संपत्ति अंतरण अधिनियम 1882 (The Transfer of Property Act, 1882) |
|
(1882 का अधिनियम संख्यांक 4) |
|
|
|
अध्याय – I |
|
प्रारम्भिक (Preliminary) |
|
इस अधिनियम को क्या कहा जाता है? |
संपत्ति अंतरण अधिनियम 1882 |
संपत्ति अंतरण अधिनियम 1882 का अधिनियम संख्यांक क्या है? |
1882 का अधिनियम संख्यांक 4 |
संपत्ति अंतरण अधिनियम 1882 की धारा 1 किससे सम्बंधित है? |
संक्षिप्त नाम विस्तार और प्रारम्भ (Short title Commencement. Extent) |
संपत्ति अंतरण अधिनियम 1882 किस दिन प्रवर्तन में आया? |
1 जुलाई 1882 |
धारा 1 के अनुसार ‘यह अधिनियम सम्पूर्ण भारत में लागू होगा’—यह कथन कब सही हुआ? |
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के बाद |
किस केस में न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि संपत्ति अंतरण अंतरण अधिनियम केवल जीवित व्यक्तियों के बीच स्थानांतरण को नियंत्रित करता है? |
गोपाल बनाम परसोतम |
धारा 1 की व्याख्या के अनुसार क्या यह अधिनियम वसीयतनामा (वसीयत के द्वारा) स्थानांतरण पर लागू होता है? |
नहीं, यह केवल जीवित व्यक्तियों के बीच लागू होता है |
किस निर्णय में यह कहा गया कि संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 को न्यायालय को "कठोरता से" लागू करना चाहिए? |
आरिफ बनाम जदुनाथ मजूमदार |
अधिनियमों का निरसन-किन्हीं अधिनियमितियों,प्रसंगतियों, अधिकारों, दायित्वों इत्यादि को व्यावृत्ति (Repeal of Acts. Saving of certain enactments, incidents, rights, liabilities, etc.) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 2 |
धारा 3 के अनुसार 'स्थावर संपत्ति (immoveable property) में क्या सम्मिलित है? |
खड़ा काष्ठ उगती फसलें या घास नहीं आती |
कौन-सी संपत्ति स्थावर नहीं मानी जाएगी? |
कटाई के लिए तैयार फसल |
“चीज़ें जो भूमि से स्थायी रूप से जुड़ी होती हैं”– यह परिभाषा किस अधिनियम की धारा में दी गई है? |
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 |
स्थावर संपत्ति की व्याख्या में 'फिक्सचर' (fixture) किसे माना जाता है? |
जमीन से जुड़ा बिजली का खंभा |
किस मामले में यह निर्णय दिया गया कि 'स्थायी रूप से जमी हुई वस्तु' स्थावर संपत्ति है? |
शांता बाई बनाम बॉम्बे राज्य |
किस केस में यह कहा गया कि 'कटाई के बाद फसल' स्थावर संपत्ति नहीं रहती? |
जुगल किशोर बनाम राम नारायण |
"एक वृक्ष जो लकड़ी के लिए उगाया गया हो, वह स्थावर संपत्ति नहीं है"—यह किस निर्णय में कहा गया? |
ठाकुर चंदर बनाम रामधोन भुट्टाचार्जी |
किस न्यायिक दृष्टांत में भवन की अस्थायी संरचना को 'स्थावर संपत्ति' नहीं माना गया? |
सुचेत सिंह बनाम भारत संघ |
यदि कोई मोबाइल टावर जमीन पर स्थायी रूप से स्थापित है, तो वह क्या कहलाएगा? |
स्थावर संपत्ति |
धारा 3 के अनुसार "लिखत” (instrument) से क्या अभिप्रेत है? |
अवसीयती लिखित |
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 के तहत "लिखत" का क्या महत्व है? |
यह कानूनी प्रभाव उत्पन्न करता है |
"लिखत" के अंतर्गत कौन-कौन से दस्तावेज आते हैं? |
सभी प्रकार के लिखित दस्तावेज |
किस मामले में यह निर्णय लिया गया कि "लिखत" के बिना संपत्ति का अंतरण अवैध है? |
शांताबाई बनाम बॉम्बे राज्य |
धारा 3 के अनुसार अनुप्रमाणित (attested) से क्या अभिप्रेत है |
दो या अधिक साक्षियों द्वारा अनुप्रमाणित अभिप्रेत है |
दो या अधिक साक्षियों द्वारा अनुप्रमाणित से क्या अभिप्रेत है? |
उनमे से हर एक ने निष्पादक को लिखत पर हस्ताक्षर करते या अपना चिह्न लगाते देखा है |
यदि कोई बंधक-पत्र केवल ऋणदाता द्वारा हस्ताक्षरित है और प्रमाणीकरण नहीं हुआ है, तो वह कैसी दस्तावेज़ है? |
पूर्ण रूप से अनुप्रमाणित और अमान्य है |
अनुप्रमाणित विलेख का संपत्ति के स्वामित्व विवाद में उपयोग किस रूप में किया जा सकता है? |
केवल कब्जे के प्रमाण के लिए |
धारा 3 के अनुसार रजिस्ट्रीकृत (registered) से क्या अभिप्रेत है? |
रजिस्ट्रीकरण को विनियमित करने वाली तत्समय प्रवृत्त विधि के अधीन रजिस्ट्रीकृत अभिप्रेत है |
यदि एक अनरजिस्टर्ड दस्तावेज़ में संपत्ति का अंतरण किया गया हो, लेकिन उस पर गवाहों के हस्ताक्षर न हों, तो वह— |
संपत्ति अधिनियम के अनुसार अमान्य है |
किस केस में यह कहा गया कि "रजिस्ट्री के अभाव में बिक्री विलेख स्वामित्व का प्रमाण नहीं है"? |
सूरज लैंप इंडस्ट्रीज बनाम हरियाणा राज्य |
"रजिस्ट्रीकृत" शब्द के तहत पंजीकरण का क्या उद्देश्य है? |
संपत्ति की वैधता और अधिकार का प्रमाण देना। |
यदि कोई संपत्ति रजिस्ट्रीकृत नहीं है, तो क्या यह रद्द की जा सकती है? |
हाँ, यह रद्द की जा सकती है अगर यह किसी रजिस्ट्री अधिनियम के अंतर्गत नहीं है। |
भारतीय संपत्ति अधिनियम, 1882 की धारा 3 के अंतर्गत भूबद्ध से क्या अभिप्रेत है? |
भूमि में मूलित, जैसे पेड़ और झाड़ियां भूमि में निविष्ट, जैसे भित्तियां या निर्माण अथवा ऐसी निविष्ट वस्तु से इसलिए वद्ध कि जिससे यह बद्ध है उसका स्थायी फायदाप्रद उपभोग किया जा सके |
भारतीय संपत्ति अधिनियम, 1882 की धारा 3 के तहत भूबद्ध (attached to the earth) का क्या अर्थ होता है? |
भूमि का वह हिस्सा जिसे किसी विशेष उद्देश्य से जोड़कर उपयोग किया जाए। |
"भूबद्ध" शब्द के तहत, यदि कोई भूमि दो अन्य भूमि के बीच स्थित हो और दोनों भूमि को जोड़ने का कार्य करती हो, तो उसे क्या कहा जाएगा? |
मार्ग भूमि |
किसे भारतीय संपत्ति अधिनियम, 1882 की धारा 3 के तहत "भूबद्ध" के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा? |
वह भूमि जो किसी अन्य भूमि से जुड़ी हुई है और उसका विशेष उद्देश्य है। |
भारतीय संपत्ति अधिनियम, 1882 की धारा 3 के अंतर्गत 'भूबद्ध' भूमि के बारे में कौन सा केस लॉ सबसे प्रमुख है? |
हरनंदन बनाम गंगाधर |
भारतीय संपत्ति अधिनियम, 1882 की धारा 3 के तहत अनुयोज्य दावे (actionable claim) का क्या अर्थ होता है? |
फायदाप्रद हित का ऐसा दावा, जिसे सिविल न्यायालय अनुतोष देने के लिए आधार प्रदान करने वाला मानता हो |
"अनुयोज्य दावे" के तहत, क्या कोई व्यक्ति केवल भविष्य के अधिकार के लिए संपत्ति पर दावा कर सकता है? |
हाँ, लेकिन केवल अगर वह व्यक्ति भविष्य में संपत्ति का अधिकार प्राप्त करने के लिए कानूनी प्रक्रिया से गुजर रहा हो। |
"अनुयोज्य दावे" के संदर्भ में, यदि संपत्ति पर एक व्यक्ति ने दावा किया है, तो उस दावे को अन्य पक्ष के द्वारा चुनौती देने का तरीका क्या होगा? |
अदालत में दावे को चुनौती देना। |
"अनुयोज्य दावे" की प्रक्रिया में, यदि भविष्य में दावा करने वाले व्यक्ति का दावा कानूनी रूप से स्थापित नहीं हो सकता, तो क्या होगा? |
उसका दावा रद्द कर दिया जाएगा और संपत्ति पर किसी अन्य का अधिकार होगा। |
क्या "अनुयोज्य दावे" के तहत संपत्ति पर कोई व्यक्ति केवल एक बार दावा कर सकता है? |
नहीं, वह भविष्य में पुनः दावा कर सकता है यदि परिस्थितियां बदलती हैं। |
"अनुयोज्य दावे" के तहत यदि संपत्ति पर भविष्य में किसी अधिकार का दावा किया गया हो, तो इसे किसके द्वारा लागू किया जाता है? |
केवल न्यायालय द्वारा। |
"अनुयोज्य दावे" से संबंधित किस प्रमुख क़ानूनी सिद्धांत का पालन करना आवश्यक होता है? |
सभी दावे भविष्य के अधिकारों के निर्माण से संबंधित होते हैं। |
"अनुयोज्य दावे" के तहत, क्या संपत्ति पर भविष्य में दावे को नकारा जा सकता है? |
हाँ, यदि दावे के लिए कानूनी शर्तें पूरी नहीं की जातीं। |
संविदाओं से संबंधित अधिनियमितियों का संविदा अधिनियम का भाग और रजिस्ट्रीकरण अधिनियम का अनुपूरक समझा जाना (Enactments relating to contracts to be taken as part of Contract Act and supplemental to the Registration Act) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 4 |
|
|
अध्याय 2 |
|
पक्षकारों के कार्य द्वारा सम्पत्ति अन्तरण के विषय में (Of Transfers of Property By act of parties) |
|
(क) जंगम या स्थावर सम्पत्ति का अन्तरण (A- Transfer of Property, Whether Moveable or Immoveable) |
|
पक्षकारों के कार्य द्वारा सम्पत्ति अन्तरण के विषय में किस अध्याय से सम्बंधित है? |
अध्याय 2 |
अध्याय 2 के अंतर्गत कौन सी धाराओं का समूह जंगम या स्थावर सम्पत्ति का अन्तरण के विषय में बताता है? |
5 से 37 |
संपत्ति के अंतरण की परिभाषा (Transfer of property” defined) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 5 |
“सम्पत्ति का अन्तरण” (Transfer of Property) किसे कहा गया है? |
जीवित व्यक्ति द्वारा किसी अन्य जीवित व्यक्ति (या स्वयं) को संपत्ति का वर्तमान या भविष्य का हस्तांतरण |
धारा 5 में “जीवित व्यक्ति” (Living person) की परिभाषा में कौन शामिल हैं? |
व्यक्ति और कंपनियाँ या संघ |
धारा 5 के अनुसार “सम्पत्ति का अन्तरण” किन परिस्थितियों में नहीं होता |
एक वसीयत द्वारा |
कौन-सा केस “सम्पत्ति के अन्तरण” की परिभाषा के लिए प्रमुख माना जाता है? |
महोमेद इस्माइल आरिफ बनाम अहमद मुल्ला दाऊद |
क्या धारा 5 के अंतर्गत ट्रस्ट को भी "जीवित व्यक्ति" माना गया है? |
हाँ, ट्रस्ट एक विधिक व्यक्ति है |
"संपत्ति का हस्तांतरण" में क्या केवल वर्तमान अधिकारों का अंतरण किया जा सकता है? |
नहीं, भविष्य के अधिकार भी शामिल हो सकते हैं |
"जीवित व्यक्ति" शब्द का प्रयोग धारा 5 में क्यों किया गया है? |
क्योंकि यह उत्तराधिकार से अलग है |
क्या धारा 5 के अंतर्गत “भविष्य में उत्पन्न होने वाली संपत्ति” (Future Property) का भी अंतरण संभव है? |
हाँ, यदि वह स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट हो |
धारा 5 किस प्रकार की संपत्ति के लिए लागू होती है? |
चल और अचल दोनों संपत्तियों पर |
क्या अंतरित किया जा सकेगा (What may be transferred) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 6 |
धारा 6 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
यह निर्धारित करना कि कौन-कौन सी संपत्तियाँ अंतरित की जा सकती हैं और कौन नहीं |
क्या धारा 6 के अनुसार, भविष्य की आय अंतरित की जा सकती है? |
नहीं |
“न्यायालय में वाद करने का केवल अधिकार” (mere right to sue) क्या अंतरित किया जा सकता है? |
नहीं |
कौन-सा केस " मात्र मुकदमा करने का अधिकार हस्तांतरित नहीं किया जा सकता" के सिद्धांत को स्थापित करता है? |
टी.वी. कोचुवरेड बनाम एम. मारियाप्पा गौंडर |
एक महिला का स्त्रीधन क्या धारा 6 के तहत अंतरित किया जा सकता है? |
हाँ |
क्या सार्वजनिक पद (Public office) को धारा 6 के अंतर्गत अंतरित किया जा सकता है? |
