हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 (The Hindu Marriage Act, 1955) |
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(1955 का अधिनियम संख्यांक 25) |
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अध्याय 1 |
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प्रारम्भिक (Preliminary) |
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इस संहिता का क्या नाम है? |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 का अधिनियम क्रमांक क्या है |
[1955 का 25] |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 राष्ट्पति द्वारा स्वीकृत कब किया गया? |
18 मई 1955 |
संक्षिप्त नाम और विस्तार (Short title and extent) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 1 |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 1 के अनुसार यह अधिनियम भारत के किन क्षेत्रों में लागू नहीं होता? |
संपूर्ण भारत (वर्तमान में जम्मू-कश्मीर पर भी लागू है [370 हटने के बाद]) |
अधिनियम का लागू होना (Application of Act) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 2 |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 1 के अनुसार यह अधिनियम किन व्यक्तियों पर लागू होता है? |
हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख |
किस केस में यह घोषित किया गया कि हिन्दू विवाह अधिनियम उन व्यक्तियों पर भी लागू होता है जिन्होंने हिन्दू धर्म अपना लिया हो? |
सरला मुद्गल बनाम भारत संघ |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 का विस्तार विदेशों में किस परिस्थिति में होता है? |
जब पक्षकारों में से कोई हिन्दू हो और भारतीय नागरिक हो |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 किन व्यक्तियों पर लागू नहीं होता? |
जो पूर्णतः मुस्लिम या ईसाई धर्म अपना चुके हों |
यदि कोई व्यक्ति मूलतः हिन्दू था लेकिन अब ईसाई धर्म स्वीकार कर चुका है, तो क्या हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 उस पर लागू होगा? |
नहीं |
किस न्यायिक निर्णय ने "दूसरी शादी के लिए इस्लाम धर्म अपनाना" को हिंदू विवाह अधिनियम का उल्लंघन माना? |
लिली थॉमस बनाम भारत संघ |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 1 का उद्देश्य क्या है? |
विवाह को वैधानिक रूप से नियंत्रित करना |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के अधीन ‘हिन्दू’ में वे व्यक्ति भी आते हैं? |
जिनके माता-पिता हिन्दू न हों लेकिन उन्होंने हिन्दू धर्म अपना लिया हो |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 किन लोगों पर नहीं लागू होता? |
वह व्यक्ति जो हिन्दू धर्म का त्याग कर मुस्लिम धर्म में चला गया |
क्या एक हिन्दू पुरुष हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के अंतर्गत दूसरी शादी कर सकता है, जब तक पहली पत्नी जीवित है? |
नहीं |
धारा 2(1)(c) के अनुसार, यह अधिनियम किन लोगों पर लागू होता है? |
जो हिन्दू धर्म के अनुयायी नहीं हैं लेकिन इस अधिनियम द्वारा हिन्दू माने गए हैं |
किस केस में यह निर्णय हुआ कि हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 अनुसूचित जनजाति पर तब तक लागू नहीं होता जब तक उनके लिए अलग प्रावधान न हो? |
लबीश्वर मांझी बनाम प्राण मांझी (2000) |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के अंतर्गत “हिन्दू” की परिभाषा में कौन शामिल है? |
जिसने स्वेच्छा से हिन्दू धर्म को अंगीकार किया हो |
यदि कोई व्यक्ति हिन्दू धर्म छोड़कर इस्लाम अपना ले, तो क्या हिन्दू विवाह अधिनियम अब भी उस पर लागू होगा? |
नहीं |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 2 का उपविभाग (2) किन लोगों को अधिनियम से विलक्षित (excluded) करता है? |
अनुसूचित जनजातियाँ |
अनुसूचित जनजातियों पर हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 को लागू करने के लिए क्या आवश्यक है? |
भारत सरकार द्वारा अधिसूचना |
यदि कोई व्यक्ति बौद्ध धर्म अपना लेता है, तो क्या हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 उस पर लागू होगा? |
हाँ |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 उन पर भी लागू होगा जिन्होंने हिन्दू धर्म को स्वीकार कर लिया है? |
पेरुमल नादर बनाम पोन्नुस्वामी |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 किन व्यक्तियों पर लागू नहीं होता? |
जिनका धर्म हिन्दू न हो, जिन्होंने हिन्दू धर्म छोड़ दिया है |
किस परिस्थिति में अनुसूचित जनजातियों पर हिन्दू विवाह अधिनियम लागू नहीं होगा? |
जब सरकार अधिसूचना जारी न करे |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 किसके लिए समान रूप से लागू होता है? |
हिन्दू पुरुष, हिन्दू महिलाएं |
एक व्यक्ति जो हिन्दू है और श्रीलंका में रहता है, क्या उस पर हिन्दू विवाह अधिनियम लागू होगा? |
हाँ, यदि वह भारत का नागरिक है |
रूढ़ी और प्रथा (Custom and usage) किस धारा में परिभाषित है? |
धारा 3 (क) |
एक ऐसी प्रथा जो विवाह के दौरान लड़की की माँ द्वारा वर को वस्त्र भेंट करने की अनिवार्यता को मानती है – यह कब तक मान्य मानी जाएगी? |
जब तक यह रूढ़ि निरंतर, निश्चित, और प्रचलित हो |
यदि कोई प्रथा जाति विशेष में गोत्र के भीतर विवाह को वैध मानती है, तो हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत उसकी स्थिति क्या होगी? |
वैध, यदि समुदाय में वह प्रथा रूढ़ रूप से प्रचलित है |
न्यायालय के अनुसार यदि कोई प्रथा मनमाना और दमनकारी हो, तो उसका क्या परिणाम होगा? |
वह स्वतः अवैध हो जाएगी |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि — “क्या प्रथागत कानून वैधानिक कानून को तब तक रद्द नहीं कर सकता जब तक कि विशेष रूप से संरक्षित न किया जाए? |
श्रीमती. मायादेवी बनाम जगदीश प्रसाद |
जिला न्यायलय (District Court) किस धारा में परिभाषित है? |
धारा 3(ख) |
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 3(ख) के अनुसार “जिला न्यायालय” में कौन-कौन से न्यायालय सम्मिलित हैं? |
नगर सिविल न्यायालय, प्रधान सिविल न्यायालय या कोई अन्य न्यायालय जिसे राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया हो |
धारा 3(ख) के अनुसार, "जिला न्यायालय" की परिभाषा में किसे विशेष रूप से शामिल किया गया है? |
पारिवारिक न्यायालय |
हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत "जिला न्यायालय" का गठन किसके द्वारा अधिसूचित किया जा सकता है? |
राज्य सरकार |
किस केस में न्यायालय ने यह माना कि पारिवारिक न्यायालय “जिला अदालत” की श्रेणी में आता है? |
के.ए. अब्दुल जलील बनाम टी.ए. शाहिदा
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जिला न्यायालय का कौन-सा कार्य हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत मुख्य होता है? |
विवाह-विच्छेद व अन्य वैवाहिक याचिकाओं का निपटारा करना
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क्या एक पारिवारिक न्यायालय, धारा 3(ख) के अंतर्गत “जिला अदालत” के रूप में कार्य कर सकता है? |
हाँ |
यदि राज्य सरकार किसी न्यायालय को "जिला न्यायालय" अधिसूचित करती है, तो क्या वह अदालत हिंदू विवाह अधिनियम के मामलों की सुनवाई कर सकती है? |
हाँ |
किस अधिनियम के अंतर्गत पारिवारिक न्यायालय को स्थापित किया गया है जो हिंदू विवाह कार्य के अंतर्गत कार्य करता है? |
पारिवारिक न्यायालय अधिनियम, 1984
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हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 3(ख) के तहत "जिला अदालत "कौन से मामलों की सुनवाई करता है? |
वैवाहिक विवाद जैसे कि तलाक, पृथक्करण, पुनर्स्थापन |
पूर्व रक्त और अर्ध रक्त (full-blood and half-blood) किस धारा में परिभाषित है? |
धारा 3(ग) |
यदि दो भाई समान पिता और माता से उत्पन्न हैं, तो उनके बीच संबंध को क्या कहा जाएगा? |
पूर्ण रक्त संबंध |
अर्ध रक्त संबंध किस स्थिति में पाया जाएगा? |
जब दोनों की माता समान हो और पिता अलग |
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 3(ग) के अनुसार, 'पूर्ण रक्त' और 'अर्ध रक्त' संबंधों का महत्व किस संदर्भ में होता है? |
विवाह की वैधता |
यदि दो व्यक्ति समान पिता से हैं लेकिन अलग-अलग माताओं से, तो वे: |
पूर्ण रक्त संबंधी माने जाएंगे |
कौन-सा केस 'पूर्ण रक्त और अर्ध रक्त' संबंधों की व्याख्या में एक मार्गदर्शक माना जाता है? |
K.M. विजयालक्ष्मी बनाम आर. श्रीनिवासन |
"अर्ध रक्त" और "पूर्ण रक्त" की परिभाषा का उपयोग किस उद्देश्य से किया जाता है? |
विवाह निषेध रिश्तों को तय करने हेतु |
एकोदर रक्त (Uterine blood) किस धारा में परिभाषित है? |
धारा 3(घ) |
‘एकोदर रक्त’ (Uterine Blood) संबंध की परिभाषा हिन्दू विवाह अधिनियम की किस उपधारा में दी गई है? |
धारा 3(घ) |
‘एकोदर रक्त’ से क्या तात्पर्य है? |
दो व्यक्ति जिनकी माता समान हो और पिता अलग |
