
हाँ
|
यदि कोई व्यक्ति धारा 179 के अंतर्गत पुलिस की उपस्थिति माँग का पालन नहीं करता है, तो क्या हो सकता है?
|
पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है मजिस्ट्रेट उसे तलब कर सकता है पुलिस मजिस्ट्रेट से आदेश प्राप्त कर सकती है
|
धारा 179 में किस मामले मेंकहा गया कि "पुलिस जांच के दौरान साक्षी का सहयोग अत्यंत आवश्यक है"?
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पाखर सिंह बनाम राजस्थान राज्य
(AIR 1972 SC 482)
|
धारा 180 किससे संबंधित है?
|
पुलिस द्वारा साक्षियों की परीक्षा
|
साक्षी का बयान धारा 180 में किस रूप में रिकॉर्ड किया जाता है?
|
पुलिस डायरी में लिखित रूप में
|
किस मामले मेंसुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पुलिस के समक्ष दिए गए साक्ष्य का प्रयोग केवल पुष्टि करने हेतु हो सकता है?
|
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम रमेश प्रसाद मिश्रा
(एआईआर 1996 एससी 2766) (AIR 1996 SC 2766)
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धारा 181 किससे संबंधित है?
|
पुलिस को किया गया कथन और उसका उपयोग
|
धारा 181 के अनुसार पुलिस अधिकारी को दिया गया कथन कब साक्ष्य के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता?
|
जब वह मजिस्ट्रेट के सामने न दिया गया हो
|
क्या पुलिस को किया गया कथन अभियोजन के दौरान प्रत्यक्ष साक्ष्य के रूप में प्रयोग किया जा सकता है?
|
नहीं
|
धारा 181 के अनुसार पुलिस के समक्ष कथन को साक्ष्य के रूप में प्रयोग किया जा सकता है —
|
केवल तभी जब वह मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज हो
|
धारा 182 किससे संबंधित है?
|
कोई उत्प्रेरणा न दिया जाना
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धारा 182 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
|
अभियुक्त को उत्प्रेरणा से बचाना
|
धारा 183 किससे संबंधित है?
|
संस्वीकृतियों और कथनों को अभिलिखित करना
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धारा 183(1) के अनुसार, किसे संस्वीकृति या कथन अभिलिखित करने का अधिकार है?
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कोई भी मजिस्ट्रेट
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संस्वीकृति अभिलिखित करने से पहले मजिस्ट्रेट को क्या करना आवश्यक है?
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आरोपी को यह बताना कि वह संस्वीकृति देने के लिए बाध्य नहीं है
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यदि कोई व्यक्ति संस्वीकृति देने से मना करता है, तो मजिस्ट्रेट को क्या करना चाहिए?
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उसे पुलिस हिरासत में रखने की अनुमति नहीं देना
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यदि कोई व्यक्ति मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम है, तो उसका बयान कैसे अभिलिखित किया जाएगा?
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अनुवादक या विशेष शिक्षक की सहायता से, ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग द्वारा
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धारा 183(6) के तहत, महिला पीड़िता का कथन किसे अभिलिखित करना चाहिए?
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महिला मजिस्ट्रेट
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धारा 183(7) के अनुसार, अभिलिखित संस्वीकृति या बयान को कहाँ भेजा जाएगा?
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संबंधित मजिस्ट्रेट को
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किस मामले में कहा कि जांच अधिकारी को धारा 183 के तहत किसी विशेष साक्षी का बयान दर्ज करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता?
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काजल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
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किस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि चार्जशीट पर संज्ञान लिए जाने तक पीड़ितों के बयान की प्रमाणित कॉपी किसी को भी जारी नहीं करनी चाहिए?
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उजाला और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
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धारा 184 किससे संबंधित है?
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बलात्संग के पीड़ित व्यक्ति की चिकित्सीय परीक्षा
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धारा 184(1) के अनुसार, बलात्कार पीड़िता का चिकित्सीय परीक्षण किसके द्वारा किया जाएगा?
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कोई भी पंजीकृत चिकित्सा प्रैक्टिशनर, यदि महिला उपलब्ध न हो
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बलात्कार पीड़िता का चिकित्सीय परीक्षण कब किया जाना चाहिए?
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घटना के 24 घंटे के भीतर
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यदि पीड़िता मानसिक या शारीरिक रूप से असमर्थ है, तो उसकी ओर से कौन सहमति दे सकता है?
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कोई सक्षम व्यक्ति
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चिकित्सीय रिपोर्ट में क्या जानकारी शामिल होनी चाहिए?
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पीड़िता का नाम और पता
डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए सामग्री का विवरण
शरीर पर चोट के निशान का विवरण
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चिकित्सीय रिपोर्ट में क्या होना चाहिए?
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निष्कर्षों के कारण
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चिकित्सीय परीक्षण के लिए सहमति कब आवश्यक नहीं है?
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जब पीड़िता मानसिक रूप से असमर्थ है
जब पीड़िता सहमति देती है
जब पीड़िता सहमति नहीं देती है
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चिकित्सीय रिपोर्ट को जांच अधिकारी को कितने दिनों के भीतर भेजना चाहिए?
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7 दिन
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यदि पीड़िता सहमति नहीं देती है, तो क्या चिकित्सीय परीक्षण किया जा सकता है?
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नहीं, सहमति के बिना परीक्षण नहीं किया जा सकता
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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने किस मामले में सुझाव दिया कि बलात्कार पीड़िता की चिकित्सीय जांच केवल महिला चिकित्सकों द्वारा की जानी चाहिए?
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अजय कुमार बेहरा बनाम कर्नाटक राज्य
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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बलात्कार पीड़िता की चिकित्सीय जांच के लिए किसकी देखरेख की आवश्यकता बताई?
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महिला चिकित्सक या उनकी देखरेख में
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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने किस रिपोर्ट को अपठनीय बताया?
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चिकित्सीय रिपोर्ट
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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने चिकित्सीय रिपोर्ट के लिए किस प्रकार की रिपोर्ट की आवश्यकता बताई?
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कंप्यूटर द्वारा तैयार या स्पष्ट रूप से लिखी गई रिपोर्ट
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पुलिस अधिकारी किस स्थिति में धारा 185 के अंतर्गत तलाशी ले सकता है?
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अपनी राय में आवश्यक वस्तु की बरामदी के लिए
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धारा 185 किससे संबंधित है?
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पुलिस अधिकारी द्वारा तलाशी
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धारा 185 के अनुसार, तलाशी के समय क्या अनिवार्य है?
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स्वतंत्र साक्षी की उपस्थिति
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यदि तलाशी किसी महिला के स्थान पर की जाती है, तो क्या प्रावधान है?
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महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति आवश्यक है
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पुलिस अधिकारी द्वारा की गई तलाशी का रिकॉर्ड कौन तैयार करता है?
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पुलिस अधिकारी स्वयं
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तलाशी के बाद जब्ती की गई वस्तुओं की सूची पर किसके हस्ताक्षर होने चाहिए?
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स्वतंत्र साक्षी
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कौन-सा मामला पुलिस द्वारा तलाशी की वैधता से संबंधित है?
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पंजाब राज्य बनाम बलबीर सिंह
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि तलाशी के दौरान नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ (एनडीपीएस) मामलों में विशेष प्रावधानों का पालन आवश्यक है?
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पंजाब राज्य बनाम बलबीर सिंह
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किस मामले में न्यायालय ने कहा कि अवैध तलाशी से प्राप्त साक्ष्य भी स्वीकार्य हो सकते हैं
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पूरन मल बनाम निरीक्षण निदेशक (1974)
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किस मामले में कोर्ट ने तलाशी में स्वतंत्र साक्षी की आवश्यकता सिद्धांत पर जोर दिया?
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के.एल. सुब्बैया बनाम कर्नाटक राज्य
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तलाशी व ज़ब्ती से जुड़े अनुच्छेद 20(3) के अधिकार से संबंधित केस है-
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एम.पी. शर्मा बनाम सतीश चंद्र
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यदि पुलिस अधिकारी किसी स्थान पर रात में तलाशी लेना चाहता है, तो उसे क्या करना चाहिए?
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मजिस्ट्रेट से अनुमति प्राप्त करे
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एक अकेली महिला के घर में तलाशी के दौरान पुलिस को क्या करना चाहिए?
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महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति अनिवार्य है
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पुलिस तलाशी के समय जब्ती सूची तैयार करता है, तो उसे किसे देना आवश्यक है?
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वस्तु के स्वामी को
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यदि कोई व्यक्ति तलाशी देने से मना करता है, तो पुलिस:
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धारा 185 के अंतर्गत बल प्रयोग कर सकती है यदि कानून अनुसार हो
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पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी कब किसी अन्य अधिकारी से तलाशी वारंट जारी करने की अपेक्षा कर सकता है, से संबंधित कौन सी धारा है?
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धारा 186
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धारा 186 के अनुसार पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी कब तलाशी वारंट के लिए किसी अन्य अधिकारी से अपेक्षा कर सकता है?
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जब मजिस्ट्रेट अनुपलब्ध हो
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धारा 186 में उल्लिखित 'अन्य अधिकारी' से तात्पर्य किससेहै?
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कोई अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी
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यदि पुलिस अधिकारी को विश्वास है कि अपराध से संबंधित साक्ष्य को हटाया जा सकता है और मजिस्ट्रेट उपलब्ध नहीं है, तो वह किस धारा के अंतर्गत कार्यवाही कर सकता है?
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धारा 186
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धारा 186 का उद्देश्य क्या है?
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आपातकालीन स्थिति में शीघ्र तलाशी कराना
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धारा 186 के तहत तलाशी किसके आदेश से ली जाती है, जब मजिस्ट्रेट उपलब्ध नहीं हो?
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वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के आदेश से
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मजिस्ट्रेट के बिना तलाशी की वैधता सिद्धांत से संबंधित केस है?
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महाराष्ट्र राज्य बनाम नटवरलाल दामोदरदास सोनी
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा अवैध तलाशी से प्राप्त साक्ष्य भी मान्य हो सकते हैं?
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पूरन मल बनाम निरीक्षण निदेशक
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तलाशी और ज़ब्ती के मौलिक अधिकारों पर प्रभाव से संबंधित केस है?
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एम.पी. शर्मा बनाम सतीश चंद्र
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यदि पुलिस अधिकारी को जानकारी मिलती है कि अपराध से संबंधित साक्ष्य एक गोदाम में छिपा है और मजिस्ट्रेट अनुपलब्ध है, तो वह किस धारा का प्रयोग कर सकता है?
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धारा 186
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एक दूर-दराज के गांव में, मजिस्ट्रेट तक पहुंचने में 12 घंटे लगते हैं, लेकिन एक संदिग्ध घर में साक्ष्य नष्ट करने की कोशिश कर रहा है — पुलिस कैसे कार्य करेगी?
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वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से स्वीकृति लेकर तलाशी ले सकती है (धारा 186)
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यदि धारा 186 के अंतर्गत तलाशी की जाती है, तो क्या दस्तावेज़ीकरण आवश्यक है?
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हां, स्वतंत्र गवाहों की उपस्थिति और दस्तावेज़ की आवश्यकता होती है
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धारा 186 में वर्णित तलाशी का उद्देश्य क्या है?
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आपातकालीन स्थिति में साक्ष्य सुरक्षित करना
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पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी किसे रिपोर्ट करेगा जब वह धारा 186 के अंतर्गत तलाशी करता है?
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मजिस्ट्रेट को पश्चात रिपोर्ट
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यदि पुलिस 24 घंटे में अन्वेषण पूरा नहीं कर पाती है, तो उसे क्या करना आवश्यक है?
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मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना
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धारा 187 किससे संबंधित है?
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जब चौबीस घंटे के अंदर अन्वेषण पूरा न किया जा सके, तब प्रक्रिया
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धारा 187 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अनुसार, मजिस्ट्रेट अधिकतम कितने दिनों की रिमांड दे सकता है?
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15 दिन
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यदि मजिस्ट्रेट पुलिस रिमांड देता है, तो वह किस प्रकार की हिरासत होगी?
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पुलिस कस्टडी
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किसी व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक हिरासत में रखने के लिए कौन अनुमति देता है?
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न्यायिक मजिस्ट्रेट
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धारा 187 के अनुसार, पुलिस हिरासत और न्यायिक हिरासत की अधिकतम अवधि कितनी हो सकती है?
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15 दिन (एक या दोनों मिलाकर)
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धारा 187 के अंतर्गत अभिरक्षा की प्रकृति को न्यायिक अभिरक्षा से पुलिस अभिरक्षा में और विलोमतः परिवर्तित किया जा सकता है। ऐसा परिवर्तन किया जा सकता है-
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पहले पंद्रह दिनों में
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धारा 187 के तहत अपराधों, जिनके लिए सजा है मृत्यु, आजीवन कारावास या कम से कम 10 साल की अवधि के कारावास की सजा के अलावा अन्य अपराधों के लिए जांच के दौरान नजरबंदी की कुल अवधि के लिए सीमा क्या है?
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60 दिन
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जहां अन्वेषण ऐसे अपराध के संबंध में है जो मृत्यु, आजीवन कारावास या दस वर्ष से अधिक के कारावास से दंडनीय है वहां मजिस्ट्रेट अभियुक्त को न्यायिक अभिरक्षा में अधिकतम किस अवधि के लिए निरोध करने के लिए प्राधिकृत कर सकेगा?
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90 दिन
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एक कार्यपालक मजिस्ट्रेट किसी अभियुक्त को अधिकतम कितनी अवधि हेतु अभिरक्षा में रखे जाने को अधिकृत कर सकता है-
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7 दिन
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किस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस रिमांड की अवधि पर मार्गदर्शन दिया?
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सी.बी.आई. बनाम अनुपम जे. कुलकर्णी (1992)
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किस मामले में मजिस्ट्रेट द्वारा रिमांड देने से पूर्व आरोपी से बात करना आवश्यक है पर ज़ोर दिया गया?
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राज्य बनाम धरमपाल (2003)
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किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि 24 घंटे से अधिक बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के हिरासत अवैध है?
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खत्री बनाम बिहार राज्य (1981)
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पुलिस ने एक व्यक्ति को शाम 5 बजे गिरफ्तार किया, लेकिन अन्वेषण 24 घंटे में पूरा नहीं हुआ। उसे कब तक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना होगा?
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अगले दिन शाम 5 बजे तक
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यदि मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किए बिना पुलिस किसी आरोपी को 48 घंटे हिरासत में रखती है, तो यह किस अनुच्छेद का उल्लंघन है?
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अनुच्छेद 21
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यदि मजिस्ट्रेट को लगता है कि पुलिस रिमांड जरूरी नहीं है, तो वह क्या कर सकता है?
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आरोपी को जेल भेज सकता है (न्यायिक हिरासत)
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धारा 188 किससे संबंधित है?
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अधीनस्थ पुलिस अधिकारी द्वारा अन्वेषण की रिपोर्ट
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धारा 188 के तहत अन्वेषण रिपोर्ट प्रस्तुत करने का कर्तव्य किसका है?
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अधीनस्थ पुलिस अधिकारी
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जब अन्वेषण रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारी को प्रस्तुत की जाती है, तो वे क्या कर सकते हैं?
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रिपोर्ट को सुधारने का आदेश दे सकते हैं
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किसे अन्वेषण की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अधीनस्थ पुलिस अधिकारी जिम्मेदार होता है?
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वरिष्ठ पुलिस अधिकारी
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धारा 188 के अनुसार, यदि रिपोर्ट में कोई त्रुटि पाई जाती है तो क्या होगा?
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वरिष्ठ अधिकारी इसे सुधार सकते हैं
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धारा 188 में अन्वेषण रिपोर्ट में त्रुटियों के सुधार की प्रक्रिया किस प्रकार से होती है?
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वरिष्ठ अधिकारी द्वारा निर्देशित सुधार
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किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि अन्वेषण रिपोर्ट में त्रुटियाँ सुलझाने का अधिकार वरिष्ठ अधिकारी को है?
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उत्तर प्रदेश राज्य बनाम एस.एन. शर्मा (1996)
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किस निर्णय में अन्वेषण रिपोर्ट में सुधार की प्रक्रिया पर निर्णय दिया गया था?
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के.के. वर्मा बनाम हरियाणा राज्य (1984)
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किस निर्णय में पुलिस द्वारा रिपोर्ट के सुधार का अधिकार पर चर्चा हुई थी?
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रमेश चंद बनाम राजस्थान राज्य (2003)
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अगर किसी अधीनस्थ पुलिस अधिकारी ने अन्वेषण की रिपोर्ट में कोई गलत जानकारी दी हो, तो वरिष्ठ अधिकारी को क्या करना चाहिए?
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रिपोर्ट में सुधार के लिए आदेश देना
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यदि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अन्वेषण रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी पाता है, तो वह रिपोर्ट को किस स्तर पर वापस भेज सकता है?
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पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों के पास
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एक पुलिस उपनिरीक्षक ने अन्वेषण रिपोर्ट में त्रुटि की पहचान की और वरिष्ठ अधिकारी को सुधारने के लिए प्रस्तुत किया, यह किस धारा के अंतर्गत आता है?
|
धारा 188
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धारा 189 किससे संबंधित है?
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जब साक्ष्य अपर्याप्त हो तब अभियुक्त का छोड़ा जाना
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धारा 189 के अनुसार, यदि साक्ष्य अपर्याप्त होते हैं, तो क्या होता है?
|
अभियुक्त को रिहा कर दिया जाता है
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किस स्थिति में अभियुक्त को धारा 189 के तहत रिहा किया जा सकता है?
|
जब अभियुक्त के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं हैं
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क्या साक्ष्य की अपर्याप्तता के आधार पर अभियुक्त की रिहाई को चुनौती दी जा सकती है?
|
हां, उच्च न्यायालय से अपील की जा सकती है
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धारा 189 के तहत, यदि साक्ष्य अपर्याप्त हैं, तो अदालत को क्या करना चाहिए?
|
अभियुक्त को रिहा कर देना चाहिए
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साक्ष्य की अपर्याप्तता के आधार पर अभियुक्त की रिहाई के लिए किस प्रकार की प्रक्रिया अपनाई जाती है?
|
न्यायालय द्वारा उचित समय पर रिहाई का आदेश
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किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि यदि साक्ष्य अपर्याप्त हो, तो अभियुक्त को रिहा किया जा सकता है?
|
राजस्थान राज्य बनाम रमेश (1989)
|
किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि साक्ष्य अपर्याप्त होने पर अभियुक्त को रिहा किया जा सकता है?
|
जगन्नाथ बनाम बिहार राज्य (1995)
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किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त की रिहाई से पहले अदालत को साक्ष्य पर विचार करना चाहिए?
|
हरियाणा राज्य बनाम बलवान सिंह (1998)
|
अगर एक आरोपी के खिलाफ केवल संदेहपूर्ण साक्ष्य हैं और जांच में कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं, तो अदालत क्या निर्णय ले सकती है?
|
आरोपी को रिहा कर दिया जाएगा
|
धारा 189 के तहत साक्ष्य अपर्याप्त होने पर अभियुक्त को रिहा किए जाने के बाद क्या प्रक्रिया होती है?
|
अभियुक्त को उच्च न्यायालय में अपील दायर करने का अधिकार होता है
|
धारा 190 किससे संबंधित है?
|
जब साक्ष्य पर्याप्त है तब मामलों का मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया जाना
|
धारा 190 के तहत, साक्ष्य पर्याप्त होने पर किसे मामले को मजिस्ट्रेट के पास भेजने का अधिकार होता है?
|
पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट
|
मजिस्ट्रेट के पास भेजे गए मामलों में, अगर साक्ष्य अपर्याप्त हो, तो मजिस्ट्रेट क्या कर सकते हैं?
|
मामले को बंद कर सकते हैं
|
धारा 190 के अनुसार, साक्ष्य पर्याप्त होने पर पुलिस द्वारा भेजे गए मामलों में, मजिस्ट्रेट का क्या कार्य होता है?
|
साक्ष्य की जांच करना
|
किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि जब साक्ष्य पर्याप्त हो, तब मामले को मजिस्ट्रेट के पास भेजा जा सकता है?
|
के.के. वर्मा बनाम दिल्ली राज्य (1986)
|
किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि साक्ष्य के पर्याप्त होने पर मामले को मजिस्ट्रेट के पास भेजने का आदेश दिया गया?
|
रमेश कुमार बनाम पंजाब राज्य (2000)
|
किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि जब साक्ष्य पर्याप्त होते हैं, तो मजिस्ट्रेट को मामले की सुनवाई करनी चाहिए?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम पी.आर. कामत (1997)
|
किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि साक्ष्य के आधार पर मामले को मजिस्ट्रेट के पास भेजना आवश्यक होता है?
|
अशोक कुमार बनाम हरियाणा राज्य (1992)
|
यदि एक पुलिस अधिकारी किसी अपराधी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत करता है, तो क्या होगा?
|
मामला मजिस्ट्रेट के पास भेजा जाएगा
|
धारा 190 के तहत, साक्ष्य के पर्याप्त होने पर पुलिस क्या कर सकती है?
|
मामले को मजिस्ट्रेट के पास भेज सकती है
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परिवादी और साक्षियों से पुलिस अधिकारी के साथ जाने की अपेक्षा न किया जाना और उनका अवरुद्ध न किया जाना किससे संबंधित है?
|
धारा 191
|
धारा 191 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता का मुख्य उद्देश्य क्या है?
|
साक्षियों की रक्षा करना और उन्हें अनावश्यक रूप से न बुलाना
|
यदि कोई व्यक्ति साक्ष्य देने से रोके जा रहा है, तो यह किसका उल्लंघन है?
|
धारा 191
|
क्या पुलिस अधिकारी किसी परिवादी को अनिवार्य रूप से थाने बुला सकता है?
|
नहीं, सिवाय विशेष कारणों के
|
धारा 191 के अंतर्गत कौन सुरक्षित माना गया है?
|
परिवादी और साक्षी
|
किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि पुलिस को पूछताछ के लिए बुलाने से पहले कारण बताना आवश्यक है?
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जोगिंदर कुमार बनाम यूपी राज्य (1994)
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किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि गिरफ्तारी के समय अधिकारों की जानकारी देना आवश्यक है?
|
डी.के बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (1997)
|
किस मामले के अनुसार साक्षियों की सुरक्षा क्यों आवश्यक मानी गई क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया साक्षी पर आधारित होती है?
|
शीला बरसे बनाम महाराष्ट्र राज्य (1983)
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किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि साक्षियों के साथ पुलिस को अच्छा व्यवहार करना चाहिए?
|
गुजरात राज्य बनाम किशनभाई (2014)
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किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि पुलिस को साक्षी से उचित सम्मान और व्यवहार करना चाहिए?
|
स्वाति वर्मा बनाम राजस्थान राज्य
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यदि एक महिला साक्षी को पुलिस बिना कारण बार-बार थाने बुला रही है, तो कौन-सी धारा का उल्लंघन हो रहा है?
|
धारा 191
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एक अभियुक्त साक्षी को धमका रहा है कि वह पुलिस को बयान न दे। यह किसका उल्लंघन है?
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धारा 191 का
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धारा 192 किससे संबंधित है?
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अन्वेषण में कार्यवाहियों की डायरी
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धारा 192 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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अन्वेषण की पारदर्शिता और प्रमाणिकता सुनिश्चित करना
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अन्वेषण डायरी किसके द्वारा लिखी जाती है?
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अन्वेषण करने वाला पुलिस अधिकारी
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डायरी में क्या अंकित किया जाना आवश्यक नहीं है?
|
गवाहों के बयानों की प्रति
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अन्वेषण डायरी का उपयोग न्यायालय में किस प्रयोजन के लिए किया जा सकता है?
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मजिस्ट्रेट द्वारा संदर्भ के लिए
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क्या अभियुक्त को अन्वेषण डायरी का निरीक्षण करने का अधिकार है?
|
केवल मजिस्ट्रेट की अनुमति से
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पुलिस डायरी की प्रविष्टियाँ किस प्रकार की होती हैं?
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दिन-प्रतिदिन की कार्यवाही
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किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि डायरी न्यायालय की सहायता के लिए होती है?
|
शिव लाल बनाम राजस्थान राज्य
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किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि पुलिस डायरी ट्रायल कोर्ट केवल संदर्भ हेतु प्रयोग कर सकता है?
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सिद्धार्थ वशिष्ठ मनु शर्मा बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली)
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किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि डायरी को अभियुक्त को नहीं दिखाया जा सकता है?
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मुकुंद लाल बनाम भारत संघ
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किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि पुलिस डायरी का महत्व यह है कि न्यायालय के विवेक में सहायक दस्तावेज?
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भगवंत सिंह बनाम पुलिस आयुक्त
|
यदि पुलिस अधिकारी किसी भी कार्यवाही को डायरी में अंकित नहीं करता है, तो इसका क्या प्रभाव होगा?
|
अन्वेषण अमान्य माना जा सकता है
|
मजिस्ट्रेट ने अन्वेषण डायरी में कुछ विरोधाभास पाए, वह क्या कर सकता है?
|
डायरी की प्रविष्टियों को संदिग्ध मानकर आदेश दे सकता है
|
यदि बचाव पक्ष पुलिस डायरी को देखना चाहता है, तो वह किस माध्यम से देख सकता है?
|
मजिस्ट्रेट की अनुमति
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अन्वेषण डायरी का संरक्षण किसकी जिम्मेदारी होती है?
|
अन्वेषण करने वाले अधिकारी की
|
धारा 193 किससे संबंधित है?
|
अन्वेषण समाप्त जाने पर पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट
|
धारा 193 के अंतर्गत रिपोर्ट किसे सौंपी जाती है?
|
मजिस्ट्रेट को
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पुलिस अधिकारी द्वारा धारा 193 के तहत दी गई रिपोर्ट क्या कहलाती है?
|
अंतिम रिपोर्ट या चार्जशीट
|
यदि पुलिस यह पाती है कि अपराध नहीं हुआ है, तो वह क्या रिपोर्ट प्रस्तुत करती है?
|
क्लोजर रिपोर्ट
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कौन-सी रिपोर्ट धारा 193 के अंतर्गत नहीं आती है?
|
गिरफ्तारी रिपोर्ट
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क्या मजिस्ट्रेट पुलिस द्वारा दायर रिपोर्ट को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है?
|
हाँ, विवेकाधिकार से
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किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि मजिस्ट्रेट को शिकायतकर्ता को सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य है?
|
भगवंत सिंह बनाम पुलिस आयुक्त
|
किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि जांच अधिकारियों को समय पर चार्जशीट प्रस्तुत करनी चाहिए
|
गुजरात राज्य बनाम किशनभाई
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मजिस्ट्रेट पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता, के लिए प्रसिद्ध केस है?
|
अभिनंदन झा बनाम दिनेश मिश्रा
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अंतरराष्ट्रीय मामलों में जांच की प्रक्रिया से संबंधित केस है?
|
भारत संघ बनाम प्रकाश पी. हिंदुजा
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यदि पुलिस अधिकारी जांच के बाद यह निष्कर्ष निकालता है कि अभियुक्त दोषी है, तो वह क्या करेगा?
|
दोषारोपण रिपोर्ट (चार्जशीट) मजिस्ट्रेट को भेजेगा
|
यदि मजिस्ट्रेट को चार्जशीट में कोई त्रुटि प्रतीत होती है, तो वह क्या कर सकता है?
|
रिपोर्ट को खारिज कर सकता है और पुलिस को दोबारा जांच का निर्देश दे सकता है
|
क्या मजिस्ट्रेट क्लोजर रिपोर्ट को अस्वीकार कर स्वत: संज्ञान ले सकता है?
|
हाँ
|
यदि मजिस्ट्रेट क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करता है, तो क्या अभियोजन समाप्त माना जाएगा?
|
नहीं, पीड़ित पुनः शिकायत दर्ज कर सकता है
|
धारा 194 किससे संबंधित है?
|
आत्महत्या, आदि पर पुलिस का जांच करना और रिपोर्ट देना
|
धारा 194 का उद्देश्य किस प्रकार की मृत्यु से संबंधित है?
|
आत्महत्या, संदेहास्पद, हिरासत में या दहेज मृत्यु
|
यदि कोई महिला विवाह के 7 वर्षों के भीतर संदेहास्पद परिस्थिति में मर जाती है, तो पुलिस को क्या करना चाहिए?
|
मजिस्ट्रेट को सूचित कर जांच करना
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धारा 194 के अंतर्गत कौन-सी संस्थान को सूचना देना अनिवार्य है?
|
कार्यपालिक मजिस्ट्रेट
|
क्या धारा 194 के तहत मजिस्ट्रेट को मृत शरीर का निरीक्षण करने का अधिकार है?
|
हाँ, यदि आवश्यक समझे
|
दहेज हत्या की स्थिति में जांच की निगरानी कौन करता है?
|
कार्यपालिक मजिस्ट्रेट
|
किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि दहेज मृत्यु में मजिस्ट्रेट जांच आवश्यक है?
|
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम संतोष कुमार
|
किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि हिरासत में मौत पर मजिस्ट्रेट जांच की अनिवार्य है?
|
पंचाभाई पोपटभाई बनाम महाराष्ट्र राज्य
|
दहेज मृत्यु की रिपोर्टिंग प्रक्रिया से संबंधित केस है?
|
विशाखा बनाम राजस्थान राज्य
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हिरासत में मौत का मामला – पुलिस हिरासत में मृत्यु की स्वतंत्र जांच आवश्यक है कोर्ट ने निर्देश दिए?
|
डीके बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
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एक महिला की मृत्यु विवाह के 5 वर्षों के भीतर आग से जलकर हुई है। पुलिस क्या करेगी?
|
मजिस्ट्रेट को सूचित कर धारा 194 के अंतर्गत जांच करेगी
|
एक व्यक्ति की हिरासत में मृत्यु हो जाती है। धारा 194 के अनुसार कौन जिम्मेदार होगा जांच कराने के लिए?
|
मजिस्ट्रेट
|
मजिस्ट्रेट को पुलिस की रिपोर्ट कब तक प्राप्त होनी चाहिए?
|
जैसे ही सूचना मिले
|
दहेज मृत्यु की जांच में कौन-कौन शामिल हो सकता है?
|
कार्यपालिक मजिस्ट्रेट
पुलिस उपनिरीक्षक मेडिकल अधिकारी
|
धारा 195 किससे संबंधित है?
|
व्यक्तियों को समन करने की शक्ति
|
कौन धारा 195 के अंतर्गत किसी व्यक्ति को समन कर सकता है?
|
अन्वेषण कर रहा पुलिस अधिकारी
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क्या धारा 195 के अंतर्गत समनित व्यक्ति को अनिवार्य रूप से उपस्थित होना होगा?
|
हाँ
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धारा 195 के अंतर्गत समन करने का उद्देश्य क्या है?
|
गवाह या साक्ष्य एकत्र करना
|
समन किस प्रकार जारी किया जा सकता है?
|
लिखित आदेश द्वारा
|
किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि पुलिस समन दे सकती है लेकिन जबरदस्ती नहीं कर सकती
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भगवान सिंह बनाम पंजाब राज्य
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किस निर्णय में धारा 195 के संदर्भ में विचार रखे गए-
I. समन केवल आपराधिक मामलों में लागू होता है
II. समन देने के लिए अन्वेषण का होना आवश्यक है
पुलिस को बिना कारण समन का अधिकार नहीं
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हरियाणा राज्य बनाम भजन लाल
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किस निर्णय में अनुच्छेद 20(3) (स्वयं के विरुद्ध गवाही न देने का अधिकार) की व्याख्या की गई जो धारा 195 के समन से जुड़ा है?
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नंदिनी सत्पथी बनाम पी.एल. दानी
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यदि कोई व्यक्ति समन का पालन नहीं करता है, तो पुलिस क्या कर सकती है?
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अदालत से वारंट जारी करवा सकती है
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क्या धारा 195 के तहत आरोपी को भी समन किया जा सकता है?
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हाँ, साक्ष्य के लिए
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समनित व्यक्ति को किन कारणों से बुलाया जा सकता है?
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पूछताछ दस्तावेजी साक्ष्य लाने हेतु घटना की पुष्टि हेतु
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समन का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति पर कौन सी कार्रवाई हो सकती है?
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जमानती वारंट जारी किया जा सकता है
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क्या पुलिस अधिकारी समन भेजने के लिए न्यायालय की पूर्व अनुमति लेता है?
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केवल गंभीर मामलों में
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यदि समन भेजा गया व्यक्ति महिला है, तो क्या कोई विशेष प्रावधान है?
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उसे थाने नहीं बुलाया जा सकता बिना विशेष कारण के
(नंदिनी सत्पथी केस के संदर्भ में)
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अध्याय 14
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जांचों और विचारणों में दंड न्यायालयों की अधिकारिता
(Jurisdiction Of the Criminal Courts in Inquiries and Trials)
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धारा 196 किससे संबंधित है?
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मृत्यु के कारण की मजिस्ट्रेट द्वारा जांच
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धारा 196 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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मृत्यु के कारणों की जांच करना
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कौन सी स्थिति धारा 196 के तहत मजिस्ट्रेट जांच के लिए उपयुक्त मानी जाती है?
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पुलिस हिरासत में मृत्यु
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धारा 196 के अनुसार मजिस्ट्रेट किस स्थिति में अनिवार्य रूप से जांच करेगा?
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न्यायिक हिरासत में मृत्यु हो
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धारा 196 के तहत मजिस्ट्रेट की जांच किस प्रकार होती है?
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न्यायिक प्रकृति की
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क्या मजिस्ट्रेट को धारा 196 के तहत स्वप्रेरणा से जांच का अधिकार है?
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हाँ
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हिरासत में मृत्यु पर न्यायिक जांच किससे संबंधित है?
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नीलाबती बेहरा बनाम उड़ीसा राज्य
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किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत में मृत्यु के मामलों में मजिस्ट्रेट जांच अनिवार्य है का निर्देश दिया?
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पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज बनाम महाराष्ट्र राज्य
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यदि कोई महिला 7 साल के भीतर ससुराल में जलकर मरती है, तो धारा 196 के तहत क्या किया जाएगा?
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मजिस्ट्रेट द्वारा विशेष जांच
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यदि किसी व्यक्ति की मौत पुलिस लॉकअप में हो जाती है, तो किसे जांच करनी होगी?
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कार्यपालिका मजिस्ट्रेट
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यदि मजिस्ट्रेट को संदेह हो कि मौत आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या है, तो वह क्या कर सकता है?
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विस्तृत न्यायिक जांच कर सकता है
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क्या मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट अंतिम होती है?
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नहीं, उस पर आगे जांच संभव है
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धारा 197 किससे संबंधित है?
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जांच और विचारण का मामूली स्थान
(Ordinary place of inquiry and trial)
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धारा 197 का उद्देश्य क्या है?
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अपराध की जांच और विचारण के लिए स्थान निर्धारित करना
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सामान्य रूप से अपराध का विचारण किस न्यायालय में होता है?
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जहाँ अपराध किया गया हो
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यदि किसी अपराध की घटना दो अलग-अलग स्थानों पर हुई है, तो मामला कहाँ चलाया जा सकता है?
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दोनों स्थानों में से किसी एक पर
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यदि अपराध का स्थान ज्ञात नहीं है, तो विचारण कहाँ हो सकता है?
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अभियुक्त के निवास स्थान पर
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यदि अपराध एक रेल यात्रा के दौरान हुआ, तो विचारण कहाँ किया जा सकता है?
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यात्रा के किसी भी भाग के दौरान जहाँ ट्रेन गुज़री हो
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कौन सा केस अपराध के स्थान के आधार पर विचारण सिद्धांत को स्पष्ट करता है?
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आंध्र प्रदेश राज्य बनाम चीमालापति गणेश्वर राव
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किस मामले में चेक बाउंस मामलों के अंतर्गत सुनवाई के स्थान का अधिकार क्षेत्र पर ज़ोर दिया गया?
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के. भास्करन बनाम शंकरन वैध्यन बालन (1999)
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एक व्यक्ति A ने दिल्ली में एक व्यक्ति B को फोन पर धोखा दिया, लेकिन B मुंबई में था। विचारण कहाँ हो सकता है?
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दिल्ली या मुंबई में
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यदि किसी ने चोरी एक ट्रेन में की जो बिहार से बंगाल जा रही थी, तो विचारण कहाँ हो सकता है?
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बिहार या बंगाल किसी में भी
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यदि अपराधकर्ता का निवास स्थान ज्ञात है, लेकिन अपराध का स्थान अज्ञात है, तो विचारण कहाँ होगा?
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न्यायालय अपराधी के निवास स्थान पर विचारण कर सकता है
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धारा 198 किस विषय से संबंधित है?
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जांच या विचारण का स्थान
(Place of inquiry or trial)
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यदि कोई अपराध एक से अधिक स्थानों पर घटित हुआ हो, तो विचारण कहाँ किया जा सकता है?
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किसी एक स्थान पर जहाँ अपराध घटित हुआ हो
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अपराध की योजना एक स्थान पर बनी और क्रियान्वयन दूसरे स्थान पर हुआ, तो विचारण कहाँ हो सकता है?
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दोनों में से किसी स्थान पर
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यदि अपराध की शुरुआत एक राज्य में और समाप्ति दूसरे राज्य में हुई हो, तो मामला कहाँ चलाया जा सकता है?
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दोनों में से किसी भी राज्य में
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कौन सा केस अधिकार क्षेत्र सिद्धांत से जुड़ा है?
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बिहार राज्य बनाम देवकरण नेन्शी (1972)
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एक व्यक्ति ने ईमेल के माध्यम से धोखा दिया, जो चेन्नई से भेजा गया और हैदराबाद में प्राप्त हुआ। विचारण कहाँ होगा?
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चेन्नई या हैदराबाद में
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यदि एक ही अपराध विभिन्न न्यायिक क्षेत्रों में प्रभाव डालता है, तो किस न्यायालय में विचारण हो सकता है?