नहीं |
“पुनः प्रवेश का अधिकार”क्या स्वतंत्र रूप से अंतरित किया जा सकता है? |
नहीं, यह केवल स्वामित्व के साथ जुड़ा होता है |
क्या संपत्ति जो कानून के विरुद्ध हो, धारा 6 के तहत अंतरित की जा सकती है? |
नहीं |
क्या धारा 6 के अनुसार “विरासत का संभावित अधिकार” (expectancy of heir) अंतरित किया जा सकता है? |
नहीं |
कौन-सा केस यह स्पष्ट करता है कि “विरासत की आशा” (mere chance of succession) को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता? |
राम बरन प्रसाद बनाम राम मोहित हाजरा |
धारा 6 की उपधारा (e) किससे संबंधित है? |
मुकदमा करने का अधिकार |
अंतरण करने के लिए सक्षम व्यक्ति (Persons competent to transfer) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 7 |
धारा 7 के अनुसार, संपत्ति का अंतरण करने वाला व्यक्ति कब "सक्षम" माना जाता है? |
संविदा करने के लिए सक्षम हो |
क्या कोई नाबालिग धारा 7 के तहत संपत्ति का वैध रूप से अंतरण कर सकता है? |
नहीं |
क्या एक दिवालिया घोषित व्यक्ति (Insolvent) संपत्ति का अंतरण कर सकता है? |
नहीं, क्योंकि संपत्ति कस्टोडियन के पास चली जाती है |
यदि कोई व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ हो, तो क्या वह धारा 7 के तहत संपत्ति का अंतरण कर सकता है? |
नहीं, मानसिक अस्वस्थता में उसकी क्षमता बाधित होती है |
क्या कोई कस्टोडियन (Court-appointed guardian) किसी नाबालिग की संपत्ति का अंतरण कर सकता है? |
हाँ, कोर्ट की अनुमति से |
धारा 7 का संबंध किससे है? |
संपत्ति का अंतरण करने वाले की पात्रता से |
क्या ट्रस्टी संपत्ति का अंतरण कर सकता है? |
हाँ, यदि ट्रस्ट डीड में प्रावधान हो |
क्या अयोग्य वारिस संपत्ति का अंतरण कर सकता है? |
नहीं, जब तक उसका अधिकार स्थापित न हो |
यदि कोई व्यक्ति धोखे से संपत्ति प्राप्त करता है, क्या वह उसे आगे अंतरित कर सकता है? |
नहीं, क्योंकि उसकी स्थिति वैध नहीं है |
अंतरण का प्रभाव (Operation of transfer) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 8 |
धारा 8 के अनुसार, जब कोई संपत्ति अंतरण की जाती है, तो अंतरणकर्ता किस चीज का अंतरण करता है? |
सभी अधिकार, हित और देयताएँ |
धारा 8 में 'इंटर विवोज़' शब्द किस बात की ओर संकेत करता है? |
जीवित व्यक्तियों के बीच संपत्ति का अंतरण |
यदि संपत्ति का अंतरण बिना किसी विशेष शर्त के होता है, तो क्या माना जाएगा? |
संपूर्ण स्वामित्व और हित ट्रांसफर हो गया |
कौन-सा केस यह स्पष्ट करता है कि संपत्ति का प्रभावी ट्रांसफर तभी होगा जब स्पष्ट इरादा हो? |
"रामनाथ बनाम माउंट लछमी" |
क्या धारा 8 के अनुसार, अंतरण में शामिल दायित्व भी हस्तांतरित होते हैं? |
हाँ, सभी अधिकार और दायित्व ट्रांसफर होते हैं |
धारा 8 के अंतर्गत कौन-सी बातें अंतरण में स्वतः ही शामिल हो जाती हैं? |
सभी परिशिष्टियां और आवश्यक सेवाएं |
धारा 8 के अनुसार, संपत्ति के साथ क्या अंतरित होता है? |
संपत्ति के साथ जुड़े सभी अधिकार, लाभ, रेंट, लाइसेंस आदि |
क्या "भवन का अंतरण" जमीन में अंतर्निहित अधिकारों को भी ट्रांसफर करता है? |
हाँ, भवन से संबंधित सभी अधिकार ट्रांसफर होते हैं |
धारा 8 के तहत, क्या ट्रांसफर में ‘भविष्य हित’ भी शामिल हो सकता है? |
हाँ, यदि ऐसा स्पष्ट रूप से उल्लेखित हो |
“अंतरण में सुखाधिकार अधिकार शामिल हैं, जब तक कि उन्हें बाहर न रखा गया हो”– यह किस केस से स्थापित हुआ? |
कालका प्रसाद बनाम बिसेश्वर |
मौखिक अंतरण (Oral transfer) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 9 |
मौखिक अंतरण किस दशा में मान्य है? |
हर उस दशा में, जिसमें विधि द्वारा कोई लेख अभिव्यस्ततः अपेक्षित नहीं है, सम्पत्ति का अन्तरण लिखे बिना किया जा सकेगा |
धारा 9 के अनुसार संपत्ति का मौखिक रूप से अंतरण कब वैध होता है? |
जब कोई विधिक प्रावधान ऐसा अंतरण लिखित रूप में होने की अनिवार्यता न करता हो |
क्या अचल संपत्ति (immovable property) का मौखिक रूप से अंतरण किया जा सकता है? |
नहीं, इसे हमेशा पंजीकृत और लिखित रूप में होना चाहिए |
क्या लीज़ 11 महीनों के लिए मौखिक रूप से ट्रांसफर की जा सकती है? |
हाँ |
कौन-सा केस मौखिक अंतरण की वैधता से संबंधित है? |
अमीर मिन्हाज बनाम डिएड्रे एलिजाबेथ |
क्या धारा 9 चल संपत्ति (movable property) के अंतरण को भी कवर करती है? |
हाँ |
मौखिक अंतरण में क्या अनिवार्य नहीं है? |
दस्तावेज |
अगर संपत्ति अधिनियम के किसी अन्य भाग के अनुसार अंतरण का लिखित होना अनिवार्य है, तो मौखिक अंतरण— |
अमान्य होगा |
क्या उपहार (gift) का मौखिक अंतरण धारा 9 के अंतर्गत वैध है? |
हाँ, यदि संपत्ति चल हो |
क्या मौखिक अंतरण को सिद्ध करने के लिए गवाह जरूरी हैं? |
आवश्यक नहीं यदि पक्षकार स्वयं स्वीकार कर ले |
धारा 9 के अनुसार संपत्ति का मौखिक अंतरण केवल तभी वैध होता है जब— |
कानून उसे रोकता न हो |
A ने B को एक दुकान 10 साल की लीज़ पर मौखिक रूप से दी। क्या यह वैध है? |
नहीं |
क्या धारा 9 ट्रस्ट संपत्तियों के मौखिक अंतरण को मान्यता देती है? |
नहीं, ट्रस्ट संपत्तियाँ केवल लिखित रूप में अंतरणीय हैं |
"अचल संपत्ति का मौखिक उपहार अमान्य है"– यह किस केस में कहा गया? |
अमीर मिन्हाज बनाम डिएड्रे एलिजाबेथ |
यदि मौखिक अंतरण के बाद संपत्ति का कब्जा ट्रांसफरी को दे दिया गया, तो क्या अंतरण वैध माना जाएगा? |
हाँ, यदि कोई अन्य विधिक बाधा न हो |
अन्य-संक्रामण मगच करने वाली शर्त (Condition restraining alienation) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 10 |
धारा 10 का उद्देश्य क्या है? |
संपत्ति के अंतरण पर अनावश्यक प्रतिबंधों को अवैध ठहराना |
धारा 10 के अनुसार ऐसी कोई शर्त जो ट्रांसफरी को संपत्ति बेचने या ट्रांसफर करने से रोके— |
शून्य (void) है |
कौन-सा केस धारा 10 के सिद्धांत से संबंधित है? |
रोशर बनाम रोशर |
यदि कोई व्यक्ति संपत्ति ट्रांसफर करते हुए यह शर्त लगाता है कि प्राप्तकर्ता उसे कभी किसी को नहीं बेच सकता, तो वह शर्त— |
अवैध और शून्य होगी |
धारा 10 में लागू शर्त को क्या कहा जाता है? |
प्रतिरोधक शर्त (Restraining Condition) |
क्या ट्रस्टी को ट्रस्ट संपत्ति बेचने से रोकने की शर्त धारा 10 के अंतर्गत आती है? |
नहीं |
संपत्ति के कृत्रिम उत्तराधिकार की मनाही, किस मामले में यह निर्णय दिया गया? |
टैगोर बनाम टैगोर |
धारा 10 के अंतर्गत ‘प्रतिबंध’ (Restraint) का क्या तात्पर्य है? |
ट्रांसफरी की स्वतंत्रता को सीमित करना |
क्या धारा 10 व्यक्तिगत समझौते (personal covenant) को अमान्य करती है? |
नहीं |
यदि कोई संपत्ति ट्रांसफर करते हुए यह कहा जाए कि "यह संपत्ति केवल पुरुष वंशजों को ही बेची जा सकती है", तो यह शर्त— |
धारा 10 के अंतर्गत शून्य है |
क्या धारा 10 पूरी तरह से सभी शर्तों को अमान्य करती है जो अन्य-संक्रामण को रोकती हैं? |
नहीं, कुछ अपवाद हैं |
धारा 10 का उल्लंघन करने पर उस शर्त का क्या परिणाम होता है? |
केवल वह शर्त शून्य मानी जाती है |
धारा 10 का अपवाद क्या है? |
सम्पत्ति किसी स्त्री को अन्तरित की जा सकेगी कि उसे अपनी विवाहित स्थिति के दौरान उस सम्पत्ति अन्तरित या भारित करने की शक्ति न होगी |
सुष्ट हित के विरुद्ध निर्बन्धन (Restriction repugnant to interest created) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 11 |
धारा 11 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
ट्रांसफरी को दिए गए पूर्ण अधिकार पर प्रतिकूल शर्त को शून्य ठहराना |
यदि A ने B को जमीन दी और यह शर्त लगाई कि B केवल उस जमीन पर खेती करेगा, तो क्या यह शर्त धारा 11 के अंतर्गत वैध है? |
नहीं, क्योंकि यह सृष्ट हित के विरुद्ध है |
किस केस में यह स्थापित किया गया कि “एक बार ब्याज दे दिया गया तो उसे प्रतिकूल शर्तों के द्वारा कम नहीं किया जा सकता”? |
मोहम्मद रज़ा बनाम अब्बास बंदी बीबी |
यदि कोई व्यक्ति संपत्ति इस शर्त पर देता है कि ट्रांसफरी उसे किसी विशेष जाति के व्यक्ति को नहीं बेचेगा, तो यह शर्त— |
धारा 11 के अंतर्गत शून्य है |
क्या ट्रांसफरी के अधिकार को सीमित करने वाली शर्त को मान्यता दी जा सकती है? |
नहीं, यदि वह सृष्ट हित से प्रतिकूल है |
धारा 11 में कौन-सी शर्तें शून्य घोषित की जाती हैं? |
जो ट्रांसफरी द्वारा संपत्ति के उपयोग को सीमित करें |
अगर किसी ट्रांसफरी को पूर्ण अधिकार के साथ संपत्ति दी जाती है, लेकिन कहा जाता है कि वह उसे किराए पर नहीं देगा, तो क्या यह शर्त मान्य है? |
नहीं |
सृष्ट हित को प्रतिबंधित करने वाली शर्त तब तक मान्य नहीं होती जब तक— |
वह ट्रांसफरी के अधिकार का हनन न करती हो |
धारा 11 का उद्देश्य किस सिद्धांत को बढ़ावा देना है? |
स्वतंत्रता और संपत्ति उपयोग में स्वायत्तता |
धारा 11 किस स्थिति में अपवाद प्रदान करता है? |
धारा 10 के अपवादों पर निर्भर |
क्या ट्रांसफरी को दिए गए पूर्ण अधिकारों पर कोई " नकारात्मक वाचा" लगाया जा सकता है? |
नहीं |
संपत्ति अधिनियम की धारा 11 मुख्यतः किससे संबंधित है? |
उपयोग करने की स्वतंत्रता से |
दिवाले या प्रयतित बन्य-संक्रामण पर हित को पर्यवसेय बनाने वाली शर्त (Condition making interest determinable on insolvency or attempted alienation) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 12 |
धारा 12 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
ट्रांसफरी की दिवालियापन या संक्रामण प्रयास पर हित को समाप्त करने वाली शर्त को अमान्य ठहराना |
धारा 12 किस अंतरण को लागू नहीं होती? |
पट्टे में की किसी ऐसी शर्त को लागू न होगी जो पट्टाकर्ता या उसे व्युत्पन्न अधिकाराधीन दावा करने वालों के फायदे के लिए हो |
यदि कोई संपत्ति इस शर्त पर दी जाए कि ‘यदि ट्रांसफरी दिवालिया हो गया, तो उसका अधिकार समाप्त हो जाएगा’ – तो यह शर्त— |
धारा 12 के अंतर्गत शून्य है |
क्या ऐसी शर्त वैध होगी जिसमें कहा जाए कि यदि ट्रांसफरी संपत्ति गिरवी रखे, तो उसका अधिकार समाप्त हो जाएगा? |
नहीं |
धारा 12 में "दिवालियापन " का क्या अर्थ है? |
आर्थिक रूप से दिवालिया हो जाना |
अजात व्यक्ति के फायदे के लिए अंतरण (Transfer for benefit of unborn person) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 13 |
धारा 13 के अनुसार, क्या अजात व्यक्ति (unborn person) के नाम संपत्ति सीधे ट्रांसफर की जा सकती है? |
नहीं, जब तक कि उनके लिए एक जीवनधारी व्यक्ति के माध्यम से हित न बनाया जाए |