यदि राम और श्याम की माता एक ही है लेकिन उनके पिता भिन्न हैं, तो उनका संबंध क्या कहलाएगा? |
एकोदर रक्त |
एकोदर रक्त संबंध वाले दो व्यक्तियों के बीच विवाह कब वैध माना जा सकता है? |
जब वह रूढ़ि या प्रथा द्वारा मान्य हो |
किस केस में 'एकोदर रक्त' की चर्चा, निषेध संबंधों की व्याख्या हुई? |
के.एम. विजया लक्ष्मी बनाम आर. श्रीनिवासन (AIR 1991 Mad 272) |
यदि किसी व्यक्ति के दो विवाहों से दो संतानें हुई हैं और उन दोनों की माता समान है, परंतु पिता अलग हैं, तो यह कौन-सा रक्त संबंध होगा? |
एकोदर रक्त |
विहित (Prescribed) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 3(ङ) |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 3(ङ) के अनुसार 'विहित' शब्द का अर्थ क्या है? |
जिसे अधिनियम के नियमों द्वारा निर्दिष्ट किया गया हो |
सपिण्ड नातेदारी (Sapinda relationship)) किस धारा में परिभाषित है? |
धारा 3(च) |
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 3(च) के अनुसार “सपिण्ड नातेदारी” कितनी पीढ़ियों तक मान्य होती है (पिता की ओर से)? |
पांचवीं पीढ़ी |
सपिण्ड संबंध मातृ पक्ष से कितनी पीढ़ियों तक माना जाता है? |
तीसरी पीढ़ी |
“सपिण्ड” शब्द का उपयोग किस उद्देश्य से किया जाता है? |
निषिद्ध वैवाहिक संबंधों को परिभाषित करने के लिए |
कौन-सा केस यह स्थापित करता है कि सपिण्ड संबंध के आधार पर विवाह अमान्य ठहराया जा सकता है? |
मोतीलाल बनाम कुंती बाई |
यदि दो व्यक्ति समान परदादा से उत्पन्न हैं, तो वे किस प्रकार के संबंध में होंगे? |
सपिंडा |
सपिण्ड नातेदारी का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
रक्त संबंधियों में विवाह को रोकना |
हिन्दू विवाह अधिनियम की किस धारा में सपिण्ड नातेदारी के उल्लंघन को विवाह की अमान्यता का आधार बताया गया है? |
धारा 5(v) |
"गोत्र" और "सपिंडा" में मुख्य अंतर क्या है? |
गोत्र वंश की अवधारणा है; सपिंडा रक्त संबंध की |
यदि कोई व्यक्ति अपने मामा की बेटी से विवाह करता है, तो वह किस प्रकार के प्रतिबंध में आ सकता है? |
सपिंडा प्रतिबंध (मातृ पक्ष की तीसरी पीढ़ी) |
यदि कोई व्यक्ति सपिण्ड संबंध में विवाह करता है और समाज में ऐसी प्रथा मान्य नहीं है, तो उस विवाह की वैधता क्या होगी? |
अमान्य रहेगा |
प्रतिषिद्ध नातेदारी (Degrees of Prohibited Relationship) किस धारा में परिभाषित है? |
धारा 3(छ) |
"प्रतिषिद्ध नातेदारी" का उद्देश्य क्या है? |
निकट रक्त संबंधियों के बीच विवाह से रोकना |
हिन्दू विवाह अधिनियम की किस धारा में प्रतिषिद्ध नातेदारी के उल्लंघन को विवाह की अमान्यता का आधार बताया गया है? |
धारा 5(iv) |
यदि कोई विवाह प्रतिषिद्ध नातेदारी के अंतर्गत आता है और समाज में उसकी कोई वैध प्रथा नहीं है, तो वह विवाह: |
अवैध (Void ab initio) माना जाएगा |
कौन-से निर्णय में यह स्पष्ट किया गया कि यदि विवाह प्रतिषिद्ध नातेदारी में होता है और समाज में ऐसी कोई वैध प्रथा नहीं है, तो वह विवाह अवैध होगा? |
मोतीलाल बनाम कुंती बाई |
क्या दत्तक लिए गए व्यक्ति भी प्रतिषिद्ध नातेदारी के अंतर्गत आते हैं? |
हाँ, दत्तक संबंध भी शामिल हैं |
यदि कोई विवाह प्रतिषिद्ध नातेदारी में हुआ है, लेकिन समाज की एक विशेष प्रथा उस विवाह को मान्यता देती है, तो वह: |
वैध माना जा सकता है |
प्रतिषिद्ध नातेदारी में विवाह को वैध ठहराने के लिए किसका प्रमाण आवश्यक है? |
स्थानीय मान्य रूढ़ि या प्रथा |
यदि दो व्यक्ति "सपिण्ड" भी हैं और "प्रतिषिद्ध नातेदारी" में भी हैं, तो विवाह की वैधता का निर्णय किस आधार पर होगा? |
रूढ़ि के अनुसार |
अधिनियम का अध्यारोही प्रभाव (Overriding effect of Act) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 4 |
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 4 किस सिद्धांत को स्थापित करती है? |
विशेष विधि का वर्चस्व |
धारा 4 के अनुसार, इस अधिनियम के प्राम्भ के पूर्व हिन्दू विवाह अधिनियम के विरुद्ध कोई परंपरा या प्रथा हो तो उसका क्या होगा? |
उस प्रथा को अप्रभावी माना जाएगा |
यदि किसी शास्त्रीय ग्रंथ में दो सगे भाई-बहन के विवाह को मान्यता दी गई हो, परन्तु यह हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के विरुद्ध हो, तो कानून क्या कहेगा? |
विवाह को अमान्य माना जाएगा |
सुप्रीम कोर्ट ने किस मामले में प्रावधान का समर्थन करते हुए कहा कि धर्म परिवर्तन कर दूसरा विवाह हिन्दू विवाह अधिनियम की अवहेलना है? |
श्रीमती सरला मुद्गल बनाम भारत संघ (1995) |
धारा 4 के तहत हिन्दू विवाह अधिनियम किस पर प्रभावी होता है? |
अन्य कोई भी पूर्व या वर्तमान विधि, परंपरा, रीति आदि |
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 4 किस प्रकार का कानून है? |
सुधारात्मक और अध्यारोही |
क्या कोई हिंदू व्यक्ति केवल धार्मिक शास्त्रों के आधार पर बाल विवाह कर सकता है? |
नहीं, क्योंकि हिन्दू विवाह अधिनियम इसे वैध नहीं मानता |
यदि राज्य का कोई कानून हिन्दू विवाह अधिनियम से टकराता है, तो किसका वर्चस्व होगा? |
हिन्दू विवाह अधिनियम |
कौन-सा केस स्पष्ट करता है कि एक बार हिन्दू विवाह अधिनियम लागू हो जाने के बाद पूर्व परंपराएं केवल तभी लागू होंगी जब वे अधिनियम के अनुरूप हों? |
यज्ञपुरुषदासजी बनाम मूलदास |
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अध्याय 2 |
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हिन्दू विवाह (Hindu Marriages) |
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हिन्दू विवाह के लिए शर्तें (Condition for a Hindu Marriage) किस धारा में वर्णित है? |
धारा 5 |
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 की पहली शर्त क्या है? |
वर और वधु दोनों अविवाहित हो |
कौन-सा विवाह धारा 5(i) का उल्लंघन करता है? |
यही किसी वर और वधु की पत्नी या पति जीवित हो |
धारा 5(i) का उद्देश्य क्या है? |
द्विविवाह को रोकना |
धारा 5(ii) के तहत, विवाह के लिए मानसिक योग्यता से क्या तात्पर्य है? |
चित्त - विकृति के परिणामस्वरूप विधिमान्य सम्मति देने में असमर्थ न हो |
विधिमान्य सम्मति देने में समर्थ होने पर भी विवाह कब अमान्य हो सकता है? |
इस हद तक मानसिक विकार से पीड़ित हो कि वह विवाह और सन्तानोत्पत्ति के लिये अयोग्य हो, या उसे उन्मत्तता का बारबार दौरा पड़ता हो |
विवाह निषिद्ध नातेदारी में होता है, लेकिन समाज में उस प्रकार के विवाह की प्रथा मान्य है, तो विवाह की स्थिति होगी? |
वैध |
धारा 5 (iii) के तहत आयु कितनी निर्धारित की गयी है? |
वर ने इक्कीस वर्ष की आयु और वधू ने अठारह वर्ष की आयु पूरी कर ली हो |
यदि कोई बाल विवाह हो जाए (18 वर्ष से कम उम्र की लड़की), तो उसकी वैधता क्या होगी? |
रद्द करने योग्य |
किस धारा के तहत प्रतिषिद्ध नातेदारी के अंतर्गत विवाह की मनाही है? |
5 (iv) |
किस धारा के तहत सपिण्ड नातेदारी के अंतर्गत विवाह की मनाही है? |
5 (v) |
सपिण्ड या प्रतिषिद्ध नातेदारी में विवाह कब वैध माना जाता है? |
यदि रूढ़ि या प्रथा इसे मान्यता देती हो |
विवाह में अभिभावकता (Guardianship in Marriage) (निरसित), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 6 |
धारा 6 किस अधिनियम द्वारा निरसित किया गया? |
बाल विवाह अवरोध (संशोधन) अधिनियम, 1978 (1978 का 2) की धारा 6 और अनुसूची द्वारा निरसित |
धारा 6 कब निरसित किया गया? |
1.10.1978 से |
हिन्दू विवाह के लिये कर्मकांड (Ceremonies for a Hindu marriage) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 7 |
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 7 किस बात को वैध विवाह के लिए आवश्यक बनाती है? |
धार्मिक संस्कारों का पालन |
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 7 में "सप्तपदी" का क्या महत्व है? |
विवाह पूर्ण करने के लिए आवश्यक |
यदि किसी विवाह में 'सप्तपदी' नहीं हुई, परन्तु वर-वधू साथ रह रहे हैं, तो विवाह की वैधता पर क्या प्रभाव पड़ेगा? |
विवाह अवैध है (यदि ऐसी रीतियों और कर्मकांड के अन्तर्गत सप्तपदी आती हो) |
यदि रीतियों और कर्मकांड के अन्तर्गत सप्तपदी आती हो वहां विवाह पूर्ण और आबद्धकर कब होता है? |
जब सातवां पद चल लिया जाता है।
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यदि एक विवाह आर्य समाज की विधियों से हुआ है, तो क्या वह धारा 7 के अंतर्गत वैध माना जाएगा? |
हाँ, यदि वैध संस्कारों का पालन हुआ हो |
यदि किसी समुदाय में विवाह में अग्नि नहीं लगाई जाती और अन्य रीति-रिवाज़ अपनाए जाते हैं, तो क्या वह विवाह धारा 7 के अंतर्गत वैध होगा? |
हाँ, यदि समुदाय की मान्य परंपरा है |
यदि दो व्यक्तियों ने कोर्ट में हलफनामा देकर विवाह घोषित किया लेकिन कोई धार्मिक संस्कार नहीं हुआ, तो क्या वह विवाह वैध है? |
केवल विशेष विवाह अधिनियम के तहत मान्य |
धारा 7 के अनुसार 'सप्तपदी' की अंतिम फेरा किस बात को सूचित करता है? |
विवाह की पूर्णता |
किस केस में रीति-रिवाज़ पूरे नहीं हुए, आधार पर विवाह को अमान्य ठहराया गया,? |
अशोक कुमार बनाम रजनी (2010) |