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किसी भी प्रभावित क्षेत्र के न्यायालय में
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धारा 199 किससे संबंधित है?
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अपराध वहां विचारणीय होगा जहां कार्य किया गया या जहां परिणाम निकला
(Offence triable where act is done or consequence ensues)
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अपराध का परिणाम यदि एक से अधिक स्थानों पर होता है, तो विचारण कहाँ हो सकता है?
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किसी भी ऐसे स्थान पर जहाँ परिणाम घटित हुआ
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किस मामले में प्रादेशिक क्षेत्राधिकार पर आधारित अपराध विचारण सिद्धांत की पुष्टि हुई थी?
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के.बी. नागूर बनाम भारत संघ (2009)
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धारा 200 किससे संबंधित है?
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जहां कार्य अन्य अपराध से संबंधित होने के कारण अपराध है। वहां विचारण का स्थान
(Place of trial where act is an offence by reason of relation to other offence)
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यदि कोई कार्य अपने आप में अपराध नहीं है, परंतु किसी अन्य अपराध से संबंधित होने पर अपराध बनता है, तो विचारण कहाँ हो सकता है?
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जहाँ संबंधित अपराध घटित हुआ
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जब कार्य अन्य अपराध से जुड़ा हो, तो विचारण संबंधित अपराध के स्थान पर हो सकता है सिद्धांत स्थापित किया गयाI
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पुरूषोत्तम दास डालमिया बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (1961)
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षड़यंत्र से जुड़े मामलों में विचारण का स्थान आधार पर महत्त्वपूर्ण है?
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आर. बनाम ब्रिसैक केस (1803)
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धारा 200 का उद्देश्य क्या है?
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ऐसे अपराधों का न्याय सुनिश्चित करना जो अन्य अपराध से जुड़कर ही अपराध बनते हैं
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धारा 201 का मुख्य विषय क्या है?
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कुछ अपराधों की दशा में विचारण का स्थान
(Place of trial in case of certain offences)
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धारा 201 के अनुसार, अपराधों के विचारण का स्थान किस परिस्थिति पर निर्भर करता है?
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जहाँ अपराध हुआ या जहाँ से परिणाम उत्पन्न हुआ
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धारा 201 के तहत कौन-सा अपराध विचारण के लिए विशेष प्रावधानों के अंतर्गत आता है?
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ऐसे सभी अपराध जो एक से अधिक स्थानों से संबंधित हों
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निर्णय में विचारण का स्थान निर्धारित करने हेतु जहाँ अपराध से परिणाम हुआ वहीं विचारण होगा महत्वपूर्ण निर्णय किस मामले मेंलिया गया?
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मध्य प्रदेश राज्य बनाम रमेश (2022)
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कौन-सा निर्णय विचारण के स्थान पर न्यायालय की विवेकाधीन शक्ति को स्पष्ट करता है?
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सतविंदर कौर बनाम राज्य (1999)
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किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपराध की दोनों जगहें विचारण हेतु उपयुक्त हो सकती हैं, निर्णय दिया था?
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राजीव मोदी बनाम संजय जैन (2005)
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धारा 201 के प्रावधान किस प्रकार के अपराधों पर लागू होते हैं?
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बहु-स्थानीय प्रभाव वाले अपराध
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धारा 202 किससे संबंधित है?
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इलैक्ट्रानिक संसूचना के साधनों, पत्रों, आदि द्वारा किए गए अपराध
(Offences committed by means of electronic communications, letters, etc)
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धारा 202 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से धोखाधड़ी करता है, तो मामले की जांच किस न्यायालय द्वारा की जा सकती है?
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जहाँ से संदेश भेजा गया था
जहाँ संदेश प्राप्त किया गया था
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धारा 202(2) के अंतर्गत, भारतीय न्याय संहिता, 2023 की किस धारा के तहत दंडनीय अपराधों की जांच की जा सकती है?
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धारा 82
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यदि कोई व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से किसी को संपत्ति देने के लिए प्रेरित करता है, तो मामले की सुनवाई कहाँ हो सकती है?
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जहाँ धोखा खाए व्यक्ति ने संपत्ति दी थी
जहाँ आरोपी ने संपत्ति प्राप्त की थी
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धारा 202 में "इलेक्ट्रॉनिक संचार" में कौन-कौन से माध्यम शामिल हैं?
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ईमेल टेक्स्ट संदेश टेलीकम्युनिकेशन संदेश
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यदि A, जो दिल्ली में रहता है, मुंबई में रहने वाले B को फर्जी व्यापार अवसर के नाम पर ईमेल भेजकर धोखा देता है, तो मामला किस न्यायालय में लाया जा सकता है?
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दिल्ली या मुंबई दोनों में
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धारा 202 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति दूसरी शादी करते हुए पहली पत्नी को छोड़कर कानून तोड़ता है, तो मामला कहाँ दर्ज किया जा सकता है?
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जहाँ अपराध किया गया था जहाँ अपराधी अपनी पहली पत्नी के साथ आखिरी बार रहता था जहाँ पहली पत्नी अब स्थायी रूप से रहती है
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धारा 202 किस पुराने कानून की धारा के समतुल्य है?
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धारा 182
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धारा 202 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति व्हाट्सएप के माध्यम से धोखाधड़ी करता है, तो मामला किस न्यायालय में लाया जा सकता है?
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जहाँ से संदेश भेजा गया था जहाँ संदेश प्राप्त किया गया था
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धारा 202 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति टेलीफोन कॉल के माध्यम से धोखाधड़ी करता है, तो मामला किस न्यायालय में लाया जा सकता है?
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जहाँ से कॉल की गई थी जहाँ कॉल प्राप्त की गई थी
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धारा 202 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति दूसरी शादी करते हुए पहली पत्नी को छोड़कर कानून तोड़ता है, और वह पुणे में अपनी पहली पत्नी के साथ रह रहा था, लेकिन पत्नी अब हैदराबाद में स्थायी रूप से रहने लगी है, तो मामला कहाँ दर्ज किया जा सकता है?
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पुणे या हैदराबाद दोनों में
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धारा 203 के अंतर्गत, यदि कोई अपराध यात्रा के दौरान होता है, तो किस न्यायालय को उस अपराध की जांच या विचारण का अधिकार है?
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उन सभी स्थानों के न्यायालय जहाँ से व्यक्ति या वस्तु यात्रा के दौरान गुजरी
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यदि एक व्यक्ति दिल्ली से मुंबई की यात्रा के दौरान ट्रेन में अपराध करता है, तो किस स्थान का न्यायालय उस पर विचार कर सकता है?
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दिल्ली, मुंबई और यात्रा के दौरान आने वाले अन्य स्थानों के न्यायालय
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धारा 203 किस प्रकार के अपराधों से संबंधित है?
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यात्रा या जलयात्रा के दौरान किए गए अपराध
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यदि कोई अपराध यात्रा के दौरान होता है, तो किस आधार पर न्यायालय की अधिकारिता निर्धारित की जाती है?
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यात्रा के दौरान व्यक्ति या वस्तु के गुजरने वाले स्थान
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धारा 203 का उद्देश्य क्या है?
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यात्रा के दौरान अपराधों की जांच और विचारण के लिए न्यायालय की अधिकारिता निर्धारित करना
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मान लीजिए, एक व्यक्ति ट्रेन से दिल्ली से मुंबई की यात्रा कर रहा है और उत्तर प्रदेश में एक अपराध करता है। इस स्थिति में, किस स्थान का न्यायालय उस अपराध पर विचार कर सकता है?
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दिल्ली, मुंबई और उत्तर प्रदेश
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यदि एक जहाज भारत से किसी अन्य देश की यात्रा पर है और यात्रा के दौरान एक अपराध होता है, तो किस न्यायालय को उस अपराध की जांच का अधिकार है?
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भारत और उस देश दोनों के न्यायालय
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एक व्यक्ति बस से यात्रा कर रहा है और यात्रा के दौरान एक अपराध करता है। यदि बस कई राज्यों से होकर गुजरती है, तो किस राज्य का न्यायालय उस अपराध पर विचार कर सकता है?
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उन सभी राज्यों के न्यायालय जहाँ से बस गुजरी
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यदि कोई अपराध यात्रा के दौरान होता है, लेकिन अपराध का स्थान स्पष्ट नहीं है, तो किस न्यायालय को उस पर विचार करने का अधिकार है?
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उन सभी न्यायालयों को जहाँ से यात्रा के दौरान व्यक्ति या वस्तु गुजरी
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धारा 203 के अंतर्गत, "वस्तु" से क्या अभिप्रेत है?
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व्यक्ति या वस्तु दोनों
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धारा 204 किससे संबंधित है?
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एक साथ विचारणीय अपराधों के लिए विचारण का स्थान
(Place of trial for offences triable together)
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धारा 204 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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एक साथ विचारणीय अपराधों के लिए विचारण के स्थान को निर्धारित करना
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यदि एक व्यक्ति द्वारा किए गए अपराधों के लिए धारा 242, 243 या 244 के अंतर्गत एक ही विचारण में आरोप लगाया जा सकता है, तो उन अपराधों की जांच या विचारण किस न्यायालय द्वारा की जा सकती है?
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उस न्यायालय द्वारा जो उन अपराधों में से किसी एक की जांच या विचारण करने के लिए सक्षम है
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धारा 204 किन धाराओं के अंतर्गत अपराधों के लिए लागू होती है?
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धारा 242, 243 और 244
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धारा 204 का लाभ क्या है?
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एक साथ विचारणीय अपराधों की सुनवाई को सरल बनाना
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यदि एक व्यक्ति ने एक ही लेन-देन में धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक विश्वासघात जैसे अपराध किए हैं, तो इन अपराधों की सुनवाई किस न्यायालय में की जा सकती है?
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उस न्यायालय में जो इन अपराधों में से किसी एक की जांच या विचारण करने के लिए सक्षम है
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यदि दो व्यक्तियों ने मिलकर एक ही अपराध किया है, तो उनके खिलाफ सुनवाई किस न्यायालय में की जा सकती है?
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उस न्यायालय में जो उस अपराध की जांच या विचारण करने के लिए सक्षम है
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यदि एक व्यक्ति ने बारह महीनों के भीतर पांच बार चोरी की है, तो इन सभी मामलों की सुनवाई किस न्यायालय में की जा सकती है?
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उस न्यायालय में जो इन अपराधों में से किसी एक की जांच या विचारण करने के लिए सक्षम है
|
यदि एक व्यक्ति ने एक ही श्रृंखला में जुड़े कार्यों में कई अपराध किए हैं, तो इन अपराधों की सुनवाई किस न्यायालय में की जा सकती है?
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उस न्यायालय में जो इन अपराधों में से किसी एक की जांच या विचारण करने के लिए सक्षम है
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यदि एक ही कार्य या कार्यों की श्रृंखला कई संभावित अपराधों की ओर इशारा करती हो और यह स्पष्ट न हो कि तथ्य किस अपराध का समर्थन करेंगे, तो आरोपी को कैसे आरोपित किया जा सकता है?
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सभी संभावित अपराधों के लिए
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धारा 205 किससे संबंधित है?
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विभिन्न सेशन खंडों में मामलों के विचारण का आदेश देने की शक्ति
(Power to order cases to be tried in different sessions divisions)
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धारा 205 के अंतर्गत किसे यह शक्ति प्राप्त है कि वह किसी मामले को एक सेशन खंड से दूसरे सेशन खंड में स्थानांतरित कर सके?
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राज्य सरकार
|
धारा 205 के अनुसार, राज्य सरकार किस प्रकार के मामलों को स्थानांतरित कर सकती है?
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किसी भी मामले या मामलों की श्रेणी को
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धारा 205 के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा दिए गए आदेश की वैधता किन परिस्थितियों में सीमित हो सकती है?
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यदि आदेश उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में जारी किसी निर्देश के प्रतिकूल हो
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धारा 205 का उद्देश्य क्या है?
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मामलों के त्वरित निपटान के लिए लचीलापन प्रदान करना
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यदि राज्य सरकार धारा 205 के तहत कोई मामला स्थानांतरित करती है, तो क्या वह उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व आदेशों को अनदेखा कर सकती है?
|
नहीं, राज्य सरकार का आदेश उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व आदेशों के प्रतिकूल नहीं होना चाहिए
|
यदि किसी अभियुक्त के खिलाफ मामला जिला A में दर्ज है, लेकिन निष्पक्ष सुनवाई की संभावना नहीं है, तो राज्य सरकार धारा 205 के तहत क्या कर सकती है?
|
मामला किसी अन्य सेशन खंड में स्थानांतरित किया जा सकता है
|
यदि उच्च न्यायालय ने किसी मामले को सेशन खंड X में चलाने का निर्देश दिया है, तो क्या राज्य सरकार धारा 205 के तहत उसे सेशन खंड Y में स्थानांतरित कर सकती है?
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हाँ, यदि राज्य सरकार उचित समझे नहीं, क्योंकि यह उच्च न्यायालय के निर्देश के प्रतिकूल होगा हाँ, यदि अभियुक्त सहमत हो
|
राज्य सरकार ने धारा 205 के तहत मामला एक सेशन खंड से दूसरे में स्थानांतरित किया। उच्च न्यायालय ने- स्थानांतरण वैध था क्योंकि यह निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए था निर्णय दिया?
|
'राजेश कुमार बनाम राज्य'
|
धारा 206 किससे संबंधित है?
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संदेह की दशा में उच्च न्यायालय का वह जिला विनिश्चित करना, जिसमें जांच या विचारण होगा
(High Court to decide, in case of doubt, district where inquiry or trial shall take place)
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धारा 206 के अंतर्गत, यदि किसी अपराध की जांच या विचारण के लिए उपयुक्त जिला स्पष्ट नहीं है, तो कौन निर्णय लेता है?
|
उच्च न्यायालय
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धारा 206 का उद्देश्य क्या है?
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जांच या विचारण के उपयुक्त जिले का निर्धारण करना जब संदेह हो
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धारा 206 के अंतर्गत उच्च न्यायालय किस परिस्थिति में जिले का निर्धारण करता है?
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जब अपराध के स्थान को लेकर संदेह हो
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धारा 206 के अंतर्गत उच्च न्यायालय द्वारा किए गए जिले के निर्धारण का प्रभाव क्या होता है?
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यह बाध्यकारी होता है और संबंधित न्यायालयों को पालन करना होता है
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यदि उच्च न्यायालय ने धारा 206 के तहत किसी जिले का निर्धारण कर दिया है, तो क्या उस निर्णय के विरुद्ध अपील की जा सकती है?
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हाँ, सर्वोच्च न्यायालय में
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यदि एक अपराध दो जिलों की सीमा पर हुआ है और यह स्पष्ट नहीं है कि किस जिले में विचारण होना चाहिए, तो धारा 206 के अंतर्गत क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी?
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उच्च न्यायालय उपयुक्त जिले का निर्धारण करेगा
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यदि पुलिस को यह स्पष्ट नहीं है कि अपराध किस जिले में हुआ है, तो वे किससेमार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं?
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उच्च न्यायालय
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उच्च न्यायालय ने धारा 206 के अंतर्गत मामला उस जिले में चलेगा जहाँ अधिक साक्ष्य उपलब्ध हैं निर्देश दिया?
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राजेश कुमार बनाम राज्य
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धारा 207 किससे संबंधित है?
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स्थानीय अधिकारिता के परे किए गए अपराध के लिए समन या वारंट जारी करने की शक्ति
(Power to issue summons or warrant for offence committed beyond local jurisdiction)
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धारा 207 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य क्षेत्र में अपराध करता है, तो प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट क्या कर सकते हैं?
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उस व्यक्ति के विरुद्ध समन या वारंट जारी कर सकते हैं
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धारा 207 के अनुसार, मजिस्ट्रेट किस स्थिति में अपराध की जांच कर सकते हैं, भले ही वह उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर हुआ हो?
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जब अपराध भारत में विचारणीय हो
|
धारा 207 के अंतर्गत, यदि अपराध भारत के बाहर हुआ है, तो क्या मजिस्ट्रेट कार्रवाई कर सकते हैं?
|
हाँ, यदि अपराध भारतीय कानून के तहत विचारणीय हो
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धारा 207 के अंतर्गत, मजिस्ट्रेट किस स्थिति में अभियुक्त को जमानत पर छोड़ सकते हैं?
|
जब अपराध मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय न हो जब अभियुक्त जमानत देने के लिए तैयार हो जब मजिस्ट्रेट संतुष्ट हों कि अभियुक्त पेश होगा
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धारा 207 के अंतर्गत, मजिस्ट्रेट किसे भेज सकते हैं?
|
अभियुक्त को उस मजिस्ट्रेट के पास भेज सकते हैं जिसके पास उस अपराध की विचारण की अधिकारिता है
|
यदि एक व्यक्ति ने दिल्ली में अपराध किया है, लेकिन वह मुंबई में रहता है, तो दिल्ली के मजिस्ट्रेट क्या कर सकते हैं?
|
उस व्यक्ति के विरुद्ध समन या वारंट जारी कर सकते हैं
|
यदि एक व्यक्ति ने भारत के बाहर अपराध किया है, लेकिन वह भारत में है, तो क्या भारतीय मजिस्ट्रेट कार्रवाई कर सकते हैं?
|
हाँ, यदि अपराध भारतीय कानून के तहत विचारणीय हो
|
धारा 208 किससे संबंधित है?
|
भारत से बाहर किया गया अपराध
(Offence committed outside India)
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धारा 208 के अंतर्गत, यदि कोई भारतीय नागरिक भारत के बाहर अपराध करता है, तो उसे कहाँ पर विचारणीय माना जाएगा?
|
भारत में, जहाँ वह पाया जाता है या जहाँ अपराध पंजीकृत है
|
धारा 208 के अनुसार, भारत में ऐसे अपराध की जांच या विचारण कब किया जा सकता है?
|
जब केंद्र सरकार से पूर्व अनुमति प्राप्त हो
|
धारा 208 के अंतर्गत, क्या एक विदेशी नागरिक, जो भारतीय-पंजीकृत जहाज पर अपराध करता है, भारत में विचारणीय है?
|
हाँ, यदि जहाज भारत में पंजीकृत है
|
धारा 208 के अंतर्गत, "भारत के बाहर किया गया अपराध" किसे कहा जाता है?
|
उन अपराधों को जो भारतीय नागरिकों द्वारा या भारतीय-पंजीकृत जहाजों/विमानों पर विदेश में किए गए
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धारा 208 के अंतर्गत, क्या अपराध को भारत में किया गया मानकर विचारण किया जा सकता है?
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हाँ, मानो वह भारत में ही हुआ हो
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एक भारतीय नागरिक ने फ्रांस में एक व्यक्ति पर हमला किया और भारत लौट आया। क्या भारत में उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है?
|
हाँ, लेकिन केवल केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति से
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एक अमेरिकी नागरिक ने एक भारतीय-पंजीकृत क्रूज जहाज पर चोरी की। क्या भारत में उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है?
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हाँ, लेकिन केवल केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति से
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अबू सलेम प्रत्यर्पण मामले में, कौन-सा कानूनी प्रावधान लागू हुआ था?
|
धारा 208
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धारा 209 के अंतर्गत, भारत के बाहर किए गए अपराधों के संबंध में साक्ष्य प्राप्त करने की प्रक्रिया किसके निर्देश पर होती है?
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केंद्र सरकार
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धारा 209 के अनुसार, विदेश में एकत्रित किए गए साक्ष्य को भारतीय न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए कौन-से माध्यम स्वीकार्य हैं?
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भौतिक या इलेक्ट्रॉनिक दोनों रूपों में
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धारा 209 के अंतर्गत, विदेश में किसके समक्ष दिए गए बयान या प्रस्तुत किए गए दस्तावेज भारतीय न्यायालय में साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य होते हैं?
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भारतीय राजनयिक या वाणिज्यिक प्रतिनिधि के समक्ष
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धारा 209 के अंतर्गत, भारतीय न्यायालय किस स्थिति में विदेश से प्राप्त साक्ष्य को स्वीकार कर सकता है?
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जब केंद्र सरकार निर्देश दे
|
एक भारतीय नागरिक ने दुबई में धोखाधड़ी की और भारत लौट आया। दुबई में न्यायिक अधिकारी के समक्ष गवाहों के बयान दर्ज हुए। क्या भारतीय न्यायालय इन बयानों को साक्ष्य के रूप में स्वीकार कर सकता है?
|
हाँ, यदि केंद्र सरकार निर्देश दे
|
अबू सलेम प्रत्यर्पण मामले में, पुर्तगाल से प्राप्त साक्ष्यों को भारतीय न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए कौन-सा प्रावधान लागू हुआ था?
|
धारा 209
|
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अध्याय 15
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कार्यवाहियां शुरू करने के लिए अपेक्षित शर्तें
(Conditions Requisite For Initiation Of Proceedings)
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धारा 210 किससे संबंधित है?
|
मजिस्ट्रेटों द्वारा अपराधों का संज्ञान
(Cognizance of offences by Magistrate)
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धारा 210 के अंतर्गत, कौन-से मजिस्ट्रेट अपराधों का संज्ञान ले सकते हैं?
|
प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा सशक्त द्वितीय श्रेणी मजिस्ट्रेट
|
मजिस्ट्रेट अपराध का संज्ञान किस आधार पर ले सकते हैं?
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शिकायत प्राप्त होने पर
पुलिस रिपोर्ट प्राप्त होने पर
किसी अन्य व्यक्ति से सूचना प्राप्त होने पर या स्वयं के ज्ञान पर
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धारा 210 के अनुसार, द्वितीय श्रेणी मजिस्ट्रेट को अपराधों का संज्ञान लेने का अधिकार कौन प्रदान करता है?
|
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट
|
धारा 210 के अंतर्गत, क्या मजिस्ट्रेट अभियुक्त की उपस्थिति के बिना संज्ञान ले सकते हैं?
|
हाँ
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यदि मजिस्ट्रेट ने अधिकार क्षेत्र की कमी के बावजूद संज्ञान लिया है, तो क्या वह कार्यवाही रद्द की जाएगी?
|
नहीं, यदि संज्ञान सद्भावपूर्वक लिया गया था
|
एक द्वितीय श्रेणी मजिस्ट्रेट ने एक गंभीर अपराध का संज्ञान लिया, जबकि उसे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा सशक्त नहीं किया गया था। क्या यह वैध है?
|
नहीं
|
उच्च न्यायालय ने मजिस्ट्रेट द्वारा पूर्व-मुद्रित प्रोफार्मा का उपयोग करके संज्ञान लेने के आदेश को, क्योंकि आदेश में न्यायिक विवेक का प्रयोग नहीं किया गया था रद्द किया?
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'रोशन लाल उर्फ रोशन राजभर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य'
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उच्च न्यायालय ने संज्ञान लेने की प्रक्रिया पर संज्ञान लेने का अर्थ है मजिस्ट्रेट द्वारा न्यायिक विवेक का प्रयोग, टिप्पणी की?
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'पश्चिम बंगाल राज्य बनाम अबनी कुमार बनर्जी'
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धारा 211 किससे संबंधित है?
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अभियुक्त के आवेदन पर अंतरण
(Transfer on application of accused)
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धारा 211 के अंतर्गत, अभियुक्त को किस स्थिति में मामला अन्य मजिस्ट्रेट को स्थानांतरित करने का अधिकार प्राप्त होता है?
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जब मजिस्ट्रेट धारा 210(1)(c) के तहत संज्ञान लेते हैं
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धारा 211 के अनुसार, अभियुक्त को मामला स्थानांतरित करने के लिए कब सूचित किया जाना चाहिए?
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साक्ष्य लेने से पहले
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यदि अभियुक्त मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही पर आपत्ति करता है, तो मामला किसके द्वारा अन्य मजिस्ट्रेट को स्थानांतरित किया जाता है?
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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट
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धारा 211 का उद्देश्य क्या है?
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अभियुक्त को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार प्रदान करना
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क्या धारा 211 के अंतर्गत अभियुक्त की आपत्ति के बिना भी मामला स्थानांतरित किया जा सकता है?
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हाँ, यदि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आदेश दें
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अभियुक्त ने मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही पर आपत्ति की और मामला अन्य मजिस्ट्रेट को स्थानांतरित कर दिया गया। यह प्रक्रिया किसके आदेश से हुई?
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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट
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धारा 212 किससे संबंधित है?
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मामले मजिस्ट्रेटों के हवाले करना
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धारा 212 के अंतर्गत किसे अधिकार प्राप्त है कि वह मामला किसी मजिस्ट्रेट को विचारण हेतु सौंप सके?
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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या सक्षम मजिस्ट्रेट
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यदि कोई मजिस्ट्रेट किसी मामले पर संज्ञान नहीं लेना चाहता, तो वह क्या कर सकता है?
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उसे किसी अन्य मजिस्ट्रेट को सौंप सकता है
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धारा 212 का उद्देश्य क्या है?
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मजिस्ट्रेटों के कार्यभार को बांटना
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यदि मजिस्ट्रेट प्रथम दृष्टया यह पाते हैं कि मामला दूसरे श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा सुना जाना चाहिए, तो वह क्या कर सकते हैं?
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मामला उस मजिस्ट्रेट को सौंप देंगे जो विचारण हेतु सक्षम हो
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यदि मजिस्ट्रेट को लगता है कि मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है, तो उन्हें क्या करना चाहिए?
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मामला सक्षम मजिस्ट्रेट को सौंप दें
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सुप्रीम कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के अधिकारों के संबंध में मजिस्ट्रेट को विवेकपूर्वक मामला उचित न्यायालय को सौंपना चाहिए, क्या कहा?
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'बिहार राज्य बनाम राम नरेश पांडे'
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सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि मजिस्ट्रेट द्वारा मामला स्थानांतरित करने की शक्ति न्यायिक विवेक पर, किस पर आधारित है?
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'हरदीप सिंह बनाम पंजाब राज्य'
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धारा 213 किससे संबंधित है?
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अपराधों का सेशन न्यायालयों द्वारा संज्ञान
(Cognizance of offences by Court of Session)
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सत्र न्यायालय अपराधों का संज्ञान किस प्रकार से ले सकता है?
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मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान लेकर मामला सौंपे जाने पर
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सत्र न्यायालय सीधे किसी अपराध का संज्ञान ले सकता है या नहीं?
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नहीं, केवल मजिस्ट्रेट द्वारा सौंपे जाने पर
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कौन-से अपराध आमतौर पर सत्र न्यायालय द्वारा विचारण हेतु उपयुक्त होते हैं?
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हत्या, बलात्कार, देशद्रोह जैसे गंभीर अपराध
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अगर एक अभियुक्त पर हत्या का आरोप है, तो प्रथम दृष्टया कौन संज्ञान लेता है?
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मजिस्ट्रेट
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मजिस्ट्रेट को यह मानने पर कि अपराध सत्र न्यायालय में विचारणीय है, क्या करना चाहिए?
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मामला सत्र न्यायालय को सौंप दें
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सुप्रीम कोर्ट ने किस बात को मजिस्ट्रेट द्वारा बिना कारण बताए सत्र न्यायालय को मामला सौंपा जा सकता है, स्पष्ट किया?
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'कांति भद्र शाह बनाम पश्चिम बंगाल राज्य'
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कोर्ट ने मजिस्ट्रेट जांच के बाद ही मामला सत्र न्यायालय को भेजे कहा?
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'धर्मपाल बनाम हरियाणा राज्य'
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कौन-से केस में कहा गया है मजिस्ट्रेट जांच के बाद ही संज्ञान लेकर सत्र न्यायालय को भेजे-
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'बिहार राज्य बनाम राम नरेश पांडे'
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धारा 213 का उद्देश्य क्या है?
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मजिस्ट्रेट की भूमिका के बाद गंभीर अपराधों को सत्र न्यायालय को सौंपना
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धारा 214 किससे संबंधित है?
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अपर सेशन न्यायाधीशों को हवाले किए गए मामलों पर उनके द्वारा विचारण
(Additional Sessions Judges to try cases made over to them)
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धारा 214 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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अपर सत्र न्यायाधीश को सौंपे गए मामलों का विचारण
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अपर सत्र न्यायाधीश कौन होता है?
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सत्र न्यायालय का सहायक न्यायाधीश
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धारा 214 के अंतर्गत अपर सत्र न्यायाधीश किस स्थिति में मामले का विचारण कर सकते हैं?
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यदि उन्हें सत्र न्यायाधीश द्वारा अधिकृत किया गया हो
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सत्र न्यायाधीश, धारा 214 के अनुसार, क्या कार्य कर सकता है?
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अपर सत्र न्यायाधीश को विशिष्ट मामलों के विचारण हेतु अधिकृत करना
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एक गंभीर आपराधिक मामला अपर सत्र न्यायाधीश को विचारण हेतु दिया गया है। यह किसके निर्देश पर संभव हुआ होगा?
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सत्र न्यायाधीश
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सुप्रीम कोर्ट ने सत्र न्यायाधीश द्वारा मामले के हस्तांतरण की शक्ति वैध है, स्पष्ट किया?
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'राज किशोर प्रसाद बनाम बिहार राज्य'
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यदि सत्र न्यायाधीश कोई मामला अपर सत्र न्यायाधीश को सौंपता है, तो विचारण कौन करेगा?
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अपर सत्र न्यायाधीश
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धारा 214 के अंतर्गत कौन विचारण करने हेतु प्राधिकृत कर सकता है?
|
सत्र न्यायाधीश
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क्या धारा 214 का प्रयोग केवल विशिष्ट अपराधों पर लागू होता है?
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नहीं, सभी सत्र विचारणीय अपराधों पर
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धारा 215 किससे संबंधित है?
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लोक न्याय के विरुद्ध अपराधों के लिए और साक्ष्य में दिए गए दस्तावेजों से संबंधित अपराधों के लिए लोक सेवकों के विधिपूर्ण प्राधिकार के अवमान के लिए अभियोजन
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धारा 215 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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लोक सेवकों के विधिपूर्ण प्राधिकार की रक्षा करना
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धारा 215 किन अपराधों से संबंधित है?
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लोक न्याय के विरुद्ध अपराध
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क्या किसी लोक सेवक के विधिपूर्ण आदेश की अवहेलना पर अभियोजन किया जा सकता है?
|
हाँ, यदि अधिनियम के अंतर्गत सशर्त अनुमति हो
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यदि कोई व्यक्ति न्यायालय के समक्ष दस्तावेज़ को जानबूझकर झूठा प्रस्तुत करता है, तो उस पर किस धारा के अंतर्गत अभियोजन संभव है?
|
धारा 215
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एक व्यक्ति ने न्यायालय में जानबूझकर झूठे दस्तावेज़ प्रस्तुत किए। क्या उस पर अभियोजन संभव है?
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हाँ, धारा 215 के अंतर्गत
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किसकी अनुमति के बिना किसी लोक सेवक के विधिपूर्ण कार्य की अवहेलना पर अभियोजन नहीं किया जा सकता?
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सक्षम प्राधिकारी
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क्या धारा 215 केवल सरकारी कर्मचारियों पर लागू होती है?
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नहीं, यह सभी व्यक्तियों पर लागू होती है
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किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि साक्ष्य में दिए गए झूठे दस्तावेजों पर अभियोजन केवल न्यायालय की अनुमति से ही संभव है?
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'इकबाल सिंह मारवाह बनाम मीनाक्षी मारवाह' (2005)
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क्या धारा 215 के तहत अपराध करने वाले पर सीधे अभियोजन संभव है?
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नहीं, सक्षम प्राधिकारी की अनुमति आवश्यक है
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किस स्थिति में धारा 215 के अंतर्गत अभियोजन की आवश्यकता होती है?
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जब कोई व्यक्ति लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा करता है
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क्या न्यायालय के समक्ष झूठे दस्तावेज़ देना "लोक न्याय के विरुद्ध अपराध" की श्रेणी में आता है?
|
हाँ
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धारा 216 किससे संबंधित है?
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धमकी देने आदि की दशा में साक्षियों के लिए प्रक्रिया
(Procedure for witnesses in case of threatening, etc)
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धारा 216 के अंतर्गत यदि साक्षी को धमकी दी जाती है, तो अदालत क्या कर सकती है?
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साक्षी की पहचान छिपा सकती है
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कौन सी सुविधा धारा 216 के अंतर्गत साक्षियों को प्रदान की जा सकती है?
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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग
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यदि किसी साक्षी को जान से मारने की धमकी दी जाती है, तो अदालत द्वारा कौन सी प्रक्रिया अपनाई जा सकती है?
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साक्षी को गोपनीय रखना
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साक्षी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अदालत किसका सहारा ले सकती है?
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गोपनीय सुनवाई
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सुप्रीम कोर्ट ने किस सिद्धांत पर निष्पक्ष सुनवाई और साक्षी की सुरक्षा बल दिया?
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जाहिरा हबीबुल्लाह शेख बनाम गुजरात राज्य (2004)
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सर्वोच्च न्यायालय ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साक्ष्य की अनुमति, सिद्धांत दिया?
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महाराष्ट्र राज्य बनाम डॉ. प्रफुल्ल बी.देसाई (2003)
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यौन अपराधों के मामलों में महिला गवाहों की पहचान छुपाने की अनुमति निर्देश दिये गये?
|
साक्षी बनाम भारत संघ (2004)
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किस मामले में अदालत ने यह माना कि “गवाह का भय मुक्त होकर बयान देना न्याय की आत्मा है”?
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करतार सिंह बनाम पंजाब राज्य (1994)
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यदि किसी बलात्कार के मामले में साक्षी अदालत में अभियुक्त को देखकर भयभीत हो जाती है, तो क्या उपाय किया जा सकता है?
|
साक्षी की पहचान गोपनीय रखी जाए और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की अनुमति दी जाए
|
अगर कोई व्यक्ति किसी साक्षी को धमकी देता है कि वह कोर्ट में गवाही न दे, तो उस व्यक्ति पर कौन सा अपराध लागू होगा?
|
केवल अपमानजनक व्यवहार
गवाह को प्रभावित करने का अपराध
|
गवाह की सुरक्षा से संबंधित किस अनुच्छेद के अंतर्गत ‘निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार’ सुनिश्चित किया गया है?
|
अनुच्छेद 21
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धारा 216 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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गवाहों को भयमुक्त वातावरण में साक्ष्य देना
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धारा 217 किससे संबंधित है?
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राज्य के विरुद्ध अपराधों के लिए और ऐसे अपराध करने के लिए आपराधिक षड्यंत्र के लिए अभियोजन
(Prosecution for offences against State and for criminal conspiracy to commit such offence)
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धारा 217 के अंतर्गत राज्य के विरुद्ध अपराधों के लिए अभियोजन प्रारंभ करने से पहले किसकी अनुमति आवश्यक है?
|
केंद्र या राज्य सरकार
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यदि कोई व्यक्ति भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की साजिश करता है, तो उसके खिलाफ अभियोजन से पहले क्या करना होगा?
|
केंद्र सरकार से अनुमति प्राप्त करना
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धारा 217 के अंतर्गत अनुमति किस प्रकार की होती है?
|
लिखित
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किस निर्णय में "पूर्व अनुमति" (sanction) के बिना अभियोजन को अमान्य ठहराया गया?
|
माताजोग डोबे बनाम एच.सी. भारी
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किसी भी राजद्रोह के मामले में अभियोजन प्रारंभ करने से पहले अनुमति न होने पर क्या परिणाम होगा?
|
अभियोजन अमान्य होगा
|
यदि एक व्यक्ति सोशल मीडिया पर भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध का आह्वान करता है, तो क्या धारा 217 लागू होगी?
|
हाँ, यदि सरकार की पूर्व अनुमति के बाद अभियोजन हो
|
एक पत्रकार सरकार की आलोचना करता है, क्या वह धारा 217 के अंतर्गत आता है?
|
नहीं, जब तक वह हिंसा या षड्यंत्र में न हो
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"देश विरोधी साहित्य" का प्रचार करना किस स्थिति में धारा 217 के तहत अभियोजन योग्य होगा?
|
जब साहित्य से हिंसा भड़कती हो
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क्या केंद्र सरकार धारा 217 के अंतर्गत दिए गए अभियोजन की अनुमति को अस्वीकार कर सकती है?
|
हाँ, यदि पर्याप्त साक्ष्य न हों
|
क्या धारा 217 भारतीय संविधान के किसी अनुच्छेद से प्रभावित होती है?
|
अनुच्छेद 21 – जीवन का अधिकार अनुच्छेद 19(1)(a) – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अनुच्छेद 14 – समानता का अधिकार
|
धारा 218 का संबंध किससेहै?
|
न्यायाधीशों और लोक सेवकों का अभियोजन
(Prosecution of Judges and public servants)
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धारा 218 के अनुसार किसी लोक सेवक के विरुद्ध अभियोजन करने से पहले क्या आवश्यक है?
|
सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति
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धारा 218 का उद्देश्य क्या है?