अजात व्यक्ति के लिए संपत्ति का अंतरण वैध है जब— |
संपत्ति पहले किसी जीवनधारी को दी जाती है और उसके बाद अजात व्यक्ति को |
किस केस में यह स्थापित किया गया कि, भारतीय विधि केवल वे ही हित मान्यता देती है जो कानून के अनुसार हों? |
टैगोर बनाम टैगोर (1872) |
धारा 13 के अंतर्गत ‘अजात व्यक्ति’ किसे कहा गया है? |
जो अस्तित्व में न हो पर भविष्य में जन्म लेने की संभावना हो |
यदि संपत्ति किसी ऐसे व्यक्ति को ट्रांसफर की जाए जो अभी तक जन्मा नहीं है और कोई मध्यस्थ जीवनधारी नहीं है, तो क्या होगा? |
ट्रांसफर शून्य (void) है |
धारा 13 में "पूर्व जीवन हित" का क्या महत्व है? |
यह ट्रांसफर को वैध बनाने का एकमात्र तरीका है |
अजन्मा व्यक्ति को संपत्ति देने के लिए किन दो बातों का ध्यान रखना आवश्यक है? |
जीवनधारी के पश्चात पूर्ण हित दे |
क्या अजात व्यक्ति के लिए आंशिक अधिकार सृजित किया जा सकता है? |
नहीं |
धारा 13 की वैधानिक भाषा किस बात पर बल देती है? |
पूर्ण स्वत्व हित की सृष्टि पर |
यदि एक संपत्ति इस रूप में दी गई हो कि “जब X का पुत्र जन्म ले तब उसे दी जाएगी”, और X के कोई संतान नहीं है, तो— |
ट्रांसफर शून्य हो जाएगा |
क्या अजात व्यक्ति को एक से अधिक जीवनधारी के पश्चात संपत्ति दी जा सकती है? |
हाँ |
धारा 13 किन लोगों को संरक्षण प्रदान करता है? |
अजात लेकिन भविष्य में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को |
क्या धारा 13 एकमात्र धारा है जो अजात व्यक्ति से संबंधित है? |
नहीं, साथ में धारा 20 भी लागू होता है |
‘शाश्वतता के विरुद्ध नियम’ (Rule against perpetuity) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 14 |
‘शाश्वतता के विरुद्ध नियम’ (Rule against perpetuity) का उद्देश्य क्या है? |
संपत्ति को अनिश्चित काल तक अवरुद्ध होने से रोकना |
धारा 14 किस प्रकार के ट्रांसफर पर लागू होता है? |
अचल संपत्ति के अंतरण पर |
शाश्वतता के विरुद्ध नियम का उल्लंघन करने वाली शर्त का क्या परिणाम होता है? |
शर्त अमान्य (void) होती है |
अंग्रेज़ी कानून की अवधारणाओं का खंडन, किस केस में महत्वपूर्ण सिद्धांत को स्थापित किया गया था? |
टैगोर बनाम टैगोर |
शाश्वतता के विरुद्ध नियम के अपवाद में क्या शामिल है? |
धर्मार्थ ट्रस्ट (Charitable trusts) |
क्या वसीयत द्वारा बनाए गए प्रावधान पर धारा 14 लागू होती है? |
हाँ |
धारा 14 किस सिद्धांत को बढ़ावा देता है? |
संपत्ति के मुक्त संचार को |
धारा 14 के अनुसार, कौन-सी शर्त वैध नहीं मानी जाएगी? |
संपत्ति का ट्रांसफर 100 वर्षों के लिए स्थगित करना |
धारा 14 किस प्रकार के लाभ पर रोक लगाता है? |
लाभ जो शाश्वत रूप से रुका हो |
किस केस में भारतीय न्यायालय ने शाश्वतता के विरुद्ध नियम को लागू किया? |
गिरीश दत्त बनाम दाता दीन |
शाश्वतता के विरुद्ध नियम कब लागू नहीं होता है? |
जब ट्रांसफर धार्मिक संस्था के लिए हो |
शाश्वतता के विरुद्ध नियम का अनुपालन न करने पर क्या प्रभाव होता है? |
संपत्ति में हित समाप्त हो जाता है |
क्या ट्रस्टी द्वारा स्थगित किए गए लाभ शाश्वतता के विरुद्ध नियम के अंतर्गत आते हैं? |
नहीं, यदि धर्मार्थ उद्देश्य के लिए हों |
उस वर्ग को अन्तरण जिसमे के कुछ व्यक्ति 13 धारा 14 के अंदर आते है (Transfer to class some of whom come under sections 13 and 14) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 15 |
अन्तरण का किसी पूर्विक हित की निष्फलता पर प्रभावी होना (Transfer to take effect on failure of prior interest) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 16 |
संचयन के लिए निदेश (Direction for accumulation) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 17 |
धारा 17 के अनुसार अधिकतम संचयन की वैध अवधि क्या है? |
ट्रांसफरकर्ता का जीवनकाल, या एक जीवित व्यक्ति की मृत्यु + 18 वर्ष |
यदि संचयन की अवधि धारा 17 में वर्णित सीमा से अधिक हो तो क्या प्रभाव होगा? |
सीमा से अधिक अवधि का संचयन शून्य (void) माना जाएगा |
संचयन को समाप्त करने के अधिकार से, सम्बंधित केस कौन सा है? |
सॉन्डर्स बनाम वाउटियर |
क्या संचयन के लिए निदेश (direction) केवल ट्रस्ट में ही दिया जा सकता है? |
नहीं, यह वसीयत या अन्य ट्रांसफर के तहत भी हो सकता है |
धारा 17 किस अन्य सिद्धांत से घनिष्ठ रूप से जुड़ा है? |
शाश्वतता के विरुद्ध नियम (धारा 14) |
यदि संचयन का निर्देश किसी ऐसे उद्देश्य के लिए दिया जाए जो धारा 17 में नहीं आता, तो— |
वह अमान्य होगा |
क्या संचयन के लिए दिए गए निर्देश को लाभार्थी चुनौती दे सकता है? |
हाँ, यदि वह वैध सीमा से अधिक हो या उद्देश्य अवैध हो |
अवैध संचयन से सम्बंधित केस कौन सा है? |
व्हार्टन बनाम मास्टरमैन |
नाबालिग के लाभ के लिए संचयन की अनुमति है क्योंकि— |
यह सामाजिक हित में है |
लोक के फायदे के लिए शाश्वतिक अंतरण (Transfer in perpetuity for benefit of public) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 18 |
धारा 18 किस अधिनियम की किस धारा के लिए अपवाद है? |
धारा 14 – शाश्वतता के विरुद्ध नियम |
धारा 18 के तहत शाश्वत ट्रांसफर वैध है यदि: |
लाभ जनता या जनता के किसी वर्ग को हो |
कौन-सा उद्देश्य धारा 18 के अंतर्गत नहीं आता? |
निजी रिहायशी भवन |
सार्वजनिक प्रयोजन के लिए शाश्वत विश्वास की परिकल्पना से सम्बंधित केस कौन सा है? |
जमशेदजी कर्सेटजी बनाम सूनाबाई |
धारा 18 में “सार्वजनिक लाभ” का आशय है— |
जनता या उनके किसी वर्ग को सामाजिक, धार्मिक, या शैक्षणिक लाभ देना |
धारा 18 के अंतर्गत शाश्वत ट्रांसफर वैध होता है, बशर्ते: |
ट्रस्ट या ट्रांसफर जनहित में हो |
क्या धारा 18 के तहत कंपनी भी लाभार्थी हो सकती है? |
हाँ, यदि कंपनी सार्वजनिक उद्देश्य से जुड़ी हो |
प्रेस भी सार्वजनिक उद्देश्य हो सकता है, से सम्बंधित केस कौन सा है?? |
ट्रस्टीज़ ऑफ़ द ट्रिब्यून बनाम सीआईटी |
धारा 18 के अनुसार ट्रांसफर किस प्रकार की संपत्ति पर किया जा सकता है? |
दोनों चल व अचल संपत्ति |
धारा 18 का उल्लंघन होने पर ट्रांसफर: |
पूरी तरह शून्य (void) हो जाता है |
क्या धार्मिक संस्था के रख-रखाव हेतु सतत स्थानांतरण वैध है? |
हाँ, धारा 18 के अंतर्गत |
निहित हित (Vested interest) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 19 |
धारा 19 के अनुसार निहित हित का अर्थ क्या है? |
ऐसा हित जो तुरंत ही प्राप्त हो जाए भले ही कब्जा बाद में मिले |
कौन-सा कथन निहित हित पर लागू होता है? |
यह बिना शर्त होता है और अधिग्रहण तुरंत होता है |
निहित हित और आकस्मिक हित में अंतर, से सम्बंधित केस कौन सा है? |
कंचना नादर बनाम राजेश्वरी अम्माल |
क्या निहित हित कब्जा अभिप्राप्त करने से पहले अन्तरिती की मृत्यु हो जाने से विफल हो जाता। |
नहीं |
क्या निहित हित मृत्यु के पश्चात उत्तराधिकारियों को स्थानांतरित हो सकता है? |
हाँ |
कौन-सा वाक्य निहित हित की विशेषता नहीं है? |
इसका अधिग्रहण लाभार्थी की इच्छा पर निर्भर होता है |
धारा 19 के अनुसार निहित हित कब निष्क्रिय हो सकता है? |
जब ट्रांसफर पूर्ण ही न हो |
धारा 19 किस प्रकार के ट्रांसफर को मान्यता देती है? |
निहित हित |
निहित हित का अधिग्रहण किस बिंदु पर होता है? |
ट्रांसफर की तिथि पर |
धारा 19 के अंतर्गत कौन-सा लाभार्थी निहित हित प्राप्त करता है? |
जिसे लाभ शीघ्र और बिना शर्त दिया गया हो |
निहित हित और आकस्मिक हित में मुख्य अंतर क्या है? |
एक निश्चित होता है, दूसरा अनिश्चित |
निहित हित को लाभार्थी की मृत्यु के बावजूद उत्तराधिकारी प्राप्त कर सकते हैं, से सम्बंधित केस कौन सा है? |
केस लॉ: री लीक |
धारा 19 का उद्देश्य क्या है? |
लाभार्थियों के लिए निष्पक्ष अधिकार देना |
बचाव व्यक्ति अपने फायदे के लिए किए गए अन्तरण पर कब निहित हित अर्जित करता है (When unborn person acquires vested interest on transfer for his benefit) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 20 |
धारा 20 के अनुसार अजात व्यक्ति किस स्थिति में निहित हित अर्जित करता है? |
जब वह जीवित अवस्था में जन्म लेता है और स्थानांतरण की शर्तें पूरी हो चुकी हों |
धारा 13 और धारा 20 में क्या संबंध है? |
धारा 13 ट्रांसफर की अनुमति देता है, धारा 20 अधिकार प्रदान करता है |
अजात व्यक्ति को निहित हित नहीं दिया जा सकता यदि कानून उसकी योग्यता को अनुमति न दे, किस केस में कहा गया? |
टैगोर बनाम टैगोर |
धारा 20 में ‘निहित स्वार्थ’अजात व्यक्ति को कब से माना जाता है? |
जन्म लेने के समय से |
यदि अजात व्यक्ति मृत पैदा होता है, तो क्या निहित हित प्राप्त होगा? |
नहीं |
धारा 20 के अनुसार निहित हित को किस समय से माना जाता है? |
ट्रांसफर की तारीख से, बशर्ते लाभार्थी जीवित जन्म ले |
धारा 20 में निहित हित को रोकने वाली कौन-सी शर्त वैध नहीं मानी जाती? |
मृत अवस्था में जन्म लेने की स्थिति |
धारा 20 के अनुसार निहित हित किसकी ओर से नियंत्रित होता है जब लाभार्थी नाबालिग होता है? |
ट्रस्टी |
अजात व्यक्ति को ट्रस्ट द्वारा लाभ मिल सकता है, किस केस में कहा गया? |
रामसे बनाम स्मिथ |
धारा 20 के अनुसार यदि अजात व्यक्ति जन्म से पहले ही ट्रांसफरकर्ता मर जाए, तो क्या निहित हित बनेगा? |
हाँ, यदि ट्रांसफर वैध रूप से निष्पादित हो गया था |
धारा 20 में "हित निहित माना जाएगा" का क्या तात्पर्य है? |
हित तुरन्त अस्तित्व में आ जाता है, बशर्ते अजात व्यक्ति जीवित जन्म ले |
क्या धारा 20 के अंतर्गत निहित हित उत्तराधिकारियों को स्थानांतरित होता है यदि अजात व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है? |
हाँ, बशर्ते वह जीवित जन्म ले चुका हो |
समाश्रित हित (Contingent interest) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 21 |
"अगर मोहन आईएएस बनता है, तभी उसे संपत्ति मिलेगी" — यह कौन-सा हित होगा? |
समाश्रित हित |
धारा 21 के अंतर्गत किसी संपत्ति पर समाश्रित हित कब अस्तित्व में आता है? |
जब पूर्व निर्धारित शर्त पूरी हो |
समाश्रित हित शर्त के पूरा होने पर ही उत्पन्न होता है, किस केस में कहा गया? |
प्रोभट चंद्र बरुआ बनाम रानी एकंजनी |
समाश्रित हित को किस प्रकार की शर्त से जोड़ा जाता है? |
पूर्ववर्ती शर्त (Condition Precedent) |
यदि लाभार्थी शर्त पूरी होने से पहले ही मर जाए, तो समाश्रित हित का क्या होता है? |
समाप्त हो जाता है |
समाश्रित हित के लिए कौन-सा कथन सही है? |
यह केवल शर्त पूरी होने पर अस्तित्व में आता है |