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सप्तपदी को अनिवार्य विवाह संस्कार माना था? |
डॉली रानी बनाम मनीष कुमार चंचल (2024) |
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सप्तपदी को अनिवार्य विवाह संस्कार माना था? |
शाजी बनाम गोपीनाथ (1995) |
हिन्दू विवाहों का रजिस्ट्रीकरण (Registration of Hindu Marriages) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 8 |
रजिस्ट्रीकरण के सम्बन्ध में कौन नियम बना सकेगा? |
सम्बंधित राज्य की राज्य सरकार |
क्या हिन्दू विवाहों का रजिस्ट्रीकरण अनिवार्य है? |
यदि सम्बंधित राज्य सरकार किसी राज्य में या उसके किसी भाग में चाहे तो अनिवार्य बना सकती है |
यदि विवाहों के लिए रजिस्ट्रीकरण आवश्यक है, और उसका उलंघन किया गया है तो क्या दंड देने का प्रावधान है? |
उल्लंघन करने वाला व्यक्ति जुर्माने से, जो कि पच्चीस रुपये तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा |
किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने विवाह पंजीकरण अनिवार्य किया गया? |
सीमा बनाम अश्वनी कुमार (2006) |
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अध्याय 3 |
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दाम्पत्य अधिकारों का प्रत्यास्थापन और न्यायिक पृथक्करण (Restitution of Conjugal rights and judicial separation) |
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दाम्पत्य अधिकारों का प्रत्यास्थापन (Restitution of conjugal rights) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 9 |
धारा 9 के अंतर्गत "दाम्पत्य अधिकारों का प्रत्यास्थापन" किस स्थिति में मांग की जा सकती है? |
जब एक पक्ष बिना उचित कारण के साथ रहना छोड़ दे |
किस केस में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने धारा 9 व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन के सम्बन्ध में निर्णय दिया? |
टी. सरीथा बनाम टी. वेंकट सुब्बैया |
किस केस में सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 9 को संवैधानिक और मान्य घोषित किया? |
सरोज रानी बनाम सुदर्शन कुमार चड्ढा (1984) |
धारा 9 के अंतर्गत कौन व्यक्ति याचिका दायर कर सकता है? |
दोनों पति या पत्नी |
यदि पत्नी पति के साथ नहीं रहना चाहती क्योंकि उसने उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया है, तो क्या वह धारा 9 के अंतर्गत साथ रहने से इनकार कर सकती है? |
हाँ, क्योंकि यह न्यायोचित कारण है |
धारा 9 के तहत निर्णय होने के कितने समय बाद यदि आदेश का पालन न हो तो यह तलाक का आधार बन सकता है? |
1 वर्ष |
किस केस में पत्नी द्वारा परित्याग (desertion) का उद्देश्य को महत्वपूर्ण माना गया? |
बिपिन चंद्र जयसिंहभाई शाह बनाम प्रभावती |
क्या दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना का आदेश बलपूर्वक लागू किया जा सकता है? |
नहीं, यह केवल नैतिक दबाव डालता है |
धारा 9 का प्रमुख उद्देश्य क्या है? |
पति-पत्नी को साथ लाना |
न्यायिक पृथक्करण (Judicial separation) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 10 |
"न्यायिक पृथक्करण" का क्या अर्थ है? |
पति-पत्नी को अस्थायी रूप से अलग रहने की अनुमति देना |
न्यायिक पृथक्करण की याचिका कौन दाखिल कर सकता है? |
पति या पत्नी में से कोई भी |
धारा 10 के तहत न्यायिक पृथक्करण का आदेश किस अधार पर दिया जा सकता है? |
मानसिक या शारीरिक क्रूरता |
धारा 10 के अंतर्गत कितने आधार पर पति या पत्नी याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं? |
9 आधार |
कौन से आधार केवल पत्नी को प्राप्त है? |
(1) पति द्वारा दूसरा विवाह करने पर (2) पति के बलात्संग या अप्राकृतिक मैथुन के दोषी होने पर। (3) भरण-पोषण की डिक्री । (4) यौवनावस्था का विकल्प। |
किस केस में कहा गया कि, न्यायिक पृथक्करण के लिए मानसिक क्रूरता का प्रमाण महत्वपूर्ण है? |
नारायण गणेश दास्ताने बनाम सुचेता दास्ताने |
न्यायिक पृथक्करण मिलने के बाद पति-पत्नी के किस अधिकार पर प्रभाव पड़ता है? |
सहवास का अधिकार (Conjugal Rights) |
किस केस में परित्याग (Desertion) को न्यायिक पृथक्करण का आधार माना गया? |
सावित्री पांडे बनाम प्रेम चंद्र पांडे (2002) |
यदि न्यायिक पृथक्करण के आदेश के एक वर्ष के भीतर सहजीवन पुनः नहीं होता है, तो क्या किया जा सकता है? |
तलाक के लिए याचिका दायर की जा सकती है |
क्या न्यायिक पृथक्करण तलाक का पर्याय है? |
नहीं |
यदि एक पति अपनी पत्नी को लम्बे समय तक मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है, तो क्या पत्नी न्यायिक पृथक्करण मांग सकती है? |
हाँ, मानसिक क्रूरता पर्याप्त है |
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अध्याय 4 |
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विवाह की अकृतता और विवाह-विच्छेद (Nullity of Marriage and Divorce) |
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शून्य विवाह (Void marriages) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 11 |
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 11 के अंतर्गत ‘शून्य विवाह’ का क्या अर्थ है? |
विवाह शुरू से ही अमान्य है |
शून्य विवाह को चुनौती देने के लिए क्या आवश्यक है? |
डिक्री ऑफ डिक्लेरेशन |
धारा 11 के अंतर्गत कौन से विवाह शून्य माने जाते हैं? |
यदि वह धारा 5 के खण्ड (i), (iv) और (v) में विनिर्दिष्ट शर्तों में से किसी एक का भी उल्लंघन करता हो |
धारा 11 के अंतर्गत कौन से विवाह शून्य आते हैं? |
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के प्रारम्भ के पश्चात् अनुष्ठापित कोई भी विवाह |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि, द्विविवाह की स्थिति में विवाह शून्य होता है? |
यमुनाबाई अनंतराव आधव बनाम अनंतराव शिवराम आधव" (1988) |
यदि विवाह के समय पति या पत्नी में से कोई मानसिक रोग से ग्रस्त हो, तो वह विवाह कैसा माना जाएगा? |
रद्द योग्य (Voidable) |
कौन सा केस द्विविवाह और शून्यता पर निर्णय के लिए महत्वपूर्ण है? |
लीला गुप्ता बनाम लक्ष्मी नारायण (1978) |
शून्य विवाह से उत्पन्न संतान का क्या कानूनी दर्जा है? |
वैध |
शून्य विवाह को शून्य घोषित करने की मांग कौन कर सकता है? |
पति या पत्नी |
किस केस में कहा गया कि, महिला को भले ही विवाह शून्य हो फिर भी घरेलू हिंसा कानून से संरक्षण मिलेगा? |
रीमा अग्रवाल बनाम अनुपम (2004) |
यदि कोई हिंदू पुरुष अपनी पहली पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी करता है, तो यह विवाह कैसा है? |
शून्य |
शून्यकरणीय विवाह (Voidable Marriages) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 12 |
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12 के अंतर्गत ‘शून्यकरणीय विवाह’ का क्या अर्थ है? |
विवाह को अदालत रद्द कर सकती है लेकिन वैध माना जाता है जब तक रद्द न हो |
धारा 12 के तहत विवाह को रद्द करने के लिए याचिका कितने वर्षों के भीतर दाखिल करनी होगी? |
3 वर्ष |
धारा 12(1)(a) के अनुसार विवाह किस कारण से शून्यकरणीय होगा? |
यदि प्रत्यर्थी की नपुंसकता के कारण विवाहोत्तर संभोग नहीं हुआ है |
धारा 12(1)(c) के अनुसार विवाह कब शून्यकरणीय माना जाएगा? |
जब कोई पक्ष विवाह के समय धोखे में हो |
धारा 12(1)(b) के अंतर्गत विवाह शून्यकैरणीय कब माना जाएगा? |
जब कोई पक्ष मानसिक रूप से अस्वस्थ हो और उसका इलाज न हो |
किस केस में मानसिक रोग के कारण विवाह को शून्यकैरणीय माना गया? |
गांधी बनाम फातिमा |
यदि पति या पत्नी को विवाह के समय मानसिक रोग था और विवाह के 4 साल बाद ही उसका पता चला, तो क्या विवाह रद्द किया जा सकता है? |
नहीं, 3 वर्ष की सीमा पार हो चुकी है |
किस केस में कोर्ट ने निर्णय दिया, मानसिक रोग की गंभीरता के आधार पर निर्णय दिया जाएगा? |
सुशीला देवी बनाम राजस्थान राज्य |
धारा 12(1)(d) के अनुसार, विवाह को कब शून्यकरणीय माना जाएगा? |
यदि प्रत्यर्थी विवाह के समय अर्जीदार से भिन्न किसी व्यक्ति द्वारा गर्भवती थी। |
धारा 12 के अंतर्गत शून्यकरणीय विवाह की याचिका कौन कर सकता है? |
पति या पत्नी |
शून्यकरणीय विवाह में कौन-सी परिस्थिति विवाह को रद्द करने का आधार नहीं हो सकती? |
विवाह के बाद विवाद |
धारा 12 के अंतर्गत शून्यकरणीय विवाह के आदेश का क्या प्रभाव होता है? |
विवाह वैध बना रहता है जब तक कोर्ट रद्द न करे |
धारा 12 के अनुसार शून्यकरणीय विवाह के अंतर्गत दोष सिद्ध करने की जिम्मेदारी किस पर होती है? |
याचिकाकर्ता पर |
शून्यकरणीय विवाह की याचिका दाखिल करने के बाद यदि विवाह रद्द नहीं किया गया तो क्या होगा? |
विवाह वैध रहेगा |
विवाह-विच्छेद (Divorce) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 13 |
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत विवाह-विच्छेद के लिए न्यूनतम अवधि कितनी होनी चाहिए? |
1 वर्ष |
धारा 13(1)(i) के अनुसार विवाह-विच्छेद का आधार क्या है? |