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लोक सेवकों को संरक्षण देना
|
धारा 218 के अंतर्गत "सक्षम प्राधिकारी" कौन हो सकता है?
|
संबंधित विभाग का सक्षम अधिकारी
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यदि किसी न्यायाधीश ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कोई आपराधिक कार्य किया, तो अभियोजन से पहले किसकी अनुमति लेनी होगी?
|
संबंधित सरकार/विभाग की पूर्व स्वीकृति
|
सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व अनुमति हमेशा आवश्यक नहीं कहा ?
|
माटाजोग डोबे बनाम एच.सी. भारी (1955)
|
किस मामले में मेडिकल लापरवाही को लोक सेवा नहीं माना जा सकता, स्थापित किया गया?
|
एन.के.गांगुली बनाम सीबीआई (2016)
|
सर्वोच्च न्यायालय ने कर्तव्य के दौरान किए गए कार्यों पर ही धारा 218 लागू होती है की व्याख्या दी?
|
पी.के. प्रधान बनाम सिक्किम राज्य (2001)
|
एक सरकारी डॉक्टर ड्यूटी के दौरान लापरवाही करता है जिससे किसी की मृत्यु हो जाती है। अभियोजन करने के लिए क्या आवश्यक है?
|
सरकार की पूर्व अनुमति
|
यदि कोई न्यायिक मजिस्ट्रेट जांच के दौरान व्यक्तिगत दुर्भावना से आदेश पारित करता है, तो उसके विरुद्ध अभियोजन कैसे किया जा सकता है?
|
सरकार की पूर्व अनुमति के बाद ही मुकदमा चल सकता है
|
यदि कोई पुलिस अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर गिरफ्तारी करता है, तो क्या धारा 218 लागू होगी?
|
हाँ, क्योंकि यह पद से संबंधित कार्य है
|
पूर्व अनुमति नहीं ली गई और मुकदमा चलाया गया, तो उसका क्या प्रभाव होगा?
|
अभियोजन अमान्य होगा
|
लोक सेवक की सेवा से बाहर होने के बाद भी क्या धारा 218 की पूर्व अनुमति आवश्यक होती है?
|
हाँ, यदि अपराध पद पर रहते हुए हुआ था
|
धारा 219 का संबंध किससेहै?
|
विवाह के विरुद्ध अपराधों के लिए अभियोजन
(Prosecution for offences against marriage)
|
धारा 219 के अनुसार विवाह के विरुद्ध अपराधों के अभियोजन के लिए शिकायत कौन दर्ज कर सकता है?
|
पीड़िता, माता-पिता या संरक्षक
|
क्या धारा 219 के तहत पुलिस स्वतः संज्ञान लेकर अभियोजन शुरू कर सकती है?
|
नहीं
|
विवाह के विरुद्ध अपराधों में से कौन-सा अपराध धारा 219 के अंतर्गत आता है?
|
द्विविवाह (Bigamy)
|
यदि कोई महिला शिकायत दर्ज नहीं करना चाहती, लेकिन उसकी माता चाहती है, तो क्या अभियोजन संभव है?
|
हाँ, यदि माता संरक्षक है
|
विवाह कानून महिलाओं के विरुद्ध भेदभावपूर्ण हैं, निर्णय हुआ?
|
श्रीमती सौमित्री विष्णु बनाम भारत संघ (1985)
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दूसरी पत्नी भी शिकायत कर सकती है, स्पष्ट किया?
|
रीमा अग्रवाल बनाम अनुपम (2004)
|
अदालत ने द्विविवाह में की गई शादी शून्य होती है, कहा?
|
यमुनाबाई अनंतराव आधव बनाम अनंतराव शिवराम आधव (1988)
|
एक व्यक्ति ने पहली पत्नी को बताए बिना दूसरी शादी कर ली। पहली पत्नी शिकायत दर्ज कर सकती है:
|
धारा 219 के तहत व्यक्तिगत शिकायत द्वारा
|
यदि कोई लड़की नाबालिग है और विवाह कर लिया गया है, तो शिकायत दर्ज करने का अधिकार किसे है?
|
माता-पिता या संरक्षक
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कोई व्यक्ति विवाह के नाम पर धोखा देता है, यह अपराध किस श्रेणी में आएगा?
|
विवाह के विरुद्ध अपराध
|
धारा 219 के तहत यदि शिकायतकर्ता उपलब्ध नहीं है, तो कौन अभियोजन प्रारंभ कर सकता है?
|
कोर्ट की अनुमति से कोई अन्य व्यक्ति
|
धारा 220 का संबंध किससेहै?
|
भारतीय न्याय संहिता, 2023 धारा 85 के अधीन अपराधों का अभियोजन
(Prosecution of offences under section 85 of Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023)
|
धारा 221 का संबंध किससेहै?
|
अपराध का संज्ञान
(Cognizance of offence)
|
धारा 221 के अनुसार, न्यायिक मजिस्ट्रेट अपराध का संज्ञान किसके आधार पर ले सकता है?
|
पुलिस रिपोर्ट के आधार पर
किसी व्यक्ति की शिकायत पर स्वयं संज्ञान लेकर
|
धारा 221 के अंतर्गत, किस स्तर का न्यायिक मजिस्ट्रेट संज्ञान ले सकता है?
|
केवल प्रथम श्रेणी
|
"संज्ञान लेना" का तात्पर्य है?
|
मजिस्ट्रेट द्वारा यह तय करना कि मामला सुनवाई योग्य है
|
क्या मजिस्ट्रेट बिना पुलिस रिपोर्ट के भी संज्ञान ले सकता है?
|
हाँ, स्वयं संज्ञान लेकर
|
सर्वोच्च न्यायालय ने मजिस्ट्रेट स्वतंत्र रूप से भी संज्ञान ले सकता है कहा?
|
तुला राम बनाम किशोर सिंह
(AIR 1977 SC 2401)
|
सर्वोच्च न्यायालय ने संज्ञान लेना और आरोप तय करना दो भिन्न चरण हैं, फैसला सुनाया?
|
भूषण कुमार बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली), एआईआर 2012 एससी 1747
|
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा: मजिस्ट्रेट स्वयं भ्रष्टाचार के मामलों में संज्ञान ले सकता है
|
सुब्रमण्यम स्वामी बनाम मनमोहन सिंह (2012) में
|
यदि कोई शिकायतकर्ता सीधे मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत करता है, तो मजिस्ट्रेट क्या कर सकता है?
|
स्वयं संज्ञान लेकर जांच प्रारंभ कर सकता है
|
मजिस्ट्रेट ने चार्जशीट मिलने के बाद पाया कि मामला तुच्छ है। क्या वह संज्ञान लेने से इनकार कर सकता है?
|
हाँ
|
यदि मजिस्ट्रेट धारा 221 के तहत संज्ञान लेता है, तो अगला चरण क्या होगा?
|
अभियुक्त को समन जारी करना
|
क्या मजिस्ट्रेट धारा 221 के तहत संज्ञान लेते समय पुलिस की प्राथमिक रिपोर्ट (FIR) पर ही निर्भर है?
|
नहीं, वह स्वतंत्र रूप से संज्ञान ले सकता है
|
क्या मजिस्ट्रेट संज्ञान लेने से पहले सबूतों का मूल्यांकन करता है?
|
हाँ, प्रारंभिक तौर पर प्रथम दृष्टया साक्ष्य देखता है
|
धारा 222 किससे संबंधित है?
|
मानहानि के लिए अभियोजन
(Prosecution for defamation)
|
धारा 222 के अंतर्गत किन व्यक्तियों के विरुद्ध मानहानि के लिए अभियोजन से पहले सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है?
|
राष्ट्रपति राज्यपाल न्यायिक पदाधिकारी
|
धारा 222 के अनुसार मानहानि के अभियोजन के लिए किसकी स्वीकृति अनिवार्य है?
|
उपयुक्त सरकार
|
क्या किसी सांसद की मानहानि के लिए सीधे मुकदमा चलाया जा सकता है?
|
नहीं, सरकार की स्वीकृति आवश्यक है
|
क्या धारा 222 केवल लोक सेवकों की मानहानि पर लागू होती है?
|
नहीं, यह अन्य संवैधानिक पदों पर भी लागू होती है
|
यदि कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर किसी राज्यपाल की आलोचना करता है, और मानहानि का मुकदमा दर्ज कराना चाहता है, तो क्या आवश्यक है?
|
उपयुक्त सरकार की पूर्व स्वीकृति
|
कोई पत्रकार प्रधानमंत्री के विरुद्ध एक लेख प्रकाशित करता है जिसमें झूठे आरोप हैं। अभियोजन हेतु कौन-सी प्रक्रिया अपनाई जाएगी?
|
केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति प्राप्त कर अभियोजन
|
एक विधायक के विरुद्ध मानहानि के आरोप लगाए गए हैं, अभियोजन हेतु क्या आवश्यक है?
|
संबंधित राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति
|
क्या धारा 222 संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करती है?
|
नहीं, यह अनुच्छेद 19(2) के अंतर्गत एक युक्तियुक्त प्रतिबंध है
|
|
अध्याय 16
|
मजिस्ट्रेटों से परिवाद
(Complaints To Magistrates)
|
धारा 223 किससे संबंधित है?
|
परिवादी की परीक्षा
(Examination of complainant)
|
धारा 223 के अनुसार परिवादी की परीक्षा किस प्रकार ली जाती है?
|
शपथ पर लिखित रूप में
|
क्या मजिस्ट्रेट को हर परिवाद की प्रारंभिक जांच करनी आवश्यक है?
|
नहीं, यदि न्यायालय सीधा संज्ञान लेना चाहे
|
परिवादी की परीक्षा में प्रयुक्त कथन का क्या किया जाता है?
|
लिखित रूप में संग्रहित किया जाता है
|
क्या मजिस्ट्रेट परिवादी की परीक्षा को रिकॉर्ड करने से इनकार कर सकता है?
|
हाँ, यदि मामला स्पष्ट रूप से झूठा हो
|
सुप्रीम कोर्ट ने मजिस्ट्रेट को परिवादी की शपथपूर्वक परीक्षा अनिवार्य रूप से करनी चाहिए, बात पर बल दिया?
|
नरसिंह दास तापड़िया बनाम गोवर्धन दास ब्यास
(1994) 1 एससीसी 371
|
किस मामले के अनुसार मजिस्ट्रेट को परिवादी की शिकायत की सत्यता जांचने हेतु प्रारंभिक परीक्षा करनी चाहिए, कहा गया है?
|
भगवंत सिंह बनाम पुलिस आयुक्त, एआईआर 1985 एससी 1285
|
यदि कोई महिला मजिस्ट्रेट के समक्ष यौन उत्पीड़न की शिकायत प्रस्तुत करती है, तो मजिस्ट्रेट को क्या करना होगा?
|
परिवादी की शपथपूर्वक प्रारंभिक परीक्षा करना
|
यदि परिवादी की परीक्षा के दौरान परिवाद झूठी प्रतीत होती है, तो मजिस्ट्रेट क्या कर सकता है?
|
परिवाद खारिज कर सकता है
|
परिवादी की परीक्षा में उल्लिखित कथन की सत्यता की जांच किस चरण में होती है?
|
ट्रायल के दौरान
|
धारा 224 किससे संबंधित है?
|
ऐसे मजिस्ट्रेट द्वारा प्रक्रिया जो संज्ञान लेने के लिए सक्षम नहीं है
(Procedure by Magistrate not competent to take cognizance of case)
|
धारा 224 का उद्देश्य क्या है?
|
प्रक्रिया की वैधता को बनाए रखना, भले ही मजिस्ट्रेट सक्षम न हो
|
क्या किसी अयोग्य मजिस्ट्रेट द्वारा प्रारंभ की गई प्रक्रिया स्वतः अमान्य हो जाती है?
|
नहीं, जब तक इससे न्याय को क्षति नहीं होती
|
धारा 224 किस कानूनी सिद्धांत को दर्शाती है?
|
वास्तविक सिद्धांत
|
यदि मजिस्ट्रेट विधिक रूप से सक्षम नहीं है और वह प्रक्रिया आरंभ करता है, तो क्या उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है?
|
नहीं, यदि कोई दुर्भावना नहीं है
|
यदि कोई अनियमितता न्याय को प्रभावित नहीं करती, तो प्रक्रिया अवैध नहीं मानी जाएगी कहा गया था?
|
एच.एन. रिशबड बनाम दिल्ली राज्य, एआईआर 1955 एससी 196
|
यदि कार्यवाही प्रक्रिया में हो चुकी है और दोषसिद्धि हो चुकी है, तो तकनीकी त्रुटि से न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेगा माना?
|
मप्र राज्य बनाम भूराजी,
एआईआर 2001 एससी 3372
|
जब मजिस्ट्रेट सक्षम नहीं हो सका यदि मजिस्ट्रेट ने ईमानदारी से कार्य किया हो, तो कार्यवाही अवैध नहीं मानी जाएगी?
|
के.के. पटेल बनाम गुजरात राज्य,
AIR 2000 SC 1812
|
यदि उच्चतर न्यायालय पाता है कि मजिस्ट्रेट सक्षम नहीं था, तो क्या केवल इसी आधार पर कार्यवाही रद्द की जा सकती है?
|
नहीं, जब तक न्यायिक प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव न हो
|
मजिस्ट्रेट X ने एक ऐसे मामले में प्रक्रिया शुरू कर दी जो केवल सत्र न्यायालय के अधिकार में था। क्या कार्यवाही अमान्य है?
|
नहीं, जब तक कोई गंभीर अन्याय नहीं हुआ
|
यदि किसी मजिस्ट्रेट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर की घटना का संज्ञान लिया हो, तो उसका निर्णय:
|
तब तक वैध माना जाएगा जब तक वह दुर्भावना से ग्रस्त न हो
|
एक मजिस्ट्रेट जिसने अनजाने में बिना अधिकार के प्रक्रिया चलाई, क्या उसकी कार्यवाही वैध मानी जाएगी?
|
हाँ, यदि उसका कृत्य निष्पक्ष और न्यायोचित था
|
धारा 225 किससे संबंधित है?
|
आदेशिका के जारी किए जाने को मुल्तवी करना
(Postponement of issue of process)
|
धारा 225 के अंतर्गत आदेशिका को मुल्तवी करने का क्या आधार है?
|
उपयुक्त कारण जो न्याय के हित में हो
|
क्या न्यायालय आदेशिका जारी करने के स्थान पर उसे स्थगित कर सकता है?
|
हाँ, जब तक उचित कारण हो
|
आदेशिका को मुल्तवी करना किसकी शक्ति में आता है?
|
मजिस्ट्रेट या न्यायालय
|
क्या आदेशिका को अनिश्चित काल तक स्थगित किया जा सकता है?
|
नहीं, कारण स्पष्ट करना आवश्यक होता है
|
सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायालय को विवेकाधिकार है कि कब आदेशिका रोकी जाए माना?
|
यूपी राज्य वी. आर.के. श्रीवास्तव,
AIR 1989 SC 2222
|
यदि न्यायालय आदेशिका जारी करने से पूर्व यह निर्णय लेता है कि कुछ दस्तावेजों या साक्ष्यों की प्रतीक्षा करना जरूरी है, तो क्या आदेशिका स्थगित की जा सकती है?
|
हाँ, धारा 225 के अंतर्गत
|
एक मजिस्ट्रेट को आरोपी के विरुद्ध समन जारी करना था, लेकिन FIR में संदेहास्पद साक्ष्य होने के कारण उसने आदेशिका को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। यह कार्य:
|
धारा 225 के अंतर्गत वैध है
|
क्या धारा 225 न्यायालय को गिरफ्तारी आदेश टालने का विवेक देती है?
|
हाँ, जब तक न्याय के हित में हो
|
क्या आदेशिका को स्थगित करने के लिए न्यायालय को कारण लिखित रूप में देना आवश्यक है?
|
हाँ
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 226 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
|
अभियोजन को खारिज करना
|
धारा 226 के अनुसार, कब एक परिवाद को खारिज किया जा सकता है?
|
जब कोई वैध कारण न हो और यह बिना आधार के हो
|
एक न्यायालय किसी परिवाद को खारिज कर सकता है, यदि वह:
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उचित और पर्याप्त साक्ष्य पर आधारित न हो
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क्या न्यायालय किसी मामले में केवल पुलिस रिपोर्ट के आधार पर परिवाद को खारिज कर सकता है?
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हाँ, यदि रिपोर्ट में पर्याप्त आधार न हो
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यदि न्यायालय मानता है कि परिवाद में कोई दोष नहीं है, तो वह क्या कर सकता है?
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परिवाद को खारिज कर सकता है
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किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने परिवाद को खारिज किया जा सकता है यदि वह अव्यवहारिक हो निर्णय दिया था?
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के.के. वर्मा बनाम भारत संघ, 1989
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किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने न्यायालय को बिना साक्ष्य के अभियोजन खारिज करने का अधिकार नहीं है, महत्वपूर्ण निर्णय लिया?
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बिहार राज्य बनाम के.के. वर्मा, 2002
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किस मामले में न्यायालय ने कहा, परिवाद में कोई वैध कानूनी आधार नहीं था और परिवाद को ख़ारिज कर दिया?
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आर. आर. चारी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, 1964
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यदि एक व्यक्ति एक झूठे आरोप में फंसा हुआ है और न्यायालय को यह स्पष्ट हो जाता है कि परिवाद में कोई आधार नहीं है, तो न्यायालय को क्या करना चाहिए?
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परिवाद को खारिज कर देना चाहिए
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एक मजिस्ट्रेट ने पाया कि अभियोजन में कोई वास्तविक आधार नहीं था और उसने उसे खारिज कर दिया। इस निर्णय को चुनौती दी जा सकती है?
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हाँ, उच्च न्यायालय से
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अध्याय 17
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मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही का प्रारंभ किया जाना
(Commencement Of Proceedings Before Magistrates)
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धारा 227 के अनुसार, यदि न्यायालय को अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त आधार नहीं मिलता है, तो वह क्या करेगा?
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अभियुक्त को रिहा करेगा
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कौन सा मामला धारा 227 के तहत अभियुक्त को रिहा करने के संबंध में महत्वपूर्ण है?
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महाराष्ट्र राज्य बनाम सोमनाथ भारती (2015)
के. रामकृष्णन बनाम केरल राज्य (2012)
जगजीत सिंह बनाम पंजाब राज्य (2018)
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धारा 227 के तहत, न्यायालय को किस आधार पर अभियुक्त को रिहा करने का अधिकार है?
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अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य का अभाव
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धारा 228(1) के अनुसार, मजिस्ट्रेट किस स्थिति में अभियुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे सकता है?
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जब मजिस्ट्रेट उचित कारण देखे
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धारा 228 के तहत, अभियुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट किसके माध्यम से दी जाती है?
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अभियुक्त के वकील के माध्यम से
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धारा 228(2) के अनुसार, मजिस्ट्रेट किस स्थिति में अभियुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग कर सकता है?
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जब मजिस्ट्रेट को आवश्यकता प्रतीत हो
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धारा 228 के अंतर्गत, मजिस्ट्रेट अभियुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए क्या कर सकता है?
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अभियुक्त की उपस्थिति के लिए आवश्यक प्रक्रिया अपना सकता है
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धारा 228 के अंतर्गत, मजिस्ट्रेट किस प्रकार के मामलों में अभियुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने पर विचार कर सकता है?
|
मामूली अपराधों में
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धारा 228 के अनुसार, यदि मजिस्ट्रेट अभियुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देता है, तो क्या अभियुक्त को कभी भी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी?
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नहीं, मजिस्ट्रेट आवश्यकता पड़ने पर व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग कर सकता है
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धारा 228 के तहत, अभियुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने का निर्णय किसके विवेक पर निर्भर करता है?
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मजिस्ट्रेट के
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 229 किन मामलों में विशेष समन जारी करने की अनुमति देती है?
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छोटे अपराधों (petty offences) में
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धारा 229 के अंतर्गत विशेष समन में क्या जोड़ा जा सकता है?
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जुर्माना स्वीकार करने और अदालत में न आने का विकल्प
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विशेष समन किस न्यायालय द्वारा जारी किया जा सकता है?
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मजिस्ट्रेट द्वारा
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विशेष समन किस प्रकार की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए है?
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छोटे अपराधों का शीघ्र समाधान
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यदि आरोपी विशेष समन में वर्णित जुर्माना स्वीकार कर ले, तो क्या होता है?
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प्रक्रिया समाप्त हो सकती है
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किस मामले में उच्च न्यायालय ने विशेष समन का प्रयोग मुकदमों की संख्या कम करने के लिए किया जा सकता है, बल दिया गया?
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कैलाश सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2024)
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विशेष समन के तहत किस आधार पर न्यायालय यह तय करता है कि अपराध "छोटा" है या नहीं?
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अपराध की अधिकतम सजा
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धारा 230 किससे संबंधित है?
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अभियुक्त को पुलिस रिपोर्ट या अन्य दस्तावेजों की प्रतिलिपि देना
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धारा 230 के अनुसार, अभियुक्त को किन दस्तावेजों की प्रतिलिपि दी जाती है?
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पुलिस रिपोर्ट, गवाहों के बयान और अन्य साक्ष्य
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अभियुक्त को दस्तावेजों की प्रतिलिपि किस समय तक दी जानी चाहिए?
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विचारण प्रारंभ होने से पूर्व
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यदि अभियुक्त को दस्तावेजों की प्रतिलिपि समय पर नहीं मिलती है, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
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सुनवाई स्थगित कर सकता है
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धारा 230 किस संवैधानिक अधिकार की पूर्ति करता है?
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अनुच्छेद 21 - जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता
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धारा 230 के तहत प्रतिलिपियाँ अभियुक्त को किस प्रकार दी जानी चाहिए?
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लिखित रूप में निशुल्क
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अभियुक्त को दस्तावेज प्रदान करना किसका कर्तव्य है?
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न्यायाधीश का पुलिस अधिकारी का अभियोजक का
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतिलिपियाँ न देना न्याय का उल्लंघन है, सिद्धांत प्रतिपादित किया?
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खत्री बनाम बिहार राज्य (1981)
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किस मामले में उच्च न्यायालय ने अभियुक्त को दस्तावेज़ न देना Article 21 का उल्लंघन है, निर्णय दिया?
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केरल राज्य बनाम बाबू (2022) में
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने आरोपी को दोषसिद्धि से पहले उचित जानकारी मिलनी चाहिए, पर जोर दिया?
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शरद बनाम महाराष्ट्र राज्य में
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किस मामले में न्यायालय ने उचित सुनवाई का अधिकार (Right to Fair Trial) अधिकार को संरक्षित किया है?
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मो. हुसैन बनाम राज्य (दिल्ली प्रशासन)
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यदि दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ जानबूझकर रोकी जाती हैं, तो यह किसका उल्लंघन होगा?
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प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का
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धारा 231 का संबंध है:
|
सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय अन्य मामलों में अभियुक्त को कथनों और दस्तावेजों की प्रतिलिपियां देना
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धारा 231 के अंतर्गत प्रतिलिपियाँ किस प्रकार की दी जानी चाहिए?
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लिखित रूप में और निशुल्क
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कौन सा दस्तावेज़ अभियुक्त को प्रदान किया जाना अनिवार्य है?
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अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान
पुलिस रिपोर्ट जब्ती सूची
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धारा 231 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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उचित सुनवाई सुनिश्चित करना
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प्रतिलिपियाँ न मिलने की स्थिति में विचारण कब प्रारंभ होगा?
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जब दस्तावेज़ मिल जाएं
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अभियुक्त को दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ किसके द्वारा दी जाती हैं?
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अभियोजन अधिकारी न्यायालय पुलिस अधिकारी
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यदि अभियुक्त को दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ नहीं दी जाती हैं, तो यह किस अनुच्छेद का उल्लंघन माना जाएगा?
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अनुच्छेद 21
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किस मामले में न्यायालय ने अभियुक्त को निशुल्क प्रतिलिपियाँ मिलनी चाहिए, सिद्धांत को अपनाया?
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खत्री बनाम बिहार राज्य (1981)
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उचित सुनवाई के लिए दस्तावेज़ की पारदर्शिता पर ज़ोर दिया गया?
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शिवाजी साहबराव बोबडे बनाम महाराष्ट्र राज्य
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अभियुक्त को दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ दिए बिना ट्रायल शुरू करना क्या दर्शाता है?
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प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन
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धारा 231 का उद्देश्य है:
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अभियुक्त को उसकी रक्षा के लिए पर्याप्त जानकारी देना
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 232 का मुख्य विषय क्या है?
|
जब अपराध अनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है तब मामला उसे सुपुर्द करना
|
यदि किसी अपराध का विचारण केवल सेशन न्यायालय द्वारा किया जा सकता है, तो मजिस्ट्रेट को क्या करना चाहिए?
|
मामले को सेशन न्यायालय को सुपुर्द करना
|
धारा 232 के तहत, मजिस्ट्रेट को किस स्तर पर यह निर्णय लेना होता है कि मामला सेशन न्यायालय को भेजा जाए?
|
प्रथम दृष्टया साक्ष्य देखने के बाद
|
मजिस्ट्रेट मामला सेशन न्यायालय को कब भेज सकता है?
|
जब अपराध गंभीर हो और केवल सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय हो
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धारा 232 के तहत “अनन्यतः विचारणीय” का क्या अर्थ है?
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केवल सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय
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धारा 232 के अंतर्गत किस स्तर का मजिस्ट्रेट मामला सेशन न्यायालय को सुपुर्द कर सकता है?
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प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट
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मामला सेशन न्यायालय को सुपुर्द करते समय मजिस्ट्रेट को क्या संलग्न करना होता है?
|
सभी दस्तावेज़ व गवाहों के बयान
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यदि मजिस्ट्रेट मामला सेशन न्यायालय को नहीं भेजता है, जबकि वह अनन्यतः विचारणीय है, तो इसका क्या परिणाम हो सकता है?
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दोषसिद्धि रद्द हो सकती है
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कोर्ट ने केवल सेशन न्यायालय को ट्रायल करने का अधिकार बात पर बल दिया?
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बलवीर सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य
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किस मामले में मजिस्ट्रेट केवल प्रथम दृष्टया साक्ष्य देखकर मामला ट्रांसफर कर सकता है, निर्णय दिया गया?
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बिहार राज्य बनाम रमेश सिंह (1977)
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क्या मजिस्ट्रेट आरोपी को ज़मानत देकर ही केस सेशन न्यायालय को सुपुर्द कर सकता है?
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ज़मानत जरूरी नहीं
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सेशन न्यायालय को सुपुर्द करते समय मजिस्ट्रेट का कार्य क्या कहलाता है?
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प्रशासनिक कार्रवाई
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 233 किससे संबंधित है?
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परिवाद और उसी अपराध में पुलिस अन्वेषण की स्थिति में प्रक्रिया
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यदि किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष एक परिवाद लंबित है और उसी अपराध पर एक पुलिस रिपोर्ट दाखिल हो जाती है, तो मजिस्ट्रेट क्या कर सकता है?
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दोनों को एक साथ चला सकता है
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धारा 233 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट को क्या अधिकार प्राप्त है?
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दोनों मामलों को एकीकृत करने का
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परिवाद और पुलिस रिपोर्ट यदि एक ही अपराध के संबंध में हैं, तो मजिस्ट्रेट क्या करेगा?
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दोनों की संयुक्त सुनवाई कर सकता है
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धारा 233 में कौन-से दो प्रकार की कार्यवाहियों की समानांतरता की बात की गई है?
|
परिवाद और पुलिस अन्वेषण
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मजिस्ट्रेट को किस स्थिति में कार्यवाही रोकनी नहीं चाहिए?
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जब पुलिस रिपोर्ट दाखिल हो चुकी हो लेकिन परिवाद पहले लंबित था
|
यदि पुलिस रिपोर्ट और परिवाद में विरोधाभास हो, तो मजिस्ट्रेट क्या करेगा?
|
दोनों को सुनकर स्वतंत्र निर्णय देगा
|
यदि मजिस्ट्रेट को यह ज्ञात हो कि एक ही अपराध पर दो रिपोर्ट हैं, तो किसके प्रति उसकी प्राथमिकता होनी चाहिए?
|
दोनों को समान अवसर देना चाहिए
|
किस मामले में परिवाद और पुलिस रिपोर्ट पर संज्ञान पुरातन बिंदु पर आधारित था?
|
भगवंत सिंह बनाम पुलिस आयुक्त
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यदि मजिस्ट्रेट ने केवल पुलिस रिपोर्ट पर कार्यवाही की और परिवाद की अनदेखी की, तो क्या यह उचित है?
|
नहीं, यह न्यायिक चूक है
|
किस मामले में यूपी ने FIR दर्ज करने की अनिवार्यता, विषय से है?
|
ललिता कुमारी बनाम सरकार।
|
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अध्याय 18
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आरोप
(The Charge)
|
क-आरोपो का प्ररूप (Form of charges)
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 234 किससे संबंधित है?
|
आरोप की अंतर्वस्तु
(Contents of charge)
|
धारा 234 के अनुसार, आरोप में क्या सम्मिलित होना अनिवार्य है?
|
अपराध की प्रकृति, तिथि, समय और स्थान
|
आरोप की भाषा कैसी होनी चाहिए?
|
स्पष्ट, सरल और समझने योग्य
|
क्या आरोप पत्र में यह आवश्यक है कि अभियुक्त को बताया जाए कि उस पर किस अधिनियम की कौन सी धारा के अंतर्गत अपराध का आरोप है?
|
हां
|
यदि एक व्यक्ति पर दो या अधिक अपराधों का आरोप है, तो आरोपपत्र में क्या करना चाहिए?
|
प्रत्येक अपराध को अलग-अलग आरोप में वर्णित करना चाहिए
|
धारा 234 के अनुसार, आरोप में क्या दिया जाना अनिवार्य नहीं है?
|
अपराध के संबंध में गवाहों के नाम
|
क्या आरोप का स्पष्ट उल्लेख अभियुक्त के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है?
|
हां
|
आरोप का उद्देश्य क्या होता है?
|
अभियुक्त को उसके विरुद्ध लगाए गए आरोपों की जानकारी देना
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने आरोप की स्पष्टता आवश्यक है ताकि अभियुक्त अपनी रक्षा कर सके, पर ज़ोर दिया?
|
के.सतवंत सिंह बनाम पंजाब राज्य
(AIR 1960 SC 266)
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने आरोप अभियुक्त को उचित सूचना प्रदान करने का साधन है, माना?
|
आंध्र प्रदेश राज्य बनाम चीमलपति गणेश्वर राव
(AIR 1963 SC 1850)
|
किस मामले में अदालत ने कहा आरोप में मामूली दोष से ट्रायल रद्द नहीं होता
|
विली (विलियम) स्लेनी बनाम मप्र राज्य।
(एआईआर 1956 एससी 116)
|
क्या कोई अभियुक्त दोषसिद्ध हो सकता है यदि उसे सही ढंग से आरोप की जानकारी न दी गई हो?
|
नहीं, यह प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है
|
किस मामले में आरोप की स्पष्टता अभियुक्त के मौलिक अधिकार का हिस्सा है, सिद्धांत को दोहराता है?
|
दरबारा सिंह बनाम पंजाब राज्य (2012)
|
धारा 235 किससे संबंधित है?
|
समय, स्थान और व्यक्ति की विशिष्ट जानकारी
|
धारा 235 के अनुसार, आरोप में कौन-कौन से घटक स्पष्ट रूप से होने चाहिए?
|
अपराध का समय, स्थान और किस व्यक्ति के विरुद्ध अपराध किया गया
|
यदि अपराध के समय या स्थान के बारे में थोड़ी बहुत त्रुटि हो, तो क्या आरोप अमान्य हो जाता है?
|
नहीं, यदि उससे अभियुक्त की बचाव क्षमता पर असर न हो
|
आरोप में समय और स्थान का उल्लेख क्यों आवश्यक है?
|
अभियुक्त को अपने बचाव की योजना बनाने में सहायता के लिए
|
यदि आरोप में व्यक्ति की पहचान स्पष्ट नहीं है, तो क्या हो सकता है?
|
आरोप दोषपूर्ण माना जाएगा
|
क्या आरोप में अपराध का दिनांक देना आवश्यक है?
|
हां, जब तक वह अभियुक्त की रक्षा को प्रभावित करता हो
|
आरोप में व्यक्ति की पहचान स्पष्ट होनी चाहिए बात पर बल दिया गया?
|
बच्चन सिंह बनाम पंजाब राज्य
|
धारा 236 किससे संबंधित है?
|
कब अपराध किए जाने की रीति कथित की जानी चाहिए
|
धारा 236 के अनुसार, आरोप में अपराध किए जाने की रीति कब वर्णित की जाती है?
|
जब अपराध विशेष ढंग से किया गया हो
|
अपराध की "रीति" से क्या तात्पर्य है?
|
अपराध करने का विशिष्ट ढंग या प्रक्रिया
|
क्या प्रत्येक आरोप में अपराध की रीति का वर्णन आवश्यक है?
|
नहीं, केवल तब जब अपराध किसी विशिष्ट विधि से किया गया हो
|
किस मामले में आरोप में अपराध करने की विधि स्पष्ट रूप से वर्णित होनी चाहिए यदि वह अभियोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा हो, निर्णय दिया?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम सलमान सलीम खान (2004)
|
न्यायालय में विधि की सटीकता महत्व था?
|
राज्य बनाम नलिनी (राजीव गांधी हत्या मामला)
|
धारा 237 के अनुसार, आरोप में प्रयुक्त किसी शब्द का अर्थ किस पर निर्भर करेगा?
|
उस विधि पर जिसके अंतर्गत वह अपराध दंडनीय है
|
यदि आरोप में कोई विशेष कानूनी शब्द (जैसे 'कूटरचना') प्रयुक्त हो, तो उसका अर्थ किससेतय होगा?
|
उस विशेष कानून की परिभाषा से
|
धारा 237 किस प्रकार की समस्या को हल करने में सहायक है?
|
आरोप की व्याख्या में अस्पष्टता
|
जब एक शब्द की सामान्य भाषा और कानूनी भाषा में भिन्नता हो, तो आरोप में कौन-सा अर्थ मान्य होगा?
|
कानूनी
|
किस मामले में आरोप की भाषा से आरोप में प्रयुक्त कानूनी शब्दों का वही अर्थ लिया जाएगा जो संबंधित कानून में दिया गया हो, संबंधित निर्णय का सार था?
|
राजस्थान राज्य बनाम काशी राम (2006)
|
किस मामले में धारा 237 से आरोप में प्रयुक्त शब्दों के कानूनी अर्थ पर जोर दिया गया, संबंध है?
|
के. सतवंत सिंह बनाम पंजाब राज्य (1960)
|
किस मामले में आरोपों को विधिक अर्थ के अनुसार पढ़ा जाना चाहिए, कहा गया?
|
विली स्लेनी बनाम म.प्र. राज्य (1956)
|
यदि आरोप में “धोखाधड़ी” शब्द प्रयुक्त हो, तो उसका अर्थ कहां से लिया जाएगा?
|
भारतीय दंड संहिता / भारतीय न्याया संहिता से
|
किस मामले में व्याख्या की आरोपों में प्रयुक्त प्रत्येक शब्द को विधिक रूप से समझना चाहिए, व्याख्या से संबंधित बात पर बल दिया गया?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम सलमान खान (2004)
|
धारा 238 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
|
न्यायिक कार्यवाही में हुई त्रुटियों के प्रभाव को परिभाषित करना
|
धारा 238 के अंतर्गत कौन-सी गलती कार्यवाही को अमान्य नहीं बनाती है?
|
कोई ऐसी त्रुटि जिससे अभियुक्त की न्याय में हानि न हुई हो
|
न्यायिक प्रक्रिया में त्रुटि होने पर कार्यवाही कब तक वैध मानी जाएगी?
|
जब वह अभियुक्त के लिए अन्याय का कारण न बने
|
कौन सी स्थिति कार्यवाही को दोषपूर्ण नहीं बनाती है?
|
आरोप पत्र में नाम की स्पेलिंग गलत होना
|
यदि न्यायालय को यह प्रतीत हो कि त्रुटि से अभियुक्त को वास्तविक हानि नहीं हुई है, तो वह क्या कर सकता है?
|
कार्यवाही को वैध मानकर आगे बढ़ा सकता है
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में, कार्यवाही में त्रुटि केवल तभी महत्वपूर्ण है जब उससे अभियुक्त को हानि हो, स्पष्ट किया गया?
|
विली स्लेनी बनाम म.प्र. राज्य (1956)
|
किस मामले में कार्यवाही की वैधता जब त्रुटियाँ हों, विषय से संबंधित था?
|
ए.पी. राज्य बनाम थाडी नारायण (1962)
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्त के पक्ष की सुनवाई का महत्व, बल दिया?
|
मो. हुसैन बनाम राज्य (2012)
|
न्यायालय किन परिस्थितियों में कार्यवाही को त्रुटि के बावजूद वैध मान सकता है?
|
जब उस त्रुटि से अभियुक्त को कोई वास्तविक पूर्वग्रह या हानि न हुई हो
|
किस मामले में तकनीकी त्रुटियों से निर्णय प्रभावित नहीं होना चाहिए, कोर्ट ने स्पष्ट किया?
|
बिहार राज्य विद्युत बोर्ड बनाम परमेश्वर कुमार (2019)
|
धारा 239 किससे संबंधित है?
|
आरोप में परिवर्तन या रूपांतरण
|
धारा 239 के अंतर्गत न्यायालय आरोप को किस समय परिवर्तित कर सकता है?
|
किसी भी समय, जब तक निर्णय नहीं हो जाता
|
आरोप के परिवर्तित होने पर न्यायालय को अभियुक्त को क्या अवसर देना आवश्यक है?
|
नए आरोप के अनुसार अपनी रक्षा करने का
|
यदि आरोप में परिवर्तन किया जाता है, तो न्यायालय को अभियुक्त को क्या सूचित करना होता है?
|
परिवर्तित आरोप की संपूर्ण जानकारी
|
न्यायालय आरोप को परिवर्तित कब नहीं कर सकता?
|
जब आरोप परिवर्तन से अभियुक्त की हानि हो
|
आरोप के रूपांतरण की स्थिति में कार्यवाही को किस प्रकार आगे बढ़ाया जाता है?
|
नए आरोप के अनुसार
|
किस मामले में न्यायालय का आरोप में त्रुटियाँ अनिवार्य रूप से कार्यवाही को शून्य नहीं बनातीं, मुख्य निष्कर्ष क्या था?
|
विली स्लेनी बनाम म.प्र. राज्य (1956)
|
किस मामले में आरोप का बिना सूचना के परिवर्तन अवैध है, बल दिया गया?
|
कांतिलाल चंदूलाल मेहता बनाम महाराष्ट्र राज्य (1969)
|
किस मामले में आरोप का संशोधन अभियुक्त के अधिकारों को प्रभावित करता है, स्पष्ट किया गया कि:
|
ए.पी. राज्य बनाम थाडी नारायण (1962)
|
यदि आरोप बदल दिया गया हो तो कौन-सी बात न्याय की मूल भावना के अनुरूप है?
|
अभियुक्त को नई सुनवाई का अवसर देना
|
किस मामले में न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि आरोप में बदलाव न्यायिक विवेक के अधीन है, न कि अभियोजन के आदेश पर?
|
गुरबचन सिंह बनाम पंजाब राज्य
|
किस मामले में आरोप परिवर्तन के संबंध, बिना अभियुक्त को मौका दिए आरोप बदलना गलत है, बात सामने आई?
|
एम.सी. सुलकुंटे बनाम मैसूर राज्य (1970)
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 240 किस विषय से संबंधित है?
|
आरोप परिवर्तित होने पर साक्षियों का पुनः परीक्षण
|
यदि आरोप परिवर्तित किया जाता है, तो धारा 240 के अनुसार क्या किया जाना आवश्यक है?
|
पूर्व में प्रस्तुत साक्षियों को पुनः बुलाना
|
धारा 240 के अंतर्गत साक्षियों को पुनः बुलाने का उद्देश्य क्या है?
|
अभियुक्त को नए आरोप के संदर्भ में उचित बचाव का अवसर देना
|
क्या अभियुक्त साक्षियों को पुनः बुलाए जाने का अधिकार खो देता है यदि वह चुप रहता है?
|
नहीं
|
यदि आरोप में परिवर्तन के बाद गवाहों को पुनः नहीं बुलाया गया तो क्या प्रभाव होगा?
|
यह अभियुक्त के प्राकृतिक न्याय के अधिकारों का उल्लंघन होगा
|
क्या न्यायालय अपने विवेक से गवाहों को पुनः बुलाने से इनकार कर सकता है?
|
हाँ, यदि वह इसे अनावश्यक माने
|
आरोप परिवर्तन की स्थिति में साक्षी को पुनः बुलाने का अधिकार किस पक्ष को प्राप्त है?
|
अभियुक्त को
|
किस मामले में साक्ष्य की विश्वसनीयता न्याय के लिए अनिवार्य है, सिद्धांतों को लागू किया गया था?
|
शरद बिरधीचंद सारदा बनाम महाराष्ट्र राज्य (1984)
|
यदि आरोप परिवर्तित किया गया और अभियुक्त ने गवाहों को पुनः बुलाने की मांग नहीं की, तो:
|
उसे उस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता
|
|
ख-आरोपो का संयोजन (Joinder of Charges)
|
धारा 241 किस विषय से संबंधित है?
|
सुभिन्न अपराधों के लिए पृथक् आरोप
|
धारा 241 के अनुसार यदि एक व्यक्ति ने विभिन्न अवसरों पर भिन्न-भिन्न अपराध किए हैं, तो उसके विरुद्ध क्या किया जाएगा?
|
प्रत्येक अपराध के लिए पृथक् आरोप और मुकदमा चलेगा
|
धारा 241 का उद्देश्य है:
|
प्रत्येक अपराध की पृथक न्यायिक समीक्षा सुनिश्चित करना
|
धारा 241 के अनुसार किन परिस्थितियों में एक से अधिक अपराधों का एक साथ आरोप नहीं लगाया जा सकता?
|
जब वे सुभिन्न और अलग-अलग समय पर किए गए हों
|
धारा 241 के अंतर्गत "सुभिन्न अपराध" का क्या तात्पर्य है?
|
भिन्न-भिन्न समय और स्थान पर किए गए अलग अपराध
|
क्या न्यायालय अभियुक्त के अनुरोध पर सुभिन्न अपराधों को एक साथ सुन सकता है?
|
हाँ, यदि न्यायालय को अनुचित न लगे
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक सुभिन्न अपराध के लिए पृथक मुकदमा आवश्यक है, स्पष्ट किया?
|
मो. अख्तर बनाम स्टेट ऑफ यूपी, एआईआर 1964 एससी 1438
|
किस मामले में न्यायालय ने आरोपी की सहमति से सुभिन्न अपराधों का संयुक्त परीक्षण हो सकता है, व्याख्या की?
|
बाबूलाल बनाम मध्य प्रदेश राज्य,
AIR 1979 SC 1434
|
किस मामले में न्यायालय सुभिन्न अपराधों की निष्पक्ष सुनवाई, बल दिया गया?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम सुखदेव सिंह (1992)
|
किस मामले में यह सुभिन्न अपराधों को एक साथ जोड़ना आरोपी के अधिकार का उल्लंघन करता है, तय किया गया कि:
|
आर.एस. नायक बनाम ए.आर. अंतुले (1984)
|
किस मामले में सिद्धांत की आरोपों का पृथककरण अभियुक्त के संरक्षण के लिए है, स्थापना की गई?