क्या समाश्रित हित तब भी मान्य होता है जब शर्त असंवैधानिक हो? |
नहीं |
किसी वर्ग के ऐसे सदस्यों को अन्तरण जो किसी विशिष्ट आयु को प्राप्त करें (Transfer to members of a class who attain a particular age) किस धारा से संबधित है? |
धारा 22 |
अन्तरण, जो विनिर्दिष्ट अनिश्चित घटना के घटित होने पर समाश्रित है (Transfer contingent on happening of specified uncertain event) किस धारा से संबधित है? |
धारा 23 |
निश्चित व्यक्तियों में से ऐसे व्यक्तियों को अन्तरण जो अविनिर्दिष्ट कालावधि पर उत्तरजीवी हो (Transfer to such of certain persons as survive at some period not specified) किस धारा से संबधित है? |
धारा 24 |
सशर्त अंतरण (Conditional transfer) किस धारा से संबधित है? |
धारा 25 |
संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 25 किससे सम्बन्धित है? |
पूर्ववर्ती शर्त |
धारा 25 के अंतर्गत यदि कोई शर्त असंभव है, तो संपत्ति का अंतरण कैसा माना जाएगा? |
अमान्य |
यदि संपत्ति इस शर्त पर दी जाती है कि “A चाँद पर जाएगा,” तो यह अंतरण कैसा माना जाएगा? |
अमान्य होगा क्योंकि शर्त असंभव है |
यदि कोई शर्त अनैतिक हो, जैसे “यदि A अपनी पत्नी को छोड़ दे तो उसे संपत्ति दी जाएगी,” तो अंतरण कैसा माना जाएगा? |
अवैध |
अनैतिक शर्तों के साथ संपत्ति का अंतरण अवैध होता है, से सम्बंधित केस कौन सा है? |
घोरा बनाम काशीनाथ |
A को संपत्ति तभी मिलेगी जब वह अपने धर्म को छोड़ दे शर्त धारा 25 के तहत कैसी मानी जाएगी? |
अवैध |
धारा 25 के तहत यदि शर्त अवैध है, तो क्या होगा? |
संपत्ति का पूरा ट्रांसफर अमान्य हो जाएगा |
धारा 25 किस प्रकार की शर्तों को अमान्य घोषित करता है? |
असंभव, अवैध या अनैतिक |
क्या धारा 25 के तहत केवल लिखित शर्तों की मान्यता है? |
नहीं, मौखिक भी मान्य हो सकती है |
यदि शर्त "A को संपत्ति तभी दी जाएगी जब वह B की हत्या करे" दी जाती है, तो कैसा माना जाएगा? |
अंतरण अमान्य होगा |
धारा 25 किन पहलुओं को नियंत्रित करता है? |
संपत्ति अंतरण के लिए वैध शर्तों की प्रकृति |
क्या धारा 25 उन ट्रांसफर पर भी लागू होता है जो "विलंबित शर्तों" (suspensive conditions) पर आधारित होते हैं? |
हाँ |
किस केस में कहा गया कि, सार्वजनिक नीति के विरुद्ध शर्तों की व्याख्या? |
मुसम्मत बीबी सईदा बनाम बिहार राज्य |
धारा 26 किस प्रकार की शर्त से संबंधित है? |
पुरोभाव्य शर्त (precedent condition) |
धारा 26 के अनुसार, लाभार्थी को संपत्ति का अधिकार कब प्राप्त होता है? |
जब निर्धारित शर्त पूरी हो जाए |
यदि पुरोभाव्य शर्त असंभव हो तो ट्रांसफर कैसा होगा? |
ट्रांसफर विफल होगा |
किस केस में कहा गया कि शर्त की पूर्ति से पहले अधिकार कब उत्पन्न होता है, तभी जब शर्त पूरी हो? |
राम्सडेन बनाम डायसन |
अगर A कहता है: “संपत्ति B को दी जाएगी, बशर्ते कि वह शादी करके दिल्ली में बस जाए” — तो यह किसका उदाहरण है? |
पुरोभाव्य शर्त |
धारा 26 के अंतर्गत शर्त पूरी होने के पश्चात: |
अधिकार स्वतः उत्पन्न होता है |
धारा 26 के तहत "शर्त" कैसी होनी चाहिए? |
संभव और वैध |
क्या धारा 26 की शर्त मौखिक रूप से लागू हो सकती है? |
हाँ (यदि प्रमाणित हो सके) |
यदि पुरोभाव्य शर्त पूरी नहीं होती, तो लाभार्थी का हित: |
समाप्त हो जाता है |
धारा 26 का संबंध किस प्रकार के ट्रांसफर से होता है? |
शर्त की पूर्ति पर आधारित ट्रांसफर से |
एक व्यक्ति को सशर्त अंतरण ऐसे अन्तरण के साथ जो पूर्विक व्ययन के निष्फल होने पर दूसरे व्यक्ति के पक्ष में हो जाएगा (Conditional transfer to one person coupled with transfer to another on failure of prior disposition) किस धारा से संबधित है? |
धारा 27 |
यदि एक संपत्ति "अजय" को दी गई इस शर्त पर कि वह 2 साल के भीतर विदेश से लौटेगा, और वह नहीं लौटता — तब "विजय" को संपत्ति देने की बात की गई है। यह किस सिद्धांत का उदाहरण है? |
वैकल्पिक सशर्त अंतरण |
धारा 27 की कौन-सी विशेषता इसे धारा 25 से अलग करती है? |
यह "वैकल्पिक हित" की व्यवस्था करती है |
धारा 27 कब लागू होगी? |
जब शर्त पूरी नहीं होती और दूसरा पक्ष पहले से तय है |
"X ने Y को संपत्ति दी इस शर्त पर कि Y जीवनभर अविवाहित रहेगा, यदि Y विवाह कर लेता है, तो संपत्ति किसको मिलेगी? |
Z को मिलेगी |
धारा 27 में कौन-सा तत्व अनिवार्य होता है? |
स्पष्ट रूप से वर्णित वैकल्पिक लाभार्थी |
किस केस में अदालत ने, शर्त की पूर्ति न होने पर वैकल्पिक अंतरण प्रभावी होता है आधार पर दूसरा ट्रांसफर वैध माना? |
रानी बनाम प्रेम अदीब |
यदि वैकल्पिक अंतरण का लाभार्थी (दूसरा पक्ष) मौजूद ही नहीं है, तो संपत्ति किसे जाएगी? |
राज्य सरकार |
धारा 27 का अनुप्रयोग किस प्रकार के दस्तावेज़ पर होता है? |
लिखित एवं वैध दस्तावेज़ जिनमें स्पष्ट शर्त हो |
क्या धारा 27 में किसी तीसरे व्यक्ति को लाभ देने की अनुमति होती है? |
हां, यदि वह शर्त के अनुसार नामित हो |
यदि पहला अंतरण अवैध कारणों से विफल होता है, तो क्या धारा 27 लागू होगी? |
नहीं, अवैधता धारा 27 को रोकती है |
परतर अन्तरण का विनिर्दिष्ट घटना के घटित होने या न होने की शर्त पर आश्रित होना (Ulterior transfer conditional on happening or not happening of specified event) किस धारा से संबधित है? |
धारा 28 |
उत्तरभाव्य शर्त की पूर्ति (Fulfilment of condition subsequent) किस धारा से संबधित है? |
धारा 29 |
धारा 29 के अंतर्गत 'उत्तरभाव्य शर्त' का क्या तात्पर्य है? |
पहले पूरी की जाने वाली शर्त |
"यदि अमन अमेरिका में पढ़ाई पूरी कर ले, तो उसे दिल्ली का फ्लैट मिलेगा" — यह किसका उदाहरण है? |
धारा 29 |
इस केस में न्यायालय ने क्या माना, शर्त पूरी होने तक कोई अधिकार नहीं बनता? |
आनंद बनाम लक्ष्मी (1954) |
यदि उत्तरभाव्य शर्त कभी पूरी नहीं होती, तो अंतरण- |
विफल हो जाता है |
क्या उत्तरभाव्य शर्त मौखिक रूप से निर्धारित की जा सकती है? |
नहीं, केवल लिखित रूप में मान्य |
धारा 29 की शर्त कब प्रभावी होती है? |
जब शर्त स्वाभाविक रूप से पूरी हो जाए |
“X ने Y को भूमि इस शर्त पर दी कि Y पहले MBA की डिग्री पूरी करे” – इसमें सम्पत्ति का अधिकार Y को कब मिलेगा? |
डिग्री पूरी होने के बाद |
"यदि शर्त ही असंभव हो, जैसे 'चंद्रमा पर पहुँचना', तो धारा 29 का क्या होगा?" |
ट्रांसफर रद्द हो जाएगा |
उत्तरभाव्य शर्त पूरी होने तक संपत्ति का लाभ: |
ट्रांसफरर के पास बना रहता है |
उत्तरभाव्य शर्त पूरी न हो तो ट्रांसफर विफल हो जाता है, किस केस से सम्बंधित है? |
गोविंदराम बनाम शांति बाई (1972) |
पूर्विक व्ययन का परतर व्ययन की अविधिमान्यता द्वारा प्रभावित न होना (Prior disposition not affected by invalidity of ulterior disposition) किस धारा से संबधित है? |
धारा 30 |
यह शर्त कि अन्तरण विनिर्दिष्ट अनिश्चित घटना के घटित होने या न होने की दशा में प्रभावी न रहेगा (Condition that transfer shall cease to have effect in case specified uncertain event happens or does not happen) किस धारा से संबधित है? |
धारा 31 |
धारा 31 में "विनिर्दिष्ट अनिश्चित घटना" का क्या अर्थ है? |
एक ऐसी घटना जो भविष्य में घट सकती है या नहीं |
धारा 31 के अंतर्गत यदि "X" ने "Y" को संपत्ति दी इस शर्त पर कि "यदि Y की शादी हो जाए तो यह संपत्ति Y को नहीं रहेगी", तो: |
संपत्ति का अंतरण उसी समय रद्द हो जाएगा जब शादी हो |
धारा 31 के तहत संपत्ति के अंतरण पर किस प्रकार की शर्त लागू की जा सकती है? |
शर्त जो किसी अनिश्चित घटना पर निर्भर हो |
यदि एक व्यक्ति किसी संपत्ति को "इस शर्त पर" दे कि यदि लाभार्थी किसी विशेष स्थान पर यात्रा करता है, तो वह संपत्ति समाप्त मानी जाएगी, तो यह किस धारा के तहत आएगा? |
धारा 31 |
"Y को संपत्ति दी जाती है, लेकिन यदि वह पहले अपने जन्म स्थान से बाहर जाए तो संपत्ति का अंतरण निरस्त हो जाएगा" — यह शर्त किसके अंतर्गत आएगी? |
धारा 31 |
किस मामले में निर्णय दिया गया, अंतरण को समाप्त करने के लिए शर्तों की स्पष्टता जरूरी है? |
हरीश बनाम राजेंद्र (1958) |
यदि एक संपत्ति को समाप्त करने के लिए अनिश्चित घटना पर निर्भर किया गया है, तो वह शर्त: |
वैध मानी जाएगी |
धारा 31 के अंतर्गत संपत्ति के अंतरण में जिस घटना का घटित होना आवश्यक होता है, वह: |
भविष्य में घटित होने वाली अनिश्चित घटना है |
ऐसी शर्त अविधिमान्य नहीं होनी चाहिये (Such condition must not be invalid) किस धारा से संबधित है? |
धारा 32 |
धारा 32 के तहत अविधिमान्य शर्त का क्या प्रभाव होता है? |
संपत्ति का अंतरण प्रभावी रहेगा लेकिन शर्त को लागू नहीं किया जाएगा |
कार्य करने की शर्त पर आश्रित अन्तरण जबकि उस कार्य के करने के लिए कोई समय विनिर्दिष्ट नहीं है (Transfer conditional on performance of act, no time being specified for performance) किस धारा से संबधित है? |
धारा 33 |
धारा 33 के तहत अगर कोई कार्य करने के लिए समय निर्धारित नहीं है, तो यह माना जाता है कि: |
कार्य किसी भी समय किया जा सकता है |
"X ने Y को संपत्ति दी और शर्त रखी कि 'Y को एक निश्चित कार्य करना होगा, लेकिन इस कार्य के लिए कोई समय सीमा नहीं है।'" — इस स्थिति में धारा 33 के तहत: |
कार्य किसी भी समय किया जा सकता है और संपत्ति का अंतरण वैध रहेगा |
"Y को संपत्ति दी जाती है इस शर्त पर कि वह एक निश्चित कार्य करेगा, लेकिन उस कार्य के लिए कोई समय निर्धारित नहीं है।" — इस शर्त को धारा 33 के तहत कैसे देखा जाएगा? |
कार्य किसी भी समय किया जा सकता है, अंतरण वैध रहेगा |
धारा 33 के अंतर्गत यदि कार्य के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की जाती, तो: |
कार्य का समापन किसी भी समय किया जा सकता है और अंतरण वैध रहेगा |
किस मामले में कोर्ट ने निर्णय लिया, कार्य बिना समय सीमा के किसी भी समय किया जा सकता है? |
सिंह बनाम कुमार (1975) |
"X ने Y को संपत्ति दी, और कहा कि 'Y को एक विशिष्ट कार्य पूरा करना होगा, लेकिन उसके लिए कोई समय सीमा नहीं दी गई है।'" — इस स्थिति में क्या निर्णय होगा? |
संपत्ति का अंतरण वैध रहेगा, और कार्य किसी भी समय पूरा किया जा सकता है |
"Y को संपत्ति दी जाती है, लेकिन शर्त रखी जाती है कि 'Y को एक विशेष कार्य करना होगा, लेकिन उस कार्य के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है'" — इस शर्त के बारे में धारा 33 के तहत क्या कहा जाएगा? |
कार्य को किसी भी समय किया जा सकता है और संपत्ति का अंतरण वैध रहेगा |