व्यभिचार (adultery) |
किस केस में कोर्ट ने परित्याग के आधार पर विवाह-विच्छेद की अनुमति दी, |
बिपिनचंद्र जयसिंहभाई शाह बनाम प्रभावती (1957) |
धारा 13(1) (i-a) के अनुसार विवाह-विच्छेद का आधार क्या है? |
क्रूरता |
धारा 13(1) (i-b) के अनुसार विवाह-विच्छेद का आधार क्या है? |
कम से कम दो वर्ष की निरन्तर 'कालावधि पर अर्जीदार को अभित्यक्त रखा है |
धारा 13(1)(ii) के अनुसार विवाह-विच्छेद का आधार क्या है? |
धर्म परिवर्तन |
धारा 13(1)(ii) के तहत धर्म परिवर्तन के आधार पर विवाह-विच्छेद के लिए कौन सा केस महत्वपूर्ण है? |
सरला मुद्गल बनाम भारत संघ |
धारा 13(1)(iii) के तहत मानसिक रोग के आधार पर विवाह-विच्छेद के लिए क्या शर्तें हैं? |
रोग स्थायी और गंभीर होना चाहिए |
धारा 13(1)(iv) के अनुसार विवाह-विच्छेद का आधार क्या है? |
कुष्ठ रोग |
किस केस में कोर्ट ने कुष्ठ रोग के आधार पर विवाह-विच्छेद की अनुमति दी? |
अन्नपूर्णा देवी बनाम नबकिशोर सिंह (1965) |
धारा 13(1)(v) के अनुसार विवाह-विच्छेद का आधार क्या है? |
यौन संचारित रोग |
धारा 13(1)(v) के तहत यौन संचारित रोग के आधार पर विवाह-विच्छेद के लिए कौन सा केस महत्वपूर्ण है? |
बीरेंद्र कुमार बनाम हेमलता विश्वास |
धारा 13(1)(vi) के तहत संसार से विरक्ति के आधार पर विवाह-विच्छेद के लिए क्या शर्तें हैं? |
पति या पत्नी ने संसार से विरक्ति ली हो और दूसरा धर्म अपनाया हो |
धारा 13(1)(vii) के तहत मृत्यु की संभावना के आधार पर विवाह-विच्छेद के लिए क्या शर्तें हैं? |
पति या पत्नी 7 वर्षों से लापता हो |
धारा 13(1A) (i) के तहत न्यायिक पृथक्करण के बाद विवाह-विच्छेद के लिए क्या शर्तें हैं? |
एक वर्ष से अधिक समय तक पृथक्करण हो |
धारा 13(1A) (ii) के तहत विवाह के अधिकारों की बहाली के बाद विवाह-विच्छेद के लिए क्या शर्तें हैं? |
एक वर्ष से अधिक समय तक विवाह के अधिकारों की बहाली नहीं हुई हो |
धारा 13(2) के अनुसार विवाह-विच्छेद का आधार का क्या महत्व है? |
केवल पत्नी द्वारा याचिका |
पत्नी विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा अपने विवाह के विघटन के लिए किस आधार पर भी अर्जी उपस्थापित कर सकेगी? |
धारा 13(2) के अंतर्गत दिए गए आधारों पर |
क्या धारा 13(2) के अनुसार पति और पत्नी दोनों तलाक़ की याचिका कर सकते है? |
हाँ सिवाय धारा 13(2) के जो सिर्फ पत्नी को प्राप्त है |
धारा 13(2)(i) के अनुसार विवाह-विच्छेद का आधार क्या है? |
इस अधिनियम के प्रारंभ के पूर्व अनुष्ठापित विवाह की दशा में, पति ने ऐसे प्रारंभ के पूर्व फिर विवाह कर लिया था |
धारा 13(2)(ii) के अनुसार विवाह-विच्छेद का आधार क्या है? |
पति विवाह के अनुष्ठापन के पश्चात् बलात्संग, गुदामैथुन या पशुगमन का दोषी रहा है |
धारा 13(2)(iii) के अनुसार विवाह-विच्छेद का आधार क्या है? |
वह अलग रहती थी और ऐसी डिक्री या आदेश के पारित किए जाने के समय से एक वर्ष या उससे ऊपर की कालावधि भर पक्षकारों के बीच सहवास का पुनरारम्भ नहीं हुआ है |
धारा 13(2)(iv) के अनुसार विवाह-विच्छेद का आधार क्या है? |
उसका विवाह (चाहे विवाहोत्तर संभोग हुआ हो या नहीं) उसकी पन्द्रह वर्ष की आयु हो जाने के पूर्व अनुष्ठापित किया गया था |
व्यभिचारिता को अप्रत्यक्ष साक्ष्य या परिस्थितिजन्य साक्ष्य के द्वारा साबित किया जा सकता है, से संम्बन्धित केस कौन सा है? |
सी० एम० श्रीवास्तव बनाम अश्विनी प्रसाद (ए० आई० आर० 1967 सु० को० 581) |
पक्षकारों का लम्बे समय से पृथक-पृथक रहना मात्र विवाह विच्छेद का आधार नहीं हो सकता, से संम्बन्धित केस कौन सा है? |
सुनील कुमार बनाम नीलम (ए० आई० आर० 2009 एन० ओ० सी० 2156 पंजाब एण्ड हरियाणा) |
यदि लैंगिक संभोग अनुचित रूप से इंकार किया गया है और ऐसा इंकार दीर्घकाल से हठ के रूप में किया गया है, तो यह विनिश्चय करने के लिए आंधार होगा कि यहाँ विधिक क्रूरता है, से संम्बन्धित केस कौन सा है? |
विद्या विश्वनाथन बनाम कार्तिक बालकृष्णन (ए० आई० आर० 2015 सु० को० 285) |
एक छत के नीचे साथ-साथ रहना मानसिक क्रूरता की पूर्व शर्त नहीं है। विवाह के पक्षकार अपने आचरण से मानसिक क्रूरता कारित कर सकते हैं, भले वे एक छत के नीचे साथ-साथ न रह रहे हों, से संम्बन्धित केस कौन सा है? |
के० श्रीनिवास राव बनाम डी० ए० दीपा (ए० आई० आर० 2013 सु० को० 2176) |
क्रूरता को स्थापित करते समय यह साबित करना पर्याप्त होता है कि एक पक्षकार का आचरण इतना असामान्य एवं स्वीकृत मानक से. इतना निम्न स्तर का है कि दूसरे पक्षकार से युक्तिसंगत रूप से इसे सहन करने की आशा नहीं की जा सकती, से संम्बन्धित केस कौन सा है? |
मनीषा त्यागी बनाम दीपक कुमार, (ए० आई० आर० 2010 सु० को० 1042) |
अधिव्यक्ति "क्रूरता" का मानवीय आचरण या मानवीय व्यवहार से अटूट सम्बन्ध है । क्रूरता सदैव पक्षकारों के सामाजिक स्तर या परिवेश, उनके रहन-सहन के तरीके, उनके मध्य सम्बन्ध, उनके स्वभाव तथा भावनाओं पर आधारित होती है, से संम्बन्धित केस कौन सा है? |
विश्वनाथ सीताराम अग्रवाल बनाम सरला विश्वनाथ अग्रवाल (ए० आई० आर० 2012 सु० को० 2586)
|
आपराधिक मनःस्थिति क्रूरता का आवश्यक तत्व नहीं है। इस आधार पर अनुतोष प्रदान करने से इंकार नहीं किया जा सकता कि वहाँ सोद्देश्य या इच्छापूर्ण व्यवहार नहीं है, से संम्बन्धित केस कौन सा है? |
सुमन कपूर बनाम सुधीर कपूर (ए० आई० आर० 2009 सु० को ० 589) |
अभित्यजन के गठन के लिए यह साबित करना आवश्यक है कि समस्त वैधानिक अवधि में, अभित्यजन करने वाले पति, पत्नी में अभित्यजन का इरादा मौजूद रहा, से संम्बन्धित केस कौन सा है? |
बिपिन चन्द्र बनाम प्रभावती (ए० आई० आर० 1957 सु० को० 173) |
विवाह-विच्छेद की कार्यवाहियों में प्रत्यर्थी को वैकल्पिक अनुतोष (Alternate Relief in Divorce Proceedings) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 13-क. |
धारा 13-क का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
तलाक की याचिका को न्यायिक पृथक्करण में परिवर्तित करने का विकल्प देना |
धारा 13-क किस पक्ष को वैकल्पिक अनुतोष प्राप्त करने की अनुमति देता है? |
प्रत्यर्थी (Respondent) |
अगर तलाक की याचिका सफल नहीं होती है, तो कोर्ट किस प्रकार का वैकल्पिक आदेश दे सकता है? |
न्यायिक पृथक्करण (Judicial Separation) |
धारा 13-क किस अधिनियम के तहत जोड़ी गई थी? |
हिंदू विवाह (संशोधन) अधिनियम, 1976 |
किस मामले में प्रत्यर्थी ने न्यायिक पृथक्करण राहत मांगी जो धारा 13-क के तहत संभव है,? |
रवि कुमार बनाम जुल्मी देवी (काल्पनिक केस) |
धारा 13-क के तहत वैकल्पिक अनुतोष कब दिया जा सकता है? |
जब याचिका खारिज हो रही हो लेकिन आधार कुछ हद तक साबित हों |
क्या धारा 13-क के तहत कोर्ट को स्वयं निर्णय देने का अधिकार है भले ही याचिकाकर्ता ने वैकल्पिक राहत की मांग न की हो? |
हाँ, कोर्ट कर सकता है |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने तलाक से न्यायिक पृथक्करण को वैकल्पिक माना था? |
सावित्री पांडे बनाम प्रेम चंद्र पांडे |
धारा 13-क का क्या प्रभाव है यदि कोर्ट तलाक नहीं देता? |
न्यायिक पृथक्करण दिया जा सकता है |
प्रत्यर्थी द्वारा वैकल्पिक अनुतोष की मांग कब की जा सकती है? |
सुनवाई के दौरान |
धारा 13-क में ‘वैकल्पिक अनुतोष’ शब्द का तात्पर्य क्या है? |
एक अन्य प्रकार की राहत देना यदि मूल राहत नहीं मिलती |
क्या अदालत धारा 13-क के तहत बिना पक्ष की मांग के वैकल्पिक राहत प्रदान कर सकती है? |
हाँ, यदि यह न्यायहित में हो |
धारा 13-क में ‘वैकल्पिक अनुतोष’ कब मिल सकती है? |
यदि अर्जी धारा 13 की उपधारा (1) के खण्ड (ii), (vi) और (vii) में वर्णित आधारों पर है |
पारस्परिक सम्मति से विवाह (Divorce by mutual consent) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 13ख. |
धारा 13-ख हिंदू विवाह अधिनियम में कब जोड़ी गई थी? |
1976 |
धारा 13-ख (1) के तहत, पति-पत्नी को अलग-अलग रहना कम-से-कम कितने समय तक अनिवार्य है? |
1 वर्ष |
पारस्परिक सहमति से तलाक के लिए दूसरी गति (second motion) कितने समय के भीतर दायर की जानी चाहिए? |
18 माह |
धारा 13-ख (1) के तहत अर्ज़ी किस न्यायलय में दाखिल की जाएगी? |
जिला न्यायलय में |
सुप्रीम कोर्ट ने किस केस में कहा कि छह महीने की प्रतीक्षा अवधि को ‘मैंडेटरी’ नहीं, बल्कि ‘डायरेक्टरी’ माना जाएगा? |
अमरदीप सिंह बनाम हरवीन कौर (2017) |
सुप्रीम कोर्ट ने किस केस में यह स्पष्ट किया कि पारस्परिक सहमति से तलाक की सहमति को अंतिम निर्णय तक वापस लिया जा सकता है? |
सुरेष्टा देवी बनाम ओम प्रकाश |
यदि तलाक की पहली याचिका दायर कर दी गई हो लेकिन दूसरी गति के समय पति या पत्नी सहमत न हों, तो क्या तलाक दिया जा सकता है? |
नहीं, दोनों की सहमति जरूरी है |
क्या धारा 13-ख के तहत कोर्ट छह महीने की प्रतीक्षा अवधि को माफ कर सकता है? |
हाँ, यदि परिस्थितियाँ उपयुक्त हों |
पारस्परिक सहमति से तलाक की याचिका में क्या आवश्यक है? |
पति-पत्नी की सहमति कि वे साथ नहीं रह सकते |
क्या पारस्परिक सहमति से तलाक की याचिका में कोर्ट विवाह में पक्षों को समन भेज सकता है? |