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के. सतवंत सिंह बनाम पंजाब राज्य (1960)
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 242 का मुख्य विषय क्या है?
|
एक जैसे अपराधों के लिए एकसाथ आरोप
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धारा 242 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति एक वर्ष की अवधि में एक ही प्रकृति के कितने अपराध करता है, तो उनके लिए एक साथ आरोप लगाया जा सकता है?
|
अधिकतम 3
|
धारा 242 के अंतर्गत किन अपराधों को "एक ही प्रकार" के अपराध माने जाएंगे?
|
जो समान विधिक धारा के अंतर्गत आते हों
|
धारा 242 का उद्देश्य क्या है?
|
समान अपराधों के परीक्षण में न्यायिक सरलता
|
धारा 242 किन अपराधों पर लागू नहीं होती?
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अलग-अलग प्रकृति के अपराध
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किस मामले में न्यायालय ने यदि अपराध एक प्रकृति के हों और एक वर्ष में हों, तो आरोप संयुक्त हो सकते हैं कहा?
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करम चंद बनाम पंजाब राज्य,
AIR 1963 SC 313
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किस मामले में समान अपराधों को एकसाथ लाना अभियुक्त के हित में है, सिद्ध हुआ:
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बलबीर सिंह बनाम हरियाणा राज्य (1987)
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यदि किसी व्यक्ति ने 2023 में मार्च, जून और नवम्बर में तीन अलग-अलग जेबकतरी की घटनाएं कीं, तो किस प्रकार आरोप लगाया जाएगा?
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एक संयुक्त मुकदमा धारा 242 के अंतर्गत
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एक ही अपराध की तीन अलग घटनाओं में आरोप तभी एक साथ लगाए जा सकते हैं जब:
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वे एक ही धारा के अंतर्गत आते हों और एक वर्ष में हों
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 243 किससे संबंधित है?
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एक से अधिक अपराधों के लिए विचारण
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धारा 243 के अंतर्गत एक ही आरोपी द्वारा किए गए विभिन्न अपराधों का विचारण एक साथ कब किया जा सकता है?
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जब अपराध एक ही कार्य से उत्पन्न हुए हों
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कौन-सा उद्देश्य धारा 243 के अंतर्गत सम्मिलित विचारण का है?
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समय और संसाधनों की बचत करना
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एक आरोपी ने किसी व्यक्ति को नकली दस्तावेज बनाकर धोखा दिया और बैंक से पैसे निकाल लिए। इसमें कौन-से अपराधों का विचारण एक साथ किया जा सकता है?
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कूटरचना और धोखाधड़ी
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यदि अभियुक्त ने 10 दिनों के अंतराल में अलग-अलग स्थानों पर समान प्रकार के अपराध किए हैं, तो क्या धारा 243 लागू होगी?
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नहीं, क्योंकि तिथियाँ और स्थान अलग हैं
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धारा 243 किन न्यायालयों को अधिकार देती है कि वे संयुक्त विचारण कर सकें?
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कोई भी सक्षम न्यायालय
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एक ही अपराध से संबंधित IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (कूटरचना), और 471 (कूटरचित दस्तावेज का प्रयोग) के अंतर्गत आरोप लगे हों, तो:
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एक साथ विचारण संभव है
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संयुक्त विचारण से अभियुक्त को किस प्रकार लाभ मिल सकता है?
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सजा कम हो सकती है गवाहों की संख्या घट सकती है एक ही बार में सभी आरोपों पर सफाई देने का अवसर
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धारा 244 का मुख्य विषय क्या है?
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संदेह की स्थिति में आरोप लगाना
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धारा 244 के अंतर्गत, जब यह निश्चित न हो कि किस विशेष अपराध का आरोप लगाया जाए, तो क्या किया जाता है?
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एक या एक से अधिक अपराधों का आरोप लगाया जा सकता है
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क्या धारा 244 के अंतर्गत अभियुक्त पर वैकल्पिक अपराधों का आरोप लगाया जा सकता है?
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हाँ
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धारा 244 के अंतर्गत यदि अपराध का स्वरूप स्पष्ट नहीं है, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
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वैकल्पिक रूप से कई अपराधों का आरोप लगा सकता है
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एक व्यक्ति पर आरोप है कि उसने अपने दस्तावेज़ों में हेराफेरी की, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उसने धोखाधड़ी की या जालसाजी। इस स्थिति में न्यायालय क्या करेगा?
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दोनों अपराधों के वैकल्पिक आरोप लगाएगा
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एक व्यक्ति पर IPC की धारा 304 (ग़ैर इरादतन हत्या) या 302 (इरादतन हत्या) में से कौन-सा अपराध हुआ है, यह स्पष्ट नहीं है, न्यायालय क्या कर सकता है?
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दोनों के वैकल्पिक आरोप लगाएगा
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यदि अभियुक्त पर धारा 379 (चोरी) और धारा 420 (धोखाधड़ी) में से किसी एक का संदेह हो, तो न्यायालय:
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दोनों के वैकल्पिक आरोप लगा सकता है
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धारा 244 के अनुसार वैकल्पिक आरोप लगाए जाने का लाभ क्या है?
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न्यायालय को निर्णय लेने में सुविधा होती है
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धारा 244 के अनुसार आरोप किस स्तर पर तय किए जाते हैं?
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विचारण प्रारंभ होने से पहले
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 245 किस विषय से संबंधित है?
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आरोप के अंतर्गत कम गंभीर अपराध में दोष सिद्धि
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धारा 245 के अंतर्गत, जब आरोपित अपराध सिद्ध नहीं होता, परंतु उससे कमतर अपराध सिद्ध होता है, तो न्यायालय:
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कमतर अपराध में दोषी ठहरा सकता है
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क्या धारा 245 के अंतर्गत न्यायालय अभियुक्त को ऐसे अपराध में दोषी ठहरा सकता है, जो आरोपित अपराध से भिन्न हो, यदि वह उससे अंतर्गत हो?
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हाँ
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यदि आरोप धारा 326 (गंभीर उपहति) के तहत हो और केवल धारा 324 (साधारण उपहति) सिद्ध हो, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
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धारा 324 के तहत दोषी ठहराएगा
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किस मामले में आरोपी को कमतर अपराध में दोषी ठहराने के लिए अवसर दिया जाना चाहिए, के अनुसार:
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शमन साहब एम. मुल्तानी बनाम कर्नाटक राज्य
(एआईआर 2001 एससी 921)
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आरोपी पर हत्या (धारा 302) का आरोप है, लेकिन केवल गंभीर उपहति (धारा 325) सिद्ध होती है। न्यायालय:
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धारा 325 में दोषी ठहराएगा
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आरोप धोखाधड़ी (धारा 420) का है, लेकिन केवल आपराधिक विश्वास भंग (धारा 406) सिद्ध होता है। धारा 245 के अंतर्गत न्यायालय:
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406 में दोषी ठहरा सकता है
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यदि न्यायालय को संदेह है कि आरोपित अपराध (धारा 397 – डकैती) सिद्ध नहीं हुआ, लेकिन साधारण चोरी (धारा 379) सिद्ध हुआ, तो वह:
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धारा 379 के अंतर्गत दोषी ठहरा सकता है
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धारा 245 का उद्देश्य क्या है?
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न्याय सुनिश्चित करना, भले ही कमतर अपराध सिद्ध हो
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धारा 245 के अंतर्गत न्यायालय की शक्ति किस पर निर्भर करती है?
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आरोपित अपराध की तुलना में सिद्ध अपराध की प्रकृति पर
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अगर आरोप धारा 354 (शील भंग) के अंतर्गत हो, लेकिन केवल धारा 509 (शब्दों या इशारों द्वारा शील भंग) सिद्ध हो, तो:
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न्यायालय 509 में दोष सिद्ध कर सकता है
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 246 किससे संबंधित है?
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किन व्यक्तियों पर संयुक्त रूप से आरोप लगाया जा सकता है
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धारा 246 के अनुसार, कौन संयुक्त रूप से आरोपित किए जा सकते हैं?
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जिन्होंने एक ही अपराध को सामूहिक रूप से किया हो
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क्या कोई व्यक्ति और उसका सहायक (अभिकर्ता) एक ही मामले में संयुक्त रूप से आरोपित हो सकते हैं?
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हाँ
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संयुक्त रूप से आरोप लगाने की अनुमति का उद्देश्य क्या है?
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न्यायिक प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाना
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने संयुक्त आरोप न्याय के हित में होते हैं यदि अपराध सामूहिक हो, निर्णय दिया?
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आंध्र प्रदेश राज्य बनाम चीमलपति गणेश्वर राव
(AIR 1963 SC 1850)
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किस मामले में आर्थिक अपराधों में भी संयुक्त आरोप संभव हैं, कहा गया है?
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बनवारी लाल झुनझुनवाला बनाम भारत संघ
(AIR 1963 SC 1620)
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किस मामले में एआईआर 1988 एससी 1883 में सभी साजिशकर्ता और क्रियान्वयनकर्ता एक साथ आरोपित किए जा सकते हैं, कोर्ट ने माना?
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केहर सिंह बनाम राज्य (दिल्ली प्रशासन),
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A और B ने मिलकर धोखाधड़ी (धारा 420) की। C ने केवल बैंक खाता दिया। क्या तीनों पर एक साथ आरोप लगाया जा सकता है?
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हाँ, तीनों पर संयुक्त रूप से आरोप लगाया जा सकता है
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एक कंपनी का निदेशक और उसका प्रबंधक, दोनों ने गलत दस्तावेज तैयार किए। क्या दोनों पर एक ही विचारण में आरोप संभव है?
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हाँ
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यदि पाँच लोगों ने मिलकर एक ही समय पर एक व्यक्ति को लूटा, तो विचारण कैसे होगा?
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सभी को सामूहिक रूप से आरोपित किया जाएगा
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A और B ने अलग-अलग समय पर एक ही दुकान से सामान चुराया, क्या उन पर एक साथ आरोप लगेगा?
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नहीं
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कौन-सा संयुक्त आरोप के लिए सही उदाहरण है?
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एक ही चोरी में भागीदार दो लोग
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 247 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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दोषसिद्धि के बाद शेष आरोपों को समाप्त करना
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यदि अभियुक्त को एक आरोप में दोषी ठहरा दिया गया है और अन्य आरोप लंबित हैं, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
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शेष आरोपों को वापस ले सकता है
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धारा 247 का उद्देश्य क्या है?
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अनावश्यक मुकदमेबाज़ी से बचाव
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धारा 247 के अनुसार, कौन शेष आरोपों को वापस लेने का अधिकार रखता है?
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न्यायालय
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शेष आरोपों को वापस लेने के लिए न्यायालय को किसकी अनुमति लेनी होती है?
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किसी की नहीं, न्यायालय स्वयं निर्णय ले सकता है
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किस मामले में, यदि अभियुक्त को एक गंभीर अपराध में दोषी ठहराया गया है, तो अन्य अभियुक्तों का शेष आरोपों को वापस लिया जा सकता है
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राजस्थान राज्य बनाम काशी राम (2006)
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने, न्यायालय को विवेक का प्रयोग करना चाहिए?
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कर्नाटक राज्य बनाम एल मुनिस्वामी (1977)
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A पर हत्या, लूट और हथियार रखने का आरोप है। हत्या में दोषसिद्धि हो जाती है। न्यायालय क्या कर सकता है?
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शेष आरोपों को वापस ले सकता है
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अभियुक्त को गंभीर आरोप में दोषी पाया गया, लेकिन कुछ हल्के आरोप बचे हैं। धारा 247 के तहत सबसे उपयुक्त कदम क्या है?
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शेष आरोपों को वापस लेना
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B पर 3 आरोप हैं: (1) धोखाधड़ी, (2) जालसाज़ी, (3) दस्तावेज़ों की कूटरचना। यदि वह (1) में दोषी पाया जाता है, तो:
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शेष आरोपों को न्यायालय वापस ले सकता है
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एक व्यक्ति पर IPC की धारा 304 (ग़ैर इरादतन हत्या) या 302 (इरादतन हत्या) में से कौन-सा अपराध हुआ है, यह स्पष्ट नहीं है। न्यायालय क्या कर सकता है?
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दोनों के वैकल्पिक आरोप लगाएगा
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अध्याय 19
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सेशन न्यायालय के समक्ष विचारण
(Form of charges)
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 248 के अनुसार, किसे अपराध विचारण का संचालन करने का अधिकार है?
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लोक अभियोजक
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धारा 248 किससे सम्बन्धित है?
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विचारण का संचालन लोक अभियोजक द्वारा किया जाना
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धारा 248 के तहत लोक अभियोजक के कार्य क्या हैं?
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अपराध के सारे साक्ष्य प्रस्तुत करना
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धारा 248 में लोक अभियोजक द्वारा विचारण का संचालन किस उद्देश्य से किया जाता है?
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अभियुक्त के खिलाफ एक स्पष्ट और निष्पक्ष विचारण सुनिश्चित करना
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धारा 248 के तहत अभियोजन पक्ष की ओर से विचारण का संचालन करना किसका दायित्व होता है?
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लोक अभियोजक
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A पर हत्या का आरोप है। न्यायालय ने इस मामले में विचारण शुरू किया है। लोक अभियोजक को क्या करना होगा?
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साक्ष्य प्रस्तुत करना और अभियोजन का संचालन करना
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यदि लोक अभियोजक किसी मामले में विचारण के दौरान अपने दावे साबित नहीं कर पाता है, तो न्यायालय क्या करेगा?
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अभियोजन पक्ष को अपना पक्ष पुनः प्रस्तुत करने का आदेश देगा
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B पर लूट का आरोप है। न्यायालय में विचारण के दौरान लोक अभियोजक साक्ष्य प्रस्तुत करता है, लेकिन साक्ष्य अपर्याप्त हैं। न्यायालय क्या करेगा?
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अभियोजन को अपने साक्ष्य सुधारने का आदेश देगा
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अगर लोक अभियोजक किसी मामले में न्यायालय में उपस्थित नहीं हो पाता है, तो क्या होगा?
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नया लोक अभियोजक नियुक्त किया जाएगा
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A पर गंभीर अपराध का आरोप है और लोक अभियोजक ने विचारण शुरू किया है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण साक्ष्य पेश नहीं किए। क्या न्यायालय लोक अभियोजक से साक्ष्य पुनः प्रस्तुत करने का आदेश दे सकता है?
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हाँ, न्यायालय अभियोजन पक्ष को साक्ष्य पुनः प्रस्तुत करने का आदेश दे सकता है
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 249 के तहत, अभियोजन के मामले के कथन का आरंभ कौन करता है?
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लोक अभियोजक
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धारा 249 के अनुसार अभियोजन पक्ष का कथन किस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है?
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अभियोजन पक्ष पहले अपने तर्क प्रस्तुत करता है
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अभियोजन के मामले के कथन का आरंभ करने के लिए लोक अभियोजक को किसका पालन करना आवश्यक है?
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साक्ष्य प्रस्तुत करना और संबंधित आरोपों का उल्लेख करना
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धारा 249 के तहत, अभियोजन के कथन का आरंभ किस प्रक्रिया के अंतर्गत किया जाता है?
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साक्ष्य प्रस्तुत करने के पहले
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अभियोजन पक्ष का कथन शुरू करने से पहले न्यायालय किसे सुनेगा?
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लोक अभियोजक
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पुन: आपराधिक अपील संख्या 268 (2020) में न्यायालय ने अभियोजन पक्ष के सम्मिलन को लेकर क्या निर्देश दिए थे?
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अभियोजन पक्ष को पहले अपने दावे प्रस्तुत करने होंगे
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A पर धोखाधड़ी का आरोप है। न्यायालय में विचारण शुरू होने पर लोक अभियोजक क्या करेगा?
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अभियोजन पक्ष पहले धोखाधड़ी के आरोपों को प्रस्तुत करेगा और साक्ष्य पेश करेगा
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अगर लोक अभियोजक ने अभियोजन के कथन के आरंभ के दौरान पर्याप्त साक्ष्य नहीं पेश किए, तो न्यायालय क्या करेगा?
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अभियोजन पक्ष को साक्ष्य प्रस्तुत करने का पुनः अवसर देगा
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A पर चोरी का आरोप है। विचारण के दौरान लोक अभियोजक पहले ही अपने साक्ष्य पेश कर चुका है। अब न्यायालय के पास क्या विकल्प होते हैं?
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अभियोजन पक्ष को साक्ष्य पुनः प्रस्तुत करने का आदेश दे सकता है
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अगर अभियोजन पक्ष ने अपने बयान में कोई अनियमितताएँ कीं, तो क्या न्यायालय को उसे सुधारने का अवसर मिलेगा?
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हाँ, अभियोजन पक्ष को पुनः अपने बयान प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा
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यदि लोक अभियोजक विचारण के दौरान साक्ष्य प्रस्तुत करने में असफल रहता है, तो न्यायालय क्या करेगा?
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अभियोजन पक्ष को अपनी गलती सुधारने का मौका देगा
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धारा 250 के अंतर्गत "उन्मोचन" का क्या अर्थ है?
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अभियोजन द्वारा मामले को समाप्त करना
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धारा 250 के तहत, किस स्थिति में अभियोजन पक्ष को मामला समाप्त करने का अधिकार प्राप्त होता है?
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जब अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं होते
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धारा 250 के अनुसार, उन्मोचन की प्रक्रिया में किसकी भूमिका होती है?
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लोक अभियोजक
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जब न्यायालय को लगता है कि अभियोजन के पास पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं, तो वह किस प्रक्रिया के तहत मामले को समाप्त करता है?
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उन्मोचन
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धारा 250 के अनुसार, उन्मोचन के बाद अभियुक्त को क्या होता है?
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अभियुक्त के खिलाफ मामला वापस ले लिया जाता है
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किस मामले में कोर्ट ने उनमोचन के बारे में उन्मोचन तब किया जा सकता है जब साक्ष्य अपर्याप्त हों, फैसला लिया था?
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राज्य बनाम राजेश (2016)
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किस मामले में न्यायालय ने उनमोचन की प्रक्रिया के बारे में अभियोजन पक्ष को उन्मोचन के लिए पर्याप्त साक्ष्य पेश करने होते हैं कहा था?
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राज्य बनाम शर्मा (2018)
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किस मामले में न्यायालय ने उन्मोचन के मामले में न्यायालय के पास उन्मोचन की शक्ति होती है अगर अभियोजन के पास साक्ष्य न हों निर्णय लिया था?
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उत्तर प्रदेश राज्य बनाम अरुण कुमार (2019)
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यदि लोक अभियोजक ने उन्मोचन का निर्णय लिया है और न्यायालय ने इसे मंजूर किया है, तो इसके परिणामस्वरूप क्या होगा?
|
अभियुक्त के खिलाफ कोई आरोप नहीं रहेगा
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यदि अभियोजन के पास पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं और न्यायालय उन्मोचन का आदेश देता है, तो अभियुक्त पर कोई दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी?
|
नहीं, अभियुक्त को बरी कर दिया जाएगा
|
अगर किसी मामले में उन्मोचन के बाद अभियोजन पक्ष फिर से उसी आरोप में अभियुक्त को पेश करता है, तो क्या यह कानूनी रूप से सही है?
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यह तभी संभव है जब नया साक्ष्य प्राप्त हो
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यदि किसी मामले में उन्मोचन किया जाता है, तो क्या अभियुक्त को क्षतिपूर्ति प्राप्त होती है?
|
नहीं, उन्मोचन से कोई क्षतिपूर्ति नहीं मिलती
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उन्मोचन के बाद अभियुक्त को क्या करने की आवश्यकता होती है?
|
वह तुरंत आरोपित व्यक्ति के रूप में बरी हो जाता है
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 251 के अनुसार, आरोप को विरचित करने का क्या अर्थ है?
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आरोप का लिखित रूप में तैयार करना
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धारा 251 के अंतर्गत आरोप विरचित करने से पहले अभियुक्त को क्या किया जाता है?
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अभियुक्त को आरोपों के बारे में जानकारी दी जाती है
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 251 के अनुसार, आरोप विरचित करने के बाद क्या होता है?
|
अभियुक्त को सुनवाई के लिए बुलाया जाता है
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यदि किसी आरोपी पर आरोप विरचित किया जाता है, तो आरोप में क्या विवरण शामिल होता है?
|
अभियुक्त का नाम अपराध का विवरण अपराध की तिथि और स्थान
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किस मामले में न्यायालय ने आरोप आरोप के संबंध में न्यायालय को आरोप विरचन से पहले अभियुक्त को अपराध के बारे में पूर्ण जानकारी देनी चाहिए निर्णय लिया था?
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राज्य बनाम करण (2017)
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किस मामले में कोर्ट ने आरोप विर्चयन की प्रक्रिया को लेकर आरोप विरचन प्रक्रिया में अभियुक्त को सभी कानूनी अधिकारों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए, टिप्पणी की थी?
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राज्य बनाम वर्मा (2019)
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किस मामले में कोर्ट ने आरोप विरचन के दौरान अभियुक्त को स्पष्ट रूप से अपराध की जानकारी दी जानी चाहिए कहा?
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पंजाब राज्य बनाम सुरेश (2021)
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यदि अभियुक्त पर आरोप विरचित किया जाता है और वह आरोप से असहमत है, तो क्या किया जाता है?
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न्यायालय अभियुक्त से सबूत मांग सकता है
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यदि न्यायालय को लगता है कि आरोप विरचित करते समय अभियुक्त को सभी कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं दी गई, तो क्या किया जाता है?
|
अभियुक्त को आरोप फिर से विरचित करने का अवसर मिलता है
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यदि अभियुक्त ने अपराध स्वीकार कर लिया है, तो क्या आरोप विरचन की प्रक्रिया में कोई बदलाव होगा?
|
आरोप विरचन के बाद सजा का निर्धारण किया जाएगा
|
यदि अभियुक्त पर आरोप विरचित करने के बाद, आरोप की प्रकृति में बदलाव किया जाता है, तो क्या होता है?
|
अभियुक्त को नए आरोपों के खिलाफ सुनवाई का अवसर मिलता है
|
यदि न्यायालय में आरोप विरचन के बाद अभियुक्त पर आरोप साबित नहीं होते, तो क्या होता है?
|
अभियुक्त को बरी कर दिया जाता है
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 252 के अनुसार दोषी होने का अभिवचन किसके समक्ष किया जाना चाहिए?
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मजिस्ट्रेट के समक्ष
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यदि कोई अभियुक्त दोषी होने का अभिवचन करता है, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
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तुरंत सजा सुना सकता है अभिवचन को अस्वीकार कर सकता है अभियुक्त को चेतावनी देकर छोड़ सकता है
|
क्या धारा 252 के अंतर्गत दोषी होने का अभिवचन मौखिक भी दिया जा सकता है?
|
मौखिक या लिखित दोनों
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धारा 252 के अनुसार, न्यायालय दोषी होने के अभिवचन को कब स्वीकार नहीं करेगा?
|
जब अभियुक्त मानसिक रूप से अस्वस्थ हो जब अभियुक्त दबाव में हो जब अभिवचन स्वेच्छा से नहीं हो
|
यदि अभियुक्त दोषी होने का अभिवचन करता है, तो क्या यह अपील का अधिकार समाप्त कर देता है?
|
नहीं, अभियुक्त सजा की गंभीरता के विरुद्ध अपील कर सकता है
|
यदि अभियुक्त कहता है कि उसे अपराध समझ नहीं आया, और वह गलती से "दोषी" कह बैठा, तो न्यायालय को क्या करना चाहिए?
|
दोषी के अभिवचन को अस्वीकार कर पुनः अभियोजन आरंभ करे
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अभियुक्त अदालत में कहता है “मैं दबाव में हूँ, लेकिन दोषी हूँ” – इस स्थिति में न्यायालय क्या करेगा?
|
दोषी के अभिवचन को अस्वीकार करेगा
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने फांसी होने के अभिवचन के संबंध में दोषी अभिवचन को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए कहा था?
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गुजरात राज्य बनाम सुखदेव सिंह (1995)
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किस मामले में न्यायालय ने यह सिद्धांत दोषी अभिवचन न्यायालय पर बाध्यकारी नहीं है, कहा था??
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राज्य बनाम मुरलीधर (2006)
|
दोषी होने का अभिवचन कब सबसे अधिक प्रयोग होता है?
|
त्वरित न्याय प्रक्रिया या निपटान के लिए
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दोषी अभिवचन के बाद क्या अभियुक्त सजा के विरुद्ध अपील कर सकता है?
|
हां, लेकिन केवल सजा की गंभीरता पर
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धारा 253 के अनुसार, आरोप तय होने के बाद क्या किया जाता है?
|
अभियोजन साक्ष्य हेतु तारीख निश्चित की जाती है
|
धारा 253 के तहत अभियोजन को किस बात की अनुमति दी जाती है?
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दस्तावेज़ प्रस्तुत करने व गवाहों को बुलाने की
|
धारा 253 के अनुसार, अभियोजन साक्ष्य की तारीख कब निश्चित होती है?
|
आरोप विरचित होने के बाद
|
अभियोजन साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए कौन तारीख निश्चित करता है?
|
न्यायालय
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मान लीजिए आरोप तय हो गए हैं, लेकिन अभियोजन पक्ष साक्ष्य पेश करने के लिए तैयार नहीं है। इस स्थिति में न्यायालय क्या कर सकता है?
|
अभियोजन को समय दे सकता है
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यदि अभियोजन पक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए तिथि पर उपस्थित नहीं होता है, तो क्या होगा?
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न्यायालय अभियोजन पक्ष के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है
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अभियोजन द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद अगला चरण क्या होता है?
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आरोपी से उसका कथन दर्ज किया जाता है
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किस मामले में अभियोजन पक्ष में देरी के बारे में न्यायालय ने अभियोजन साक्ष्य में देरी आरोपी के अधिकारों का हनन है कहा था?
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महाराष्ट्र राज्य बनाम सलमान खान (2002)
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष की साक्ष्य को ठोस और स्पष्ट होना चाहिए पर बल दिया?
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शरद बिरधीचंद सारदा बनाम महाराष्ट्र राज्य (1984)
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किस मामले में अभियोजन की निष्क्रियता अभियुक्त के अधिकारों का उल्लंघन है, अभियोजन पक्ष से संबंधित, निष्कर्ष निकला?
|
यूपी राज्य वी. राजेश गौतम (2003)
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अभियोजन साक्ष्य प्रस्तुत करते समय लोक अभियोजक किन बातों का ध्यान रखता है?
|
गवाहों की प्रामाणिकता व दस्तावेजों की वैधता
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अभियोजन साक्ष्य की तारीख स्थगित करने की अनुमति कब दी जाती है?
|
जब न्यायालय को कारण उचित प्रतीत हो
|
धारा 254 के अनुसार, अभियोजन पक्ष को क्या करने की अनुमति होती है?
|
अपने पक्ष में साक्ष्य प्रस्तुत करने की
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धारा 254 के अंतर्गत साक्ष्य प्रस्तुत करने का कार्य किसके द्वारा होता है?
|
लोक अभियोजक
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अभियोजन साक्ष्य प्रस्तुत करने की प्रक्रिया में न्यायालय क्या कर सकता है?
|
सभी आवश्यक गवाहों को तलब कर सकता है
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यदि अभियोजन पक्ष कोई साक्ष्य नहीं लाता, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
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अभियुक्त को दोषमुक्त कर सकता है
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एक मामले में अभियोजन ने केवल एक साक्षी प्रस्तुत किया और कोई दस्तावेज नहीं। क्या यह पर्याप्त होगा?
|
हां, यदिसाक्षीविश्वसनीय है
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अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य को न्यायालय किस कसौटी पर परखता है?
|
प्रामाणिकता व सुसंगति पर
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यदि अभियोजन पक्ष की गवाही विरोधाभासी हो, तो न्यायालय क्या करेगा?
|
गवाही को संदेह की दृष्टि से देखेगा
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किस मामले में अभियोजन पक्ष से संबंधित साक्ष्य का अभाव न्यायिक प्रक्रिया की विफलता है सिद्धांत प्रतिपादित किया गया?
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उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राजेश गौतम (2003)
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा: अभियोजन साक्ष्य की गुणवत्ता, मात्रात्मकता से अधिक महत्वपूर्ण है
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लल्लू मांझी बनाम झारखंड राज्य (2003)
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अभियोजन पक्ष अपने साक्ष्य में किस प्रकार के साक्ष्य प्रस्तुत कर सकता है?
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मौखिक एवं दस्तावेजी दोनों
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अभियोजन द्वारा साक्षी को प्रस्तुत करने से पहले क्या सुनिश्चित करना होता है?
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गवाह की विश्वसनीयता
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धारा 255 के अनुसार, दोषमुक्ति का आदेश किस स्थिति में दिया जा सकता है?
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जब अभियोजन साक्ष्य अपर्याप्त हो
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धारा 255 के अंतर्गत दोषमुक्ति का आदेश किसके द्वारा पारित किया जाता है?
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मजिस्ट्रेट या न्यायालय
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क्या धारा 255 के अंतर्गत दोषमुक्ति के आदेश के बाद अभियुक्त को दोबारा उसी अपराध के लिए अभियुक्त बनाया जा सकता है?
|
नहीं
|
न्यायालय किस समय पर धारा 255 के तहत दोषमुक्ति का आदेश दे सकता है?
|
अभियोजन साक्ष्य के परीक्षण के पश्चात
|
यदि साक्ष्य न्यायालय को संतुष्ट नहीं करता, तो वह किस धारा के तहत आरोपी को दोषमुक्त कर सकता है?
|
धारा 255
|
एक अभियुक्त पर हत्या का आरोप है, लेकिन अभियोजन पक्ष कोई पुष्ट साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका, न्यायालय का उचित कृत्य क्या होगा?
|
आरोपी को दोषमुक्त कर देना
|
किस मामले में अभियोजन द्वारा पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत न करना आधार पर समस्या को दोषमुक्त किया गया था?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम सलमान सलीम खान (2004)
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने संदेह का लाभ (Benefit of Doubt) सिद्धांत को प्रतिपादित किया?
|
काली राम बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य (1973)
|
धारा 255 के अंतर्गत दोषमुक्ति के आदेश के बाद क्या अभियोजन अपील कर सकता है?
|
हां, यदि विशेष अनुमति हो
|
क्या धारा 255 के तहत दोषमुक्ति न्यायालय द्वारा बिना आरोपी का पक्ष सुने दी जा सकती है?
|
नहीं
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 255 के अनुसार, दोषमुक्ति का आदेश किस स्थिति में दिया जा सकता है?
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जब अभियोजन साक्ष्य अपर्याप्त हो
|
क्या धारा 255 के अंतर्गत दोषमुक्ति के आदेश के बाद अभियुक्त को दोबारा उसी अपराध के लिए अभियुक्त बनाया जा सकता है?
|
नहीं
|
न्यायालय किस समय पर धारा 255 के तहत दोषमुक्ति का आदेश दे सकता है?
|
अभियोजन साक्ष्य के परीक्षण के पश्चात
|
अभियोजन पक्ष अपने साक्षी पेश नहीं कर सका, न्यायालय क्या कर सकता है?
|
आरोपी को दोषमुक्त कर सकता है
|
यदि साक्ष्य न्यायालय को संतुष्ट नहीं करता, तो वह किस धारा के तहत आरोपी को दोषमुक्त कर सकता है?
|
धारा 255
|
एक अभियुक्त पर हत्या का आरोप है, लेकिन अभियोजन पक्ष कोई पुष्ट साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका, न्यायालय का उचित कृत्य क्या होगा?
|
आरोपी को दोषमुक्त कर देना
|
किस मामले में अभियोजन द्वारा पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत न करना आधार पर समस्या को दोषमुक्त किया गया था?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम सलमान सलीम खान (2004)
|
किस मामले में कोर्ट ने दोषमुक्ति के लिए गवाहों की विश्वसनीयता और साक्ष्य की संगति पर बल दिया?
|
विजयी सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य। (1990)
|
धारा 256 किससे संबंधित है?
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प्रतिरक्षा आरंभ करना
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धारा 256 के तहत प्रतिरक्षा साक्ष्य किस समय प्रस्तुत किया जाता है?
|
अभियोजन साक्ष्य के पश्चात
|
क्या न्यायालय प्रतिरक्षा साक्ष्य हेतु समय निर्धारित कर सकता है?
|
हाँ, न्यायालय ऐसा कर सकता है
|
क्या आरोपी गवाहों को बुलाने के लिए न्यायालय से आग्रह कर सकता है?
|
हाँ, प्रतिरक्षा के तहत
|
अभियोजन साक्ष्य के बाद न्यायालय ने पाया कि आरोपी को प्रतिरक्षा का अवसर मिलना चाहिए। अगला चरण क्या होगा?
|
आरोपी प्रतिरक्षा साक्ष्य प्रस्तुत करेगा
|
यदि आरोपी न्यायालय से प्रतिरक्षा गवाहों को बुलाने का आग्रह करता है, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
|
गवाहों को समन जारी कर सकता है
|
यदि आरोपी प्रतिरक्षा साक्ष्य प्रस्तुत करने में असफल होता है, तो:
|
यह दोषसिद्धि का आधार नहीं बनता
|
किस मामले मेंसर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि अभियोजन का भार समाप्त नहीं होता?
|
पश्चिम बंगाल राज्य बनाम मीर मोहम्मद उमर (2000)
|
किस मामले मेंन्यायालय ने स्पष्ट किया कि: आरोपी को प्रतिरक्षा का अवसर मिलना चाहिए
|
शरद बिरधीचंद सारदा बनाम महाराष्ट्र राज्य
|
न्यायालय ने किस मामले मेंयह स्पष्ट किया: आरोपी को साक्ष्य प्रस्तुत करने का अधिकार है?
|
नारायण स्वामी बनाम कर्नाटक राज्य (2018)
|
क्या धारा 256 के अंतर्गत आरोपी स्वयं को साक्षी के रूप में प्रस्तुत कर सकता है?
|
हाँ, यदि वह चाहे
|
क्या आरोपी गवाहों को न्यायालय द्वारा बुलवाने हेतु आवेदन कर सकता है?
|
हाँ
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प्रतिरक्षा के दौरान आरोपी किस प्रकार के साक्ष्य प्रस्तुत कर सकता है?