यदि किसी संपत्ति के अंतरण के लिए कार्य की शर्त रखी जाती है और उस कार्य के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की जाती, तो: |
कार्य किसी भी समय किया जा सकता है |
शर्त बिना समय सीमा के वैध मानी गई और संपत्ति का अंतरण लागू किया गया, किस केस से सम्बंधित है? |
शर्मा बनाम पटेल (1982) |
कार्य करने की शर्त पर आश्रित अन्तरण जबकि समय विनिर्दिष्ट है (Transfer conditional on performance of act, time being specified) किस धारा से संबधित है? |
धारा 34 |
|
|
निर्वाचन (Election) |
|
निर्वाचन कब आवश्यक है (Election when necessary) किस धारा से संबधित है? |
धारा 35 |
धारा 35 के तहत "निर्वाचन" का क्या अर्थ है? |
लाभ और भार के बीच किसी एक को चुनना |
यदि किसी व्यक्ति को एक वसीयत में किसी और की संपत्ति दी गई है और साथ में उसे लाभ भी मिलता है, तो उसे क्या करना होगा? |
उसे चुनाव करना होगा कि वह संपत्ति ले या लाभ छोड़े |
धारा 35 में निर्वाचन की स्थिति कब उत्पन्न होती है? |
जब एक ही व्यक्ति को लाभ और किसी अन्य की संपत्ति दी जाए |
चुनाव का सिद्धांत का मूल सिद्धांत किस पर आधारित है? |
न्याय और नीति पर |
यदि लाभार्थी निर्वाचन नहीं करता है तो क्या माना जाएगा? |
वह उस लाभ को स्वीकार कर चुका है और संपत्ति का दावा नहीं कर सकता |
निर्वाचन आवश्यक होता है जब लाभ और भार एक साथ आते हैं, से सम्बंधित केस कौन सा है? |
कूपर बनाम कूपर (1874) |
अगर कोई व्यक्ति बिना चुनाव किए लाभ ले लेता है, तो इसे क्या माना जाता है? |
स्पष्ट निर्वाचन |
क्या निर्वाचन केवल जीवित व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है? |
नहीं, मृतक की संपत्ति के उत्तराधिकारी भी कर सकते हैं |
धारा 35 के तहत निर्वाचन कब बाध्यकारी माना जाएगा? |
जब चुनाव जानबूझकर किया गया हो |
अगर लाभार्थी नाबालिग हो तो निर्वाचन कौन करेगा? |
अभिभावक |
"चुनाव का सिद्धांत" भारत में किस धारा में सम्मिलित है? |
धारा 35 |
निर्वाचन एक विकल्प नहीं, बाध्यता है, से सम्बंधित केस कौन सा है? |
कोडिंगटन बनाम लिंडसे (1873) |
यदि लाभार्थी संपत्ति को अस्वीकार करता है, तो उसका लाभ: |
समाप्त हो जाएगा |
चुनाव का सिद्धांत किन दो सिद्धांतों के टकराव पर आधारित है? |
लाभ और भार |
यदि कोई व्यक्ति लाभ स्वीकार कर चुका है, लेकिन संपत्ति को भी लेना चाहता है, तो: |
वह संपत्ति नहीं ले सकता |
|
|
प्रभाजन (Appointment) |
|
धारा 36 किस विषय से संबंधित है? |
कालिक संदायों का हित समाप्त होने पर विभाजन (Apportionment of periodical payments determination of interest of person entitled) |
धारा 36 कब लागू होगी? |
जब संविदा या स्थानीय प्रथा के अभाव हो |
धारा 36 के अनुसार "कालिक संदाय" में कौन आता है? |
बार-बार आने वाली किस्तें जैसे सब भाटक, वार्षिकियाँ, पेंशन, लाभांश और अन्य कालिक संदाय, जो आय की प्रकृति के है |
"कालिक संदायों का प्रभाजन" का क्या अर्थ है? |
समय के अनुसार भुगतान को विभाजित करना |
यदि किसी लाभार्थी की मृत्यु 15 तारीख को हो जाती है, और मासिक किराया 30 तारीख को देय है, तो उसके उत्तराधिकारी को क्या मिलेगा? |
मृत्यु तक का अनुपातिक हिस्सा |
धारा 36 किन संदायों पर लागू होती है? |
सभी कालिक संदायों पर जो समय-समय पर देय हैं |
क्या धारा 36 वसीयत द्वारा प्राप्त हित पर भी लागू होती है? |
हां |
हित के समाप्त होने की तारीख तक का हिस्सा मिलेगा, से सम्बंधित केस कौन सा है? |
नैश बनाम कोरी (1901) |
धारा 36 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
निष्पक्षता और न्याय सुनिश्चित करना |
अगर किसी व्यक्ति का हित महीने के बीच में समाप्त हो जाता है, तो शेष मासिक संदाय: |
नए हितधारी को जाएगा |
क्या धारा 36 संपत्ति के हस्तांतरण पर भुगतान विभाजन को नियंत्रित करती है? |
हां |
अगर कालिक संदाय दो लाभार्थियों को साझा रूप में मिल रही है और एक का हित समाप्त हो गया, तो शेष भुगतान: |
दूसरे लाभार्थी को जाएगा |
विभाजन पर मान्यता के फायदे का प्रभाजन (Apportionment of benefit of obligation on severance) किस धारा से संबधित है? |
धारा 37 |
यदि संपत्ति के विभाजन के समय कोई अनुबंध कहता है कि सेवा का लाभ केवल एक हिस्सेदार को मिलेगा, तो क्या धारा 37 लागू होगी? |
नहीं, अनुबंध की शर्त को प्राथमिकता मिलेगी |
धारा 37 की मूल न्यायिक अवधारणा किस सिद्धांत पर आधारित है? |
न्यायसंगत विभाजन |
अगर एक संपत्ति से लाभ लेने का दायित्व तीसरे पक्ष पर है, और वह संपत्ति बंट जाती है, तो कौन जिम्मेदार होगा? |
दायित्व तीसरे पक्ष पर ही बना रहेगा |
धारा 37 किन लाभों पर लागू होती है? |
संपत्ति से जुड़े सभी बाध्यकारी लाभ |
क्या धारा 37 संपत्ति के हिस्सेदार को कानूनी रूप से बाध्य करती है कि वह दूसरों को भी लाभ लेने दे? |
हां, जब तक अलग से कुछ तय न किया गया हो |
प्रत्येक हिस्सेदार को लाभ का अधिकार होगा, से सम्बंधित केस कौन सा है?? |
डॉकिन्स बनाम लॉर्ड पेनरहिन (1878) |
संपत्ति का "विच्छेद" किसे कहते हैं? |
संपत्ति का हिस्सों में विभाजन |
अगर A और B एक संपत्ति के सह-स्वामी हैं और A को एक विशेष सुविधा मिलती है, तो विभाजन के बाद वह सुविधा: |
A और B दोनों को समान रूप से मिलेगी |
यदि किसी संपत्ति पर जल निकासी (drainage) की सुविधा थी और वह संपत्ति विभाजित हो गई, तो क्या धारा 37 के तहत सभी हिस्सेदार को उसका लाभ मिलेगा? |
हां, जब तक कोई अन्य शर्त न हो |
क्या धारा 37 चल संपत्ति पर लागू होती है? |
नहीं |
धारा 37 के अंतर्गत “बाध्यता” (obligation) का अर्थ क्या है? |
कानूनी बंधन जो किसी क्रिया को करने या न करने के लिए बाध्य करता है |
Z की ज़मीन पर Y की सिंचाई पाइपलाइन चलती है। ज़मीन दो भागों में बंट जाती है — X और W को। क्या W को पाइपलाइन की सुविधा मिलेगी? |
हां, दोनों हिस्सों को समान अधिकार है |
यदि संपत्ति के टुकड़े का नया मालिक उस पर स्थापित लाभ को रोक देता है, तो पुराने मालिक के पास क्या उपाय है? |
सिविल कोर्ट में निषेधाज्ञा की राहत ले सकता है |
धारा 37 संपत्ति अधिकारों में किस सिद्धांत को बढ़ावा देती है? |
न्यायसंगत अधिकारों का विभाजन |
यदि एक बगीचा विभाजित होकर दो हिस्सों में बंटता है, और पहले उसमें से हवा और धूप की सुविधा थी, तो क्या दोनों हिस्सों को वह सुविधा मिलेगी? |
हां, धारा 37 के अनुसार |
कुछ परिस्थितियों में ही अन्तरण करने के लिए प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा अन्तरण (Transfer by person authorised only under certain circumstances to transfer) किस धारा से संबधित है? |
धारा 38 |
|
|
(ख) स्थावर सम्पत्ति का अन्तरण (B-Transfer of Immovable Property) |
|
अन्तरण जहाँ कि अन्य व्यक्ति भरण-पोषण का हकदार है (Transfer where third person is entitled to maintenance) किस धारा से संबधित है? |
धारा 39 |
धारा 39 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
भरण-पोषण के वैध अधिकार की रक्षा करना |
क्या भरण-पोषण के अधिकार की अवहेलना कर अंतरण मान्य होता है? |
नहीं, जब तक खरीदार को सूचना न हो |
धारा 39 में किन परिस्थितियों में अंतरणी (transferee) भरण-पोषण के अधिकार से मुक्त हो सकता है? |
जब वह वास्तविक हस्तांतरित व्यक्ति हो बिना सूचना के |
भरण-पोषण के अधिकार को माना जाएगा: |
जब वह वैध रूप से स्थापित हो |
भरण-पोषण का अधिकार संपत्ति पर दावा पैदा करता है, से सम्बंधित केस कौन सा है? |
अनाथ बंधु बनाम निर्मला सुंदरी (एआईआर 1955) |
यदि अंतरण से पहले भरण-पोषण का अधिकार लिखित अनुबंध द्वारा मौजूद है, तो नया खरीदार: |
अधिकार को मानने के लिए बाध्य है |
धारा 39 के तहत “भरण-पोषण का अधिकार” किस पर निर्भर करता है? |
वैध संविदा या विधान द्वारा |
क्या धारा 39 चल संपत्ति पर लागू होती है? |
नहीं, केवल अचल संपत्ति पर |
धारा 39 का अपवाद क्या है? |
खरीदार को अधिकार की जानकारी न हो और वह सदाशयी हो |
भूमि के उपयोग पर निर्बन्धन लगाने वाली बाध्यता का या स्वामित्व में उपाबद्ध किन्तु हित या सुखाचार की कोटि में न आने वाली बाध्यता का बोझ (Burden of obligation imposing restriction on use of land) किस धारा से संबधित है? |
धारा 40 |
कौन सी बाध्यता धारा 40 के अंतर्गत नहीं आती? |
कर भुगतान की बाध्यता |
धारा 40 में बाध्यता कब प्रभावी नहीं होती? |
जब ट्रांसफरी को बाध्यता की पूर्व सूचना न हो और वह सदाशयी हो |
"स्वामित्व से जुड़ा दायित्व" का अर्थ क्या है? |
मालिकाना हक के साथ जुड़ी सीमित सेवा जो तीसरे पक्ष को मिलती हो |
कौन-सी बाध्यता न्यायसंगत रूप से धारा 40 के अंतर्गत मानी जा सकती है? |
नाली के पानी का प्रवाह वर्षों से पड़ोसी के खेत में जाना |
धारा 40 किसके अधिकारों की सुरक्षा करता है? |
तीसरे पक्ष के जो भूमि के उपयोग से लाभ ले रहे हैं |
यदि कोई व्यक्ति संपत्ति का मालिक होते हुए मौखिक रूप से पड़ोसी को रास्ता देता है, क्या वह बाध्यता धारा 40 में मान्य होगी? |
हां, यदि वर्षों से अभ्यास में हो |
ट्रांसफरी कौन-सी स्थिति में धारा 40 की बाध्यता से बच सकता है? |
जब उसे पूर्व सूचना न हो और वह वास्तविक क्रेता हो |
धारा 40 का सिद्धांत किस केस से सबसे पहले स्थापित हुआ? |
टल्क बनाम मोक्सहे |
Z की भूमि से Y के खेत में पानी की नाली जाती है। Z भूमि X को बेच देता है, और X को इसकी जानकारी थी। क्या X बाध्य है? |
हां, क्योंकि यह न्यायसंगत बाध्यता है |
क्या धारा 40 सुखभोग के अधिकार से अलग है? |
हां, क्योंकि यह न्यायसंगत बाध्यता की बात करता है |
अगर तीसरे पक्ष का उपयोग किसी संधिकर्ता से जुड़ा हो, तो क्या वह धारा 40 के अंतर्गत बाध्यता है? |
हां, अगर वह संपत्ति से जुड़ा हो |
धारा 40 किस तरह की बाध्यता को पहचान देता है? |
न्यायसंगत बाध्यता (equitable obligation) |
क्या धारा 40 का उल्लंघन सिविल कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है? |
हां, अगर उल्लंघन से नुकसान हो |
"प्रकट स्वामी" से क्या तात्पर्य है? |
जो दिखावे में मालिक हो, पर वास्तव में नहीं |
दृश्यमान स्वामी द्वारा अन्तरण (Transfer by ostensible owner) किस धारा से संबधित है? |
धारा 41 |
धारा 41 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
क्रेता की रक्षा करना यदि उसने सावधानी बरती हो |
अगर Z, X की जमीन Y को बेच देता है, जबकि X असली मालिक है, और Y ने उचित जांच की, तो क्या Y का अधिकार वैध होगा? |
हां, यदि Z दृश्यमान स्वामी था और X ने अनुमति दी थी |