हाँ, यदि आवश्यकता हो |
यदि पति और पत्नी की एक साथ उपस्थिति कोर्ट में न हो, तो क्या तलाक दिया जा सकता है? |
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी संभव |
धारा 13-ख (2) में ‘दूसरा प्रस्ताव’ किस चीज़ से संबंधित है? |
दोनों पक्षों की पुनः सहमति |
यदि कोर्ट को संदेह हो कि सहमति ज़बरदस्ती से दी गई है, तो क्या वह तलाक की डिक्री देगा? |
नहीं |
विवाह से एक वर्ष के भीतर विवाह विच्छेद के लिए कोई अर्जी उपस्थापित न जाएगी (No petition for divorce to be presented within one year of marriage) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 14 |
धारा 14 के अनुसार, विवाह के कितने समय बाद तलाक याचिका दायर की जा सकती है? |
1 वर्ष |
धारा 14 में उल्लिखित "असाधारण कठिनाई" का क्या अर्थ है? |
अत्यधिक मानसिक या शारीरिक पीड़ा |
किस मामले में, कोर्ट ने धारा 14 के तहत, तलाक याचिका को स्वीकार किया? |
रवीन्द्र नाथ मुखर्जी बनाम इति मुखर्जी (1991) |
किस मामले में, मद्रास उच्च न्यायालय ने विशेष कठिनाई के आधार पर तलाक याचिका स्वीकार की? |
इंदुमति बनाम कृष्णमूर्ति (1998) |
किस मामले में, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक वर्ष की अवधि को विवाह के केवल दो दिन बाद ही अलगाव के कारण माफ किया? |
शिवानी यादव बनाम अमित यादव (2021) |
यदि तलाक याचिका दायर करने से पहले कोर्ट से अनुमति प्राप्त नहीं की जाती है, तो क्या होगा? |
याचिका स्वतः अस्वीकार हो जाएगी |
किस मामले में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने विशेष कठिनाई के आधार पर एक वर्ष की अवधि को माफ किया? |
संकल्प सिंह बनाम प्रार्थना चंद्रा (2013) |
धारा 14 के तहत, यदि याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अनुमति प्राप्त करने में धोखाधड़ी की है, तो क्या होगा? |
तलाक याचिका को एक वर्ष की प्रतीक्षा अवधि के बाद प्रभावी किया जाएगा |
किस मामले में, मद्रास उच्च न्यायालय ने विशेष कठिनाई के आधार पर तलाक याचिका स्वीकार की? |
ए. गणेश बाबू बनाम ए.पी. आरती (2013) |
धारा 14 के तहत, यदि तलाक याचिका एक वर्ष से पहले दायर की जाती है, तो क्या कोर्ट उसे स्वीकार कर सकता है? |
हाँ, यदि विशेष परिस्थितियाँ हों |
कब विवाह-विच्छेद प्राप्त व्यक्ति पुनः विवाह कर सकेगा (Divorced persons. When may marry again) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 15 |
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 15 किस विषय से संबंधित है? |
तलाक के बाद पुनर्विवाह की अनुमति |
धारा 15 के अनुसार, तलाक के बाद पुनः विवाह कब किया जा सकता है? |
जब अपील की कोई अवधि समाप्त हो जाए या अपील खारिज हो जाए |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विवाह तब तक वैध नहीं जब तक अपील का अधिकार समाप्त न हो निर्णय दिया था? |
लीला गुप्ता बनाम लक्ष्मी नारायण (1978) |
क्या तलाक के बाद पुनः विवाह के लिए कोर्ट की अनुमति आवश्यक है? |
नहीं |
अगर तलाक की डिक्री के विरुद्ध अपील लंबित है, तो क्या पुनर्विवाह वैध होगा? |
नहीं |
किस केस में अपील लंबित रहते हुए पुनर्विवाह को अमान्य माना गया था? |
चंद्र मोहिनी बनाम अविनाश प्रसाद |
धारा 15 के तहत, विवाह-विच्छेद प्राप्त व्यक्ति कब 'कानूनी रूप से' पुनः विवाह कर सकता है? |
अपील की अवधि समाप्त हो जाने के बाद |
क्या धारा 15 के उल्लंघन में किया गया विवाह शून्य माना जाएगा? |
नहीं, लेकिन यह विवाह की नैतिकता पर प्रश्न उठाता है |
किस केस में अदालत ने पुनर्विवाह तब तक वैध नहीं जब तक अपील लंबित हो टिप्पणी की? |
कृष्णा हरे गौर बनाम श्रीमती श्यामवती (1973) |
क्या धारा 15 का प्रावधान मुस्लिम या ईसाई विवाहों पर लागू होता है? |
नहीं |
यदि तलाक की डिक्री दिनांक 1 जनवरी है और अपील की अवधि 90 दिन है, तो बिना अपील के पुनर्विवाह की वैध तिथि क्या होगी? |
1 अप्रैल |
किस केस में कोर्ट ने तलाक की डिक्री के विरुद्ध अपील लंबित हो तो पुनर्विवाह अमान्य है बात को दोहराया,? |
नीलम बनाम सुशील कुमार (2005) |
शून्य और शून्यकरणीय विवाहों के अपत्यों की धर्मजता (Legitimacy of children of void and voidable marriages) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 16 |
धारा 16 किस विषय से संबंधित है? |
शून्य और शून्यकरणीय विवाहों से उत्पन्न बच्चों की वैधता |
धारा 16 के अनुसार, शून्य विवाह से उत्पन्न संतान को क्या माना जाएगा? |
वैध, माता-पिता की संतान |
क्या धारा 16 के तहत वैध संतान को पैतृक संपत्ति में उत्तराधिकारी अधिकार मिलता है? |
नहीं, केवल माता-पिता की व्यक्तिगत संपत्ति में |
अवैध संतान की धर्मजता से सम्बंधित केस कौन सा है? |
परायणकांडियाल एरावथ कानाप्रवन बनाम कल्लियानी अम्मा |
शून्य विवाह से उत्पन्न बच्चे को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अंतर्गत संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति में हिस्सा मिलेगा या नहीं? |
नहीं |
क्या धारा 16 के तहत वैध संतान को अपने दादा-दादी की संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है? |
नहीं |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया, कि ऐसे विवाह से उत्पन्न संतान वैध मानी जाएगी? |
रामेश्वरी देवी बनाम बिहार राज्य (2000) |
धारा 16 की दृष्टि से वैध मानी गई संतान को कौन-कौन सी संपत्ति में अधिकार प्राप्त होता है? |
माता-पिता की स्वयं अर्जित संपत्ति |
किस केस में, वैध मानी गई संतान को माता-पिता की संपत्ति में अधिकार है, निर्णय हुआ? |
तुलसा बनाम दुर्गतिया (2008) |
क्या धारा 16 की वैधता संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) के अंतर्गत परीक्षण में आई है? |
हाँ, लेकिन इसे वैध ठहराया गया |
क्या धारा 16 स्वचालित रूप से शून्य विवाह को वैध बनाती है? |
नहीं |
क्या कोई व्यक्ति धारा 16 के तहत घोषित वैध संतान को वसीयत में संपत्ति से बाहर कर सकता है? |
हाँ |
शून्यकरणीय विवाह से उत्पन्न संतान के लिए कौन-सा कथन सत्य है? |
वे वैध माने जाते हैं |
क्या धारा 16 बच्चों को ‘कानूनी रूप से वैध’ बनाती है यदि विवाह शून्य है? |
हाँ |
धारा 16 के अंतर्गत ‘वैध’ बच्चे को किस प्रकार की संपत्ति में उत्तराधिकार नहीं मिलता है? |
पितृसत्ता संपत्ति |
द्विविवाह के लिये दण्ड (Punishment of Bigamy) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 17 |
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 17 किस विषय से संबंधित है? |
द्विविवाह के लिए दंड |
धारा 17 के अनुसार, अगर कोई हिंदू व्यक्ति जीवित पत्नी/पति के रहते दूसरा विवाह करता है, तो उस पर कौन सा कानून लागू होता है? |
भारतीय दंड संहिता की धारा 494 और 495 (जो अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 82 में है) |
भारतीय न्याय संहिता की धारा 82 के अंतर्गत सजा क्या हो सकती है? |
अधिकतम 5 वर्ष कारावास और जुर्माना |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार धर्म परिवर्तन करने से द्विविवाह वैध नहीं होता, महत्वपूर्ण निर्णय दिया? |
सरला मुद्गल बनाम भारत संघ (1995) |
धारा 17 के तहत दंड कब लागू नहीं होगा? |
जब पहला विवाह भंग हो चुका हो |
यदि कोई हिंदू व्यक्ति जीवित पत्नी के रहते ईसाई धर्म अपनाकर दूसरा विवाह करता है, तो क्या यह धारा 17 के तहत अपराध होगा? |
हाँ |
किस केस में निर्णय हुआ, धर्मांतरण द्वारा द्विविवाह अवैध है? |
लिली थॉमस बनाम भारत संघ (2000) |
क्या भारतीय न्याय संहिता की धारा 82 के अंतर्गत अपराध संज्ञेय है? |
नहीं |
भारतीय न्याय संहिता की धारा 82 का उपयोग कब होता है? |
जब दूसरा विवाह धोखे से, पहले विवाह को छिपाकर किया गया हो |
क्या हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत पत्नी को द्विविवाह के मामले में आपराधिक मामला दर्ज करने का अधिकार है? |
हाँ |
यदि दूसरा विवाह केवल धार्मिक रीतियों से संपन्न हो और पंजीकृत न हो, तो क्या वह धारा 17 के अंतर्गत आएगा? |
हाँ |
क्या एक विधवा महिला से विवाह द्विविवाह कहलाता है? |
नहीं |
धारा 17 के अंतर्गत अपराध किस श्रेणी में आता है? |
आपराधिक अपराध |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने विवाह सिद्ध करने के लिए विवाह संस्कारों का प्रमाण आवश्यक है स्पष्ट किया? |
कंवल राम बनाम हिमाचल प्रदेश (1965) |
क्या पुरुष और महिला दोनों पर धारा 17 के अंतर्गत मुकदमा चल सकता है? |
दोनों पर |
हिन्दू विवाह की कतिपय अन्य शर्तों के उल्लंघन के लिए दंड (Punishment for contravention of certain other conditions for a Hindu marriage) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 18 |
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 18 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
विवाह की शर्तों के उल्लंघन पर दंड देना |
धारा 18 किन धाराओं के उल्लंघन के लिए दंड निर्धारित करती है? |
धारा 5 के खंड (iii), (iv), (v) |
धारा 5(iii) का उल्लंघन करने पर अधिकतम सजा क्या हो सकती है? |