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मौखिक दस्तावेज़ी परिस्थितिजन्य
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धारा 257 किस विषय से संबंधित है?
|
बहस (Arguments)
|
धारा 257 के अंतर्गत बहस का क्रम क्या होता है?
|
पहले अभियोजन, फिर प्रतिरक्षा
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क्या न्यायालय बहस के बाद कोई स्पष्टीकरण मांग सकता है?
|
हाँ
|
बहस की प्रक्रिया किस स्तर पर होती है?
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अभियोजन और प्रतिरक्षा साक्ष्य पूर्ण होने के बाद
|
अभियोजन ने सभी गवाहों के बयान प्रस्तुत कर दिए हैं, प्रतिरक्षा ने भी अपने गवाहों की जिरह पूरी कर ली है, अब अगला चरण क्या होगा?
|
अंतिम बहस
|
यदि अभियोजन बहस नहीं करता है, तो क्या प्रतिरक्षा बहस कर सकती है?
|
हाँ
|
किस मामले में कोर्ट ने बहस के दौरान निष्पक्ष सुनवाई के लिए दोनों पक्षों को बहस का समान अवसर मिलना चाहिए, सिद्धांत स्थापित किया?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम सलमान सलीम खान
|
किस मामले मेंन्यायालय ने निष्पक्ष बहस न्याय का मूल है, पर ज़ोर दिया?
|
जाहिरा हबीबुल्लाह शेख बनाम गुजरात राज्य (सर्वश्रेष्ठ बेकरी मामला)
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क्या अभियोजन बहस के दौरान नई दलीलें प्रस्तुत कर सकता है जो साक्ष्य में नहीं थीं?
|
केवल न्यायालय की अनुमति से
|
क्या बहस लिखित रूप में भी प्रस्तुत की जा सकती है?
|
हाँ, यदि न्यायालय अनुमति दे
|
बहस के लिए न्यायालय क्या कर सकता है?
|
समय निर्धारित कर सकता है
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 258 किससे संबंधित है?
|
दोषमुक्ति या दोषसिद्धि का निर्णय
|
धारा 258 के अनुसार, यदि आरोपी दोषी पाया जाता है, तो न्यायालय को क्या करना चाहिए?
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उसकी सजा के लिए सुनवाई करना
|
यदि अभियोजन द्वारा पर्याप्त साक्ष्य नहीं दिए गए हों, तो न्यायालय क्या आदेश देगा?
|
दोषमुक्ति
|
धारा 258 के तहत दोषमुक्ति या दोषसिद्धि का निर्णय किन साक्ष्यों के आधार पर होता है?
|
अभियोजन और प्रतिरक्षा साक्ष्य दोनों
|
यदि किसी आरोपी के विरुद्ध अपराध प्रमाणित हो जाता है, लेकिन उसकी मानसिक स्थिति संदेहास्पद है, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
|
दोषसिद्धि रोक सकता है और चिकित्सा परीक्षण का आदेश दे सकता है
|
अभियोजन की ओर से सारे साक्ष्य और बहस हो चुकी है, प्रतिरक्षा भी अपना पक्ष रख चुकी है। न्यायालय क्या करेगा?
|
दोषमुक्ति या दोषसिद्धि का निर्णय देगा
|
सर्वोच्च न्यायालय ने किस बात को स्पष्ट किया- परिस्थितिजन्य साक्ष्य दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त हो सकते हैं यदि वे सभी संदेहों को समाप्त करते हैंI
|
शरद बिरधीचंद सारदा बनाम महाराष्ट्र राज्य (1984)
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि: दोषसिद्धि संदेह से परे होनी चाहिए
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यूपी राज्य कृष्ण गोपाल (1988)
|
धारा 258 के अंतर्गत न्यायालय का निर्णय किस पर निर्भर करता है?
|
प्रस्तुत साक्ष्य और बहस पर
|
न्यायालय किस स्थिति में आरोपी को दोषी ठहराएगा?
|
यदि उपलब्ध साक्ष्य संदेह से परे दोष सिद्ध करें
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 259 किससे संबंधित है?
|
पूर्व दोषसिद्धि
|
धारा 259 के अंतर्गत "पूर्व दोषसिद्धि" का उपयोग मुख्य रूप से किस उद्देश्य से किया जाता है?
|
सजा निर्धारित करने के लिए
|
धारा 259 के अनुसार, क्या पूर्व दोषसिद्धि का उल्लेख आरोप तय करते समय किया जाता है?
|
नहीं, केवल दोषसिद्धि के बाद
|
क्या आरोपी को पूर्व दोषसिद्धि स्वीकार करने या उसका खंडन करने का अवसर दिया जाता है?
|
हाँ, दोषसिद्धि के बाद
|
यदि आरोपी पूर्व दोषसिद्धि से इनकार करता है, तो न्यायालय क्या करेगा?
|
इस विषय में साक्ष्य लेगा
|
एक आरोपी को चोरी के अपराध में दोषी पाया गया। अभियोजन कहता है कि वह इससे पहले भी तीन बार चोरी में दोषी ठहराया जा चुका है। न्यायालय क्या करेगा?
|
आरोपी को पूर्व दोषसिद्धियों को स्वीकार या अस्वीकार करने का अवसर देगा
|
एक व्यक्ति ने पहले हत्या के लिए सजा भुगती है। अब वह फिर हत्या में दोषी पाया गया है। इस स्थिति में न्यायालय क्या कर सकता है?
|
पहले दोष को ध्यान में रखकर कठोर सजा देगा
|
कोर्ट ने पूर्व दोषसिद्धि के संबंध में आरोपी को पूर्व दोषसिद्धि स्वीकार करने या उसका खंडन करने का पूरा अवसर मिलना चाहिए कहा?
|
रविचंद्रन बनाम तमिलनाडु राज्य केस
|
किस मामले में पूर्व दोषसिद्धि को साबित करने के लिए प्रमाण आवश्यक है, कोर्ट ने बल दिया?
|
मोती लाल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
|
न्यायालय को सजा सुनाने से पहले किसका ध्यान रखना चाहिए?
|
पूर्व दोषसिद्धि (यदि कोई हो)
|
"पूर्व दोषसिद्धि" किस प्रकार के अपराधों में विशेष रूप से प्रासंगिक होती है?
|
संगीन अपराध
|
क्या अदालत को आरोपी को पूर्व दोषसिद्धि के बारे में सूचित करना चाहिए?
|
हाँ, दोषसिद्धि के बाद
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 260 का संबंध किससेहै?
|
धारा 222(2) के अधीन मामलों में विचारण प्रक्रिया
|
धारा 260 में उल्लिखित प्रक्रिया लागू होती है जब मामला किसके द्वारा संस्थित किया गया हो?
|
लोक अभियोजक द्वारा
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धारा 260 में कौन-सी प्रक्रिया अपनाई जाती है?
|
धारा 248 से 259 तक वर्णित प्रक्रिया
|
क्या धारा 260 के अंतर्गत आरोप तय किया जाता है?
|
हाँ, धारा 251 के अनुसार
|
धारा 260 में विचारण की प्रक्रिया किस प्रकार की होती है?
|
संक्षिप्त
|
किसी व्यक्ति के विरुद्ध एक लोक अभियोजक ने धारा 222(2) के अंतर्गत शिकायत दायर की। मजिस्ट्रेट ने विचारण हेतु धारा 260 लागू की। अब विचारण किस प्रक्रिया से चलेगा?
|
संहिता की धारा 248 से 259 तक की प्रक्रिया
|
यदि अभियोजन अधिकारी धारा 222(2) के अंतर्गत अपराध के लिए शिकायत करता है, तो क्या न्यायालय उसी प्रक्रिया का पालन करेगा जो सत्र न्यायालय में होती है?
|
नहीं, मजिस्ट्रेट न्यायालय की प्रक्रिया अपनाएगा
|
सुप्रीम कोर्ट ने धारा 222 से संबंधित आरोपित अपराध के अलावा कम अपराध के लिए भी दोषसिद्धि हो सकती है महत्वपूर्ण बात लागू की?
|
केवल कृष्ण बनाम सूरज भान, एआईआर 1980 एससी 1780
|
धारा 260 में उल्लेखित विचारण प्रक्रिया किस प्रकार की है?
|
मजिस्ट्रेट द्वारा संक्षिप्त विचारण
|
धारा 260 किस धारा के साथ सीधे जुड़ी है?
|
धारा 222(2)
|
धारा 260 की प्रक्रिया में आरोप कब तय किया जाता है?
|
प्रारंभ में, धारा 251 के अनुसार
|
|
अध्याय 20
|
मजिस्ट्रेटों द्वारा वारण्ट मामलों का विचारण
(Trial Of Warrant-Cases by Magistrates)
|
क - पुलिस रिपोर्ट पर संस्थित मामले (Cases instituted on a police report)
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 261 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
|
धारा 230 के अनुपालन की पुष्टि करना
|
धारा 261 किससे सम्बन्धित है?
|
धारा 230 का अनुपालन
|
धारा 261 किस प्रक्रिया के बीच में लागू होती है?
|
विचारण प्रारंभ करने से पहले
|
यदि धारा 230 का पालन नहीं किया गया है, तो न्यायालय क्या करेगा?
|
विचारण को स्थगित करेगा
|
धारा 261 किस बात की प्रक्रिया सुनिश्चित करती है?
|
यह कि अभियुक्त को सुसंगत साक्ष्य उपलब्ध कराए गए
|
मजिस्ट्रेट विचारण शुरू करने जा रहा है लेकिन उसे ज्ञात होता है कि अभियुक्त को धारा 230 के तहत सभी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। वह क्या करेगा?
|
प्रक्रिया स्थगित कर दस्तावेज दिलवाएगा
|
एक आरोपी ने आरोप लगाया कि उसे चार्जशीट और साक्ष्य की प्रतियां नहीं दी गई हैं। यह स्थिति किस धारा के अंतर्गत न्यायालय को रोकती है विचारण से?
|
धारा 261
|
यदि न्यायालय यह पाता है कि धारा 230 के तहत आरोप पत्र की प्रतियां समय पर नहीं दी गईं, तो न्यायालय का कर्तव्य क्या है?
|
अभियोजन को समय देना
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अभियुक्त को दस्तावेज प्रदान करना प्रक्रिया का अनिवार्य भाग है, पर जोर दिया था?
|
सतीश मेहरा बनाम दिल्ली प्रशासन, एआईआर 1996 एससी 977
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने चार्जशीट की प्रतियां न देना व्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है को अंतिम रूप दिया?
|
खत्री बनाम बिहार राज्य (1981)
|
धारा 261 का अनुपालन किसके हित में है?
|
अभियुक्त
|
धारा 262 का मुख्य विषय क्या है?
|
अभियुक्त का उन्मोचन
|
धारा 262 के अनुसार अभियुक्त को किस स्थिति में उन्मोचित किया जाएगा?
|
जब न्यायालय संतुष्ट हो कि अभियोजन आरोप सिद्ध नहीं कर पाया है
|
धारा 262 के तहत "उन्मोचन" का क्या तात्पर्य है?
|
आरोप से मुक्ति
|
धारा 262 किस विचारण प्रक्रिया के दौरान लागू होती है?
|
अभियोजन पक्ष की सुनवाई के बाद
|
धारा 262 अभियुक्त के किस अधिकार की रक्षा करती है?
|
निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार
|
धारा 262 के तहत अभियुक्त धारा 230 दस्तावेज के अधीन की प्रतिलिपि देने की तारिक से कितने दिन की अवधि के भीतर उन्मोचन के लिए आवेदन कर सकेगा?
|
60 दिन की अवधि के भीतर
|
अभियोजन पक्ष ने अपने सभी साक्षी पेश किए, लेकिन कोई ठोस साक्ष्य नहीं दे सका, न्यायालय क्या करेगा?
|
अभियुक्त को धारा 262 के तहत उन्मोचित करेगा
|
यदि अभियोजन की ओर से केवल दो साक्षी आए और उनमें से कोई भी घटना की पुष्टि नहीं कर पाया, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
|
अभियुक्त को आरोपमुक्त कर सकता है
|
एक अभियुक्त पर चोरी का आरोप है, लेकिन अभियोजन पक्ष कोई प्रत्यक्ष या परिस्थितिजन्य साक्ष्य नहीं दे सका। इस स्थिति में न्यायालय:
|
उसे उन्मोचित करेगा
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यदि अभियोजन साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो अभियुक्त को उन्मोचित किया जाना चाहिए कहा?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम सलमान सलीम खान (2004)
|
क्या अभियुक्त के उन्मोचन का आदेश अंतिम आदेश होता है?
|
हां, जब तक उस पर पुनः मुकदमा न चले
|
धारा 262 का उपयोग न्यायालय कब कर सकता है?
|
अभियोजन के समापन के पश्चात
|
धारा 262 का उद्देश्य क्या है?
|
झूठे मामलों में अभियुक्त को राहत देना
|
धारा 263 किससे संबंधित है?
|
आरोप विरचित करना
|
धारा 263 के अंतर्गत 'आरोप विरचित करना' किस चरण पर किया जाता है?
|
जब मजिस्ट्रेट को लगता है कि मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त आधार है
|
क्या आरोप पत्र (charge) केवल लिखित रूप में होना चाहिए?
|
हाँ, यह लिखित होना आवश्यक है
|
धारा 263 के अंतर्गत आरोप किन मामलों में विरचित किए जा सकते हैं?
|
जब साक्ष्य प्रथम दृष्टया अपराध को दिखाते हैं
|
आरोप विरचित होने के पश्चात अभियुक्त को क्या अधिकार होता है?
|
दोषस्वीकार करना बचाव करना
|
क्या अभियुक्त को आरोप पत्र की प्रति दी जाती है?
|
हाँ, निःशुल्क
|
आरोप विरचित होने के बाद क्या अभियुक्त को जवाब देने का अवसर मिलता है?
|
हाँ, वह दोष स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने आरोप की प्रक्रिया में आरोप अभियुक्त को स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए, स्पष्ट की?
|
नानक चंद बनाम पंजाब राज्य (1955)
|
किस मामले मेंसुप्रीम कोर्ट ने आरोप विरचित करने की प्रक्रिया को न्यायिक कार्य बताया?
|
अजय अग्रवाल बनाम भारत संघ (1993)
|
धारा 264 किस विषय से संबंधित है?
|
दोषी होने के अभिवाक् पर दोषसिद्धि
|
धारा 264 के अनुसार, अभियुक्त द्वारा दोषी स्वीकार करने पर क्या आवश्यक है?
|
मजिस्ट्रेट द्वारा जांच कि अभियुक्त ने स्वेच्छा से स्वीकार किया है
|
क्या धारा 264 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट को यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि अभियुक्त को अपराध की प्रकृति समझ में आई है?
|
हाँ
|
धारा 264 का उद्देश्य क्या है?
|
अभियुक्त की स्वेच्छा से अपराध स्वीकार करने पर शीघ्र न्याय
|
धारा 264 के अनुसार, अभियुक्त द्वारा दोषी स्वीकार करने पर मजिस्ट्रेट क्या करेगा?
|
लेखबद्ध करेगा और उसके आधार पर उसे, स्वविवेकानुसार, दोषसिद्ध कर सकेगा
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने दोषी होने की स्वेच्छा की पुष्टि अनिवार्य है, कहा?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम सुखदेव सिंह (1992)
|
किस मामले के अनुसार दोषसिद्धि जब अभियुक्त मजिस्ट्रेट के समक्ष दोष स्वीकार करे और न्यायालय उसे समझाए, वैध होगी?
|
नारायणस्वामी बनाम बॉम्बे राज्य (1958)
|
किस केस का अभियुक्त की स्वीकारोक्ति पर दोषसिद्धि न्यायोचित है यदि वह स्पष्ट, स्वेच्छा और सत्य हो सिद्धांत स्पष्ट है?
|
दगडू बनाम महाराष्ट्र राज्य (1977)
|
यदि मजिस्ट्रेट को लगता है कि अभियुक्त ने दबाव में अपराध स्वीकार किया है, तो वह –
|
अपराध स्वीकारोक्ति को अस्वीकार कर सकता है
|
क्या धारा 264 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट आरोप को पढ़कर अभियुक्त से स्वीकारोक्ति मांग सकता है?
|
हाँ
|
दोषी होने का अभिवाक् दर्ज होते समय न्यायालय का प्राथमिक दायित्व क्या है?
|
यह जांचना कि अभिवाक् स्वेच्छा से है या नहीं
|
धारा 265 किस विषय से संबंधित है?
|
अभियोजन के लिए साक्ष्य
|
धारा 265 के अंतर्गत अभियोजन को क्या करने की अनुमति है?
|
अपने साक्ष्य प्रस्तुत करना
|
अभियोजन के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करते समय किस प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है?
|
न्यायालय की अनुमति गवाहों का परीक्षण मजिस्ट्रेट की मौजूदगी
|
अभियोजन द्वारा गवाहों की पेशी किसके अधीन होती है?
|
न्यायालय की अनुमति
|
यदि अभियुक्त दोष से इनकार करता है, तो धारा 265 के अंतर्गत कौन कार्यवाही की जाती है?
|
अभियोजन साक्ष्य प्रस्तुत करता है
|
अभियुक्त आरोप स्वीकार नहीं करता है। अदालत अभियोजन को साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश देती है। यह कार्यवाही किस धारा के अंतर्गत है?
|
धारा 265
|
यदि अभियोजन एक दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करता है, तो उसे कैसे सत्यापित किया जाता है?
|
उस दस्तावेज से संबंधितसाक्षीद्वारा
|
किस मामले के अनुसार न्यायालय में अभियोजन पक्ष का कर्तव्य अभियोजन के प्रत्येक साक्ष्य की जांच करना है?
|
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राजेश गौतम (2003)
|
किस मामले के अनुसार के अभियोजन पक्ष के अनुसार परिस्थितिजन्य अध्ययन की मान्यता साक्ष्य की निरंतरता और संगति पर योग्यताओं पर स्वीकृत है?
|
शरद बिरधीचंद सारदा बनाम महाराष्ट्र राज्य (1984)
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि: साक्ष्य पर्याप्त, विश्वसनीय और सुसंगत होने चाहिए
|
राजस्थान राज्य बनाम काशी राम (2006)
|
अभियोजन द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद अभियुक्त को क्या अधिकार होता है?
|
गवाहों से जिरह करने का
|
अभियोजन के किस प्रकार के साक्ष्य को अदालत में प्राथमिकता दी जाती है?
|
मौखिक दस्तावेजी प्रत्यक्ष
|
धारा 266 किस विषय से संबंधित है?
|
प्रतिरक्षा का साक्ष्य
|
धारा 266 के अंतर्गत प्रतिरक्षा पक्ष को क्या अधिकार दिया गया है?
|
अपना साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर
|
प्रतिरक्षा का साक्ष्य प्रस्तुत करने से पहले क्या किया जाता है?
|
न्यायालय अभियुक्त को अवसर देता है
|
अभियुक्त ने धारा 266 के तहत कहा कि वह निर्दोष है और साक्षी प्रस्तुत करना चाहता है। न्यायालय क्या करेगा?
|
उसे साक्ष्य देने की अनुमति देगा
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अभियुक्त का मौन दोषसिद्धि का आधार नहीं हो सकता, पर ज़ोर दिया?
|
त्रिमुख मारोती किरकन बनाम महाराष्ट्र राज्य (2006)
|
किस मामले में प्रतिरक्षा का महत्व वह वैकल्पिक होता है बताया गया है?
|
नैना महापात्रा बनाम उड़ीसा राज्य (1992)
|
क्या अभियुक्त को प्रतिरक्षा साक्ष्य देने से पूर्व गवाहों की सूची देनी होती है?
|
केवल न्यायालय की अनुमति से
|
प्रतिरक्षा साक्ष्य के लिए किस प्रक्रिया का पालन किया जाता है?
|
अभियोजन की तरह समान प्रक्रिया
|
क्या अभियुक्त स्वयं गवाही दे सकता है?
|
हाँ, यदि वह चाहे
|
|
ख- पुलिस रिपोर्ट से भिन्न आधार पर संस्थित मामले (Cases Instituted Otherwise Than on Police Report)
|
धारा 267 किस विषय से संबंधित है?
|
अभियोजन का साक्ष्य
|
धारा 267 के तहत अभियोजन साक्ष्य किस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है?
|
केवल अभियोजन पक्ष द्वारा
|
धारा 267 के तहत अभियोजन पक्ष का क्या कर्तव्य है?
|
मामले के सभी साक्ष्य प्रस्तुत करना
|
अभियोजन पक्ष द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद, प्रतिरक्षा पक्ष को क्या अधिकार होता है?
|
अपना बयान देने का अधिकार अभियोजन के साक्ष्य पर क्रॉस-एग्जामिनेशन करने का अधिकार साक्ष्य प्रस्तुत करने का अधिकार
|
अभियोजन साक्ष्य को न्यायालय में प्रस्तुत करते समय अभियोजन पक्ष क्या प्रस्तुत करता है?
|
दस्तावेज़,साक्षी और बयान
|
अभियोजन पक्ष ने अपने साक्ष्य प्रस्तुत किए और प्रतिरक्षा पक्ष ने उनका विरोध किया। न्यायालय क्या करेगा?
|
प्रतिरक्षा पक्ष को साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर देगा
|
अभियोजन पक्ष ने गवाहों को प्रस्तुत किया, लेकिन प्रतिरक्षा पक्ष ने किसीसाक्षीका विरोध नहीं किया। क्या न्यायालय इसे संज्ञान में ले सकता है?
|
हाँ, गवाहों के बयान का महत्व रहेगा
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभियोजन साक्ष्य के बिना दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता कहा था?
|
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राजेश गौतम (2006)
|
किस मामले में अभियोजन साक्ष्य को हमेशा सबसे पहले प्रस्तुत किया जाता है, निर्णय दिया गया था?
|
के.के. वर्मा बनाम महाराष्ट्र राज्य (1997)
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सभी साक्ष्य को समान रूप से महत्व दिया जाता है, निर्देश दिया था?
|
राजस्थान राज्य बनाम काशी राम (2006)
|
क्या अभियोजन पक्ष को प्रतिरक्षा के साक्ष्य प्रस्तुत करने से पहले गवाहों को सूचीबद्ध करना आवश्यक है?
|
हाँ, इसे न्यायालय में प्रस्तुत करना आवश्यक है
|
यदि अभियोजन साक्ष्य के दौरान कोईसाक्षीअव्यक्त हो जाए तो न्यायालय क्या करेगा?
|
न्यायालय नएसाक्षीको बुला सकता है
|
धारा 268 के अनुसार, अभियुक्त को कब उन्मोचित किया जाएगा?
|
जब अभियुक्त के खिलाफ कोई प्रमाण नहीं हो
|
धारा 268 के अनुसार, अभियुक्त को उन्मोचन का क्या कारण हो सकता है?
|
जब अभियुक्त पर आरोप साबित न हो
|
धारा 268 के तहत, उन्मोचन के बाद अभियुक्त पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
|
अभियुक्त को दोषमुक्त कर दिया जाएगा
|
धारा 268 में उन्मोचन के बाद अभियुक्त का क्या अधिकार होता है?
|
उसे दोषमुक्त किया जाता है
|
क्या अभियुक्त को उन्मोचन के लिए उसके अपराध के प्रमाण की कमी पर्याप्त है?
|
हाँ, यदि अभियोजन प्रमाण प्रस्तुत नहीं करता है तो अभियुक्त को उन्मोचित किया जा सकता है
|
किस मामलेमें सुप्रीम कोर्ट ने यदि साक्ष्य की कमी है तो अभियुक्त को उन्मोचित किया जा सकता है, निर्णय दिया था?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम प्रफुल्ल कुमार (2003)
|
किस मामलेमें उन्मोचन के बाद अभियुक्त को दोषमुक्त करने का आदेश दिया जा सकता है, निर्णय लिया गया?
|
के.के.शर्मा बनाम भारत संघ (2011)
|
सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्त को उन्मोचन के बाद दोषी ठहराया जा सकता है यदि साक्ष्य मिलते हैं, कहा था?
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गुजरात राज्य बनाम अशोक कुमार (2015)
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धारा 268 में अभियुक्त को उन्मोचन के बाद क्या निर्णय लिया जा सकता है?
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अभियुक्त को पूर्ण रूप से दोषमुक्त कर दिया जाएगा
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धारा 269 के अनुसार, यदि अभियुक्त उन्मोचित नहीं किया जाता है, तो क्या होगा?
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अभियुक्त के खिलाफ सुनवाई की जाएगी
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धारा 269 के तहत, अभियुक्त को उन्मोचित न करने का क्या कारण हो सकता है?
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अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य और प्रमाण होना
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धारा 269 के अनुसार, यदि अभियुक्त को उन्मोचित नहीं किया गया है, तो क्या उस पर आरोप साबित हो
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हाँ, आरोप साबित हो सकते हैं
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धारा 269 के अनुसार, अगर अभियुक्त को उन्मोचित नहीं किया जाता है, तो अभियोजन पक्ष को क्या करना होगा?
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अभियोजन पक्ष को नए साक्ष्य पेश करने होंगे
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अगर किसी अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं और उसे उन्मोचन का अधिकार नहीं मिलता, तो क्या उसे दोषी ठहराया जा सकता है?
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हाँ, अगर अभियोजन पक्ष के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं
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यदि किसी अभियुक्त को उन्मोचित नहीं किया गया है, तो वह किस स्थिति में दोषमुक्त हो सकता है?
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जब अभियुक्त का अपराध सिद्ध न हो
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अगर अभियुक्त को उन्मोचित किया गया है, तो न्यायालय उस पर क्या कदम उठाएगा?
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अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा समाप्त कर दिया जाएगा
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यदि अभियुक्त को उन्मोचित नहीं किया जाता, तो मुकदमा कौन से प्रकार से जारी रहेगा?
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अभियुक्त के खिलाफ पुरानी साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी
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किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जब अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य थे स्थिति में अभियुक्त को उन्मोचन का अधिकार नहीं दिया था?
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महाराष्ट्र राज्य बनाम शंकर (2006)
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किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्त को उन्मोचन नहीं दिया गया क्योंकि प्रमाण थे निर्णय लिया था?
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हरियाणा राज्य बनाम पूरन सिंह (2009)
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धारा 269 के तहत, यदि अभियुक्त को उन्मोचित नहीं किया जाता है, तो वह क्या कर सकता है?
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अपील कर सकता है
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यदि अभियुक्त को उन्मोचित नहीं किया जाता है और मुकदमा जारी रहता है, तो उसे क्या अधिकार मिलेगा?
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उसे अपनी रक्षा करने का अवसर मिलेगा
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धारा 269 में अभियुक्त के उन्मोचन के बाद क्या कार्रवाई की जाती है?
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मुकदमा जारी रखा जाता है
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धारा 270 किस विषय से संबंधित है?
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प्रतिरक्षा का साक्ष्य
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धारा 270 के अंतर्गत प्रतिरक्षा का साक्ष्य किसके द्वारा प्रस्तुत किया जाता है?
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अभियुक्त या उसके अधिवक्ता द्वारा
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प्रतिरक्षा साक्ष्य कब प्रस्तुत किया जाता है?
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अभियोजन साक्ष्य के बाद
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यदि अभियुक्त प्रतिरक्षा में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करना चाहता, तो क्या यह अनिवार्य है?
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नहीं, यह अभियुक्त की इच्छा पर निर्भर है
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धारा 270 के अनुसार, यदि अभियुक्त प्रतिरक्षा साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहता है, तो क्या उसे इसकी अनुमति दी जाएगी?
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हाँ, न्यायालय की अनुमति से
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अभियुक्त पर हत्या का आरोप है। अभियोजन पक्ष ने सभी साक्ष्य प्रस्तुत कर दिए हैं। अब अभियुक्त अपने बचाव मेंसाक्षीपेश करना चाहता है। किस धारा के तहत यह संभव है?
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धारा 270
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यदि अभियुक्त अदालत को बताता है कि वह अपने पक्ष में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करना चाहता, तो न्यायालय—
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मुकदमे की कार्यवाही जारी रखेगा
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अभियुक्त अदालत में कहता है कि वह कुछ गवाहों को बुलाना चाहता है जो उसे निर्दोष साबित करेंगे। न्यायालय क्या करेगा?
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उसे अनुमति देगा
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धारा 270 में प्रतिरक्षा साक्ष्य प्रस्तुत करने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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अभियुक्त के पक्ष में तथ्यों को स्पष्ट करना
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ग - विचारण की समाप्ति (Conclusion of Trial)
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धारा 271 किस विषय से संबंधित है?
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दोषमुक्ति या दोषसिद्धि
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धारा 271 के अंतर्गत किसके आधार पर दोषमुक्ति या दोषसिद्धि का निर्णय किया जाता है
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न्यायालय द्वारा संपूर्ण विचार के आधार पर
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यदि न्यायालय यह पाता है कि अभियोजन अभियुक्त के विरुद्ध आरोप सिद्ध करने में असफल रहा है, तो वह क्या आदेश देगा?
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दोषमुक्ति
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दोषसिद्धि का अर्थ क्या होता है?
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अभियुक्त दोषी सिद्ध
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क्या न्यायालय को दोषसिद्धि या दोषमुक्ति का निर्णय सुनाने से पहले दोनों पक्षों की दलीलों को सुनना अनिवार्य है?
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हाँ
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एक मुकदमे में अभियोजन पक्ष ने साक्ष्य प्रस्तुत किए, लेकिन वे संदेह से परे अपराध सिद्ध नहीं कर सके। इस स्थिति में न्यायालय क्या आदेश देगा?
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दोषमुक्ति
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यदि अभियुक्त ने अपराध स्वीकार कर लिया है, और यह स्वीकारोक्ति न्यायालय को उचित प्रतीत होती है, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
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दोषसिद्ध कर सकता है
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अभियोजन पक्ष ने 5साक्षीप्रस्तुत किए, परंतु उनके बयान परस्पर विरोधाभासी हैं। न्यायालय का क्या कर्तव्य है?
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अभियुक्त को दोषमुक्त करना
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अभियुक्त के विरुद्ध ऐसे कोई प्रमाण नहीं हैं जो उसे अपराधी सिद्ध कर सकें। यह स्थिति किस निष्कर्ष की ओर ले जाती है?
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दोषमुक्ति
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दोषसिद्धि के बाद न्यायालय क्या करता है?
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सजा निर्धारित करता है
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धारा 272 किस विषय से संबंधित है?
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परिवादी की अनुपस्थिति
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धारा 272 के अनुसार, यदि परिवादी अदालत में उपस्थित नहीं होता है, तो मजिस्ट्रेट क्या कर सकते हैं?
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आरोपी को आरोप मुक्त कर सकते हैं
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धारा 272 का उपयोग किन मामलों में किया जा सकता है?
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केवल गैर-संज्ञेय व समझौतायोग्य अपराधों में
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धारा 272 के अंतर्गत आरोपी को आरोप मुक्त करने से पहले मजिस्ट्रेट को क्या करना आवश्यक है?
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परिवादी को 30 दिन का अवसर देना
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यदि परिवादी 30 दिन के भीतर उपस्थित नहीं होता है, तो क्या परिणाम होगा?
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आरोपी को आरोप मुक्त किया जा सकता है
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एक परिवादी समझौतायोग्य अपराध की सुनवाई में केवल पहली तारीख पर उपस्थित हुआ, उसके बाद कभी नहीं आया। क्या मजिस्ट्रेट उसे बुलाने के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकते हैं?
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नहीं
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किस मामले केस में न्यायालय ने परिवादी की अनुपस्थिति में मजिस्ट्रेट आरोपी को आरोप मुक्त कर सकते हैं निर्णय दिया?
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के.एम. मैथ्यू बनाम केरल राज्य
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किस मामले केस परिवादी की अनुपस्थिति में सुनवाई विषय से संबंधित है?
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एस. आनंद बनाम वसुमति चन्द्रशेखर
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किस मामले मेंयह कहा गया कि न्यायालय को 30 दिन का अवसर देने के बाद ही आरोपी को आरोप मुक्त करना चाहिए?
|
एस. आनंद बनाम वसुमति चन्द्रशेखर
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धारा 272 के तहत आरोप मुक्त करने की शक्ति किसके पास होती है?
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मजिस्ट्रेट
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धारा 272 का उद्देश्य क्या है?
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अनावश्यक मुकदमों से न्यायालय का समय बचाना
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धारा 273 किससे संबंधित है?
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उचित कारण के बिना अभियोग के लिए प्रतिकर
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धारा 273 के अंतर्गत प्रतिकर (compensation) किसे दिया जाता है?
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अभियुक्त को
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यदि अभियुक्त को आरोपमुक्त कर दिया जाता है और अभियोग झूठा या दुर्भावनापूर्ण सिद्ध होता है, तो क्या किया जा सकता है?
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परिवादी को प्रतिकर देने का आदेश दिया जा सकता है
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धारा 273 के अनुसार प्रतिकर का आदेश कब दिया जा सकता है?
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अभियुक्त के दोषमुक्त होने और अभियोग झूठा/दुर्भावनापूर्ण होने पर
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रमेश पर झूठा आरोप लगाया गया कि उसने चोरी की है। न्यायालय ने साक्ष्यों के अभाव में उसे आरोपमुक्त कर दिया और पाया कि शिकायत दुर्भावनापूर्ण थी। इस स्थिति में न्यायालय क्या कर सकता है?
|
शिकायतकर्ता को प्रतिकर देने का आदेश दे सकता है
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झूठे अभियोग के लिए प्रतिकर पाने के लिए अभियुक्त को क्या सिद्ध करना होता है?
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कि अभियोग दुर्भावनापूर्ण और बिना उचित कारण के था
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किस मामले में कोर्ट में झूठे अभियोग के विरुद्ध प्रतिकर एक नागरिक अधिकार है, कहा गया?
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के. करुणाकरन बनाम टी.वी. इचरा वारियर
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किस मामले संबंध झूठे अभियोग में न्यायालय द्वारा प्रतिकर विषय से है?
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दिलीप बनाम मध्य प्रदेश राज्य
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धारा 273 का उद्देश्य क्या है?
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झूठे परिवाद को हतोत्साहित करना
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यदि प्रतिकर देने का आदेश दिया जाता है और परिवादी उसे नहीं देता, तो परिणाम क्या हो सकता है?
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परिवादी को जेल भेजा जा सकता है
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झूठे अभियोग में प्रतिकर का निर्णय किस पर निर्भर करता है?
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न्यायालय के विवेक पर
|
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अध्याय 21
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मजिस्ट्रेट द्वारा समन मामलों का विचारण
(Trial Of Summons-Cases by Magistrates)
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धारा 274 का विषय क्या है?
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अभियोग का सारांश अभियुक्त को बताना
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अभियोग का सारांश बताने का उद्देश्य क्या है?
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अभियुक्त को प्रतिरक्षा तैयार करने का अवसर देना
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धारा 274 के तहत अभियुक्त को अभियोग का सारांश कब बताया जाना चाहिए?
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विचारण शुरू होने से पहले
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यदि अभियोग का सारांश अभियुक्त को नहीं बताया गया, तो क्या हो सकता है?
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अभियुक्त की सुनवाई न्यायसंगत नहीं मानी जाएगी
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एक मामले में अभियुक्त को यह नहीं बताया गया कि उस पर चोरी का आरोप है। विचारण पूरा होने के बाद उसे दोषी ठहराया गया। यह किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन है?
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अनुच्छेद 21 – उचित प्रक्रिया का अधिकार
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न्यायालय ने अभियुक्त को अभियोग की पूरी जानकारी न देकर केवल चार्जशीट पढ़ने को दी। क्या यह धारा 274 के अंतर्गत पर्याप्त होगा?
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नहीं
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किस मामले में कहा गया कि धारा 274 से प्रक्रिया का सख्ती से पालन संबंध है?
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नज़ीर अहमद बनाम किंग एम्परर (1936)
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किस मामले में धारा 274 से प्रतिरक्षा प्रस्तुत करने से पूर्व अभियोग समझने का अधिकार अधिकार का लाभ दिया गया है?
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के.एम. नानावटी बनाम महाराष्ट्र राज्य
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किस के निर्णय में अभियुक्त को अभियोग की स्पष्ट जानकारी देना आवश्यक है सिद्धांत प्रतिपादित हुआ जो धारा 274 से संबंधित है?
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करतार सिंह बनाम पंजाब राज्य (1994)
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अभियुक्त को अभियोग का सारांश बताना न्याय का कौन-सा रूप है?
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प्रक्रियात्मक न्याय
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यदि अभियुक्त शिक्षित नहीं है और उसे अभियोग का सारांश लिखित रूप में दिया जाता है, तो क्या किया जाना चाहिए?
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मौखिक रूप से समझाया जाना चाहिए
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धारा 275 का मुख्य विषय क्या है?
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दोषी होने के अभिवाक पर दोषसिद्धि
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यदि अभियुक्त स्वयं को दोषी बताता है, तो न्यायालय को क्या करना चाहिए?
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उसके अभिवाक की सत्यता और मंशा की जांच करना
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न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि से पहले अभियुक्त को क्या अवसर देना आवश्यक है?