"उचित परिश्रम" का क्या मतलब है, जो धारा 41 में खरीदार से अपेक्षित है? |
संपत्ति की विधिक स्थिति की जांच करना |
मालिक के सहमति से दिखाई गई स्वामित्व की रक्षा खरीदार के लिए की जाएगी, से सम्बंधित केस कौन सा है? |
रामकुमार कूंडू बनाम मैक्वीन (1872) |
कौन-सी शर्त धारा 41 के अंतर्गत ट्रांसफर की वैधता के लिए आवश्यक नहीं है? |
न्यायालय की अनुमति |
क्या धारा 41 केवल अचल संपत्ति पर लागू होती है? |
हां |
अगर खरीदार ने कोई जांच नहीं की और संपत्ति खरीद ली, और बाद में पता चला कि बेचने वाला असली मालिक नहीं था, तो क्या धारा 41 लागू होगी? |
नहीं, क्योंकि उचित जांच आवश्यक है |
कौन-सी स्थिति में खरीदार धारा 41 के तहत सुरक्षा प्राप्त नहीं करेगा? |
यदि वह जानबूझकर अनदेखी करता है |
A, B को अपना घर दिखावे के लिए मालिक बना देता है ताकि लोग समझें कि B ही असली मालिक है। B वह घर C को बेच देता है। C ने सारे कागज़ और रिकॉर्ड जांचे। क्या C को वैध अधिकार मिलेगा? |
हां, क्योंकि B दिखावे का स्वामी था और C ने जांच की |
धारा 41 का लाभ कब नहीं मिलेगा? |
जब खरीदार सौदे के समय नाबालिग हो |
धारा 41 में "सहमति" किस प्रकार की हो सकती है? |
मौन (implied), लिखित, स्पष्ट (express) |
महिला के पास स्वामित्व अधिकार हो सकते हैं, से सम्बंधित केस कौन सा है? |
तुलसम्मा बनाम शेषा रेड्डी (1977) |
धारा 41 किस सिद्धांत को मजबूत करती है? |
निष्क्रिय स्वीकृति का (doctrine of estoppel) |
पूर्वत्तर अन्तरण का प्रतिसंहरण करने का प्राधिकार रखने वाले व्यक्ति द्वारा अन्तरण (Transfer by person having authority to revoke former transfer) किस धारा से संबधित है? |
धारा 42 |
अप्राधिकृत व्यक्ति द्वारा अन्तरण, जो अन्तरित सम्पत्ति में पीछे हित अर्जित कर लेता है (Transfer by person having authority to revoke former transfer) किस धारा से संबधित है? |
धारा 43 |
धारा 43 किस सिद्धांत पर आधारित है? |
एस्टोपल का सिद्धांत / एस्टोपल द्वारा अनुदान को खिलाना |
यदि कोई व्यक्ति संपत्ति बेच देता है जबकि वह उसका मालिक नहीं है, और बाद में वही व्यक्ति उसका मालिक बन जाता है, तो क्या होगा? |
ट्रांसफरी चाहें तो संपत्ति पर अधिकार ले सकता है |
धारा 43 किसके हित की रक्षा करता है? |
ट्रांसफरी (खरीदार) |
धारा 43 कब लागू होता है? |
जब ट्रांसफरकर्ता के पास अधिकार न हो लेकिन वह ऐसा दर्शाए कि है |
ट्रांसफरी को विकल्प है कि वह स्वामित्व पर दावा करे से सम्बंधित केस कौन सा है? |
रामकृष्ण पिल्लई बनाम विशालाक्षी अम्मल (1916) |
क्या धारा 43 "बाद में स्वामित्व" प्राप्त होने पर पूर्व ट्रांसफर को वैध बना सकता है? |
हां |
धारा 43 में "झूठा मालिक" कौन होता है? |
जो जानबूझकर खुद को स्वामी बताता है जबकि वह नहीं होता |
यदि ट्रांसफरी धारा 43 का लाभ नहीं लेना चाहता, तो क्या उसे बाध्य किया जा सकता है? |
नहीं |
A ने B को जमीन बेच दी यह कहकर कि वह मालिक है। बाद में A ने वास्तव में वह जमीन C से खरीद ली। क्या B धारा 43 के तहत अधिकार प्राप्त कर सकता है? |
हां, यदि वह चाहे |
धारा 43 में ट्रांसफरी को क्या अधिकार मिलता है? |
वह संपत्ति का कब्जा मांग सकता है |
धारा 43 का उद्देश्य क्या है? |
ट्रांसफरी के विश्वास की रक्षा करना |
किस मामले में उच्चतम न्यायालय ने धारित किया कि बेनामी संव्यवहार अधिनियम भूतलक्षी प्रभाव रखता है। |
मिथिलेश कुमारी बनाम प्रेम बिहारी खरे [ए० आई० आर० 1989 एस० सी० 1242] |
क, जो हिन्दू है और अपने पिता ख से पृथक् हो गया है, तीन खेत क्ष, त्र और ज्ञ यह व्यपदेशन करते हुए ग को बेच देता है कि क उन्हें अन्तरित करने के लिए प्राधिकृत है। इन खेतों में से ज्ञ खेत क का नहीं है, क्योंकि विभाजन के समय ख ने इसे अपने लिए प्रतिधृत कर लिया था, किन्तु ख के मरने पर वारिस के रूप में ज्ञ को क प्राप्त कर लेता है, क्या ग को यह संपत्ति मिल पायेगी? |
ग ने विक्रय संविदा को विखंडित नहीं किया है, इसलिये वह क से अपेक्षा कर सकेगा कि क उसे ज्ञ को परिदत्त करे। |
एक सह-स्वामी द्वारा अन्तरण (Transfer by one co-owner) किस धारा से संबधित है? |
धारा 44 |
प्रतिफलार्थ संयुक्त अन्तरण (Joint transfer for consideration) किस धारा से संबधित है? |
धारा 45 |
सुभिन्न हित रखने वाले व्यक्तियों द्वारा प्रतिफलार्थ अन्तरण (Transfer for consideration by persons having distinct interests) किस धारा से संबधित है? |
धारा 46 |
यदि कोई जीवन हित रखने वाला व्यक्ति अपनी सहमति से संपत्ति बेचता है, तो उसे बिक्री राशि से क्या मिलेगा? |
केवल उतना हिस्सा जितना उसके जीवन उपयोग का मूल्यांकन हो |
धारा 46 का उद्देश्य क्या है |
न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना |
यदि सहस्वामियों ने सामूहिक रूप से संपत्ति का कोई हिस्सा बेचा, लेकिन यह नहीं बताया कि किसका कितना हिस्सा है, तो कानून क्या मानेगा? |
जिसने विलेख लिखा उसी का |
सामान्य सम्पत्ति में के अंश का सह-स्वामियों द्वारा अन्तरण (Transfer by co-owners of share in common property) किस धारा से संबधित है? |
धारा 47 |
धारा 47 किस स्थिति पर लागू होती है? |
जब दो या अधिक सहस्वामी मिलकर एक अंश को बेचते हैं |
अन्तरण द्वारा सृष्ट अधिकारों की पूर्विकता (Priority of rights created by transfer) किस धारा से संबधित है? |
धारा 48 |
धारा 48 किस सिद्धांत को स्थापित करती है? |
अधिकारों की प्राथमिकता |
यदि A ने B को बंधक (mortgage) बनाया और बाद में उसी संपत्ति को C को बेच दिया, तो किसका अधिकार पहले माना जाएगा? |
B का |
धारा 48का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
संपत्ति के अधिकारों में प्राथमिकता तय करना |
यदि A ने एक ही संपत्ति पर पहले X को लीज़ दी और फिर Y को मोर्गेज किया, तो किसका अधिकार पहले मान्य होगा? |
X का |
क्या धारा 48 केवल बंधक (mortgage) के मामलों पर लागू होती है? |
नहीं, यह सभी असंगत ट्रांसफर पर लागू होती है |
A ने B को एक संपत्ति किराये पर दी और बाद में C को बिना उल्लेख के बेच दी। C ने किरायेदार को बेदखल करना चाहा। कौन सा अधिकार प्रमुख होगा? |
B का – क्योंकि उसका अधिकार पहले सृजित हुआ था |
धारा 48 किस तरह के ट्रांसफर पर लागू होता है? |
एक ही संपत्ति पर कई अधिकारों के निर्माण पर |
यदि दो ट्रांसफर एक-दूसरे से असंगत हैं, तो कौन-सा ट्रांसफर प्रभावी होगा? |
जो पहले हुआ |
कौन-सा केस धारा 48 की व्याख्या करता है? |
जयराम मुदलियार बनाम अय्यास्वामी (1972 एससी) |
धारा 49 किस विषय से संबंधित है? |
बीमा पॉलिसी के अधीन अन्तरिती का अधिकार (Transferee’s right under policy) |
यदि A ने अपनी जीवन बीमा पॉलिसी B को ट्रांसफर की, तो धारा 49 के अनुसार B को क्या मिलेगा? |
वही अधिकार जो A को होते |
धारा 49 कब लागू होती है? |
जब पॉलिसी किसी अन्य को ट्रांसफर की जाए |
धारा 49 किस प्रकार की पॉलिसी पर लागू होती है? |
जीवन बीमा |
क्या अन्तरिती बीमा कंपनी से क्लेम कर सकता है? |
हां, अगर धारा 49 के अनुसार ट्रांसफर हुआ है |
यदि जीवन बीमा पॉलिसी के ट्रांसफर का उल्लेख बीमा कंपनी को नहीं किया गया, तो धारा 49 लागू होगा? |
हां, यदि ट्रांसफर सही तरीके से हुआ है |
क्या बीमा पॉलिसी का ट्रांसफर लिखित रूप में होना आवश्यक है? |
हां |
A ने जीवन बीमा पॉलिसी B को ट्रांसफर कर दी और बाद में उसकी मृत्यु हो गई। B ने बीमा कंपनी से क्लेम किया, लेकिन कंपनी ने कहा कि पॉलिसी A के नाम पर थी। क्या B को भुगतान मिलेगा? |
हां, क्योंकि धारा 49 के तहत ट्रांसफर वैध था |
बीमा पॉलिसी का ट्रांसफर करने के लिए क्या अनिवार्य है? |
पॉलिसी दस्तावेज़ और ट्रांसफर डीड |
कौन-सा केस धारा 49 की व्याख्या करता है? |
एलआईसी बनाम श्रीमती जी.एम. चन्नबासेम्मा (1991 एससी) |
यदि बीमा कंपनी पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद अन्तरिती को भुगतान नहीं करती, तो कौन-सी धारा लागू होगी? |
धारा 49 |
अन्तरिती को अधिकार कब प्राप्त होते हैं? |
ट्रांसफर और बीमा देनदारी उत्पन्न होने पर |
क्या अन्तरिती को बोनस, सरेंडर वैल्यू आदि का दावा भी मिल सकता है? |
हां |
यदि अन्तरिती बीमा कंपनी को नोटिस न दे, तो क्या उसका क्लेम अस्वीकृत हो सकता है? |
नहीं, अगर ट्रांसफर वैध है तो |
त्रुटियुक्त हक के अधीन धारक को सद्भावपूर्वक दिया गया भाटक (Rent bona fide paid to holder under defective title) किस धारा से संबधित है? |
धारा 50 |
त्रुटियुक्त हकों के अधीन सद्भावपूर्वक धारकों द्वारा की गयी अभिवृद्धियाँ (Improvements made by bona fide holders under defective titles) किस धारा से संबधित है? |
धारा 51 |
सम्पत्ति सम्बन्धी वाद के लंबित रहते हुए सम्पत्ति का अन्तरण (Transfer of property pending suit relating thereto) किस धारा से संबधित है? |
धारा 52 |
धारा 52 का नियम ‘लिस पेंडेंस’ किस सिद्धांत पर आधारित है? |
निष्पक्षता |
लिस पेंडेंस सिद्धांत का उद्देश्य क्या है? |
न्यायालय के निर्णय को प्रभावशाली बनाना |
वाद लंबित होने के दौरान संपत्ति बेचना निषिद्ध है यदि न्यायालय की अनुमति न हो किस धारा से संबधित है? |
धारा 52 |
कौन सा केस लिस पेंडेंस के सिद्धांत को स्थापित करता है? |
बेल्लामी बनाम सबाइन (1857) |
धारा 52 तब लागू होगा जब: |
कोई केस दर्ज हो गया हो और लंबित हो |
लिस पेंडेंस का सीधा असर किस पर होता है? |
न्यायालय के निर्णय की बाध्यता |
धारा 52 के अनुसार वाद लंबित होते समय संपत्ति अंतरण वैध माने जाने की शर्त क्या है? |
कोर्ट की पूर्व अनुमति होनी चाहिए |
"लिस पेंडेंस" का शाब्दिक अर्थ क्या है? |
वाद लंबित होना |
क्या धारा 52 केवल अचल संपत्ति पर लागू होता है? |
हां |
किस स्थिति में धारा 52 लागू नहीं होगा? |
जब मामला समाप्त हो चुका हो |
धारा 52 के अंतर्गत किसी पक्षकार द्वारा वाद लंबित रहते संपत्ति का विक्रय करने पर खरीदार की स्थिति क्या होगी? |
न्यायालय के निर्णय के अधीन रहेगा |
वाद लंबित होते समय संपत्ति का अंतरण क्यों अवैध माना जाता है? |
इससे न्यायालय की प्रक्रिया बाधित होती है |
धारा 52 को लागू करने के लिए मुकदमे की प्रकृति कैसी होनी चाहिए? |
संपत्ति से संबंधित |
क्या धारा 52 स्वतः लागू होता है या न्यायालय के आदेश की आवश्यकता होती है? |
स्वतः लागू होता है |
कपटपूर्ण अन्तरण (Fraudulent transfer) किस धारा से संबधित है? |
धारा 53 |
धारा 53 के तहत कपटपूर्ण अन्तरण का उद्देश्य क्या है? |
लेनदारों के अधिकारों को पराजित या विलंबित करना |