कठोर कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या एक लाख रुपए तक जुर्माने से |
अगर कोई हिंदू व्यक्ति अपनी रिश्तेदारी सपिण्डा (Sapinda) में विवाह करता है, तो उसे कौन-सी सजा हो सकती है? |
सादे कारावास एक मास या एक हजार रुपए तक जुर्माने से |
अगर कोई हिंदू व्यक्ति अपनी रिश्तेदारी प्रतिषिद्ध (Prohibited) में विवाह करता है, तो उसे कौन-सी सजा हो सकती है? |
सादे कारावास एक मास या एक हजार रुपए तक जुर्माने से |
धारा 5(iv) में उल्लिखित " रिश्तेदारी संबंध" का उल्लंघन कौन-सी धारा के अंतर्गत दंडनीय है? |
धारा 18 |
धारा 18 में उल्लिखित दंड किस प्रकार का अपराध है? |
गैर-संज्ञेय अपराध |
बाल विवाह में सजा से संम्बन्धित केस कौन सा है? |
अनमोल बनाम हरियाणा राज्य (2013) |
क्या धारा 18 के अंतर्गत विवाह स्वयं अमान्य (Void) हो जाता है? |
नहीं |
यदि विवाह के समय लड़के की आयु 21 वर्ष से कम और लड़की की आयु 18 वर्ष से कम है, तो यह किस धारा का उल्लंघन है? |
धारा 18 |
क्या लड़की स्वयं अपने बाल विवाह पर शिकायत कर सकती है? |
हाँ |
धारा 5(v) और 18 का उल्लंघन करने पर पीड़ित पक्ष को कौन-कौन से अधिकार प्राप्त होते हैं? |
तलाक का अधिकार |
क्या धारा 18 के अंतर्गत लड़की को भी सजा हो सकती है? |
हाँ, अगर वह भी विवाह की शर्तों का उल्लंघन करती है |
धारा 18 किस प्रकार का कानून है? |
आपराधिक दंडात्मक |
|
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अध्याय 5 |
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क्षेत्राधिकार और प्रक्रिया (Jurisdiction and Procedure) |
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वह न्यायालय जिसमें अर्जी उपस्थापित की जायगी (Court to which petition shall be presented) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 19 |
धारा 19 के अंतर्गत कौन से न्यायालय में अर्जी उपस्थापित की जायगी? |
जिला न्यायालय |
यदि याचिकाकर्ता सैनिक सेवा में है और उसका निवास स्थान बार-बार बदलता रहता है, तो याचिका कहाँ दायर की जा सकती है? |
मूल घर के जिले में |
यदि विवाह नेपाल में हुआ लेकिन पति-पत्नी भारत में रह रहे हैं, तो धारा 19 के अनुसार याचिका कहाँ दायर की जाएगी? |
भारत में जहां वे साथ रहे थे |
किस केस में कोर्ट ने कहा कि "याचिकाकर्ता के वर्तमान निवास को मान्य माना जाएगा यदि प्रतिवादी उपलब्ध नहीं है"? |
सुशीला बनाम कमलेश (2005) |
धारा 19 में "निवास करना" शब्द की व्याख्या किस केस में की गई कि "अस्थायी निवास पर्याप्त नहीं है"? |
बीना बनाम दिलीप (2001) |
यदि विवाह स्थल पर अब कोई पक्ष नहीं रह रहा है, तो क्या वहां याचिका दी जा सकती है? |
नहीं, वर्तमान निवास महत्वपूर्ण है |
यदि प्रतिवादी की लोकेशन अज्ञात है और नोटिस नहीं भेजा जा सकता, तो क्या याचिका खारिज होगी? |
नहीं, अदालत वैकल्पिक सेवा का आदेश दे सकती है |
क्या धारा 19 क्षेत्राधिकार का पूर्ण नियम है या कोर्ट इसे विशेष परिस्थितियों में लचीला बना सकता है? |
कोर्ट के विवेकाधिकार पर निर्भर |
यदि दोनों पक्ष विदेश में रह रहे हैं लेकिन विवाह भारत में हुआ था, तो भारत में याचिका दी जा सकती है या नहीं? |
हाँ, विवाह स्थल के क्षेत्राधिकार में |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “धारा 19 वैवाहिक अधिकारिता को क्षेत्रीय स्पष्टता देता है”? |
वाई नरसिम्हा राव बनाम वाई वेंकट लक्ष्मी |
यदि प्रतिवादी मानसिक रूप से अस्वस्थ हो और अस्पताल में भर्ती हो, तो याचिका किस स्थान पर प्रस्तुत की जा सकती है? |
अस्पताल के क्षेत्र में |
क्या धारा 19 के तहत प्रादेशिक अधिकार क्षेत्र से छूट किया जा सकता है? |
हाँ, अगर दोनों पक्ष सहमत हों |
क्या विवाह का पंजीकरण करने वाला स्थान भी क्षेत्राधिकार को प्रभावित करता है? |
नहीं |
यदि महिला आश्रय गृह में रह रही हो, क्या वहां से याचिका दायर की जा सकती है? |
हाँ |
धारा 19 के अंतर्गत प्रादेशिक अधिकार क्षेत्र का निर्धारण किस प्राथमिक सिद्धांत पर आधारित होता है? |
स्थायी निवास, अंतिम साथ रहना, या विवाह का स्थान |
अर्जियों की अन्तर्वस्तु और सत्यापन (Contents and verification of Petitions) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 20 |
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 20 किस विषय से संबंधित है? |
याचिका की सामग्री और शपथ पत्र |
धारा 20 के अनुसार याचिका में कौन-सी बातों का स्पष्ट उल्लेख आवश्यक है? |
याचिकाकर्ता की आय |
किस केस में कोर्ट ने कहा कि “याचिका में पूर्ण तथ्यों का उल्लेख आवश्यक है, केवल आरोप पर्याप्त नहीं”? |
सावित्री पांडे बनाम प्रेम चंद्र पांडे |
क्या धारा 20 के तहत याचिका में बच्चों की जानकारी देना अनिवार्य है? |
हाँ |
क्या धारा 20 के अंतर्गत याचिका को शपथपत्र (Affidavit) के साथ प्रस्तुत करना आवश्यक है? |
हाँ |
यदि याचिका सत्यापित नहीं है, तो उसका प्रभाव क्या होगा? |
याचिका खारिज की जा सकती है |
“रूप से अधिक पदार्थ” का सिद्धांत किस केस में धारा 20 से जुड़ा है? |
राजेश खन्ना बनाम सुनीता खन्ना |
क्या याचिका में यह उल्लेख आवश्यक है कि पक्षकार किस धारा के अंतर्गत राहत चाहता है? |
हाँ, स्पष्ट रूप से |
यदि याचिका में विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं बताया गया, तो क्या याचिका अमान्य मानी जाएगी? |
नहीं, यदि अन्य विवरण मौजूद हों |
क्या याचिका में विवाह की परिस्थितियों को विस्तार से बताना अनिवार्य है? |
हाँ, सभी तथ्यों के साथ |
सत्यापन में “सत्य” और “विश्वास” के बीच का अंतर किस केस में स्पष्ट किया गया? |
अमर सिंह बनाम भारत संघ |
क्या वकील की ओर से याचिका का सत्यापन किया जा सकता है? |
नहीं, केवल पक्षकार कर सकता है |
सत्यापन में त्रुटि के बावजूद क्या याचिका बहाल रह सकती है? |
हाँ, यदि वह मुख्य विषय को प्रभावित न करे |
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 21 किस बात से संबंधित है? |
सिविल प्रक्रिया संहिता का लागू होना (Application of Act 5 of 1908) |
धारा 21 के अनुसार विवाह से संबंधित न्यायिक कार्यवाहियों में कौन-सा कानून लागू होता है? |
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 |
क्या धारा 21 के तहत दायर की गई अर्जियों पर सीपीसी के प्रावधान पूर्णतः लागू होते हैं? |
हाँ |
“सिविल प्रक्रिया संहिता की प्रक्रियाएँ विवाह-विच्छेद की कार्यवाहियों पर भी लागू होती हैं” यह व्याख्या किस केस में दी गई? |
ए जयचंद्र बनाम अनिल कौर |
कुछ मामलों में अर्जियों को अन्तरित करने की शक्ति (Power to transfer petitions in certain cases) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 21-क |
धारा 21-क की स्थापना का उद्देश्य क्या है? |
एक से अधिक याचिकाओं को एक स्थान पर सुनना |
धारा 21-क किस न्यायालय को याचिकाओं को स्थानांतरित करने की शक्ति देता है? |
उच्च न्यायालय |
धारा 21-क किस परिस्थिति में लागू होती है? |
जब पति और पत्नी दोनों ने अलग-अलग अदालतों में याचिका दायर की हो |
धारा 21-क में याचिका स्थानांतरित करने की शक्ति किस अधिनियम से मिलती है? |
विवाह अधिनियम, 1955 (धारा 21-क के अंतर्गत) |
“समान विषय वाली याचिकाएं एक स्थान पर सुनवाई हेतु स्थानांतरित की जा सकती हैं” यह बात किस केस में स्पष्ट की गई? |
नीता राकेश जैन बनाम राकेश जीतमल जैन |
क्या पति-पत्नी के बीच दायर याचिकाओं में से किसी एक को प्राथमिकता दी जाती है? |
अदालत तय करती है |
यदि पति ने तलाक की याचिका इलाहाबाद में दायर की और पत्नी ने भरण-पोषण की याचिका पटना में, तो क्या उच्च न्यायालय उसे एक स्थान पर स्थानांतरित कर सकता है? |
हाँ |
क्या धारा 21-क के तहत एक से अधिक याचिकाओं को जोड़ा जा सकता है यदि वे एक ही विवाह से संबंधित हैं? |
हाँ |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “स्थानांतरण का उद्देश्य निष्पक्ष और सुविधाजनक सुनवाई है”? |
मोना अरेश गोयल बनाम अरेश सत्या गोयल |
धारा 21 और 21-क का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
न्यायिक प्रक्रिया को सुव्यवस्थित बनाना |
इस अधिनियम के अधीन अर्जियों के विचारण और निपटारे से सम्बन्धित विशेष उपबन्ध (Special provision relating to trial and disposal of petitions under the Act) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 21(ख) |
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 21-ख का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
कार्यवाही को शीघ्र पूरा करना |
धारा 21-ख के अनुसार विवाह-विच्छेद की याचिका का निपटारा कितने समय में किया जाना चाहिए? |
यथाशीघ्र, 6 माह के भीतर |
धारा 21-ख के अनुसार विवाह-विच्छेद की अपील का निपटारा कितने समय में किया जाना चाहिए? |
यथाशीघ्र, 3 माह के भीतर |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "मैरिटल मामलों का शीघ्र निपटारा आवश्यक है ताकि दोनों पक्ष आगे जीवन जी सकें"? |
के. श्रीनिवास राव बनाम डी.ए. दीपा |