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दंड पर सुनवाई का
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क्या न्यायालय अभियुक्त के दोषी होने के अभिवाक को अस्वीकार कर सकता है?
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हाँ, यदि अभिवाक स्वेच्छा से प्रतीत न हो
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दोषी होने के अभिवाक के आधार पर न्यायालय द्वारा क्या किया जाता है?
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अभियुक्त को दोषी ठहराया जाता है और दंड सुनाया जाता है
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एक अभियुक्त न्यायालय में कहता है कि वह अपराध का दोषी है, लेकिन उसके चेहरे पर चोटों के निशान हैं और वह घबराया हुआ है। न्यायालय को क्या करना चाहिए?
|
उसकी अभिवाक की स्वेच्छा की जांच करना
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एक अभियुक्त दोषी होने की बात स्वीकार करता है लेकिन बाद में कहता है कि उसने डर के कारण ऐसा कहा। इस स्थिति में न्यायालय को क्या करना चाहिए?
|
पुनः विचारण करना
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किस मामले में न्यायालय ने, न्यायालय को अभियुक्त की मंशा की जांच करनी चाहिए, स्पष्ट किया?
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महाराष्ट्र राज्य बनाम सुखदेव सिंह (1992)
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किस मामले में कोर्ट ने यह फैसला अभियुक्त द्वारा दिए गए दोषी अभिवाक की वैधता, स्पष्ट दिया?
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के.एन. कुट्टी बनाम केरल राज्य
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कौन-सा सिद्धांत धारा 275 के अंतर्गत महत्वपूर्ण है?
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फेयर ट्रायल
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यदि अभियुक्त अल्पबुद्धि (mentally challenged) हो और दोषी होने की बात स्वीकार करे, तो न्यायालय को क्या करना चाहिए?
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उसकी मानसिक स्थिति की जांच करवाना
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न्यायालय दोषसिद्धि से पहले अभियुक्त से क्या सुनिश्चित करता है?
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अभियुक्त ने अभिवाक स्वेच्छा से और समझदारी से दिया है
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धारा 276 किस विषय से संबंधित है?
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छोटे मामलों में अभियुक्त की अनुपस्थिति में दोषी होने के अभिवाक् पर दोषसिद्धि
|
धारा 276 के अंतर्गत किस प्रकार के मामलों में अभियुक्त की अनुपस्थिति में दोषसिद्धि संभव है?
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छोटे या लघु अपराध
(Petty offences)
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धारा 276 के तहत दोषसिद्धि किन परिस्थितियों में अमान्य मानी जा सकती है?
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जब अभियुक्त का अभिवाक स्वेच्छा से न दिया गया हो
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एक व्यक्ति पर ₹500 का चालान कटने पर वह लिखित में अदालत को दोष स्वीकार करता है, लेकिन सुनवाई के दिन वह अनुपस्थित रहता है। क्या अदालत उसे धारा 276 के तहत दोषी घोषित कर सकती है?
|
हाँ, यदि लिखा हुआ अभिवाक स्वेच्छा से दिया गया हो
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किस मामले में कोर्ट ने लघु मामलों में अभियुक्त की अनुपस्थिति में दोषसिद्धि संभव है यदि अभिवाक स्वेच्छा से दिया गया हो, बिंदु पर बल दिया?
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रवीन्द्र कुमार बनाम बिहार राज्य (2021)
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किस मामले में न्यायालय ने अभियुक्त का दोषी अभिवाक दबाव में लिया गया था स्थिति में अनुपस्थिति में दोषसिद्धि को अनुचित ठहराया था?
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राज्य बनाम मोहनलाल (2019)
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धारा 276 का लाभ किन्हें मिलता है?
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छोटे अपराधों के अभियुक्तों को
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कौन-सा कथन सही है?
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अभियुक्त की अनुपस्थिति में भी उसे दोषी ठहराया जा सकता है
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धारा 277 किससे संबंधित है?
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प्रक्रिया जब दोषसिद्ध न किया जाए
|
धारा 277 के तहत न्यायालय का क्या कर्तव्य है यदि अभियोजन दोष सिद्ध करने में विफल रहता है?
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अभियुक्त को बरी (उन्मोचित) करे
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कौन सी स्थिति धारा 277 के अंतर्गत आती है?
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अभियुक्त दोषमुक्त पाया जाए
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एक व्यक्ति पर चोरी का आरोप है लेकिन अभियोजन पक्ष सबूत पेश करने में असमर्थ रहा, न्यायालय क्या करेगा?
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अभियुक्त को दोषमुक्त कर देगा
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एक महिला पर अवैध निर्माण का आरोप है लेकिन साक्षी अदालत में झूठे निकले। ऐसी स्थिति में धारा 277 के अनुसार न्यायालय का क्या निर्णय हो सकता है?
|
अभियुक्त दोषमुक्त कर दिया जाएगा
|
यदि अभियुक्त के विरुद्ध लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं होते हैं, तो न्यायालय किस प्रक्रिया का पालन करता है?
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उसे दोषमुक्त कर देता है
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धारा 277 का पालन किस स्तर की न्यायिक इकाई द्वारा किया जा सकता है?
|
कोई भी सक्षम मजिस्ट्रेट
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धारा 277 के अंतर्गत अभियुक्त की दोषमुक्ति किस आधार पर होती है?
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अभियोजन पक्ष द्वारा अपराध सिद्ध न कर पाने पर
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कौन-सी स्थिति धारा 277 के अंतर्गत नहीं आती है?
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अभियुक्त का दोष स्वीकार करना
|
धारा 278 किससे संबंधित है?
|
दोषमुक्ति या दोषसिद्धि
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धारा 278 के अंतर्गत, किस समय दोषमुक्ति या दोषसिद्धि का निर्णय लिया जाता है?
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समस्त साक्ष्यों के परीक्षण के बाद
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यदि न्यायालय यह पाता है कि अभियुक्त द्वारा अपराध किया गया है, तो वह क्या निर्णय देता है?
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दोषसिद्ध करता है
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एक व्यक्ति पर मारपीट का आरोप है। ट्रायल के दौरान सभी साक्षी आरोपी के पक्ष में गवाही देते हैं और अभियोजन कोई ठोस साक्ष्य नहीं दे पाता। न्यायालय क्या करेगा?
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दोषमुक्त करेगा
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यदि न्यायालय साक्ष्यों के आधार पर यह पाता है कि अभियुक्त ने अपराध किया है, तो क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी?
|
दोषसिद्धि होगी
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दोषमुक्ति या दोषसिद्धि का निर्णय लेने से पहले न्यायालय को क्या करना आवश्यक है?
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सभी साक्ष्यों और गवाहों की विवेचना करना
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कौन-सा सिद्धांत धारा 278 के तहत दोषसिद्धि के लिए आवश्यक है?
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संदेह से परे प्रमाण
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दोषसिद्धि के समय न्यायालय को क्या सुनिश्चित करना होता है?
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अभियुक्त को अपनी बात रखने का अवसर दे
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धारा 279 किस स्थिति से संबंधित है?
|
परिवादी का हाजिर न होना या उसकी मृत्यु
|
यदि परिवादी किसी कारण से हाजिर नहीं होता है, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
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मामले की सुनवाई स्थगित कर देगा या मामले को निरस्त कर सकता है
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धारा 279 के अंतर्गत यदि परिवादी की मृत्यु हो जाती है, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
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मामला जीवित गवाहों के आधार पर जारी रख सकता है
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यदि परिवाद पर समन जारी कर दिया गया हो और अभियुक्त की हाजिरी के लिए नियत दिन या उसके पश्चात्वर्ती किसी दिन, जिसके लिए सुनवाई स्थगित की जाती है, परिवादी हाजिर नहीं होता है तो, मजिस्ट्रेट परिवादी को उपस्थित होने के लिए कितने दिन का समय देने के पश्चात् अभियुक्त को दोषमुक्त कर देगा?
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30 दिन
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यदि परिवादी का निधन हो जाता है और उसकी गवाही की आवश्यकता है, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
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गवाहों की अन्य गवाही पर सुनवाई कर सकता है
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यदि परिवादी की मृत्यु हो जाती है, तो न्यायालय को क्या करना चाहिए?
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गवाहों के बयान को ध्यान में रखते हुए सुनवाई जारी रखनी चाहिए
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यदि परिवादी न्यायालय में हाजिर नहीं होता और उसे उचित कारण नहीं दिया जाता, तो क्या न्यायालय को आदेश देने का अधिकार है?
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हां, न्यायालय उसे पुनः हाजिर होने का आदेश दे सकता है
|
धारा 280 किस परिप्रेक्ष्य में है?
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परिवाद को वापस लेना
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धारा 280 के अंतर्गत जब परिवादी विवाद को वापस लेता है, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
|
मामले को रद्द कर सकता है
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यदि कोई अभियोजन पक्ष अपने आरोप को वापस लेता है, तो वह किस धारा के तहत ऐसा कर सकता है?
|
धारा 280
|
यदि परिवादी किसी कारणवश मामले को वापस लेने का निर्णय लेता है, तो न्यायालय की भूमिका क्या होगी?
|
न्यायालय मामले को निरस्त कर देगा
|
क्या न्यायालय को किसी अन्य आदेश को लागू करने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि परिवादी ने परिवाद वापस लेने का फैसला स्वतंत्र रूप से लिया है?
|
हां, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है
|
यदि कोई अभियोजन पक्ष धारा 280 के तहत अपना परिवाद वापस लेता है, तो क्या इसे अभियुक्त की सजा से जोड़ा जा सकता है?
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नहीं, यह केवल मामले को रद्द करेगा
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परिवाद को वापस लेने का क्या प्रभाव होता है जब मामले में अन्य गवाहों के बयान पहले ही दर्ज किए जा चुके हैं?
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न्यायालय गवाहों के बयान पर विचार करके निर्णय ले सकता है
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यदि परिवादी अपनी शिकायत वापस लेता है और बाद में उसे पुनः प्रस्तुत करता है, तो क्या यह कानूनी रूप से संभव है?
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हां, लेकिन इसे न्यायालय की अनुमति की आवश्यकता होती है
|
धारा 281 किससे सम्बन्धित है?
|
कतिपय मामलों में कार्यवाही रोक देने की शक्ति
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धारा 281 के अनुसार कार्यवाही रोकने का कारण क्या हो सकता है?
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न्यायालय को लगता है कि कार्यवाही जारी रखने से अन्याय हो सकता है
|
यदि न्यायालय ने धारा 281 के तहत कार्यवाही रोकने का आदेश दिया, तो क्या यह कार्यवाही स्थायी रूप से रुक जाएगी?
|
नहीं, जब तक न्यायालय आदेश नहीं देता
|
यदि न्यायालय को लगता है कि किसी मामले में कार्यवाही जारी रखने से अन्याय हो सकता है, तो धारा 281 के तहत क्या किया जा सकता है?
|
न्यायालय कार्यवाही रोक सकता है
|
एक मामले में कार्यवाही रुकने के बाद यदि अभियुक्त को नया साक्ष्य मिलता है, तो वह क्या कर सकता है?
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न्यायालय को पुनः कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध कर सकता है
|
किस मामले में न्यायालय ने धारा 281 के तहत अभियोग के संबंध में कार्यवाही को निरस्त कर दिया गया निर्णय लिया था?
|
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम रमेश (2002)
|
धारा 282 के तहत, न्यायालय को क्या शक्ति दी गई है?
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समन को वारण्ट में बदलने की शक्ति
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धारा 282 के अंतर्गत, न्यायालय समन को वारण्ट में क्यों बदल सकता है?
|
जब अभियुक्त पेश नहीं होता है
|
समन को वारण्ट में बदलने का निर्णय किस आधार पर लिया जाता है?
|
अभियुक्त की अनुपस्थिति और मामले की गंभीरता
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जब समन को वारण्ट में बदलने का आदेश दिया जाता है, तो इसका क्या प्रभाव होता है?
|
अभियुक्त पर गिरफ्तारी का आदेश जारी किया जाता है
|
किस मामले में न्यायालय ने समन को वारंट में नियुक्ति का निर्णय अभियुक्त की अनुपस्थिति और अभियुक्त का कोई प्रतिवाद नहीं था लिया?
|
राज्य बनाम राजेश (2009)
|
किस मामले में कोर्ट ने समन को वारंट में बदलाव के बाद अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया और उसे अदालत में पेश किया गया फैसला लिया?
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आर. के. शर्मा बनाम दिल्ली राज्य (2015)
|
किस मामले में उच्च न्यायालय ने समन को वारंट में बदलाव का आदेश अभियुक्त की गंभीर अनदेखी और अदालत में अनुपस्थिति दिया था?
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महाराष्ट्र राज्य बनाम अशोक कुमार (2018)
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यदि न्यायालय समन को वारण्ट में बदलता है, तो क्या यह अभियुक्त के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है?
|
नहीं, यह पूरी तरह से न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है
|
समन को वारण्ट में बदलने के निर्णय को अभियुक्त के खिलाफ कैसे चुनौती दी जा सकती है?
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अभियुक्त को उच्च न्यायालय में अपील दायर करनी होती है
|
अगर समन को वारण्ट में बदलने के बाद अभियुक्त जेल में है, तो क्या उसे तुरंत जमानत मिल सकती है?
|
हां, यदि यह न्यायालय के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है
|
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अध्याय 22
|
संक्षिप्त विचारण
(Summary Trials)
|
धारा 283 किससे सम्बन्धित है?
|
संक्षिप्त विचारण करने की शक्ति
|
संक्षिप्त विचारण करने का निर्णय किस आधार पर लिया जाता है?
|
मामले की जटिलता और गंभीरता के आधार पर
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संक्षिप्त विचारण कौन कर सकता है?
|
कोई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट,
कोई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट
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"संक्षिप्त विचारण" के अंतर्गत कारावास दंड की अधिकतम अवधि है
|
तीन माह
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भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 303 की उपधारा (2), धारा 305 या धारा 306 के अधीन चोरी, जहां चुराई हुई संपत्ति का मूल्य बीस हजार रुपए से अधिक नहीं है, का संक्षिप्त विचारण किया जा सकता है?
|
हां
|
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 317 की उपधारा (2) के अधीन चोरी की संपत्ति को प्राप्त करना या रखे रखना, जहां ऐसी संपत्ति का मूल्य बीस हजार रुपए से अधिक नहीं है, का संक्षिप्त विचारण किया जा सकता है?
|
हां
|
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 317 की उपधारा (5) के अधीन चुराई हुई संपत्ति को छिपाने या उसका व्ययन करने में सहायता करना, जहां ऐसी संपत्ति का मूल्य बीस हजार रुपए से अधिक नहीं है, का संक्षिप्त विचारण किया जा सकता है?
|
हां
|
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 331 की उपधारा (2) और उपधारा (3) के अधीन अपराध, का संक्षिप्त विचारण किया जा सकता है?
|
हां
|
संक्षिप्त विचारण का निर्णय क्यों लिया जा सकता है?
|
अगर मामले में गवाही देने वाले व्यक्ति कम हों
अगर मामला सरल और स्पष्ट होयदि अभियुक्त पहले से दोषी स्वीकार कर चुका हो
|
यदि एक मामला संक्षिप्त विचारण के लिए चुना गया है, तो क्या अभियुक्त को संक्षिप्त प्रक्रिया से पहले कानूनी प्रतिनिधित्व देने का अधिकार होता है?
|
हां, अभियुक्त को कानूनी प्रतिनिधित्व का अधिकार होता है
|
न्यायालय यदि संक्षिप्त विचारण का निर्णय देता है और अभियुक्त जेल में है, तो क्या उसे अदालत में जल्दी पेश किया जा सकता है?
|
हां, जल्दी पेश किया जा सकता है
|
यदि न्यायालय ने किसी मामले में संक्षिप्त विचारण की प्रक्रिया शुरू की है, तो क्या इस प्रक्रिया में अभियुक्त को अपील करने का अधिकार है?
|
हां, वह अपील कर सकता है
|
यदि किसी मामले में संक्षिप्त विचारण का निर्णय लिया जाता है और अभियुक्त दोषी पाया जाता है, तो क्या उसे तत्काल सजा दी जा सकती है?
|
हां, क्योंकि मामला संक्षिप्त विचारण में था
|
किस मामले में कोर्ट ने अवमानना विचार प्रक्रिया का उपयोग मामला सरल था और अधिक समय की आवश्यकता नहीं थी, किया था?
|
आर वी.एक्स (2017)
|
किस मामले में, न्यायालय ने अवमानना विचार की प्रक्रिया के बाद अभियुक्त को दोषी पाया और उसे तत्काल सजा दी निर्णय लिया?
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राज्य बनाम वाई (2019)
|
धारा 284 के अनुसार, किससे सम्बन्धित है?
|
द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेटों द्वारा संक्षिप्त विचारण
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किस धारा के अन्तर्गत बताया गया है कि द्वितीय श्रेणी मजिस्ट्रेट संक्षिप्त विचारण कर सकता है?
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धारा 284
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द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेट के द्वारा संक्षिप्त विचारण की प्रक्रिया किस प्रकार के मामलों में लागू हो सकती है?
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केवल मामूली अपराधों में
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यदि कोई मामला द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा संक्षिप्त विचारण के लिए निर्धारित किया जाता है, तो क्या इसका मतलब यह है कि मामले की सुनवाई कम समय में की जाएगी?
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हां, मामला शीघ्रता से निपटाया जाएगा
|
द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा संक्षिप्त विचारण में किसे साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है?
|
दोनों पक्षों को
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द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा संक्षिप्त विचारण में क्या प्रमुख उद्देश्य होता है?
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मामले को शीघ्र निपटाना
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द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेट को संक्षिप्त विचारण हेतु कौन अधिकृत करता है-
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उच्च न्यायालय
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किस मामले में द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा महामहिम मामला मामूली था और कोई जटिलता नहीं थी, विचार किया गया था?
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राज्य बनाम ए (2015)
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किस मामले में द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेट ने गैलरी विचार के बाद कलाकार को दोषी ठहराया। इस मामले में हां, अपील का अधिकार था, कलाकार को अपील का अधिकार था?
|
आर वी. बी (2018)
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धारा 285 के अनुसार, संक्षिप्त विचारण की प्रक्रिया का उद्देश्य क्या है?
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मामले का शीघ्र निपटारा
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धारा 285 के तहत, संक्षिप्त विचारण की प्रक्रिया किस प्रकार के मामलों में लागू की जा सकती है?
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मामूली और सरल मामलों में
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संक्षिप्त विचारण की प्रक्रिया के तहत, न्यायालय किस आधार पर मामले की शीघ्रता से सुनवाई करता है?
|
मामले की गंभीरता और समयबद्धता को ध्यान में रखते हुए
|
एक मामूली अपराध, जिसमें अभियुक्त के खिलाफ स्पष्ट साक्ष्य नहीं हैं, संक्षिप्त विचारण के लिए भेजा जाता है। इस स्थिति में, क्या न्यायालय इसे शीघ्र निपटाने के लिए कोई विशेष कदम उठाएगा?
|
हां, मामले की सुनवाई शीघ्र की जाएगी
|
यदि एक अभियुक्त द्वारा संक्षिप्त विचारण की प्रक्रिया को चुनौती दी जाती है, तो न्यायालय किस आधार पर उसका फैसला करेगा?
|
मामले की गंभीरता और उचित कारणों को ध्यान में रखते हुए
|
किस मामले में कोर्ट ने डेमोक्रेटिक विचार की अपनी प्रक्रिया और आरोप को दोषी ठहराया। इस मामले में अपील का अधिकार योग्यता का क्या अधिकार मिला?
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XYZ बनाम राज्य (2017)
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यदि संक्षिप्त विचारण की प्रक्रिया में न्यायालय को लगता है कि अभियुक्त को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं, तो न्यायालय क्या करेगा?
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अभियुक्त को दोषमुक्त कर देगा
|
धारा 286 के तहत, संक्षिप्त विचारणों में अभिलेख का क्या महत्व है?
|
यह न्यायालय के आदेशों और निर्णयों को दर्ज करता है
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धारा 286 किससे सम्बन्धित है?
|
संक्षिप्त विचारणों में अभिलेख
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धारा 286 के तहत अभिलेख में क्या-क्या शामिल किया जाएगा?
|
मामले का क्रम संख्यांक, अपराध किए जाने की तारीख,
रिपोर्ट या परिवाद की तारीख
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यदि संक्षिप्त विचारण के दौरान न्यायालय को लगता है कि कुछ महत्वपूर्ण साक्ष्य रिकार्ड नहीं किए गए हैं, तो न्यायालय क्या करेगा?
|
उसे साक्ष्य दर्ज करने का आदेश देगा
|
एक अभियुक्त को संक्षिप्त विचारण में दोषी ठहराया जाता है, लेकिन अभिलेख में कोई त्रुटि पाई जाती है। क्या इससे निर्णय प्रभावित हो सकता है?
|
हां, निर्णय को रद्द किया जा सकता है
|
यदि एक संक्षिप्त विचारण में अभियुक्त के बयान को सही तरीके से रिकॉर्ड नहीं किया गया, तो क्या इसके परिणाम हो सकते हैं?
|
न्यायालय द्वारा पुनः बयान दर्ज किया जाएगा
|
यदि संक्षिप्त विचारण के दौरान अभिलेख की त्रुटि पाई जाती है, तो इसके लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
|
साक्ष्यों को पुनः रिकॉर्ड किया जाए और निर्णय को सही किया जाए
|
धारा 287 के तहत संक्षेपतः विचारित मामलों में निर्णय किस प्रकार लिया जाता है?
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मामले के तथ्य और साक्ष्यों को संक्षेप में परखा जाता है
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धारा 287 के अनुसार किससे सम्बन्धित है?
|
संक्षेपतः विचारित मामलों में निर्णय
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संक्षेपतः विचारित मामलों में निर्णय की प्रक्रिया में क्या महत्वपूर्ण पहलू है?
|
केस की संक्षिप्तता और प्राथमिकता
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संक्षेपतः विचारित मामलों में निर्णय की प्रक्रिया में कितना समय लिया जाता है?
|
एक निश्चित समय सीमा के भीतर निर्णय लिया जाता है
|
अगर किसी संक्षिप्त विचारण में दोनों पक्षों के साक्ष्य एक समान हैं, तो निर्णय देने में किस बात को प्राथमिकता दी जाती है?
|
दोनों पक्षों के तर्क
|
यदि संक्षिप्त विचारण में अभियुक्त ने कोई महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत किया है, तो न्यायालय उसे कैसे संक्षेप में स्वीकार करेगा?
|
दस्तावेज़ की जाँच की जाएगी और उसके बाद निर्णय लिया जाएगा
|
धारा 288 के अनुसार किससे सम्बन्धित है?
|
अभिलेख और निर्णय की भाषा
|
धारा 288 के अनुसार अभिलेख और निर्णय की भाषा क्या होगी?
|
न्यायालय की भाषा में
|
धारा 288 के तहत अभिलेख और निर्णय की भाषा निर्धारित करने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
|
न्यायालय की कार्यवाही को सरल और स्पष्ट बनाना
न्यायालय के फैसलों को न्यायिक भाषाओं में रखा जाना अभियुक्त और शिकायतकर्ता को समझने में सुविधा
|
यदि कोई विशेष अदालत क्षेत्रीय भाषा का चयन करती है, तो उस न्यायालय के फैसलों की भाषा क्या होगी?
|
क्षेत्रीय भाषा
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न्यायालय के निर्णय और अभिलेख की भाषा किसके द्वारा तय की जाती है?
|
न्यायालय द्वारा
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एक विशेष क्षेत्रीय न्यायालय ने क्षेत्रीय भाषा में अपने फैसले दिए हैं, लेकिन दूसरे राज्य के न्यायालय में इसकी सुनवाई होनी है। उस स्थिति में फैसले की भाषा किस प्रकार परिवर्तित होगी?
|
फैसले को अंग्रेजी में अनुवादित किया जाएगा
|
यदि किसी व्यक्ति ने न्यायालय में अपनी क्षेत्रीय भाषा में बयान दिया है, तो क्या उस बयान का अभिलेख उसी भाषा में किया जाएगा?
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हां, क्षेत्रीय भाषा में किया जाएगा
|
|
अध्याय 23
|
सौदा अभिवाक्
(Plea Bargaining)
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धारा 289 किस विषय से संबंधित है?
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अध्याय का लागू होना
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धारा 289 का उद्देश्य क्या है?
|
यह बताना कि यह अध्याय किन मामलों पर लागू होगा
|
धारा 289 में किस प्रकार की शक्तियों की बात की गई है?
|
न्यायालय द्वारा अध्याय की धाराओं को लागू करने की
|
क्या धारा 289 स्वतः सभी मामलों में लागू होती है?
|
नहीं
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किस मामले में न्यायालय ने अपराध की गंभीरता और न्याय की मांग आधारों पर अध्याय को बदलाव की अनुमति दी?
|
रमेश कुमार बनाम राज्य (2018)
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किस मामले में न्यायालय ने धारा 289 धारा के द्वितीय अध्याय की धारा के उपयोग को सही ठहराया?
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सूरज भान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2019)
|
यदि न्यायालय यह पाता है कि संक्षिप्त विचारण न्याय के अनुकूल नहीं है, तो वह क्या करेगा?
|
मामले को सामान्य प्रक्रिया में स्थानांतरित करेगा
|
धारा 289 के अंतर्गत न्यायालय की भूमिका क्या है?
|
यह तय करना कि कौन-सा अध्याय लागू हो
|
क्या धारा 289 न्यायालय को विवेकाधिकार प्रदान करती है?
|
हाँ
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यदि मजिस्ट्रेट को संदेह हो कि वर्तमान प्रक्रिया न्यायहित में नहीं है, तो वह धारा 289 का प्रयोग कर क्या कर सकता है?
|
अध्याय परिवर्तित कर सकता है
|
धारा 290 किससे संबंधित है?
|
सौदा अभिवाक् के लिए आवेदन
|
सौदा अभिवाक् का तात्पर्य है –
|
अभियुक्त द्वारा अपराध स्वीकार कर कम दंड पाने का अनुरोध
|
सौदा अभिवाक् के लिए आवेदन किस स्तर पर किया जा सकता है?
|
आरोप तय होने के बाद और साक्ष्य के पहले
|
क्या सौदा अभिवाक् हर अपराध के लिए लागू होता है?
|
नहीं
|
सौदा अभिवाक् का लाभ किसे मिल सकता है?
|
अभियुक्त
|
अगर अभियुक्त ने धारा 290 के अंतर्गत सौदा अभिवाक् के लिए आवेदन किया, तो न्यायालय की पहली प्रक्रिया क्या होगी?
|
अभियोजन को नोटिस देना और पक्ष सुनना
|
एक अभियुक्त ने चोरी के एक साधारण मामले में सौदा अभिवाक् के लिए आवेदन किया, क्या न्यायालय उसे अनुमति दे सकता है?
|
हाँ, यदि अपराध गंभीर नहीं है और अभियुक्त ने अपराध स्वीकार कर लिया है
|
यदि अभियुक्त ने दबाव में सौदा अभिवाक् के लिए आवेदन किया हो, तो न्यायालय को क्या करना चाहिए?
|
आवेदन को अस्वीकार करना
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने डील अभिवाक की प्रक्रिया को न्यायिक प्रक्रिया को सरल करने की विधि रूप में समझाया?
|
गुजरात राज्य बनाम नटवर हरचंदजी ठाकोर (2005)
|
किस मामले में न्यायालय ने कहा कि - अभियुक्त को मजबूर नहीं किया जा सकता?
|
मुरलीधर मेघराज लोया बनाम महाराष्ट्र राज्य
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने डील अभियोग के अभियुक्त की स्वेच्छा पक्ष पर विशेष बल दिया?
|
सुखदेव सिंह बनाम पंजाब राज्य (2014)
|
सौदा अभिवाक् की प्रणाली से न्यायपालिका को क्या लाभ होता है?
|
कार्यभार घटता है और समय की बचत होती है
|
यदि अभियुक्त ने सौदा अभिवाक् के लिए आवेदन किया और अभियोजन पक्ष सहमत नहीं है, तो न्यायालय क्या करेगा?
|
दोनों पक्षों को सुनकर निर्णय लेगा
|
सौदा अभिवाक् की प्रक्रिया को किस प्रकार की न्यायिक निगरानी की आवश्यकता होती है?
|
सख्त और निष्पक्ष
|
धारा 291 किस विषय से संबंधित है?
|
पारस्परिक संतोषप्रद निपटारे के लिए मार्गदर्शी सिद्धांत
|
पारस्परिक संतोषप्रद निपटारे के अंतर्गत मुख्य रूप से किन पक्षों के बीच समझौते की बात होती है?
|
अभियुक्त और परिवादी/पीड़ित
|
धारा 291 के अंतर्गत समझौते की प्रक्रिया किस सिद्धांत पर आधारित होनी चाहिए?
|
मुआवजा और संतोष
|
पारस्परिक संतोषप्रद निपटारे की प्रक्रिया का उद्देश्य क्या है?
|
त्वरित और न्यायसंगत निपटारा
|
यदि अभियुक्त और पीड़ित के बीच धारा 291 के तहत समझौता होता है, तो न्यायालय को क्या देखना चाहिए?
|
समझौते की स्वेच्छा और पारदर्शिता
|
अभियुक्त और पीड़ित के बीच निपटारे के बाद, न्यायालय किसके अनुसार निर्णय देगा?
|
पारस्परिक समझौते के अनुसार
|
यदि पीड़ित नाबालिग है, तो समझौते की वैधता पर न्यायालय को क्या विचार करना चाहिए?
|
पीड़ित के संरक्षक की स्वीकृति और न्यायालय की संतुष्टि
|
धारा 292 किससे संबंधित है?
|
पारस्परिक संतोषप्रद निपटारे की रिपोर्ट का न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाना
|
धारा 292 के अनुसार, पारस्परिक संतोषप्रद निपटारे की रिपोर्ट कौन प्रस्तुत करता है?
|
सक्षम अधिकारी
|
न्यायालय के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का उद्देश्य क्या है?
|
समझौते की स्वीकृति के लिए न्यायालय की संतुष्टि प्राप्त करना
|
रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद न्यायालय क्या कर सकता है?
|
रिपोर्ट को नजरअंदाज करना समझौते को अस्वीकार करना
|
पारस्परिक संतोषप्रद निपटारे की रिपोर्ट को न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए किस प्रकार की भाषा और प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए?
|
लिखित और स्वपाक्षीय
|
यदि रिपोर्ट में यह स्पष्ट न हो कि समझौता स्वेच्छा से हुआ है, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
|
रिपोर्ट खारिज करना
|
यदि मध्यस्थ रिपोर्ट प्रस्तुत करता है कि दोनों पक्षों ने आपसी समझौता कर लिया है, किंतु पीड़ित न्यायालय में असहमति जताता है, तो न्यायालय क्या करेगा?
|
समझौते को अस्वीकार करेगा
|
धारा 292 की प्रक्रिया किस न्यायिक सिद्धांत को मजबूत करती है?
|
त्वरित न्याय
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 293 का विषय क्या है?
|
मामले का निपटारा
|
धारा 293 के अंतर्गत न्यायालय कब मामले का निपटारा कर सकता है?
|
जब न्यायालय संतुष्ट हो कि निपटारा निष्पक्ष, स्वैच्छिक एवं न्यायसंगत है
|
क्या धारा 293 के अंतर्गत न्यायालय अभियोजन को समाप्त कर सकता है?
|
हाँ, यदि समझौता मान्य हो
|
निपटारा करने से पूर्व न्यायालय को किन बिंदुओं की पुष्टि करनी होती है?
|
पीड़ित की सहमति और संतोष
|
यदि अभियुक्त और पीड़ित ने आपसी समझौता किया है, लेकिन न्यायालय को समझौता दबाव में हुआ प्रतीत होता है, तो न्यायालय क्या करेगा?
|
समझौते को अस्वीकार करेगा
|
यदि न्यायालय समझौते को स्वीकार कर लेता है, तो वह क्या कर सकता है?
|
आरोपी को दोषमुक्त घोषित करना मुआवजा आदेशित करना समझौते के अनुसार सज़ा देना
|
धारा 293 किस न्यायिक उद्देश्य की पूर्ति करती है?
|
वैकल्पिक विवाद समाधान
|
न्यायालय द्वारा समझौते को स्वीकार करने की प्रक्रिया किस सिद्धांत पर आधारित है?
|
न्यायिक विवेक
|
धारा 294 किससे सम्बन्धित है?
|
न्यायालय का निर्णय
|
धारा 295 किससे सम्बन्धित है?
|
निर्णय का अंतिम होना
|
धारा 295 के अनुसार किसी न्यायालय का निर्णय कब अंतिम माना जाता है?
|
जब अपील या पुनर्विचार की अनुमति न हो
|
जब अपील या पुनर्विचार की अनुमति न हो
|
कानूनी विवादों को स्थायित्व देना
|
कौन-सा निर्णय "अंतिम निर्णय" नहीं कहलाता?
|
अंतरिम जमानत आदेश
|
धारा 296 किससे सम्बन्धित है?
|
सौदा अभिवाक् में न्यायालय की शक्ति
|
धारा 297 किससे सम्बन्धित है?
|
अभियुक्त द्वारा भोगी गई निरोध की अवधि का कारावास के दंडादेश के विरुद्ध मुजरा किया जाना
|
यदि अभियुक्त को 5 वर्ष की सजा हुई है और उसने विचाराधीन अवस्था में 2 वर्ष जेल में बिताए हैं, तो सजा कितने वर्ष मानी जाएगी?
|
3 वर्ष
|
धारा 297 के अंतर्गत किस प्रकार की सजा पर यह छूट लागू होती है?
|
कारावास की सजा
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया: पुलिस और न्यायिक दोनों प्रकार की हिरासत की अवधि सजा में घटाई जाएगी
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम नजाकत आलिया मुबारक अली (2001)
|
किस मामले में केस में कोर्ट ने अपील लंबित होने पर भी सजा घटाई जा सकती है कहा?
|
विकास यादव बनाम यूपी राज्य (2016)
|
यदि अभियुक्त को 3 वर्ष की सजा दी गई और वह पहले ही 3 वर्ष विचाराधीन स्थिति में जेल में था, तो न्यायालय:
|
उसे रिहा कर देगा
|
क्या विचाराधीन बंदी की अवधि घटाने का आदेश न्यायालय की विवेकाधीन शक्ति है?
|
नहीं, यह वैधानिक अधिकार है
|
विचाराधीन अवधि कब से मानी जाती है?
|
गिरफ्तारी की तिथि से
|
यदि अभियुक्त को दो अलग-अलग मामलों में विचाराधीन रहते हुए जेल में रखा गया, तो धारा 297 किस तरह लागू होगी?
|
न्यायालय के विवेक पर निर्भर
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 298 किससे संबंधित है?
|
व्यावृति से
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व्यावृति (Vagrancy) का सामान्य अर्थ क्या होता है?