कौन सा मामला धारा 53 के तहत कपटपूर्ण अन्तरण से संबंधित है? |
बजरंग चंद्रजी बनाम सीता राम बडेर (1979) |
धारा 53 के तहत कपटपूर्ण अन्तरण को कौन रद्द कर सकता है? |
कोई भी लेनदार जिसे पराजित या विलंबित किया गया हो |
कपटपूर्ण अन्तरण के लिए आवश्यक शर्तें क्या हैं? |
हस्तांतरण का उद्देश्य लेनदारों के अधिकारों को पराजित या विलंबित करना |
धारा 53 के तहत कपटपूर्ण अन्तरण का क्या परिणाम होता है? |
हस्तांतरण रद्द किया जा सकता है |
धारा 53 के तहत कपटपूर्ण अन्तरण के लिए क्या आवश्यक है? |
हस्तांतरण का उद्देश्य लेनदारों के अधिकारों को पराजित या विलंबित करना |
धारा 53 के तहत कपटपूर्ण अन्तरण को रद्द करने के लिए कौन सा प्राधिकरण सक्षम है? |
कोई भी लेनदार जिसे पराजित या विलंबित किया गया हो |
धारा 53(क) के तहत "भागिक पालन" का क्या तात्पर्य है? |
अनुबंध के केवल कुछ हिस्सों का पालन करना |
जब किसी अनुबंध का भागिक पालन किया जाता है, तो उस अनुबंध के बाकी हिस्से पर क्या प्रभाव पड़ता है? |
वह रद्द नहीं होता है, यदि बाकी हिस्से का पालन नहीं किया जाता है |
धारा 53 (क) के अनुसार, भागिक पालन करने के बाद दूसरे पक्ष के पास क्या विकल्प होते हैं? |
वह अनुबंध को पूरा करने का आदेश दे सकता है, वह अनुबंध को खत्म कर सकता है, वह दूसरे पक्ष से शिकायत कर सकता है |
किस स्थिति में भागिक पालन को स्वीकार किया जा सकता है, जैसा कि धारा 53(क) में वर्णित है? |
जब दोनों पक्षों की सहमति हो |
धारा 53(क) के तहत यदि कोई पक्ष अनुबंध का केवल एक हिस्सा पूरा करता है, तो क्या न्यायालय बाकी हिस्से को लागू कर सकता है? |
हाँ, यदि न्यायालय इसे सही मानता है |
धारा 53(क) के तहत यदि एक पक्ष भागिक पालन करने में असफल रहता है, तो दूसरा पक्ष क्या कर सकता है? |
वह अनुबंध को तुरंत रद्द कर सकता है, वह न्यायालय में शिकायत दर्ज कर सकता है, वह किसी भी स्थिति में अपना हिस्सा पूरा कर सकता है |
"भागिक पालन" के संबंध में किसी पक्ष को न्यायालय से क्या उम्मीद हो सकती है यदि दूसरा पक्ष अपना हिस्सा पूरा नहीं करता है? |
न्यायालय दूसरा पक्ष को शेष हिस्सा पूरा करने का आदेश दे सकता है |
अगर एक पक्ष भागिक पालन करता है और दूसरा पक्ष अनुबंध को पूरी तरह लागू करने की मांग करता है, तो क्या न्यायालय इसे स्वीकार कर सकता है? |
हाँ, अगर वह इसे उचित समझे |
यदि अनुबंध का कुछ हिस्सा भागिक पालन से पूरा किया जाता है, तो क्या दूसरे पक्ष को शेष हिस्सा पूरा करने का अधिकार है? |
हाँ, वह न्यायालय से इसके लिए आदेश ले सकता है |
धारा 53(क) के तहत भागिक पालन को लेकर कौन सा निर्णय लिया जा सकता है यदि एक पक्ष अपना हिस्सा पूरा नहीं करता है? |
अनुबंध का बाकी हिस्सा पूरा करने का आदेश दिया जा सकता है |
|
|
अध्याय 3 |
|
स्थावर सम्पत्ति के विक्रयों के विषय में (Of Sales of Immoveable Property) |
|
'विक्रय की परिभाषा (Sale defined) किस धारा से संबधित है? |
धारा 54 |
धारा 54 के अनुसार, "विक्रय" के लिए कौन-सी शर्त आवश्यक नहीं है? |
संपत्ति का मौखिक हस्तांतरण |
कौन-सी बात 'विक्रय' और 'विक्रय के समझौते' को अलग करती है? |
विक्रय में तुरंत अधिकार हस्तांतरित हो जाते हैं, समझौते में भविष्य की अपेक्षा होती है, विक्रय कानूनी रूप से बाध्यकारी होता है |
कौन-सा प्रसिद्ध मामला "विक्रय समझौता" और "पूर्ण विक्रय" के बीच अंतर को स्पष्ट करता है? |
अलोका बोस बनाम परमात्मा देवी एआईआर 1969 एससी 1316 |
कौन-सी संपत्ति धारा 54 के तहत "विक्रय" के अंतर्गत नहीं आती? |
चल संपत्ति |
यदि ₹100 से अधिक मूल्य की संपत्ति का विक्रय बिना रजिस्ट्रेशन के हो, तो उसका कानूनी दर्जा क्या होगा? |
अवैध और प्रवर्तनीय नहीं |
धारा 54 में "विक्रय" किस प्रकार का हस्तांतरण माना गया है? |
निर्विकल्प हस्तांतरण |
विक्रय की पुष्टि किन दस्तावेजों से होती है? |
रजिस्टर्ड विक्रय विलेख (Sale Deed) |
“स्वामित्व केवल बिक्री विलेख के निष्पादन और पंजीकरण पर ही स्थानांतरित होता है” यह सिद्धांत किस केस से संबंधित है? |
सूरज लैंप एंड इंडस्ट्रीज प्रा. लिमिटेड बनाम हरियाणा राज्य (2012) |
क्या " बेचने के लिए समझौता " किसी संपत्ति पर स्वामित्व देता है? |
नहीं, यह केवल भविष्य की प्रतिबद्धता है |
धारा 54 के तहत यदि विक्रय बिना मूल्य (Consideration) के हो, तो क्या वह वैध है? |
नहीं |
यदि संपत्ति ₹100 से कम मूल्य की हो, तो उसका विक्रय कैसे किया जा सकता है? |
मौखिक रूप से या पंजीकरण द्वारा |
कौन-सा कथन “बेचने के लिए समझौता’ के बारे में सत्य है? |
यह केवल संविदात्मक दायित्व उत्पन्न करता है |
क्या बिना रजिस्ट्री के केवल कब्जा (Possession) मिलने से खरीदार को मालिकाना हक मिल जाता है? |
नहीं |
क्रेता और विक्रेता के अधिकार और दायित्व (Rights and liabilities of buyer and seller) किस धारा से संबधित है? |
धारा 55 |
पाश्चिक क्रेता द्वारा क्रमबन्धन (Marshalling by subsequent purchaser) किस धारा से संबधित है? |
धारा 56 |
जब विक्रेता के पास संपत्ति का अधिकार न हो, लेकिन वह संपत्ति बेच देता है, और बाद में वह स्वत्व प्राप्त करता है, तो धारा 56 के अनुसार: |
क्रेता को संपत्ति का वैध स्वत्व प्राप्त हो सकता है |
कौन-सी आवश्यक शर्त धारा 56 के अंतर्गत नहीं आती? |
क्रेता का धोखे में होना |
किस केस में कहा गया कि "एस्टोपल एक ढाल के रूप में कार्य करता है, तलवार के रूप में नहीं"– और इसे धारा 56 के सिद्धांत से जोड़ा जा सकता है? |
सेंट्रल लंदन प्रॉपर्टी ट्रस्ट लिमिटेड बनाम हाई ट्रीज हाउस लिमिटेड |
यदि क्रेता को यह पता हो कि विक्रेता के पास स्वत्व नहीं है, तो क्या धारा 56 लागू होगी? |
नहीं, क्योंकि क्रेता ईमानदार नहीं है |
"शीर्षक के बिना प्रतिनिधित्व लेकिन शीर्षक के अधिग्रहण के बाद" से क्या समझा जाता है? |
धारा 56 का मूल सिद्धांत |
कौन-सा न्यायालय का फैसला एस्टोपल को खिलाने का सिद्धांत पर आधारित था? |
जुम्मा मस्जिद, मरकारा बनाम कोडिमनियांद्र देवियाह (1962) |
अनुदान खिलाने का सिद्धांत भारतीय कानून में किस अधिनियम की धारा में शामिल है? |
संपत्ति अंतरण अधिनियम – धारा 56 |
यदि क्रेता अनुबंध पर विश्वास करता है और संपत्ति खरीदता है, लेकिन विक्रेता के पास स्वत्व नहीं है, तो यह सिद्धांत क्या करता है? |
भविष्य में प्राप्त स्वत्व को क्रेता के पक्ष में स्थानांतरित करता है |
|
|
विक्रय पर विल्लंगमो का उन्मोचन (Discharge of Incumbrances on Sale) |
|
विल्लंगों और उनसे मुक्त विक्रय के लिए न्यायालय द्वारा उपबंध (Provision by Court for incumbrances and sale freed therefrom) किस धारा से संबधित है? |
धारा 57 |
|
|
अध्याय 4 |
|
स्थावर सम्पत्ति बंधकों और भारो के विषय में (Of Mortgages of Immoveable Property and Charges) |
|
"बन्धक", "बन्धककर्ता", "बन्धकदार", "बन्धकधन", और "बन्धक-विलेख" (“Mortgage”, “mortgagor”, “mortgagee”, “mortgage-money” and “mortgage-deed” defined) किस धारा में परिभाषित किये गए है? |
धारा 58 |
धारा 58 के अनुसार, 'बंधक' की परिभाषा क्या है? |
किसी स्थावर संपत्ति में कुछ अधिकारों का हस्तांतरण, जो ऋण की सुरक्षा के लिए किया जाता है |
'बंधक कर्ता' का अर्थ है: |
वह व्यक्ति जो ऋण लेता है और संपत्ति में कुछ अधिकार हस्तांतरित करता है |
'बंधक दार' का अर्थ है: |
वह व्यक्ति जो ऋण देता है और संपत्ति में कुछ अधिकार प्राप्त करता है |
'बंधक धन' में क्या शामिल है? |
मूलधन और ब्याज दोनों |
'बंधक विलेख' क्या होता है? |
वह दस्तावेज़ जो बंधक का प्रमाण है और ऋण की शर्तों को दर्शाता है |
धारा 58 के अनुसार, बंधक में संपत्ति का हस्तांतरण किस उद्देश्य से किया जाता है? |
ऋण की सुरक्षा के रूप में
|
'बंधक कर्ता' और 'बंधक दार' के बीच मुख्य अंतर क्या है? |
बंधक कर्ता ऋण लेता है, जबकि बंधक दार ऋण देता है |
'बंधक धन' में कौन-कौन सी राशि शामिल होती है? |
मूलधन, ब्याज और अन्य शुल्क |
'बंधक विलेख' में क्या जानकारी शामिल होती है? |
ऋण की राशि और ब्याज दर,संपत्ति का विवरण और बंधक की शर्तें,ऋण चुकौती की अवधि |
'बंधक कर्ता' और 'बंधक दार' के बीच अधिकारों का वितरण किस आधार पर होता है? |
ऋण की राशि और शर्तों के आधार पर |
'बंधक विलेख' की वैधता के लिए क्या आवश्यक है? |
दोनों पक्षों का सहमति और हस्ताक्षर |
'बंधक धन' की चुकौती में विलंब होने पर क्या होता है? |
ऋण की राशि पर अतिरिक्त ब्याज लगाया जाता है |
'बंधक कर्ता' की संपत्ति का उपयोग किस उद्देश्य से किया जा सकता है? |
केवल बंधक दार की अनुमति से |
'बंधक विलेख' को रजिस्ट्री में दर्ज करने की आवश्यकता क्यों होती है? |
ताकि बंधक की शर्तें वैध और सार्वजनिक रूप से मान्य हों |
'बंधक कर्ता' और 'बंधक दार' के बीच विवाद उत्पन्न होने पर किसे न्यायालय में दावा करने का अधिकार है? |
दोनों पक्षों को समान अधिकार है |
साधारण बंधक को मान्यता दी गई है? |
धारा 58(b) के तहत |
ऋणी, संपत्ति को बंधक रखता है लेकिन कब्जा अपने पास रखता है |
साधारण बंधक (Simple Mortgage) |
साधारण बंधक में ऋणी क्या वादा करता है? |
यदि वह ऋण नहीं चुकाता, तो बंधकदार न्यायालय से बिक्री द्वारा ऋण की वसूली कर सकता है। |
क्या साधारण बंधक में बंधकदार को संपत्ति का कब्जा मिलता है? |
नहीं, कभी नहीं |
धारा 58(c) के अंतर्गत कौन-सा बंधक बनाया जाता है? |
सशर्त विक्रय द्वारा बन्धक (Mortgage by conditional sale) |
सशर्त बिक्री द्वारा बंधक (Mortgage by Conditional Sale) में निम्नलिखित में से क्या होता है? |
ऋणी संपत्ति को इस शर्त पर बेचता है कि ऋण न चुकाने पर बिक्री पूर्ण हो जाएगी |
बंधक की ऋणी संपत्ति बेचता है, परंतु उसे वापस खरीदने का अधिकार होता है विशेषता है? |
सशर्त विक्रय द्वारा बन्धक (Mortgage by conditional sale) |
धारा 58(d) के अंतर्गत कौन-सा बंधक बनाया जाता है? |
भोगबन्धक (Usufructuary mortgage) |
भोग बंधक (Usufructuary Mortgage) की कौन-सी प्रमुख विशेषता है? |
बंधकदार को संपत्ति का कब्जा और उससे प्राप्त आय (भाड़ा, लाभ) प्राप्त करने का अधिकार होता है |
उपभोगाधिकार बंधक के अंतर्गत बंधकदार क्या कर सकता है? |
संपत्ति से होने वाली आय से ऋण की वसूली कर सकता है |
उपभोगाधिकार बंधक में कब्जा किसके पास रहता है? |
बंधकदार |
क्या उपभोगाधिकार बंधक में ऋणी व्यक्तिगत रूप से ऋण चुकाने के लिए बाध्य होता है? |
नहीं, कभी नहीं |
धारा 58(e) के अंतर्गत कौन-सा बंधक बनाया जाता है? |
अंग्रेजी बन्धक (English mortgage) |
इंग्लिश बंधक (English Mortgage) की कौन-सी विशेषता सही है? |