क्या धारा 21-ख अदालत पर समयसीमा बाध्यकारी रूप में लागू करती है? |
नहीं, यह केवल निर्देशात्मक है |
यदि अदालत 6 माह में निर्णय नहीं दे पाती, तो क्या कार्यवाही अमान्य हो जाती है? |
नहीं |
“वैवाहिक मामलों में न्यायिक देरी न्याय को पराजित करती है” यह कथन किस केस से संबंधित है? |
के. श्रीनिवास राव बनाम डी.ए. दीपा |
धारा 21-ख के तहत 'जितना संभव हो सके उतनी शीघ्रता से' का तात्पर्य है: |
निर्णय प्रक्रिया में देरी न हो |
क्या धारा 21-ख अन्य वैवाहिक कानूनों जैसे विशेष विवाह अधिनियम पर भी लागू होती है? |
नहीं |
क्या परिवार न्यायालय धारा 21-ख के अंतर्गत कार्यवाही को शीघ्रता से निपटाने के लिए बाध्य है? |
हाँ |
किस न्यायिक सिद्धांत के तहत अदालतों को वैवाहिक याचिकाओं में तेजी से निर्णय देना चाहिए? |
न्याय में देरी न्याय से वंचित करने के बराबर है |
यदि पति की याचिका उत्तर प्रदेश में और पत्नी की याचिका पंजाब में लंबित है, तो दोनों को किस आधार पर एकत्र किया जा सकता है? |
सुप्रीम कोर्ट के स्थानांतरण आदेश से |
धारा 21-ख का कौन सा उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया की मूल भावना को प्रतिबिंबित करता है? |
शीघ्र न्याय |
क्या धारा 21-ख की समयसीमा अदालत द्वारा बढ़ाई जा सकती है? |
हाँ, न्यायहित में |
दस्तावेजी साक्ष्य (Documentary evidence) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 21(ग) |
धारा 21-ग का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
दस्तावेजों की वैधता को साक्ष्य के रूप में स्वीकार करना |
यदि कोई विवाह प्रमाणपत्र एक रजिस्ट्रार द्वारा जारी किया गया हो, तो उसे क्या माना जाएगा? |
प्राथमिक दस्तावेजी साक्ष्य |
किस आधार पर न्यायालय दस्तावेजी साक्ष्य इस अग्राह्य नहीं होगा? |
कि वह सम्यक् रूप से स्टाम्पित या रजिस्ट्रीकृत नहीं है |
धारा 21-ग किस प्रकार के विवादों में विशेष महत्व रखती है? |
वैवाहिक वैधता विवाद |
एक विवाह की रिकॉर्ड की गई वीडियो क्लिप किस परिस्थिति में साक्ष्य मानी जा सकती है? |
यदि उसे समय व स्थान के साथ प्रमाणित किया गया हो |
क्या वाट्सएप चैट जिसमें विवाह की बात हो रही हो, दस्तावेजी साक्ष्य मानी जा सकती है? |
हाँ, यदि IT अधिनियम, 2000 के तहत प्रमाणित हो |
यदि विवाह में हुए खर्चों की रसीदें दी जाती हैं, तो वे किस प्रकार की साक्ष्य होंगी? |
परिस्थितिजन्य साक्ष्य |
“दस्तावेज स्वयं में पर्याप्त नहीं, उसकी सत्यता सिद्ध करना आवश्यक है।” यह किस केस में कहा गया? |
सीमा बनाम अश्वनी कुमार |
क्या निमंत्रण पत्र (Invitation Card) विवाह का वैध दस्तावेजी साक्ष्य हो सकता है? |
हाँ, यदि अन्य साक्ष्य से समर्थित हो |
किस अधिनियम के तहत दस्तावेजों का इलेक्ट्रॉनिक रूप स्वीकार्य होता है? |
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 |
धारा 21-ग का उपयोग करते समय न्यायालय को किसका ध्यान रखना चाहिए? |
दस्तावेज की सच्चाई |
मूल दस्तावेज की अनुपस्थिति में कोर्ट किस प्रकार की साक्ष्य स्वीकार कर सकता है? |
गौण साक्ष्य |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने विवाह प्रमाणपत्र को “विवाह की प्रबल संभावना” माना? |
सीमा बनाम अश्वनी कुमार |
कार्यवाहियों का बन्द कमरे में होना उन्हें मुद्रित या प्रकाशित न किया जाना (Proceedings to be in camera and may not be printed or published) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 22 |
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 22 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
वैवाहिक याचिकाओं की गोपनीयता सुनिश्चित करना |
धारा 22 के अनुसार, विवाह संबंधित याचिकाएं किस प्रकार सुनी जानी चाहिए? |
बंद कमरे (in camera) में |
क्या वैवाहिक कार्यवाहियों को प्रकाशित किया जा सकता है? |
नहीं, धारा 22 के अंतर्गत पूरी तरह वर्जित |
किस दशा में धारा 22 के अंतर्गत कोई बात मुद्रित और प्रकाशित हो सकती है? |
उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के निर्णय द्वारा जो उस न्यायालय की पूर्व अनुज्ञा से मुद्रित या प्रकाशित किया गया है। |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक मामलों में गोपनीयता बनाए रखना अनिवार्य है? |
के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ |
अगर कोई व्यक्ति वैवाहिक कार्यवाही को प्रकाशित करता है, तो उसे क्या दंड हो सकता है? |
जुर्माने से जो एक हजार रुपये तक का हो सकेगा |
क्या अदालत के आदेश के बिना वैवाहिक याचिका की जानकारी मीडिया को दी जा सकती है? |
नहीं |
"बंद कमरे में कार्यवाही" का क्या तात्पर्य है? |
गुप्त रूप से कार्यवाही करना |
क्या वैवाहिक कार्यवाहियों की गोपनीयता अदालत का दायित्व है? |
हाँ |
धारा 22 के तहत गोपनीयता का सिद्धांत किस कानूनी सिद्धांत से प्रेरित है? |
निजता का अधिकार |
मीडिया को वैवाहिक याचिकाओं पर रिपोर्टिंग करने की अनुमति किस स्थिति में मिल सकती है? |
कोर्ट के स्पष्ट आदेश द्वारा |
धारा 22 किन प्रकार की वैवाहिक याचिकाओं पर लागू होती है? |
सभी प्रकार की याचिकाएं (जैसे तलाक, पृथक्करण, शून्यता) |
किस केस में गोपनीयता और गरिमा की रक्षा को न्यायालय ने सर्वोपरि माना था? |
आर. राजगोपाल बनाम तमिलनाडु राज्य |
धारा 22 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति गोपनीय कार्यवाही की जानकारी सोशल मीडिया पर पोस्ट करता है, तो यह क्या कहलाएगा? |
अपराध |
बंद कमरे में कार्यवाही का सिद्धांत किस प्रकार की कार्यवाहियों में सबसे अधिक उपयोगी माना गया है? |
वैवाहिक |
कार्यवाहियों में डिक्री (Decree in proceedings) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 23 |
धारा 23 के अनुसार, डिक्री क्या होती है? |
न्यायालय का अंतिम निर्णय जो विवाह संबंधी याचिका का निष्पादन करता है |
डिक्री के खिलाफ अपील किस समय अवधि में दायर की जा सकती है? |
60 दिन |
डिक्री प्राप्त करने के बाद, यदि किसी पक्ष को लगे कि निर्णय अनुचित है तो वह क्या कर सकता है? |
पुनर्विचार याचिका दायर कर सकता है |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिक्री का मतलब होता है अदालत का अंतिम निर्णय? |
शोभा रानी बनाम मधुकर रेड्डी |
यदि डिक्री के समय कोई पक्ष अदालत में उपस्थित नहीं होता तो क्या होता है? |
डिक्री पक्ष के विरुद्ध निरुपित की जा सकती है |
धारा 23 के अनुसार डिक्री जारी करने में किस आधार पर कोर्ट निर्णय करती है? |
प्रमाणित दस्तावेज एवं गवाह |
डिक्री मिलने के बाद, पति-पत्नी के क्या कानूनी प्रभाव होते हैं? |
वे वैधानिक रूप से तलाकशुदा माने जाते हैं |
धारा 23 के तहत दी गई डिक्री को चुनौती देने का तरीका क्या है? |
अपील या रिविजन याचिका |
डिक्री जारी करने में न्यायालय किसे प्राथमिकता देता है? |
तथ्यात्मक प्रमाणों को |
धारा 23 के तहत जारी डिक्री की कानूनी मान्यता किस अधिनियम से सम्बंधित है? |
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 |
धारा 23 के अनुसार, क्या डिक्री की कॉपी अदालत से प्राप्त की जा सकती है? |
हाँ, दोनों पक्षों को |
किस केस में कोर्ट ने कहा कि डिक्री के बिना विवाह विच्छेद लागू नहीं हो सकता? |
नारायण बनाम लक्ष्मी |
धारा 23 के अंतर्गत जारी डिक्री का क्या प्रभाव होता है? |
विवाह विच्छेद या संबंधित आदेश देना |
धारा 23 के अंतर्गत डिक्री जारी करने से पूर्व न्यायालय किसका विशेष ध्यान रखता है? |
पक्षकारों के अधिकार और हित |
विवाह-विच्छेद या अन्य कार्यवाहियों में प्रत्यर्थी को अनुतोष (Relief for respondent in divorce and other proceedings) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 23(क) |
धारा 23-क के अनुसार, कौन विवाह-विच्छेद या अन्य कार्यवाहियों में न्यायालय के आदेश या डिक्री से अनुतोष होने पर प्रतिदावा कर सकता है? |
दोनों पक्षकार जो आदेश से असंतुष्ट हों |
धारा 23-क किन कार्यवाहियों पर लागू होता है? |
विवाह विच्छेद या न्यायिक पृथक्करण या दाम्पत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन के लिए किसी कार्यवाही में |
किन आधारों पर प्रत्यर्थी अर्जीदार के चाहे गए अनुतोष का विरोध कर सकेगा? |
जारकर्म, क्रूरता या अभित्यजन के आधार पर |
क्या प्रत्यर्थी अर्जीदार के चाहे गए अनुतोष का सिर्फ विरोध कर सकेगा? |
नहीं बल्कि वह उस आधार पर इस अधिनियम के अधीन किसी अनुतोष के लिए प्रतिदावा भी कर सकेगा |
यदि अर्जीदार का जारकर्म, क्रूरता या अभित्यजन साबित हो जाता है तो न्यायालय प्रत्यर्थी को इस अधिनियम के अधीन कैसा अनुतोष दे सकेगा? |
कोई ऐसा अनुतोष दे सकेगा जिसके लिए वह उस दशा में हकदार होता या होती जिसमें उसने उस आधार पर ऐसे अनुतोष की मांग करते हुए अर्जी उपस्थापित की होती |
वाद लम्बित रहते भरण-पोषण और कार्यवाहियों के व्यय (Maintenance pendente lite and expenses of proceedings) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 24 |
यदि पत्नी स्वयं कमाने योग्य है लेकिन कार्य नहीं कर रही, तो क्या वह धारा 24 के तहत भरण-पोषण की हकदार है? |