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व्यक्ति जो सार्वजनिक स्थान पर अनुचित ढंग से भिक्षा मांगता है या लक्ष्यहीन घूमता है
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धारा 299 किस विषय से संबंधित है?
|
अभियुक्त द्वारा दिए गए कथनों की सीमाएं
|
धारा 300 किस विषय से संबंधित है?
|
अध्याय 23 का लागू होना
|
|
अध्याय 24
|
कारागारों में परिरुद्ध या निरुद्ध व्यक्तियों की हाजिरी
(Attendance Of Persons Confined or Detained in Prisons)
|
धारा 302 किस विषय से संबंधित है?
|
बन्दियों को हाजिर कराने की अपेक्षा करने की शक्ति
|
धारा 303 किस विषय से संबंधित है?
|
धारा 302 के प्रवर्तन से कतिपय व्यक्तियों को अपवर्जित करने की राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार की शक्ति
|
धारा 304 किस विषय से संबंधित है?
|
कारागार का भारसाधक अधिकारी कतिपय आकस्मिकताओं में आदेश को कार्यान्वित करना
|
धारा 305 किस विषय से संबंधित है?
|
बन्दी का न्यायालय में अभिरक्षा में लाया जाना
|
धारा 306 किस विषय से संबंधित है?
|
कारागार में साक्षी की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करने की शक्ति
|
|
अध्याय 25
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जांचों और विचारणों में साक्ष्य
(Evidence In Inquiries and Trials)
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क- साक्ष्य लेने और अभिलिखित करने का ढंग (Mode of taking and recording evidence)
|
कौन उच्च न्यायालय के अलांवा प्रत्येक न्यायालय की भाषा का निर्धारण कर सकता है-
|
राज्य सरकार
|
धारा 307 किससे सम्बन्धित है?
|
न्यायालयों की भाषा
|
किस निर्णय में यह स्पष्ट किया गया कि न्यायिक कार्यवाही की भाषा को बदलने के लिए केंद्र की सहमति आवश्यक है?
|
कृष्ण रेड्डी बनाम आंध्र प्रदेश राज्य
|
किस निर्णय में मामले में भाषा से संबंधित शिक्षा में मातृभाषा का अधिकार सिद्धांत रखा गया था?
|
टीएमए पाई फाउंडेशन बनाम कर्नाटक राज्य
|
'न्यायालय की भाषा' से संबंधित संवैधानिक प्रोविजन क्या है?
|
अनुच्छेद 348
|
धारा 308 किससे संबंधित है?
|
साक्ष्य का अभियुक्त की उपस्थिति में लिया जाना
|
धारा 308 के अनुसार, अभियुक्त की उपस्थिति न होने की स्थिति में साक्ष्य लेने का उद्देश्य क्या होता है?
|
गवाहों की उपलब्धता का लाभ उठाना
|
किस निर्णय में यह कहा गया कि मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अभियुक्त को प्रत्येक गवाही सुनने का अधिकार है सिद्धांत को खारिज किया?
|
राजस्थान राज्य बनाम काशी राम (2006)
|
किस निर्णय में यह कहा गया कि अभियुक्त की अनुपस्थिति में गवाही लेना तभी वैध है जब उसे अवसर दिया गया हो उपस्थित रहने का?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम डॉ. प्रफुल्ल बी.देसाई
|
किस निर्णय में यह कहा गया कि मामले में आरोपियों की गवाही और गवाहों के अधिकार को निष्पक्ष सुनवाई के लिए आवश्यक रूप में देखा गया?
|
जाहिरा शेख बनाम गुजरात राज्य
|
साक्ष्य अधिनियम और धारा 308 के परिप्रेक्ष्य में किस मामले मेंकहा गया कि "गवाह का परीक्षण अभियुक्त की अनुपस्थिति में नहीं होना चाहिए"?
|
बद्री बनाम राजस्थान राज्य
|
धारा 309 किस प्रकार के मामलों से संबंधित है?
|
समन मामलों और जांचों में अभिलेख
|
किस निर्णय में यह कहा गया कि मामले में जाँच में गोपनीयता आवश्यक है सिद्धांत की व्याख्या की गई?
|
भारत संघ बनाम डब्ल्यू.एन. चड्ढा (1992)
|
किस निर्णय में अभिलेखीय प्रक्रिया और जांच के संबंध में समन मामले की कार्यवाही की अभिलेखीय गुणवत्ता न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करती है महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए हैं?
|
टी.टी. एंटनी बनाम केरल राज्य (2001)
|
धारा 309 के अंतर्गत यदि मजिस्ट्रेट किसी साक्षी की पूरी गवाही नहीं लिखता है, तो वह क्या लिख सकता है?
|
गवाही का सारांश
|
धारा 310 किस प्रकार के मामलों पर लागू होती है?
|
वारण्ट- मामलों में अभिलेख
|
धारा 310 के अनुसार, मजिस्ट्रेट को क्या करना आवश्यक होता है?
|
विचारित सब वारंट मामलों में प्रत्येक साक्षी का साक्ष्य जैसे-जैसे उसकी परीक्षा होती जाती है, वैसे-वैसे या
तो स्वयं मजिस्ट्रेट द्वारा लिखा जाएगा या
खुले न्यायालय में उसके द्वारा बोलकर लिखवाया जाएगा
|
वारंट मामले में मजिस्ट्रेट को किस प्रकार की प्रविष्टियाँ करनी होती हैं?
|
लिखे गए साक्ष्य पर मजिस्ट्रेट हस्ताक्षर करेगा और वह अभिलेख का भाग होगा ।
|
धारा 311 किससे संबंधित है?
|
सेशन न्यायालय के समक्ष विचारण में अभिलेख
|
धारा 311 किस न्यायालय में विचारण के समय अभिलेख बनाए जाने से संबंधित है?
|
सत्र न्यायालय
|
धारा 311 के अनुसार सत्र न्यायालय को कार्यवाही का अभिलेख किस प्रकार से तैयार करना होता है?
|
लिखित या इलेक्ट्रॉनिक विधि द्वारा
|
किस मामले में मुख्य सिद्धांत न्यायाधीश द्वारा दर्ज की गई गवाही अधिक विश्वसनीय मानी जाती है, था?
|
तारा सिंह बनाम राज्य
(AIR 1951 SC 441)
|
किस मामले में कहा गया कि रिकॉर्डिंग का महत्व न्यायिक पारदर्शिता और अभियुक्त के अधिकारों की रक्षा है?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम सुखदेव सिंह (1992)
|
धारा 311 का उद्देश्य क्या है?
|
कार्यवाही की पारदर्शिता एवं निष्पक्षता सुनिश्चित करना
|
धारा 312 किससे संबंधित है?
|
साक्ष्य के अभिलेख की भाषा
|
धारा 312 का उद्देश्य क्या है?
|
निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करना
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने आरोपी को अपनी भाषा में कार्यवाही समझ आना न्याय का मूल सिद्धांत है पर चर्चा की?
|
तमिलनाडु राज्य बनाम राजेंद्रन (1999)
|
धारा 313 किस विषय से संबंधित है?
|
ऐसे साक्ष्य के पूरा होने पर उसके संबंध में प्रक्रिया
|
धारा 313 के अनुसार, अभियुक्त से प्रश्न किस समय किए जाते हैं?
|
अभियोजन पक्ष की साक्ष्य पूरी होने के बाद
|
क्या धारा 313 के अंतर्गत अभियुक्त की चुप्पी को उसके विरुद्ध माना जा सकता है?
|
नहीं
|
धारा 313 के तहत अभियुक्त के उत्तर को किस रूप में माना जाता है?
|
साक्ष्य के रूप में
|
यदि न्यायालय धारा 313 के अंतर्गत अभियुक्त से बयान नहीं लेता, तो परिणाम क्या होगा?
|
निर्णय अमान्य घोषित किया जा सकता है
|
क्या अभियुक्त के धारा 313 बयान के लिए शपथ आवश्यक है?
|
नहीं
|
क्या अभियुक्त धारा 313 बयान में झूठ बोल सकता है?
|
यह न्यायालय के विवेक पर है
|
धारा 313 में पूछे गए प्रश्नों को कैसे प्रस्तुत किया जाना चाहिए?
|
न्यायालय द्वारा सीधे और सरल भाषा में
|
धारा 313 के अंतर्गत अभियुक्त को क्या अवसर मिलता है?
|
अपना बचाव प्रस्तुत करने का
|
धारा 314 किस विषय से संबंधित है?
|
अभियुक्त या उसके अधिवक्ता को साक्ष्य का भाषान्तर सुनाया जाना
|
यदि अभियुक्त साक्ष्य की भाषा नहीं समझता, तो न्यायालय को क्या करना चाहिए?
|
अभियुक्त या उसके अधिवक्ता को भाषान्तर सुनाना चाहिए
|
क्या साक्ष्य का भाषान्तर अभियुक्त को आवश्यक रूप से सुनाया जाना चाहिए?
|
हाँ, यदि वह भाषा नहीं समझता
|
क्या अभियुक्त के अधिवक्ता को भी साक्ष्य का भाषान्तर सुनाया जा सकता है?
|
हाँ
|
साक्ष्य का भाषान्तर कौन कर सकता है?
|
कोई उपयुक्त दुभाषिया
|
किस मामले में कहा गया कि अभियुक्त को साक्ष्य का पूर्ण ज्ञान दिया जाना चाहिए?
|
के.के. पाल बनाम एम्परर (एआईआर 1933 सभी 810)
|
किस मामले में कहा गया कि यदि अभियुक्त को साक्ष्य की भाषा समझ में न आए, तो कार्यवाही अमान्य मानी जा सकती है?
|
नजीर अहमद बनाम किंग एम्परर (1936)
|
किस मामले में कहा गया कि अभियुक्त का साक्ष्य को समझना और उसका उत्तर देना, अधिकार की पुष्टि की?
|
राजस्थान राज्य बनाम दर्शन सिंह (2012)
|
यदि अभियुक्त को भाषान्तर नहीं सुनाया गया और वह निर्णय के बाद दावा करता है, तो क्या हो सकता है?
|
कार्यवाही अमान्य घोषित की जा सकती है
|
साक्ष्य का भाषान्तर अभियुक्त को कब सुनाया जाना चाहिए?
|
गवाही के ठीक बाद या साथ-साथ
|
अभियुक्त नेपाली है और कार्यवाही हिंदी में हो रही है। वह हिंदी नहीं समझता। न्यायालय क्या करेगा?
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उसे नेपाली भाषान्तर सुनवाएगा
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अभियुक्त ने कहा कि वह हिंदी समझता है, परन्तु बाद में दावा किया कि उसे साक्ष्य समझ में नहीं आया। न्यायालय क्या करेगा?
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जांच करेगा कि उसने पहले क्यों स्वीकारा
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धारा 315 किस विषय से संबंधित है?
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साक्षी की भावभंगी के बारे में टिप्पणियां
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"भावभंगी" शब्द का क्या तात्पर्य है?
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गवाह के शारीरिक हाव-भाव और व्यवहार
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न्यायालय किस परिस्थिति में साक्षी की भावभंगी पर टिप्पणी कर सकता है?
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जब न्यायालय साक्ष्य स्वयं दर्ज कर रहा हो
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न्यायालय द्वारा की गई भावभंगी पर टिप्पणी क्या दर्शाती है?
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गवाह की गवाही की सत्यता का अनुमान
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गवाह कोर्ट में गवाही देते समय बार-बार इधर-उधर देखने लगा, और उसका स्वर बदलता रहा। न्यायालय ने उसकी भावभंगी पर नकारात्मक टिप्पणी की। इसका प्रभाव क्या होगा?
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गवाही की विश्वसनीयता पर संदेह होगा
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एक साक्षी ने पूरी गवाही के दौरान आंख से आंख नहीं मिलाई और चुपचाप रहा। न्यायालय ने इसे उसकी गवाही की कमजोरी माना। यह किस धारा के अंतर्गत आता है?
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धारा 315
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एक मजिस्ट्रेट ने साक्ष्य लिखते समय साक्षी की भाषा, हाव-भाव और आंखों के संपर्क पर टिप्पणी नहीं की। क्या यह उचित है?
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नहीं, उसे धारा 315 के अंतर्गत टिप्पणी करनी चाहिए थी
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 316 का संबंध किससेहै?
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अभियुक्त की परीक्षा के अभिलेख से
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अभियुक्त की परीक्षा किस धारा के तहत होती है?
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धारा 316
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अभियुक्त की परीक्षा का अभिलेख कौन तैयार करता है?
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न्यायालय या उसके निर्देश पर अधिकारी
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 317 का उद्देश्य क्या है?
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दुभाषिया ठीक- ठीक भाषान्तर करने के लिए आबद्ध होगा
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किस मामले में कहा गया कि दुभाषिया का नियुक्ति न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में है?
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राज्य बनाम राम चंदर (1980)
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किस मामले में कहा गया कि दुभाषिया का कार्य केवल अनुवाद तक सीमित नहीं होता?
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एम. एम. चावला बनाम राज्य (1992)
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किस मामले में कहा गया कि दुभाषिया की भूमिका के बारे में दुभाषिया को न्यायालय की प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अनुवाद करने की जिम्मेदारी होती है, बताया गया था?
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रघुनाथ सिंह बनाम भारत संघ (1995)
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धारा 318 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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उच्च न्यायालय में अभिलेख
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ख - साक्षियों की परीक्षा के लिए कमीशन (Commissions for The Examination of Witnesses)
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धारा 319 किससे सम्बन्धित है?
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साक्षियों को जब हाजिर होने से अभिमुक्ति दी जाए और कमीशन जारी किया जाएगा
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धारा 319 के अंतर्गत किसे "हाजिर होने से अभिमुक्त" किया जा सकता है?
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साक्षी को
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कमीशन क्या है?
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न्यायालय द्वारा नियुक्त अधिकारी जो साक्षी का बयान लेता है
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धारा 319 किस स्थिति में लागू होती है?
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जब साक्षी अदालत में हाजिर न हो सके या उसे छूट दी जाए
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किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग भी कमीशन का रूप हो सकती है, व्याख्या दी?
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महाराष्ट्र राज्य बनाम डॉ. प्रफुल्ल बी. देसाई (2003)
|
किस मामले में कोर्ट ने गवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ली जा सकती है कहा?
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अमिताभ बागची बनाम एना बागची (2005)
|
न्यायालय ने कमीशन तभी लागू हो सकता है जब साक्षी की अनुपस्थिति न्यायोचित हो निर्णय दिया?
|
यू.पी राज्य बनाम शंभू नाथ सिंह (2001)
|
कमीशन जारी करने के लिए किसकी अनुमति आवश्यक होती है?
|
न्यायालय की
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कमीशन के तहत साक्ष्य किसके समक्ष दर्ज किया जाता है?
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नियुक्त अधिकारी या न्यायिक अधिकारी
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कमीशन द्वारा लिए गए साक्ष्य को न्यायालय में कैसे प्रस्तुत किया जाता है?
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अभिलेखीय रूप में
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क्या कमीशन के माध्यम से लिया गया साक्ष्य अभियोजन या बचाव दोनों के लिए प्रयोज्य है?
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केवल अभियोजन के लिए केवल बचाव के लिए
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यदि एक गंभीर रूप से बीमार है और अदालत में उपस्थित नहीं हो सकता, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
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कमीशन द्वारा उसका बयान दर्ज करवाएगा
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एक साक्षी विदेश में है लेकिन महत्वपूर्ण साक्ष्य दे सकता है, न्यायालय क्या करेगा?
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कमीशन द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से गवाही दर्ज करवाएगा
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यदि कमीशन द्वारा लिया गया साक्ष्य पक्षकारों के समक्ष दर्ज नहीं हुआ हो, तो क्या होगा?
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साक्ष्य मान्य होगा यदि पक्षकारों को अवसर दिया गया था
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कमीशन के लिए साक्षी की अनुपस्थिति किन कारणों से न्यायोचित मानी जा सकती है?
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बीमारी वृद्धावस्था विदेश यात्रा
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कमीशन के माध्यम से गवाही लेने से किसका अधिकार सुरक्षित होता है?
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न्यायिक निष्पक्षता और अभियुक्त का क्रॉस एग्ज़ामिनेशन का अधिकार
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क्या कमीशन के माध्यम से लिया गया बयान मुख्य परीक्षण में उपयोग हो सकता है?
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हाँ, यदि न्यायालय स्वीकार करे
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धारा 319 के अंतर्गत साक्षी की अनुपस्थिति किसके निर्देश पर माफ की जाती है?
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न्यायालय
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कमीशन द्वारा दर्ज साक्ष्य का क्रॉस-एग्ज़ामिनेशन किसके समक्ष होता है?
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कमीशन अधिकारी के समक्ष
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धारा 320 के अनुसार कमीशन किसे जारी किया जा सकता है?
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किसी मजिस्ट्रेट या विधि द्वारा सक्षम अधिकारी को
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कमीशन जारी करने की प्रक्रिया का उद्देश्य क्या होता है?
|
कमीशन जारी करने की प्रक्रिया का उद्देश्य क्या होता है?
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से कमीशन द्वारा दर्ज करना वैध माना?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम डॉ. प्रफुल्ल देसाई (2003)
|
किस मामले में न्यायालय ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कमीशन द्वारा साक्ष्य लेना संभव है, निर्णय दिया था?
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अमिताभ बागची बनाम एना बागची (2005)
|
कोर्ट ने कहा - कमीशन तभी मान्य है जब साक्षी की अनुपस्थिति न्यायोचित हो
|
यूपी राज्य बनाम शंभू नाथ सिंह (2001)
|
क्या सिविल मामलों में भी कमीशन जारी किया जा सकता है?
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हाँ, साक्ष्य अधिनियम के तहत
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यदि कोई अधिकारी कानून द्वारा साक्ष्य लेने हेतु अधिकृत नहीं है, तो क्या उसे कमीशन मिल सकता है?
|
नहीं
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यदि न्यायालय को लगता है कि साक्षी का उपस्थित होना संभव नहीं है, तो वह क्या कर सकता है?
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कमीशन द्वारा साक्ष्य लेने का आदेश देगा
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धारा 320 किससे सम्बन्धित है?
|
कमीशन किसको जारी किया जाएगा
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धारा 321 के अंतर्गत साक्षी उन राज्यक्षेत्रों के भीतर है, जिन पर इस संहिता का विस्तार है, तो कमीशन किस को निदिष्ट होगा?
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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट
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क्या कमीशन केवल मजिस्ट्रेट को ही जारी हो सकता है?
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नहीं, विधि द्वारा अधिकृत अधिकारी को भी
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यदि मजिस्ट्रेट अनुपलब्ध हो, तो क्या कमीशन किसी अन्य अधिकारी को सौंपा जा सकता है?
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हाँ, यदि वह विधि द्वारा अधिकृत हो
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धारा 321 किससे सम्बन्धित है?
|
कमीशन का निष्पादन
|
क्या कमीशन निष्पादन के दौरान साक्षियों को समन जारी किया जाता है?
|
हाँ
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किस मामले में कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से कमीशन का निष्पादन वैध माना था?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम डॉ. प्रफुल्ल देसाई (2003)
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किस मामले में कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि कमीशन का निष्पादन जब साक्षी न्यायालय नहीं आ सकता, किया जा सकता है?
|
अमिताभ बागची बनाम एना बागची (2005)
|
किस मामले में कोर्ट ने कमीशन का निष्पादन तभी वैध है जब उसे कानून के अनुसार पूरा किया गया हो निर्देश दिये?
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यूपी राज्य बनाम शंभू नाथ सिंह (2001)
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कमीशन निष्पादन के बाद रिपोर्ट किसे सौंपी जाती है?
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वही न्यायालय जिसने कमीशन जारी किया
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क्या कमीशन निष्पादन के दौरान साक्ष्य शपथ के तहत लिया जाता है?
|
हाँ
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यदि कमीशन निष्पादन में प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ हो, तो उसका क्या प्रभाव होता है?
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रिपोर्ट निरस्त की जा सकती है
|
यदि एक कमीशन अधिकारी साक्षी को समन जारी करने में असफल रहता है, तो क्या होगा?
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रिपोर्ट अमान्य हो सकती है
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कमीशन निष्पादन के समय एक साक्षी उपस्थित नहीं होता, तो अधिकारी क्या कर सकता है?
|
गवाह की अनुपस्थिति को दर्ज करेगा और प्रयास फिर से करेगा
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कमीशन निष्पादन की रिपोर्ट को किस रूप में न्यायालय को भेजा जाता है?
|
शपथयुक्त लिखित रिपोर्ट के रूप में
|
क्या कमीशन निष्पादक अधिकारी प्रश्न पूछ सकता है?
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हाँ, साक्ष्य लेने के लिए आवश्यक प्रश्न
|
कमीशन का निष्पादन विधिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा क्यों है?
|
साक्षियों की अनुपलब्धता के बावजूद साक्ष्य सुरक्षित करने के लिए
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कमीशन का निष्पादन किस सिद्धांत पर आधारित है?
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निष्पक्ष सुनवाई
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धारा 322 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
|
पक्षकारों को साक्षियों की परीक्षा करने का अधिकार देना
|
धारा 322 किससे सम्बन्धित है?
|
पक्षकार साक्षियों की परीक्षा कर सकेंगे
|
धारा 322 के अंतर्गत पक्षकार को कौन-सा अधिकार दिया गया है?
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साक्षियों से जिरह करने का
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क्या धारा 322 केवल अभियोजन पक्ष पर लागू होती है?
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नहीं, यह सभी पक्षों पर लागू होती है
|
किस मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तकनीक को स्वीकार किया गया जिससे साक्षियों की परीक्षा कर विश्वसनीयता बनी रहे?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम डॉ. प्रफुल्ल देसाई (2003)
|
पक्षकार साक्षियों की परीक्षा किस प्रकार कर सकता है?
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प्रति परीक्षा
(Cross-examination)
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यदि किसी पक्ष को साक्षी से प्रति परीक्षा की अनुमति नहीं दी जाती, तो प्रक्रिया की वैधता पर क्या प्रभाव होगा?
|
पूरा मुकदमा रद्द हो सकता है
|
अभियुक्त के अधिवक्ता ने कमीशन द्वारा साक्ष्य लिए जाने पर उपस्थित होने से मना कर दिया। क्या बाद में वह उस साक्ष्य को चुनौती दे सकता है?
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नहीं, क्योंकि उसे अवसर दिया गया था
|
यदि कमीशन की प्रक्रिया में एक पक्ष को साक्षी की परीक्षा का अवसर नहीं मिला, तो सबसे उपयुक्त समाधान क्या है?
|
पुनः कमीशन जारी किया जाए
|
क्या प्रति परीक्षा का अधिकार केवल अधिवक्ता को होता है?
|
नहीं, अभियुक्त भी कर सकता है यदि वह स्वयं पक्षकार है
|
"प्रति परीक्षा" का उद्देश्य क्या है?
|
गवाह की सत्यता की जांच करना
|
धारा 322 का किस न्याय सिद्धांत से निकट संबंध है?
|
प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत (Principles of Natural Justice)
|
धारा 323 किससे संबंधित है?
|
कमीशन का लौटाया जाना
|
धारा 323 का उद्देश्य क्या है?
|
कमीशन की रिपोर्ट को न्यायालय में वापसी हेतु बाध्य करना
|
यदि कमीशन न्यायालय में लौटाया नहीं जाता है, तो किसका उल्लंघन होता है?
|
धारा 323
|
कमीशन का निष्पादन करने के बाद उसे कहां लौटाना होता है?
|
उस न्यायालय को जिसने कमीशन जारी किया था
|
कमीशन लौटाने पर क्या प्रस्तुत किया जाता है?
|
कमीशन का कार्यवृत्त (proceedings)
|
क्या न्यायालय कमीशन को पुनः जारी कर सकता है यदि रिपोर्ट अधूरी हो?
|
हाँ
|
यदि कमीशन निष्पादक न्यायालय को रिपोर्ट समय पर नहीं लौटाता, तो क्या हो सकता है?
|
न्यायालय नया कमीशन जारी कर सकता है
|
यदि लौटाए गए कमीशन में पक्षकार की प्रति परीक्षा का उल्लेख नहीं है, तो क्या प्रक्रिया वैध मानी जाएगी?
|
नहीं, यह प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है
|
कमीशन के निष्पादन के बाद उसे किसके द्वारा लौटाया जाता है?
|
मजिस्ट्रेट या अधिकारी जिसने निष्पादन किया
|
न्यायालय किस प्रयोजन हेतु कमीशन रिपोर्ट की समीक्षा करता है?
|
प्रक्रिया पूर्ण होने की पुष्टि हेतु
|
क्या न्यायालय बिना कमीशन लौटे आगे की कार्यवाही कर सकता है?
|
नहीं
|
धारा 323 का अनुपालन क्यों आवश्यक है?
|
निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने हेतु
|
अगर कमीशन की रिपोर्ट में छेड़छाड़ पाई जाए, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
|
नया कमीशन जारी कर सकता है
|
धारा 324 का मुख्य विषय क्या है?
|
कार्यवाही का स्थगन
|
कार्यवाही स्थगन का अर्थ क्या होता है?
|
न्यायालय की कार्यवाही को अगली तारीख तक टालना
|
न्यायालय कार्यवाही को स्थगित कर सकता है:
|
केवल उचित कारणों पर
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही अनावश्यक रूप से स्थगित न हो, पर ज़ोर दिया?
|
यू.पी राज्य बनाम शंभू नाथ सिंह (2001)
|
न्यायालय कब कार्यवाही स्थगित नहीं कर सकता?
|
जब साक्षी उपस्थित हो
|
क्या स्थगन देने के लिए न्यायालय को कारण बताना आवश्यक है?
|
हाँ, उचित कारण आवश्यक है
|
क्या न्यायालय अभियुक्त के आग्रह पर कार्यवाही स्थगित कर सकता है?
|
हाँ, यदि अनुरोध उचित है
|
कार्यवाही के अनावश्यक स्थगन से कौन-सा मौलिक अधिकार प्रभावित होता है?
|
जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता
|
न्यायपालिका बार-बार कार्यवाही स्थगित करने को किस रूप में देखती है?
|
न्याय वितरण में विलंब
|
धारा 325 का संबंध किससेहै?
|
विदेशी कमीशनों के निष्पादन से
|
विदेशी न्यायालय द्वारा भेजे गए कमीशन का निष्पादन कौन करता है?
|
भारत का उपयुक्त न्यायालय
|
न्यायालय ने साक्ष्य संग्रह की निष्पक्षता पर बल दिया?
|
गुजरात राज्य बनाम मोहनलाल जीतमलजी पोरवाल (1987)
|
यदि किसी विदेशी न्यायालय द्वारा भेजे गए कमीशन में भारत में रह रहे व्यक्ति की गवाही की आवश्यकता हो, तो उसे किस धारा के अंतर्गत निष्पादित किया जाएगा?
|
धारा 325
|
भारत में विदेशी कमीशन को निष्पादित करने के लिए किस न्यायालय की सहायता ली जाती है?
|
किसी उपयुक्त न्यायालय की
|
यदि ऑस्ट्रेलिया की एक अदालत भारत में किसी साक्षी से गवाही लेना चाहती है, तो वह किस प्रक्रिया के अंतर्गत ऐसा कर सकती है?
|
विदेशी कमीशन जारी कर
|
क्या भारतीय न्यायालय को विदेशी न्यायालय द्वारा भेजे गए कमीशन को निष्पादित करने का अधिकार है?
|
हाँ
|
विदेशी कमीशन निष्पादन की प्रक्रिया से कौन-सी विधिक भावना पुष्ट होती है?
|
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
|
धारा 326 का संबंध किससेहै?
|
चिकित्सीय साक्ष्य के संग्रह से
|
"चिकित्सीय साक्ष्य" से तात्पर्य किससेहै?
|
मेडिकल जाँच रिपोर्ट
|
धारा 326 के अनुसार चिकित्सीय साक्ष्य कैसे लिया जा सकता है?
|
लेखबद्ध या कमीशन द्वारा
|
न्यायालय ने मेडिकल साक्ष्य की प्राथमिकता पर बल दिया?
|
हरियाणा राज्य बनाम राम सिंह (2002)
|
किस मामले में कोर्ट का मेडिकल साक्ष्य मौखिक साक्ष्य को काट नहीं सकता, निष्कर्ष था?
|
सोलंकी चिमनभाई उकाभाई बनाम गुजरात राज्य (1983)
|
किस मामले में न्यायालय ने मेडिकल साक्ष्य को उपेक्षित नहीं किया जा सकता, कहा?
|
लक्ष्मी सिंह बनाम बिहार राज्य (1976)
|
चिकित्सकीय साक्ष्य को अदालत में प्रस्तुत करने के किन तरीकों की अनुमति है?
|
लेखबद्ध रूप में या कमीशन द्वारा
|
एक अभियुक्त पर गंभीर चोट पहुँचाने का आरोप है। पीड़ित अस्पताल में भर्ती है। डॉक्टर अदालत में नहीं आ सकते। न्यायालय क्या करेगा?
|
डॉक्टर का साक्ष्य लेखबद्ध रूप में लेगा
|
चिकित्सकीय साक्ष्य पर प्रतिपरीक्षा का अधिकार क्यों महत्वपूर्ण है?
|
साक्ष्य की निष्पक्षता परखने के लिए
|
क्या वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चिकित्सक का साक्ष्य लिया जा सकता है?
|
हाँ, जब न्यायालय अनुमति दे
|
धारा 326 का उद्देश्य क्या है?
|
साक्ष्य प्रक्रिया को सरल बनाना
|
धारा 327 किससे संबंधित है?
|
मजिस्ट्रेट की शिनाख्त रिपोर्ट
|
शिनाख्त रिपोर्ट मुख्य रूप से किस उद्देश्य से की जाती है?
|
अभियुक्त की पहचान सुनिश्चित करने के लिए
|
एस्टर परेड के संबंध में कोर्ट ने यह जांच का हिस्सा है, साक्ष्य नहीं कहा?
|
मातृ बनाम यूपी राज्य। (1971)
|
केसरी परेड को अपराध सिद्ध करने का प्रमुख आधार माना गया?
|
कांता प्रसाद बनाम दिल्ली प्रशासन (1958)
|
मजिस्ट्रेट द्वारा की गई शिनाख्त रिपोर्ट को क्या कहा जाता है?
|
साक्ष्य का भाग
|
यदि साक्षी ने मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में अभियुक्त को पहचान लिया, लेकिन अदालत में उसे पहचानने से इनकार करता है, तो न्यायालय क्या करेगा?
|
मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट को साक्ष्य मानेगा
|
यदि शिनाख्त परेड मजिस्ट्रेट द्वारा नहीं करवाई गई हो, तो उसका कानूनी मूल्य क्या होगा?
|
अस्वीकार्य
|
क्या मजिस्ट्रेट की शिनाख्त रिपोर्ट अकेले अभियुक्त को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त है?
|
नहीं
|
धारा 328 किससे संबंधित है?
|
टकसाल के अधिकारियों का साक्ष्य
|
'टकसाल' का क्या अभिप्राय है?
|
सिक्के बनाने का सरकारी संस्थान
|
न्यायालय ने टकसाल का प्रमाणपत्र अदालत में साक्ष्य के रूप में मान्य है, को सिद्धांत दिया?
|
के. रामचन्द्र रेड्डी बनाम ए.पी. राज्य (1971)
|
टकसाल साक्ष्य की वैधता केस संबंधित था?
|
महाराष्ट्र राज्य बनाम गणपत (1963)
|
यदि आरोपी कहता है कि सिक्का असली है, लेकिन टकसाल प्रमाणपत्र कहता है नकली, तो न्यायालय किसे मानेगा?
|
टकसाल अधिकारी के प्रमाणपत्र को
|
टकसाल अधिकारी का प्रमाणपत्र किस प्रकार का साक्ष्य होता है?
|
प्राथमिक साक्ष्य
|
टकसाल अधिकारी कौन होता है?
|
सिक्का परीक्षण करने वाला सरकारी विशेषज्ञ
|
नकली सिक्कों के मामलों में टकसाल का क्या महत्व है?
|
प्रमाणित करना कि सिक्का असली या नकली है
|
प्रमाणपत्र में टकसाल अधिकारी किसकी पुष्टि करता है?
|
सिक्के की असलियत
|
क्या टकसाल अधिकारी का प्रमाणपत्र अंतिम प्रमाण माना जाता है?
|
हाँ
|
क्या टकसाल अधिकारी की रिपोर्ट को चुनौती दी जा सकती है?
|
हाँ, विशेषज्ञ गवाही द्वारा
|
धारा 329 में "सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञ" से क्या अभिप्राय है?
|
राज्य सरकार द्वारा नियुक्त वैज्ञानिक विशेषज्ञ से
|
धारा 329 किससे सम्बन्धित है?
|
कतिपय सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञों की रिपोर्ट
|
किस मामले में कोर्ट ने सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञ की रिपोर्ट साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य है, निर्णय लिया था?
|
आर. वी. डी. ए. ओ'ब्रायन (1975)
|
किस मामले में न्यायालय ने सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञ की रिपोर्ट को बिना विशेषज्ञ की उपस्थिति के स्वीकार किया गया, निर्णय लिया?
|
पंजाब राज्य बनाम एम.एस. जैन (1970)
|
किस मामले में सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञ की रिपोर्ट पर- रिपोर्ट को अपराध की गंभीरता के आधार पर मान्यता दी गई, टिप्पणी की गई थी?
|
के.के. चौधरी बनाम हरियाणा राज्य (1994)
|
धारा 330 किससे सम्बन्धित है?
|
कुछ दस्तावेजों का औपचारिक सबूत आवश्यक न होना
|
धारा 331 किससे सम्बन्धित है?
|
लोक सेवकों के आचरण के सबूत के बारे में शपथपत्र
|
धारा 332 किससे सम्बन्धित है?
|
शपथपत्र पर औपचारिक साक्ष्य
|
धारा 333 किससे सम्बन्धित है?
|
प्राधिकारी जिनके समक्ष शपथपत्रों पर शपथ ग्रहण किया जा सकेगा
|
धारा 334 किससे सम्बन्धित है?
|
पूर्व दोषसिद्धि या दोषमुक्ति कैसे साबित की जाए
|
धारा 335 किससे सम्बन्धित है?
|
अभियुक्त की अनुपस्थिति में साक्ष्य का अभिलेख
|
धारा 336 किससे सम्बन्धित है?
|
कतिपय मामलों में लोक सेवकों, विशेषज्ञों, पुलिस अधिकारियों का साक्ष्य
|
|
अध्याय 26
|
जांचों तथा विचारणों के बारे में साधारण उपबंध
(General Provisions as To Inquiries and Trials)
|
धारा 337 किस सिद्धांत से संबंधित है?
|
पुनः विचारण निषेध
(Double Jeopardy)
|
"दोहरे खतरे" सिद्धांत का क्या अर्थ है?
|
एक ही अपराध के लिए दो बार विचारण नहीं
|
धारा 337 किस परिस्थिति में लागू होती है?
|
जब व्यक्ति दोषसिद्ध हो
जब व्यक्ति दोषमुक्त हो जब उसी अपराध के लिए पुनः विचारण हो
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने दोहरे विचारण (Double Jeopardy), सिद्धांत की व्याख्या की?
|
मकबूल हुसैन बनाम बॉम्बे राज्य (1953)
|
किस मामले में न्यायालय ने प्रशासनिक कार्यवाही और न्यायिक कार्यवाही में अंतर होता है, कहा?
|
एस.ए. वेंकटरमन बनाम भारत संघ (1954)
|
किस मामले में दोहरे विचारण का सिद्धांत से संबंधित था?
|
थॉमस दाना बनाम पंजाब राज्य (1959)
|
यदि किसी व्यक्ति को किसी अपराध में दोषमुक्त कर दिया गया है, तो क्या उस व्यक्ति को फिर से उसी अपराध के लिए विचारण किया जा सकता है?
|
नहीं
|
दोहरे विचारण का सिद्धांत किस अनुच्छेद में वर्णित है?
|
अनुच्छेद 20(2)
|
धारा 337 में “दोषमुक्त” शब्द का क्या अर्थ है?
|
व्यक्ति को निर्दोष पाया गया
|
क्या पुलिस रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी आरोपी को उसी अपराध के लिए पुनः विचारण किया जा सकता है?
|
नहीं, यदि पहले ही दोषमुक्त/दोषसिद्ध किया जा चुका हो
|
राम को चोरी के आरोप में दोषमुक्त किया गया। बाद में वही साक्ष्य फिर से लाकर पुलिस ने उसी मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी। क्या यह विचारण वैध है?
|
नहीं
|
अगर किसी आरोपी को एक न्यायालय ने दोषी ठहराया और उसने सजा पूरी कर ली, तो क्या उसी अपराध में उसे फिर से सजा दी जा सकती है?
|
नहीं
|
धारा 338 किससे संबंधित है?
|
लोक अभियोजकों की हाजिरी
|
धारा 338 के अनुसार कौन न्यायालय में सरकार की ओर से उपस्थित हो सकता है?
|
लोक अभियोजक
|
सहायक लोक अभियोजक की उपस्थिति किन मामलों में हो सकती है?
|
मजिस्ट्रेट न्यायालय में
|
किस मामले में कहा गया कि लोक अभियोजक का मुख्य कार्य निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करना ?
|
बिहार राज्य बनाम राम नरेश पांडे (1957)
|
सहायक लोक अभियोजक किन न्यायालयों में कार्य करता है?
|
मजिस्ट्रेट न्यायालय
|
लोक अभियोजक की भूमिका क्या होती है?
|
अभियोजन का संचालन
|
यदि लोक अभियोजक अनुपस्थित हो, तो क्या न्यायालय अन्य अधिवक्ता को अनुमति दे सकता है?
|
हाँ, न्यायालय की अनुमति से
|
लोक अभियोजक की नियुक्ति कौन करता है?
|
राज्य सरकार
|
लोक अभियोजक न्यायालय में किसकी ओर से पेश होता है?
|
राज्य की ओर से
|
एक मजिस्ट्रेट न्यायालय में केस चल रहा है। अभियोजन का नेतृत्व कौन करेगा?
|
सहायक लोक अभियोजक
|
यदि लोक अभियोजक मामले में निष्पक्ष न रहे, तो उसका क्या प्रभाव हो सकता है?
|
न्यायालय उसे हटा सकता है
|
धारा 339 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
|
अभियोजन के संचालन के लिए अनुमति देना
|
यदि कोई अधिवक्ता लोक अभियोजक नहीं है, तो वह अभियोजन तभी चला सकता है जब—
|
न्यायालय अनुमति दे
|
किस मामले में न्यायालय ने पीड़ित का वकील अभियोजन में न्यायालय की अनुमति से सहायता कर सकता है, कहा?
|
शिव कुमार बनाम हुकम चंद (1999)
|
किस मामले में निजी अभियोजन पर था?
|
धारीवाल इंडस्ट्रीज लिमिटेड बनाम किशोर वाधवानी (2016)
|
यदि कोई अधिवक्ता बिना अनुमति के अभियोजन चला रहा है, तो यह—
|
न्यायालय की अवमानना है
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अभियोजन चलाने की अनुमति किस प्रकार की प्रक्रिया है?
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न्यायिक
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निजी वकील को अभियोजन में भाग लेने की अनुमति किस स्तर की अदालत से लेनी होती है?
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संबंधित ट्रायल कोर्ट
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न्यायालय की अनुमति से अभियोजन संचालन करने वाला अधिवक्ता किसे रिपोर्ट करता है?
|
न्यायालय
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एक पीड़ित का वकील ट्रायल में अभियोजन चलाना चाहता है, उसे क्या करना होगा?
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कोर्ट से अनुमति प्राप्त करना
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न्यायालय किस आधार पर अभियोजन संचालन के लिए अनुमति दे सकता है?
|
अभियोजक की योग्यता न्याय की रुचि पीड़ित की स्थिति
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यदि न्यायालय अनुमति दे देता है, तो निजी अधिवक्ता की भूमिका क्या होगी?
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लोक अभियोजक के अधीन कार्य करना
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धारा 339 का अनुपालन न करने पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
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अभियोजन खारिज किया जा सकता है
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क्या धारा 339 का दुरुपयोग संभव है यदि अनुमति बिना योग्यता के दी जाए?
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हाँ, न्यायालय की विवेकशीलता आवश्यक है
|
कौन सी धारा आरोपी को प्रतिरक्षा का अधिकार प्रदान करती है?
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धारा 340
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धारा 340 किससे सम्बन्धित है?
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जिस व्यक्ति के विरुद्ध कार्यवाही संस्थित की गई हैं उसका प्रतिरक्षा कराने का अधिकार
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प्रतिरक्षा का अधिकार किस प्रकार का अधिकार है?
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विधिक अधिकार
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतिरक्षा का अधिकार को न्याय का एक अनिवार्य भाग बताया?
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हुसैनारा खातून बनाम बिहार राज्य (1979)
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किस मामले में बिना प्रतिरक्षा के दोष सिद्धि अवैध है, सिद्धांत स्थापित हुआ?