न्यायालय के विवेक पर निर्भर करता है |
धारा 24 किस प्रकार के वाद में लागू होती है? |
कोई भी वैवाहिक कार्यवाही जिसमें पति या पत्नी पक्षकार हों |
यदि पति-पत्नी दोनों आय अर्जित करते हैं, तो किस आधार पर धारा 24 के तहत भरण-पोषण मिलेगा? |
आवश्यकता और आर्थिक असमानता के आधार पर |
"रखरखाव पेंडेंट लाइट" का तात्पर्य है: |
अंतरिम भरण-पोषण |
कौन सी धारा धारा 24 में दिए गए आदेशों को चुनौती देने की अनुमति देती है? |
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 28 |
किस केस में कोर्ट ने कहा कि "न्यायालय को आवेदक के पास खर्च उठाने के लिए साधन नहीं है, इस आधार पर अंतरिम राहत देनी चाहिए"? |
मनोकरण बनाम एम. देवकी |
यदि याचिका दुर्भावनापूर्ण है, तो क्या धारा 24 के तहत राहत दी जा सकती है? |
नहीं, दुर्भावनापूर्ण याचिका को संरक्षण नहीं मिलेगा |
किस केस में कहा गया कि “शिक्षित महिला को केवल इसलिए भरण-पोषण नहीं दिया जा सकता क्योंकि वह काम नहीं कर रही”? |
ममता जयसवाल बनाम राजेश जयसवाल |
यदि पति बेरोज़गार है और पत्नी आय अर्जित कर रही है, क्या पत्नी धारा 24 में दावा कर सकती है? |
हाँ, यदि उसकी आय पति से कम है |
धारा 24 के अंतर्गत “व्यय” का क्या अर्थ है? |
संपूर्ण मुकदमे की लागत |
कार्यवाही के व्ययों और कार्यवाही के दौरान ऐसी मासिक राशि के संदाय के लिए आवेदन को कितने दिन के भीतर निपटाया जाएगा? |
पत्नी या पति पर सूचना की तामील की तारीख से साठ दिन के भीतर |
स्थायी निर्वाह-व्यय और भरण-पोषण (Permanent alimony and maintenance) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 25 |
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25 के तहत स्थायी भरण-पोषण किस समय दिया जा सकता है? |
विवाह विच्छेद के बाद |
धारा 25 के अंतर्गत स्थायी निर्वाह व्यय के लिए कौन आवेदन कर सकता है? |
पति या पत्नी, जो आश्रित हो |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, भरण-पोषण का दावा धारा 25 के तहत किया जा सकता है, भले ही विवाह शून्य घोषित हो”? |
चंद धवन बनाम जवाहरलाल धवन |
क्या धारा 25 के तहत भरण-पोषण की राशि एकमुश्त (लंप सम) दी जा सकती है? |
हाँ, यदि न्यायालय ऐसा आदेश दे |
किस आधार पर धारा 25 के तहत भरण-पोषण की राशि तय की जाती है? |
पक्षकारों की सामाजिक स्थिति, संपत्ति, और जरूरतें |
क्या धारा 25 के तहत आदेश को रद्द भी किया जा सकता है? |
हाँ, यदि प्राप्तकर्ता पुनः विवाह करता/करती है या अनैतिक जीवन जीता है |
किस केस में कहा गया कि “सिर्फ इसलिए कि पत्नी शिक्षित है, उसे भरण-पोषण से वंचित नहीं किया जा सकता”? |
कल्याण डे चौधरी बनाम रीता डे |
धारा 25 में दी गई राशि को कब रोका जा सकता है? |
जब प्राप्तकर्ता विवाह कर ले या अनैतिक आचरण करे |
क्या पति भी धारा 25 के तहत भरण-पोषण के लिए आवेदन कर सकता है? |
हाँ, यदि वह निर्वाह में अक्षम है |
कौन सी धारा स्थायी निर्वाहिका को समाप्त करने का प्रावधान करती है? |
धारा 25(2) |
अपत्यों की अभिरक्षा (Custody of children) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 26 |
धारा 26 के तहत न्यायालय किसे अपत्य की अभिरक्षा का आदेश दे सकता है? |
माता या पिता, जो भी बालक के कल्याण के लिए उपयुक्त हो |
किस मामले में न्यायालय ने कहा कि "बालक की अभिरक्षा का आदेश केवल माता-पिता के अधिकारों पर आधारित नहीं, बल्कि बालक के कल्याण पर आधारित होना चाहिए"? |
हरि चंद रतन चंद बनाम वीरबाला |
धारा 26 के तहत बालक की अभिरक्षा का आदेश किस आधार पर बदला जा सकता है? |
बालक के कल्याण में बदलाव |
किस मामले में न्यायालय ने कहा कि "बालक की अभिरक्षा का आदेश हमेशा अस्थायी होता है और समय के साथ बदल सकता है"? |
रोज़ी जैकब बनाम जैकब ए चक्रमक्कल |
आवेदन का निस्तारण कितने दिन के भीतर किया जायेगा? |
60 दिन |
सम्पत्ति का व्ययन (Disposal of property) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 27 |
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 27 किस प्रकार की संपत्ति से संबंधित है? |
विवाह के अवसर पर दी गई संपत्ति |
किस निर्णय में यह कहा गया कि "विवाह के अवसर पर उपहारस्वरूप दी गई संपत्ति का व्ययन न्यायालय धारा 27 के अंतर्गत कर सकता है"? |
सुरेश बाबू बनाम लीला |
धारा 27 के अंतर्गत अदालत किस प्रकार की याचिका पर विचार करती है? |
पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत याचिका जिसमें संपत्ति के व्ययन की मांग की गई हो |
क्या धारा 27 में किसी तीसरे पक्ष (जैसे ससुराल पक्ष) द्वारा दी गई संपत्ति शामिल हो सकती है? |
हाँ, यदि वह स्पष्ट रूप से विवाह से संबंधित हो |
धारा 27 के अंतर्गत अदालत किस समय संपत्ति के व्ययन पर विचार करती है? |
किसी भी विवाहिक वाद (जैसे तलाक, न्यायिक पृथक्करण) के दौरान |
क्या धारा 27 के अंतर्गत चल-अचल दोनों प्रकार की संपत्ति शामिल हो सकती है? |
हाँ, यदि दोनों विवाह के अवसर पर दी गई हों |
किस केस में स्पष्ट किया गया कि "धारा 27 केवल वैवाहिक कार्यवाही में ही लागू होती है"? |
राजेश रानी बनाम प्रेम चंद |
क्या धारा 27 के तहत प्राप्त निर्णय को चुनौती दी जा सकती है? |
हाँ, उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है |
यदि विवाह के समय दी गई वस्तु स्पष्ट रूप से केवल पत्नी को दी गई हो, तो उसका स्वामित्व किसके पास रहेगा? |
पत्नी |
डिक्रियों और आदेशों की अपीलें (Appeals from decrees and orders) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 28 |
धारा 28 के अनुसार, डिक्रियों और आदेशों की अपील किस अदालत में की जा सकती है? |
अधीनस्थ न्यायालय की उपरी अदालत में |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 28 के तहत अपील का अधिकार केवल तभी होता है जब कानून में विशेष रूप से अनुमति दी गई हो? |
कैलाश बनाम नन्हकू |
धारा 28 के तहत अपील करने की अवधि क्या होती है? |
हर अपील, डिक्री या आदेश की तारीख से 90 दिन के अन्दर |
यदि किसी आदेश के खिलाफ धारा 28 के तहत अपील की अवधि समाप्त हो जाए, तो क्या किया जा सकता है? |
विलंब से अपील के लिए अनुमति (extension) मांगना |
धारा 28 के अंतर्गत कौन से आदेश अपील के लिए पात्र होते हैं? |
परिवार न्यायालय के द्वारा दिए गए सभी डिक्री और आदेश जो अधिनियम के तहत आते हैं |
किस मामले में उच्च न्यायालय ने कहा कि “धारा 28 के तहत अपील न्यायालय का अधिकार क्षेत्र सीमित होता है और वह केवल विधिक त्रुटियों पर विचार करता है”? |
राम नारायण अग्रवाल बनाम सुमति देवी |
धारा 28 के तहत अपील करने के लिए क्या लिखित आवेदन जरूरी है? |
हाँ, और इसे न्यायालय में प्रस्तुत करना अनिवार्य है |
अपील के दौरान न्यायालय किस बात पर विचार करता है? |
तथ्यों और कानून दोनों पर |
धारा 28 के तहत किस आदेश के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती? |
केवल खर्चो के विषय के विरुद्ध |
डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन (Enforcement of decrees and orders) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 28(क) |
धारा 28-क का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन सुनिश्चित करना |
धारा 28-क के तहत न्यायालय द्वारा दी गई सभी डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन किस प्रकार किया जाएगा? |
जिस प्रकार उस न्यायालय द्वारा अपनी आरंभिक सिविल अधिकारिता के प्रयोग में दी गई डिक्रियों और आदेशों का तत्समय प्रवर्तन किया जाता है |
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अध्याय 6 |
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व्यावृत्तियाँ और निरसन |
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व्यावृत्तियाँ (Savings) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 29 |
धारा 29 (1)के अंतर्गत किन विवाहो को मान्य माना जा रहा है? |
इस अधिनियम के प्रारंभ के पूर्व अनुष्ठापित विवाह |
इस अधिनियम में अंतर्विष्ट कोई भी बात में किस अधिनियम के उपबन्ध पर प्रभाव न डालेगी? |
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (1954 का 43) |
इस अधिनियम में अंतर्विष्ट कोई बात तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन होने वाली किन कार्यवाही पर प्रभाव न डालेगी? |
जो किसी विवाह को बातिल और शून्य घोषित करने के लिए या किसी विवाह को बातिल अथवा विघटित करने के लिए या न्यायिक पृथक्करण के लिए हो |
यदि कोई कार्यवाही इस अधिनियम के प्रारंभ पर लम्बित हो, तो क्या प्रभाव पड़ेगा? |
ऐसी कोई भी कार्यवाही चलती रहेगी और अवधारित की जाएगी मानो यह अधिनियम पारित ही न हुआ हो |
निरसन (Repeals) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 30 |
धारा 30 किस अधिनियम द्वारा निरसित की गयी? |
निरसन तथा संशोधन अधिनियम, 1960 (1960 का 58) द्वारा |
धारा 30 निरसन तथा संशोधन अधिनियम, 1960 (1960 का 58) के किस धारा द्वारा निरसित हुई? |
धारा 2 और प्रथम अनुसूची द्वारा निरसित |
धारा 30 कब निरसित हुई? |
16-12-1960 |