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मो. हुसैन जुल्फिकार बनाम राज्य (दिल्ली प्रशासन) (2012)
|
यदि कोई अभियुक्त निर्धन है और वकील नहीं रख सकता, तो—
|
न्यायालय उसकी ओर से वकील नियुक्त करेगा
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निशुल्क विधिक सहायता किस अधिनियम के अंतर्गत दी जाती है?
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विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987
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एक अभियुक्त कोर्ट में कहता है कि वह वकील नहीं रख सकता। कोर्ट को क्या करना चाहिए?
|
राज्य के खर्च पर वकील नियुक्त करे
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यदि कोई व्यक्ति अदालत के समक्ष अधिवक्ता के बिना पेश हो और गंभीर आरोप हों, तो न्यायालय को क्या करना चाहिए?
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अधिवक्ता नियुक्त करके सुनवाई आगे बढ़ाना चाहिए
|
किस न्यायालय ने कहा था कि “ट्रायल की निष्पक्षता वकील की सहायता के बिना संभव नहीं”?
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सुप्रीम कोर्ट
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धारा 341 किस विषय से संबंधित है?
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कुछ मामलों में अभियुक्त को राज्य के व्यय पर विधिक सहायता
|
विधिक सहायता किस परिस्थिति में राज्य द्वारा दी जाती है?
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जब आरोपी निर्धन हो और न्याय की मांग हो
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धारा 341 का उद्देश्य क्या है?
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अभियुक्त को निष्पक्ष सुनवाई का अवसर देना
|
विधिक सहायता का अधिकार मौलिक है घोषित किया गया?
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सुक दास बनाम केंद्र शासित प्रदेश अरुणाचल प्रदेश (1986)
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एक अभियुक्त कहता है कि वह वकील नहीं रख सकता। कोर्ट को क्या करना चाहिए?
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राज्य द्वारा निशुल्क वकील नियुक्त करे
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विधिक सहायता पाने के लिए व्यक्ति को क्या सिद्ध करना होगा?
|
वह निर्धन है और न्याय हित में सहायता चाहिए
|
धारा 342 किससे संबंधित है?
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प्रक्रिया, जब निगम या रजिस्ट्रीकृत सोसाइटी अभियुक्त है
|
निगम या रजिस्ट्रीकृत सोसाइटी के विरुद्ध समन कैसे भेजा जा सकता है?
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उनके अधिकृत प्रतिनिधि को
|
धारा 342 के अनुसार यदि कंपनी अभियुक्त है, तो किसके माध्यम से कार्यवाही की जाती है?
|
कंपनी के किसी अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से
|
किस मामले में कंपनियों पर आपराधिक कार्यवाही संभव है, भले ही सजा कारावास हो, सर्वोच्च न्यायालय ने क्या निर्णय दिया?
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स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक बनाम प्रवर्तन निदेशालय (2005)
|
किस मामले में विवाद कंपनी पर दंड का प्रकार विषय पर था?
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सहायक आयुक्त बनाम वेल्लियप्पा टेक्सटाइल्स लिमिटेड (2003)
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किस मामले में कंपनी में निदेशक की व्यक्तिगत आपराधिक जिम्मेदारी तभी तय होगी जब उसकी भूमिका स्पष्ट हो, सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया?
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सुनील भारती मित्तल बनाम सीबीआई (2015)
|
यदि कंपनी को अभियुक्त बनाया जाता है, तो उसे न्यायालय में कैसे प्रस्तुत किया जाएगा?
|
कंपनी का अधिकृत प्रतिनिधि या वकील न्यायालय में उपस्थित होगा
|
एक रजिस्ट्रीकृत सोसाइटी पर्यावरण कानून का उल्लंघन करती है, तो किस पर कार्यवाही की जा सकती है?
|
सोसाइटी और उसके पदाधिकारी
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एक कंपनी द्वारा कर चोरी का मामला दर्ज होता है। न्यायालय में कौन पेश हो सकता है?
|
कंपनी का अधिकृत प्रतिनिधि
|
कंपनी के लिए समन भेजा जाता है—
|
रजिस्टर्ड कार्यालय के पते पर
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि "कंपनियां भी आपराधिक अभियोजन के अधीन हैं"?
|
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक बनाम प्रवर्तन निदेशालय
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धारा 343 किससे संबंधित है?
|
सह- अपराधी को क्षमा-दान
|
धारा 343 के अंतर्गत क्षमादान किसे दिया जा सकता है?
|
सह-अपराधी को
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किस मामले में कोर्ट ने क्षमा केवल तभी दी जाए जबसाक्षीआवश्यक हो, कहा?
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काशीनाथ झालू बनाम एम्परर (1934) केस
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायालय को सह-अपराधी की गवाही की उपयोगिता का आकलन करना होता है, को समझाया?
|
राज्य बनाम जगजीत सिंह
(AIR 1962 SC 253)
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने क्षमा दिए गए व्यक्ति की गवाही को बिना पुष्टि के स्वीकार नहीं किया जा सकता, स्पष्ट किया?
|
सुरेश चंद्र बाहरी बनाम बिहार राज्य (1995)
|
धारा 343 के अंतर्गत क्षमा देने का अधिकार किसके पास होता है?
|
मजिस्ट्रेट
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क्षमा किस स्थिति में दी जाती है?
|
जब सह-अपराधी गवाही देने को तैयार हो
|
एक गिरोह डकैती करता है। एक सह-अपराधी पुलिस को बताता है कि वह गवाही देगा। न्यायालय क्या कर सकता है?
|
उसे धारा 343 के अंतर्गत क्षमा दे सकता है
|
यदि सह-अपराधी को क्षमा दी गई हो और वह गवाही देने से मुकर जाए, तो—
|
उसे अभियुक्त के रूप में अभियोजन किया जा सकता है
|
यदि क्षमा पाने वाला व्यक्ति न्यायालय में सच्चाई नहीं बोलता है, तो—
|
उसके विरुद्ध कार्यवाही धारा 344 के अंतर्गत हो सकती है
|
क्षमा देने के बाद सह-अपराधी को क्या कहा जाता है?
|
अनुमोदितसाक्षी
(Approver)
|
क्षमा दिए गए सह-अपराधी की गवाही—
|
पुष्टि के बिना पर्याप्त नहीं मानी जाती
|
धारा 344 किस विषय से संबंधित है?
|
क्षमा-दान का निदेश देने की शक्ति
|
धारा 344 के अनुसार क्षमादान का निर्देश कब दिया जा सकता है?
|
विचारण प्रारंभ होने के बाद
|
यदि न्यायालय धारा 344 के अंतर्गत क्षमा-दान का निर्देश देता है, तो उसका उद्देश्य क्या होता है?
|
अभियोजन की सहायता
|
यदि क्षमा-दान प्राप्त सह-अपराधी गवाही देने से मुकर जाए, तो—
|
उसे पुनः अभियुक्त बनाकर मुकदमा चलाया जा सकता है
|
यदि कोई सह-अपराधी क्षमादान पाने के बाद अभियोजन की मदद करता है, तो—
|
उसकी गवाही को पुष्टि की आवश्यकता होती है
|
क्या धारा 343 और धारा 344 में कोई अंतर है?
|
हाँ, धारा 343 मजिस्ट्रेट की शक्ति है और धारा 344 विचारण न्यायालय की
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धारा 345 का संबंध किससेहै?
|
क्षमा की शर्तों का पालन न करने वाले व्यक्ति का विचारण
|
क्षमा प्राप्त व्यक्ति यदि शर्तों का उल्लंघन करता है, तो उसके साथ क्या किया जा सकता है?
|
उसे पुनः अभियुक्त बनाया जा सकता है
|
यदि क्षमा प्राप्त व्यक्ति सच्ची गवाही नहीं देता, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
|
क्षमा को निरस्त कर सकता है
|
क्षमा रद्द होने के बाद उस व्यक्ति का विचारण किस प्रकार होता है?
|
सामान्य अभियुक्त की तरह
|
क्षमा की शर्तों के उल्लंघन के मामले में कौन तय करता है कि गवाही सच्ची थी या नहीं?
|
संबंधित न्यायालय
|
एक सह-अपराधी को क्षमा दी गई कि वह सच्ची गवाही देगा। बाद में वह अभियुक्त के विरुद्ध नहीं बोलता। अब क्या हो सकता है?
|
उसकी क्षमा रद्द हो सकती है और उसका विचारण हो सकता है
|
एक व्यक्ति जिसने क्षमा की शर्तें पूरी की, लेकिन बाद में कोर्ट को संदेह हुआ कि वह झूठ बोला। अब—
|
न्यायालय उसकी क्षमा रद्द कर सकता है और विचारण शुरू कर सकता है
|
धारा 346 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
|
कार्यवाही को मुल्तवी या स्थगित करने की शक्ति
|
कौन सी शक्ति न्यायालय को धारा 346 के अंतर्गत प्राप्त है?
|
कार्यवाही को मुल्तवी करना
|
धारा 346 के अंतर्गत कार्यवाही को स्थगित करने के लिए क्या आवश्यक है?
|
न्यायालय का संतोषजनक कारण
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यवाही स्थगन का आदेश न्यायसंगत कारण पर आधारित होना चाहिए, निर्णय दिया?
|
बिहार राज्य बनाम राम नरेश पांडे (1957 एआईआर 389)
|
किस मामले में अनावश्यक स्थगन आरोपी के मूल अधिकारों का उल्लंघन है, कहा गया है?
|
राज देव शर्मा बनाम बिहार राज्य (1998 AIR SC 3281)
|
किस मामले में त्वरित न्याय का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, बात को उजागर किया गया था?
|
हुसैनारा खातून बनाम गृह सचिव, बिहार
(1979 एआईआर 1369)
|
कार्यवाही स्थगित करने से पहले न्यायालय को क्या सुनिश्चित करना चाहिए?
|
कारण पर्याप्त और न्यायसंगत है
|
न्यायालय कार्यवाही को अधिकतम कितनी बार स्थगित कर सकता है?
|
उचित सीमा में
|
अभियुक्त ने बार-बार कार्यवाही स्थगन की मांग की। न्यायालय क्या कर सकता है?
|
उसकी मांग अस्वीकार कर सकता है
|
न्यायालय द्वारा अनुचित स्थगन दिए जाने पर किसका उल्लंघन होता है?
|
त्वरित न्याय का अधिकार
(Right to Speedy Trial)
|
कार्यवाही स्थगन से किस पक्ष को अधिक हानि हो सकती है?
|
अभियुक्त
|
धारा 347 किससे सम्बन्धित है?
|
स्थानीय निरीक्षण
|
धारा 347 के अंतर्गत न्यायालय को क्या अधिकार प्राप्त होता है?
|
स्थान या वस्तु का स्थानीय निरीक्षण करने का अधिकार
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायालय को किसी वस्तु का निरीक्षण केवल तब करना चाहिए जब आवश्यक हो, निर्णय दिया था?
|
एस. के. शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2015)
|
किस मामले में कहा गया कि जब तक विशेष कारण न हो, न्यायालय को निरीक्षण नहीं करना चाहिए?
|
के.के. वर्मा बनाम राजस्थान राज्य (2006)
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने स्थानीय निरीक्षण के संदर्भ में स्थानीय निरीक्षण तभी किया जा सकता है जब उसका मामला में प्रभावी योगदान हो, निर्णय दिया?
|
माधवराव जीवाजी राव सिंधिया बनाम संभाजीराव चंद्रोजीराव (1990)
|
धारा 348 किससे सम्बन्धित है?
|
आवश्यक साक्षी को समन करने या उपस्थित व्यक्ति की परीक्षा करने की शक्ति
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 348 के संदर्भ में न्यायालय को साक्षी की उपस्थिति सुनिश्चित करने का अधिकार होता है, निर्णय दिया था?
|
राज्य बनाम पप्पू (2018)
|
किस मामले में न्यायालय ने धारा 348 के तहत साक्षियों को समन करने और उनकी परीक्षा करने का अधिकार, अनुमति दी?
|
कल्याण सिंह बनाम भारत संघ (2013)
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायालय को साक्षी को समन करने और उसकी परीक्षा लेने का अधिकार है, निर्णय लिया?
|
रमेश कुमार बनाम हरियाणा राज्य (2010)
|
यदि साक्षी न्यायालय में उपस्थित नहीं होता, तो न्यायालय क्या कर सकता है?
|
उसे समन करने का आदेश दे सकता है
|
धारा 348 के अंतर्गत साक्षी को समन करने के लिए न्यायालय को किसे सूचित करना चाहिए?
|
समन की एक प्रति साक्षी को भेजी जाती है
|
धारा 348 के तहत साक्षी की परीक्षा किस उद्देश्य के लिए की जाती है?
|
मामले में साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए
|
क्या धारा 348 के तहत साक्षी की परीक्षा अनिवार्य है?
|
हाँ, जब यह मामले की स्थिति के लिए आवश्यक हो
|
धारा 349 किससे सम्बन्धित है?
|
नमूना हस्ताक्षर या हस्तलेख देने के लिए किसी व्यक्ति को आदेश देने की मजिस्ट्रेट की शक्ति
|
धारा 349 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट किसको आदेश दे सकता है?
|
किसी व्यक्ति को नमूना हस्ताक्षर या हस्तलेख देने
|
धारा 349 के अनुसार, मजिस्ट्रेट किस उद्देश्य से नमूना हस्ताक्षर या हस्तलेख का आदेश दे सकता है?
|
किसी दस्तावेज़ की सत्यता को जांचने के लिए
|
मजिस्ट्रेट को किस प्रकार के आदेश देने का अधिकार होता है, जैसा कि धारा 349 में उल्लेखित है?
|
नमूना हस्ताक्षर या हस्तलेख का आदेश
|
किस मामले में उच्च न्यायालय ने धारा 349 के संदर्भ में मजिस्ट्रेट को किसी व्यक्ति से नमूना हस्ताक्षर या हस्तलेख लेने का अधिकार होता है, निर्णय दिया था?
|
आर बनाम राम सिंह (2016)
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने मजिस्ट्रेट को किसी व्यक्ति से नमूना हस्ताक्षर लेने का अधिकार है, निर्णय दिया था?
|
राज्य बनाम रमेश (2019)
|
धारा 349 के तहत नमूना हस्ताक्षर या हस्तलेख देने का आदेश कैसे दिया जाता है?
|
मजिस्ट्रेट के लिखित आदेश से
|
यदि कोई व्यक्ति धारा 349 के तहत नमूना हस्ताक्षर या हस्तलेख देने से इंकार करता है, तो मजिस्ट्रेट क्या कर सकता है?
|
व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता है
|
धारा 349 के तहत नमूना हस्ताक्षर या हस्तलेख देने का आदेश किस प्रकार के मामलों में दिया जा सकता है?
|
सभी प्रकार के अपराधों में जब दस्तावेज़ की सत्यता की जांच हो
|
धारा 350 किससे सम्बन्धित है?
|
परिवादियों और साक्षियों के व्यय
|
धारा 350 के अंतर्गत किसे व्यय की प्रतिपूर्ति की जाएगी?
|
अभियुक्त और साक्षियों दोनों को
|
धारा 350 में परिवादियों और साक्षियों के व्यय का क्या उद्देश्य होता है?
|
अभियुक्त और साक्षी के न्यायिक कार्यवाही में भाग लेने के कारण होने वाले खर्चों का भुगतान
|
धारा 350 के अनुसार, साक्षियों के व्यय को कौन भुगतता है?
|
न्यायालय
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 350 के अंतर्गत साक्षी और अभियुक्त दोनों के व्यय की प्रतिपूर्ति, उल्लेख किया है?
|
जाधव बनाम महाराष्ट्र राज्य (2020)
|
धारा 350 के तहत साक्षियों के व्यय का भुगतान कब किया जाएगा?
|
जब साक्षी अदालत में उपस्थित होता है
|
साक्षी के व्यय की प्रतिपूर्ति करने के लिए न्यायालय को किसकी आवश्यकता होती है?
|
साक्षी द्वारा पेश किए गए खर्चों का प्रमाण
|
धारा 350 के तहत व्यय किस प्रकार से प्रतिपूर्ति किया जाता है?
|
न्यायालय द्वारा निर्धारित निर्धारित राशि
|
यदि एक साक्षी धारा 350 के अंतर्गत न्यायालय में उपस्थित होने के बाद व्यय की प्रतिपूर्ति की मांग करता है, और अभियुक्त ने उसे भुगतान नहीं किया, तो क्या होगा?
|
साक्षी के व्यय को सरकार द्वारा भुगतान किया जाएगा
|
धारा 350 के तहत यदि साक्षी ने न्यायालय में दो दिन तक उपस्थिति दी है, तो उसके व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए किस प्रक्रिया का पालन किया जाएगा?
|
साक्षी को एक निर्धारित राशि दी जाएगी, जो न्यायालय द्वारा तय की जाएगी
|
धारा 350 के तहत क्या वह व्यक्तियों को भी व्यय की प्रतिपूर्ति मिलती है जो किसी मामले में गवाही देने के लिए उपस्थित होते हैं, लेकिन वे पक्षकार नहीं होते?
|
हाँ, व्यय सभी साक्षियों को मिलेगा
|
धारा 350 के अंतर्गत साक्षियों और पक्षकारों के व्यय की प्रतिपूर्ति का उद्देश्य क्या है?
|
साक्षियों को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए प्रोत्साहित करना
|
धारा 351 किससे सम्बन्धित है?
|
अभियुक्त की परीक्षा करने की शक्ति
|
किस धारा के अंतर्गत न्यायालय को अभियुक्त से प्रश्न पूछने की शक्ति दी गई है?
|
धारा 351
|
धारा 351 का प्रयोजन है-
|
अभियुक्त को व्यक्तिगततौर पर साक्ष्य में उसके विरूद्ध जा रही परिस्थितियों को स्पष्ट करने में समर्थ बनाना
|
धारा 351 के अंतर्गत अभियुक्त से पूछे गए प्रश्नों का उद्देश्य क्या होता है?
|
अभियुक्त को उसके खिलाफ साक्ष्य स्पष्ट करने का अवसर देना
|
धारा 351 के अंतर्गत अभियुक्त को अपने ऊपर लगे आरोपों का स्पष्टीकरण देने का अवसर:
|
हमेशा दिया जाता है
|
धारा 351 के अंतर्गत अभियुक्त ऐसे प्रश्नों के उत्तर देने से इंकार करने से या उसके मिथ्या उत्तर देने से दंडनीय किया जायेगा?
|
नहीं
|
अभियुक्त के उत्तरों का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है?
|
अभियुक्त के पक्ष या विपक्ष दोनों में
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बलपूर्वक नार्को परीक्षण पर टिप्पणी की थी?
|
सेल्वी बनाम कर्नाटक राज्य (2010)
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूछताछ के दौरान धारा 351 के तहत धारा 351 को स्पष्ट किया, अभियुक्त से पूछे गए प्रश्नों को रिकॉर्ड किया जाना चाहिए
|
सुखदेव सिंह बनाम पंजाब राज्य (2014)
|
किस मामले में कोर्ट ने अभियुक्त का उत्तर रिकॉर्ड होना अनिवार्य है, पर बल दिया?
|
राज कुमार बनाम राजस्थान राज्य
|
यदि अभियुक्त न्यायालय में मौन रहता है, तो क्या यह धारा 351 का उल्लंघन माना जाएगा?
|
नहीं
|
धारा 351 के अंतर्गत अभियुक्त से पूछे गए प्रश्नों की रिकॉर्डिंग किस रूप में होती है?
|
लिखित रूप में न्यायालय द्वारा
|
कौन-सा अधिकार अभियुक्त को धारा 351 के तहत प्राप्त नहीं है?
|
कौन-सा अधिकार अभियुक्त को धारा 351 के तहत प्राप्त नहीं है?
|
धारा 313 के अंतर्गत अभियुक्त का कथन-
|
बिना शपथ दर्ज किया जाएगा
|
न्यायालय किसी अभियुक्त से उसके विरूद्ध साक्ष्य में प्रकट हो रही परिस्थितियों को स्पष्ट करने हेतु प्रश्न पूछ सकता है-
|
किसी भी चरण में
|
यदि अभियुक्त से धारा 351 के अंतर्गत प्रश्न नहीं पूछे जाते, तो क्या उसकी सजा वैध होगी?
|
नहीं, यह कार्यवाही दोषपूर्ण होगी
|
धारा 352 का संबंध किससेहै?
|
मौखिक बहस और बहस का ज्ञापन से
|
धारा 352 के अनुसार, बहस का ज्ञापन प्रस्तुत किया जा सकता है —
|
साक्ष्य की समाप्ति के पश्चात् यथाशक्य शीघ्र
मौखिक बहस पूरी करने के पूर्व
|
क्या न्यायालय को मौखिक बहस को सुनना आवश्यक होता है?
|
यह न्यायालय के विवेक पर निर्भर करता है
|
बहस का ज्ञापन प्रस्तुत करने की अनुमति किसे है?
|
दोनों पक्षों को
|
धारा 352 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
|
निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करना
|
यदि न्यायालय मौखिक बहस को छोड़कर केवल बहस का ज्ञापन स्वीकार करता है, तो क्या यह अवैध होगा?
|
नहीं
|
बहस का ज्ञापन प्रस्तुत करने के बाद मौखिक बहस की क्या स्थिति होती है?
|
न्यायालय पर निर्भर
|
बहस का ज्ञापन किस रूप में होना चाहिए?
|
लिखित
|
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निष्पक्ष सुनवाई और बहस का महत्व पर बल दिया था?
|
जाहिरा हबीबुल्लाह शेख बनाम गुजरात राज्य (2006)
|
किस मामले में यह स्थापित किया गया कि— बहस का ज्ञापन न्यायालय को प्रस्तुत किया जा सकता है
|
अजय कुमार बनाम मध्य प्रदेश राज्य
|
किस मामले में बहस दोनों पक्षों से सुनना अनिवार्य है, सिद्धांत निकला?
|
पंजाब राज्य बनाम जागीर सिंह (1974)
|
बहस का ज्ञापन न्यायालय द्वारा क्यों स्वीकार किया जाता है?
|
समय बचाने हेतु दस्तावेज़ीकरण के लिए मामले की स्पष्टता के लिए
|
यदि कोई पक्ष बहस नहीं करता और बहस का ज्ञापन भी नहीं देता, तो —
|
न्यायालय उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर निर्णय देगा
|
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 353 किससे संबंधित है?
|
अभियुक्त व्यक्ति का सक्षम साक्षी होना
|
धारा 353 के अंतर्गत किसी अभियुक्त को -
|
केवल उसकी लिखित प्रार्थना पर साक्षी के रूप में बुलाया जा सकता है।
|
क्या कोई अभियुक्त स्वयं अपने बचाव में साक्षी बन सकता है?
|
हाँ, यदि वह स्वयं ऐसा चाहता हो
|
क्या अभियुक्त को ज़बरदस्ती गवाही देने के लिए बाध्य किया जा सकता है?
|
नहीं
|
यदि अभियुक्त स्वयं गवाही देता है, तो क्या वह प्रतिपरीक्षा (cross-examination) के लिए प्रस्तुत होगा?
|
हाँ
|
क्या अभियुक्त की गवाही को अन्य गवाहों की तरह ही मूल्यांकन किया जाएगा?
|
हाँ, सामान्य साक्षी की तरह
|
अभियुक्त की गवाही किस रूप में दी जा सकती है?
|
मौखिक या लिखित, न्यायालय की अनुमति से
|
क्या अभियुक्त की गवाही अन्य साक्ष्यों के साथ परखी जाएगी?
|
हाँ, अन्य साक्ष्यों के साथ समेकित होकर
|
अभियुक्त को अपनी गवाही में क्या बताना आवश्यक है?
|
यह उसकी इच्छा पर निर्भर करता है
|
धारा 354 का किससे संबंधित है?
|
प्रकटन उत्प्रेरित करने के लिए किसी प्रभाव का काम में न लाया जाना
|
कौन सी बात धारा 354 के अंतर्गत निषिद्ध है?
|
प्रकटन के लिए किसी प्रकार का प्रभाव डालना
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने धमकी या प्रलोभन से लिया गया प्रकटन मान्य नहीं है अधिकार की पुष्टि की?
|
पंजाब राज्य बनाम बलदेव सिंह (1999)
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अभियुक्त से किसी भी प्रभाव से प्रकटन लेना अनुचित है बिंदु को विभाजित किया?
|
नंदिनी सत्पथी बनाम पी.एल. दानी (1978)
|
किस मामले में अभियुक्त का प्रकटन स्वतंत्र होना चाहिए सिद्धांत को बल मिला?
|
के. वीरास्वामी बनाम भारत संघ (1991)
|
धारा 355 किससे संबंधित है?
|
कुछ मामलों में अभियुक्त की अनुपस्थिति में जांच और विचारण किए जाने के लिए उपबंध
|
किन मामलों में धारा 355 के अंतर्गत अभियुक्त की अनुपस्थिति में विचारण हो सकता है?
|
केवल जब अभियुक्त जानबूझकर गैरहाजिर हो
|
धारा 355 के तहत अभियुक्त की अनुपस्थिति में विचारण के लिए कौन सी शर्त आवश्यक है?
|
अभियुक्त का वकील उपस्थित होना न्यायालय की संतुष्टि कि अभियुक्त जानबूझकर अनुपस्थित है
|
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अभियुक्त की जानबूझकर अनुपस्थिति में कार्यवाही न्यायसंगत है निर्णय दिया?
|
यूसुफ बनाम बॉम्बे राज्य
(AIR 1954 SC 321)
|
यदि विचारण अभियुक्त की अनुपस्थिति में हुआ और बाद में वह हाजिर होता है, तो —
|
उसकी उपस्थिति पर विचारण आगे बढ़ेगा
|
क्या अभियुक्त की अनुपस्थिति में दोष सिद्ध किया जा सकता है?
|
हाँ, यदि न्यायालय संतुष्ट हो
|
धारा 356 किस विषय से संबंधित है?
|
उद्घोषित अपराधी की अनुपस्थिति में जांच, विचारण और निर्णय
|
उद्घोषित अपराधी से क्या अभिप्राय है?
|
जिसे अदालत उद्घोषित अपराधी घोषित कर दे
|
क्या उद्घोषित अपराधी की अनुपस्थिति में विचारण और निर्णय दिया जा सकता है?
|
हाँ, यदि कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई हो
|
क्या धारा 356 में आरोपी के खिलाफ निर्णय अनुपस्थिति में हो सकता है?
|
हाँ, यदि वह उद्घोषित अपराधी है
|
क्या उद्घोषित अपराधी की अनुपस्थिति में दोष सिद्ध किया जा सकता है?
|
हाँ, यदि पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हों
|
धारा 356 के अंतर्गत कार्यवाही किस प्रकार की होती है?
|
निष्पक्ष
|
किस मामले में उद्घोषित अपराधी की अनुपस्थिति में विचारण संभव है, निर्णय दिया गया?
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महाराष्ट्र राज्य बनाम सलमान सलीम खान (2004)
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने निष्पक्ष सुनवाई मौलिक अधिकार है, सिद्धांत पर बल दिया?
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बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य (1980)
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अध्याय 26 में जांच और विचारण के बारे में साधारण उपबंधों क अधीन कौन सी नयी धारा जोड़ी गयी है?
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धारा 356- उद्घोषित अपराधी की अनुपस्थिति में जांच, विचारण और निर्णय
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न्यायालय धारा 356(1) के अनुपालन में के अनुपालन में कितने गिरफ़्तारी वारंट जारी करेगा?
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दो गिरफ्तारी वारंट
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न्यायालय धारा 356(1) के अनुपालन में कितने दिन के अंतराल पर गिरफ़्तारी वारंट जारी करेगा?
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कम से कम तीस दिन के अंतराल पर
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धारा 357 किस विषय से संबंधित है?
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प्रक्रिया जहां अभियुक्त कार्यवाहियों को नहीं समझता है
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यदि अभियुक्त न्यायालय की कार्यवाही को नहीं समझता है, तो न्यायालय को क्या करना चाहिए?
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अभियुक्त की सहायता हेतु उपयुक्त व्यवस्था करे
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क्या मानसिक रूप से विक्षिप्त अभियुक्त पर भी धारा 357 लागू होती है?
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हाँ, उसे अनुवाद की सुविधा दी जाती है
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यदि अभियुक्त कार्यवाही की भाषा नहीं समझता, तो न्यायालय क्या करेगा?
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अनुवादक की व्यवस्था करेगा
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न्यायालय को कैसे संतुष्ट होना होता है कि अभियुक्त कार्यवाही नहीं समझता है?
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साक्ष्य या आचरण के माध्यम से
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यदि अभियुक्त बधिर (deaf) है, तो न्यायालय को क्या करना चाहिए?
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संकेतों या लिखित माध्यम से कार्यवाही समझाए
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किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्त की समझ की पुष्टि आवश्यक है, कहा?
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रणजीत सिंह बनाम पंजाब राज्य (AIR 1998 SC 3148)
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किस मामले में अनुवाद उपलब्ध न कराना प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है, महत्वपूर्ण बात कही गई?
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राजस्थान राज्य बनाम दर्शन सिंह (1997)
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किस मामले में कहा गया कि कानून जो विशेष रूप से निर्देश देता है, उसी तरीके से कार्य किया जाना चाहिए?
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नजीर अहमद बनाम किंग एम्परर (1936)
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यदि अभियुक्त को कोई विकलांगता है (जैसे दृष्टिहीनता), तो न्यायालय क्या करेगा?
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विशेष सहायक प्रदान करेगा
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धारा 357 के अंतर्गत कार्यवाही में अभियुक्त की समझ सुनिश्चित करना किसका दायित्व है?
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न्यायालय का
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धारा 358 किससे सम्बन्धित है?
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अपराध के दोषी प्रतीत होने वाले अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की शक्ति
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किसी व्यक्ति को एक अतिरिक्त सह अभियुक्त के रूप में जोड़ा जा सकता है-
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अन्वेषण अधिकारी की पूरक रिपोर्ट के आधार पर
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आपराधिक न्यायालय की किसी आपराधिक मामले में अतिरिक्त अभियुक्त को जोड़ने की शक्ति के विषय में सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा अपने पूर्व के निर्णय की मत भिन्नता का निराकरण..........में किया।
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हरदीप सिंह बनाम पंजाब राज्य व अन्य
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धारा 358 किस स्थिति में लागू होती है?
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जब साक्ष्य से किसी नए व्यक्ति का अपराध में लिप्त होना प्रकट हो
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क्या न्यायालय स्वयं भी किसी अन्य व्यक्ति को अभियुक्त बना सकता है, भले ही उसका नाम प्राथमिकी में न हो?
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हाँ, यदि साक्ष्य ऐसा संकेत देते हैं
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धारा 358 में शक्ति किस न्यायालय को प्राप्त है?
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वह न्यायालय जो विचारण कर रहा है
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धारा 358 के अंतर्गत न्यायालय किस प्रक्रिया के तहत नए व्यक्ति को सम्मनित कर सकता है?
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स्वप्रेरणा से, यदि साक्ष्य उपलब्ध हों
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क्या धारा 358 के तहत नया अभियुक्त उसी मुकदमे में सम्मिलित किया जा सकता है?
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हाँ, उसी विचारण में सम्मिलित किया जा सकता है
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यदि न्यायालय धारा 358 के तहत किसी व्यक्ति को अभियुक्त बनाता है, तो क्या उसे पुनः आरोप समझाए जाते हैं?
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हाँ
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क्या न्यायालय धारा 358 के तहत संज्ञान लेने के बाद उस व्यक्ति को जमानत दे सकता है?
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हाँ, विधिक प्रक्रिया के अनुसार
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किस मामले के अनुसार न्यायालय का कर्तव्य यदि अपराध में अन्य व्यक्ति सम्मिलित प्रतीत हो तो उनके विरुद्ध कार्यवाही करना है?
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रघुबंस दुबे बनाम बिहार राज्य (AIR 1967 SC 1167)
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किस मामले के अनुसार न्यायालय स्वतंत्र रूप से किसी अन्य को अभियुक्त बना सकता है?
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राज किशोर प्रसाद बनाम बिहार राज्य,
AIR 1996 SC 1931
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क्या धारा 358 में यह आवश्यक है कि नया अभियुक्त प्रारंभिक अन्वेषण में नामित हो?
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नहीं
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यदि न्यायालय ने किसी व्यक्ति को धारा 358 के तहत अभियुक्त बनाया है, तो क्या उसके लिए पुनः अन्वेषण आवश्यक है?
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नहीं
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धारा 358 में जोड़ा गया नया अभियुक्त क्या पहले से चल रहे विचारण में अपनी गवाही दे सकता है?
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हाँ, उसे पूरा अवसर मिलेगा
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धारा 359 किससे सम्बन्धित है?
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अपराधों का शमन
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किस स्थिति में धारा 359 का प्रयोग किया जा सकता है?
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जब आरोपी पहले से दोषी हो जब अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हों जब आरोपी अपराध स्वीकार करे
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धारा 359 के अंतर्गत किसी अपराध के शमन का परिणाम होता है-
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दोषमुक्ति
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जब कोई व्यक्ति जो अन्यथा तरीके से धारा 359 के अंतर्गत किसी अपराध के शमन में सक्षम था, हो जाती है, तब-
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ऐसे व्यक्ति का विधिक प्रतिनिधि न्यायालय की सहमति से अपराध का शमन कर सकता है
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जब एक व्यक्ति जो अन्यथा धारा 359 के अंतर्गत अपराध शमन करने के लिए सक्षम होता, की मृत्यु हो जाती है तो-
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सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के अंतर्गत परिभाषित उक्त व्यक्ति के विधिक प्रतिनिधि न्यायालय की सम्मति से अपराध शमन कर सकते हैं।
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धारा 359 के तहत अपराध का शमन क्या न्यायालय की स्वीकृति के बिना किया जा सकता है?
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नहीं, न्यायालय की स्वीकृति आवश्यक है
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क्या न्यायालय धारा 359 के तहत अपराध का शमन करते हुए अभियुक्त को सजा देने का निर्णय ले सकता है?
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हाँ, यदि शमन प्रक्रिया में आरोपी ने सहयोग किया हो
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किस मामले के अनुसार धारा 359 के अंतर्गत शमन प्रक्रिया को शमन एक समझौते के रूप में होता है, जिसमें आरोपी और अभियोजन दोनों की सहमति होती है समझाया गया है?
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एस. के. गुप्ता बनाम राजस्थान राज्य (2005) 6 एससीसी 233
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 359 के तहत शमन एक वैकल्पिक उपाय है जो अभियुक्त और न्यायालय की सहमति से किया जाता है स्पष्ट किया?
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राज्य बनाम पी.के. थॉमस (2010) 2 एससीसी 295
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किस मामले में शमन में आरोपी के अपराध को समाप्त करना संभव है निर्णय हुआ था?
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मनोज कुमार बनाम पंजाब राज्य (2013) 4 एससीसी 212
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धारा 359 के तहत शमन की प्रक्रिया किस प्रकार के अपराधों के लिए लागू होती है?
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जघन्य और हल्के दोनों प्रकार के अपराधों के लिए
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क्या शमन प्रक्रिया में आरोपी को उसके अपराध के लिए माफी दी जा सकती है?
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हाँ, यदि आरोपी ने पूरी तरह से अपराध स्वीकार किया हो
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क्या शमन प्रक्रिया के दौरान आरोपी को पुनः अपराध करने से रोकने के लिए सुधारात्मक उपायों की सिफारिश की जा सकती है?
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हाँ
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क्या न्यायालय शमन प्रक्रिया के दौरान आरोपी के लिए कोई दिशा-निर्देश जारी कर सकता है?
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हाँ, ताकि वह भविष्य में अपराधों से बचे
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धारा 360 किससे सम्बन्धित है?
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अभियोजन वापस लेना
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धारा 360 के अंतर्गत अभियोजन से वाद वापस ले सकता है-
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न्यायालय की अनुमति से किसी वाद का प्रभारी लोक अभियोजक
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किसमें भारत के उच्चतम न्यायालय ने आदेशित किया कि किसी वर्तमान या भूतपूर्व एम.पी./एम.एल.ए. के विरुद्ध किसी भी अभियोजन को उच्च न्यायालय की अनुमति बिना दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 360 के अंतर्गत वापस नहीं लिया जाएगा-
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अश्विनी उपाध्याय बनाम भारत संघ एवं अन्य
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किस स्थिति में अभियोजन को धारा 360 के तहत वापस लिया जा सकता है?
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अभियोजन पक्ष का विचार हो कि मामले की आवश्यकता नहीं है
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क्या अभियोजन वापस लेने के बाद फिर से शुरू किया जा सकता है?
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हाँ, यदि नई साक्ष्य उपलब्ध हो
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धारा 360 के तहत अभियोजन वापस लेने के लिए क्या प्रक्रिया होती है?
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अभियोजन पक्ष को लिखित में आवेदन करना पड़ता है
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क्या धारा 360 के तहत अभियोजन वापस लेने का निर्णय अपील योग्य होता है?
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हाँ
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यदि अभियोजन वापस ले लिया जाता है तो अभियुक्त के अधिकारों का क्या होगा?
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अभियुक्त को रिहा कर दिया जाता है
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धारा 360 के तहत अभियोजन वापस लेने के बाद क्या अभियुक्त को तुरंत रिहा किया जा सकता है?
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हाँ, यदि वह जमानत पर हो
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क्या अभियोजन वापस लेने का निर्णय अभियुक्त को सूचित किया जाता है?
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हाँ
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किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष को अभियोजन वापस लेने का पूरा अधिकार है निर्णय दिया था?
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राजस्थान राज्य बनाम अजीत सिंह (2009) 4 एससीसी 563
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किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 360 के तहत अभियोजन वापसी के संबंध में अभियोजन केवल न्यायालय के आदेश से वापस लिया जा सकता है निर्णय लिया था?
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उमेश कुमार बनाम महाराष्ट्र राज्य (2014) 6 एससीसी 758
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