बंधककर्ता संपत्ति का स्वामित्व बंधकदार को इस शर्त पर स्थानांतरित करता है कि ऋण चुकाने पर स्वामित्व वापस मिल जाएगा |
इंग्लिश बंधक के अंतर्गत बंधककर्ता क्या वचन देता है? |
वह व्यक्तिगत रूप से ऋण चुकाएगा |
इंग्लिश बंधक के अंतर्गत संपत्ति का स्वामित्व किसे स्थानांतरित किया जाता है? |
बंधकदार को |
इंग्लिश बंधक की वैधता हेतु कौन-सी शर्त आवश्यक है? |
ऋण की चुकौती की निश्चित तिथि होनी चाहिए |
धारा 58(f) के अंतर्गत कौन-सा बंधक बनाया जाता है? |
हक विलेखों को जमा करके बन्धक (Mortgage by deposit of title deeds) |
हक विलेखों को जमा करके बन्धक (Mortgage by deposit of title deeds) में क्या जमा किया जाता है? |
स्वामित्व प्रमाणित करने वाले दस्तावेज़ (Title Deeds) |
धारा 58(f) के अनुसार, उपयुक्त बंधक केवल किन स्थानों पर किया जा सकता है? |
भारत सरकार द्वारा अधिसूचित नगरों में |
धारा 58(g) के अंतर्गत कौन-सा बंधक बनाया जाता है? |
विलक्षण बन्धक (Analogous mortgage) |
उपभोगाधिकार बंधक जिसमें व्यक्तिगत ऋण वचन भी शामिल हो श्रेणी में आएगा? |
विलक्षण बन्धक (Analogous mortgage) |
विलक्षण बन्धक (Analogous mortgage) की एक विशेषता क्या होती है? |
यह किसी भी एक निश्चित प्रकार के बंधक के तहत नहीं आता |
जो बन्धक इस धारा के अर्थ में सादा बन्धक, सशर्त विक्रय द्वारा बन्धक, भोग बन्धक, अंग्रेजी- बन्धक या हक - विलेखों के निक्षेप द्वारा बन्धक नहीं है, वह क्या कहलाता है? |
विलक्षण बन्धक (Analogous mortgage) |
धारा 59 किससे सम्बंधित है? |
बन्धक कब हस्तान्तरण पत्र द्वारा किया जाना चाहिए (Mortgage when to be by assurance) |
धारा 59 के अनुसार, जब बंधक की राशि ₹100 या उससे अधिक हो, तो उसे किस माध्यम से किया जाना चाहिए? |
पंजीकृत हस्तान्तरण-पत्र (Registered Instrument) द्वारा |
धारा 59 किन संपत्तियों पर लागू होती है? |
केवल अचल संपत्ति |
"पंजीकृत उपकरण" का तात्पर्य है: |
ऐसा लिखित दस्तावेज़ जो पंजीकरण अधिनियम, 1908 के अंतर्गत रजिस्टर्ड हो |
कौन-सा केस धारा 59 की अनिवार्यता को स्पष्ट करता है? |
के.जे. नाथन बनाम एस.वी. मारुति राव (AIR 1965 SC 430) |
₹100 से कम के बंधक के लिए क्या अनिवार्यता है? |
हस्तान्तरण-पत्र की आवश्यकता नहीं है |
क्या धारा 59 केवल संपूर्ण बंधक पर लागू होती है? |
नहीं, यह सभी प्रकार के बंधक पर लागू होती है |
धारा 59 का प्रमुख उद्देश्य क्या है? |
बंधक में पारदर्शिता और कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करना |
बंधक का पंजीकरण न कराने पर उसका कानूनी प्रभाव क्या होगा? |
बंधक शून्य हो जाएगा और लागू नहीं किया जा सकता |
यदि बंधक राशि ₹99 है, तो क्या धारा 59 लागू होती है? |
नहीं |
बंधक के लिए हस्तान्तरण-पत्र रजिस्टर्ड कब होना चाहिए? |
बंधक के निष्पादन के समय |
बंधक हस्तान्तरण-पत्र में किनका हस्ताक्षर आवश्यक होता है? |
बंधक कर्ता और गवाहों का |
क्या “पारंपरिक प्रथा” (custom) के अनुसार बंधक बिना पंजीकरण के मान्य हो सकता है? |
नहीं, धारा 59 के अधीन यह मान्य नहीं है |
सरल बंधक में क्या संपत्ति पर कब्जा दिया जाता है? |
नहीं |
कौन सी स्थिति धारा 59 के अंतर्गत नहीं आती? |
₹75 की अचल संपत्ति का बंधक |
क्या मौखिक बंधक धारा 59 के अंतर्गत वैध है? |
केवल ₹100 से कम के बंधक के लिए |
बंधक कर्ता बंधक कर्ता ओं और बंधक दारों के प्रति निर्देशों के अंतर्गत वे व्यक्ति भी हैं जिन्हें उनसे हक़ व्युत्पन्न हुआ है (References to mortgagors and mortgagees to include persons deriving title from them) किस धारा से संबधित है? |
धारा 59(A) |
|
|
बंधककर्ता के अधिकार और दायित्व (Rights and Liabilities of Mortgagor) |
|
धारा 60 किससे सम्बंधित है? |
मोचन करने का बंधक कर्ता का अधिकार (Right of mortgagor to redeem) |
"मोचन का अधिकार" किसका अधिकार है? |
बंधक कर्ता का |
धारा 60 के अनुसार, मोचन का अधिकार कब तक अस्तित्व में रहता है? |
बंधक राशि का भुगतान करने तक और संपत्ति का कब्जा वापस लेने तक |
मोचन के अधिकार को खत्म कब किया जा सकता है? |
जब अदालत मोचन का अधिकार समाप्त घोषित करे या ऋण का पूरी तरह भुगतान हो जाए |
कौन-सा केस धारा 60 में मोचन अधिकार को स्पष्ट करता है? |
पंजाब नेशनल बैंक बनाम कुंज बिहारी लाल (एआईआर 1964 सभी 231) |
मोचन का अधिकार- |
एक वैधानिक अधिकार है |
क्या बंधक कर्ता के उत्तराधिकारी को भी मोचन का अधिकार प्राप्त होता है? |
हाँ |
जब बंधक दार बंधक संपत्ति को बेच देता है, तब: |
मोचन का अधिकार तभी समाप्त होता है जब न्यायालय उसे समाप्त घोषित करे या विक्रय वैध हो |
क्या मोचन का अधिकार एक बार समाप्त होने पर पुनः प्राप्त किया जा सकता है? |
नहीं, समाप्त होने के बाद यह पुनः जीवित नहीं होता |
बंधक दार द्वारा बंधक कर्ता को मोचन से वंचित करने वाला अनुबंध वैध है या नहीं? |
अवैध (Doctrine of clog on redemption) |
"एक बार बंधक हमेशा बंधक रहता है" सिद्धांत किसका समर्थन करता है? |
बंधक कर्ता का मोचन का अधिकार |
कौन-सा कथन गलत है? |
बंधक दार मोचन को स्थगित कर सकता है जब तक वह चाहे |
बंधक कर्ता को मोचन के समय क्या करना आवश्यक होता है? |
बंधक राशि का पूर्ण भुगतान और दस्तावेज की वापसी |
"मोचन की इक्विटी पर रोक" का क्या अर्थ है? |
ऐसी शर्त जो मोचन के अधिकार को समाप्त करे या सीमित करे |
कौन-सी न्यायिक प्रवृत्ति मोचन के अधिकार को संरक्षण देती है? |
इक्विटी न्याय |
क्या मोचन का अधिकार ऋण चुकता करने के बाद समाप्त होता है? |
हाँ, ऋण का भुगतान होने के बाद मोचन पूर्ण हो जाता है और अधिकार समाप्त होता है |
बंधक कर्ता को प्रति-अंतरण करने के बजाय किसी तृतीय पक्षकारो को अंतरण करने की बाध्यता (Right of mortgagor to redeem) किस धारा से संबधित है? |
धारा 60(A) |
दस्तावेजों के निरीक्षण और पेश कराने का अधिकार (Right to inspection and production of documents) किस धारा से संबधित है? |
धारा 60(B) |
धारा 61 किससे सम्बंधित है? |
पृथक्तया या साथ-साथ मोचन कराने का अधिकार (Right to redeem separately or simultaneously) |
धारा 61 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
बंधककर्ता को स्वतंत्रता देना कि वह बंधकों को पृथक या साथ-साथ मोचित कर सके |
यदि किसी संपत्ति पर एक से अधिक बंधक हों, तो धारा 61 किसे मोचन का अधिकार देती है? |
बंधककर्ता को |
धारा 61 के अंतर्गत बंधककर्ता: |
पृथक-पृथक या सभी बंधकों को एक साथ छुड़ा सकता है |
यदि बंधककर्ता ने संपत्ति का आंशिक बंधक किया है, तो क्या वह धारा 61 के अंतर्गत मोचन कर सकता है? |
हाँ, वह आंशिक और पूर्ण दोनों बंधक छुड़ा सकता है |
कौन-सा केस "साथ-साथ मोचन" के अधिकार को स्पष्ट करता है? |
पोमल कांजी गोविंदजी बनाम व्रजलाल करसनदास पुरोहित (1989 एआईआर 436) |
क्या बंधक दार, मोचन को केवल एक साथ करने पर ज़ोर दे सकता है? |
नहीं, धारा 61 के तहत यह बंधककर्ता का अधिकार है |
क्या धारा 61 के अधिकार को अनुबंध के माध्यम से हटाया जा सकता है? |
नहीं, यह एक वैधानिक अधिकार है जिसे अनुबंध द्वारा हटाया नहीं जा सकता (unless specifically waived) |
यदि बंधककर्ता ने संपत्ति के दो हिस्से दो अलग-अलग बंधक दारों को गिरवी रखे हैं, तो वह: |
धारा 61 के अनुसार, पृथक या साथ-साथ दोनों प्रकार से छुड़ा सकता है |
"मोचन पर रोक" सिद्धांत का धारा 61 से क्या संबंध है? |
यह बंधककर्ता के मोचन के अधिकार की रक्षा करता है, जिसमें साथ-साथ मोचन भी शामिल है |
क्या धारा 61 सभी प्रकार के बंधकों पर लागू होती है? |
हाँ, यह सभी प्रकार के बंधकों पर लागू होती है जब एक से अधिक हों |
धारा 61 के अंतर्गत मोचन कब किया जा सकता है? |
बंधक धन का भुगतान कर देने के बाद |
यदि बंधककर्ता चाहता है कि वह पहले एक बंधक छुड़ाए और बाद में दूसरा, तो क्या यह वैध है? |
हाँ, धारा 61 के तहत |
यदि किसी अनुबंध में धारा 61 के विपरीत शर्त रखी जाए, तो वह: |
निष्फल (void) होगी यदि वह बंधककर्ता के वैधानिक अधिकार का हनन करती है |
धारा 61 का उद्देश्य क्या सुनिश्चित करता है? |
बंधककर्ता का अधिकतम नियंत्रण और सुविधा सुनिश्चित करना |
कब्जा प्रत्युद्धरण का भोग बन्धककर्ता का अधिकार (Right of usufructuary mortgagor to recover possession) किस धारा से संबधित है? |
धारा 62 |
बन्धक सम्पत्ति में अनुवृद्धि (Accession to mortgaged property) किस धारा से संबधित है? |
धारा 63 |
बन्धक सम्पत्ति में अभिवृद्धि (Improvements to mortgaged property) किस धारा से संबधित है? |
धारा 63(A) |
धारा 64 किस विषय से संबंधित है? |
बंधकित पट्टे का नवीकरण (Renewal of mortgaged leas) |
यदि बंधक संपत्ति पट्टे पर दी गई हो, और पट्टे का नवीकरण हो जाए, तो नया पट्टा किसके अधीन माना जाएगा? |
बंधक के अधीन |
धारा 64 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
बंधकदार के अधिकारों की सुरक्षा करना जब पट्टा नवीनीकृत हो |
क्या नया पट्टा पुराने पट्टे की ही तरह बंधक के अधीन होगा? |
हाँ, स्वतः ही |
कौन-सा केस धारा 64 के सिद्धांत से संबंधित है? |
नवाब ज़ैन यार जंग बनाम हैदराबाद के कलेक्टर (एआईआर 1949 पीसी 179) |
यदि पट्टेदार पट्टे को नवीनीकृत करता है, तो क्या बंधककर्ता को सूचना देना अनिवार्य है? |
नहीं, लेकिन नया पट्टा स्वतः बंधक का हिस्सा बन जाएगा |
क्या धारा 64 वैधानिक रूप से नया पट्टा बंधक में शामिल करती है? |
हाँ, स्वतः शामिल करती है |
क्या धारा 64 सभी प्रकार के पट्टों पर लागू होती है? |
हाँ, जब वे बंधक संपत्ति से संबंधित हों |
धारा 64 के अंतर्गत नया पट्टा कब तक बंधकदार के लिए लागू रहता है? |
मोचन (Redemption) तक |
यदि पट्टेदार ने गुप्त रूप से नया पट्टा ले लिया, तो क्या वह बंधकदार से छिपाया जा सकता है? |
नहीं, क्योंकि नया पट्टा स्वतः बंधक के अधीन होता है |
धारा 64 किस सिद्धांत पर आधारित है? |
प्रतिस्थापित सुरक्षा का सिद्धांत |
यदि पट्टे का नवीकरण केवल कुछ वर्षों के लिए हो, तो क्या वह भी बंधक में शामिल होगा? |
हाँ, चाहे वह अल्पकालिक ही क्यों न हो |
नया पट्टा बंधक संपत्ति में क्यों जोड़ा जाता है? |
ताकि बंधकदार को संपत्ति पर वैसी ही सुरक्षा मिले जैसी पहले थी |
क्या धारा 64 को अनुबंध में हटाया जा सकता है? |
हाँ, यदि बंधक अनुबंध में विशेष प्रावधान हो कि नवीकरण बंधक का भाग नहीं होगा |
क्या नया पट्टा मूल बंधक विलेख के अनुसार बंधक माना जाएगा? |
हाँ, वह उसी बंधक विलेख के अनुसार नियंत्रित होगा |
यदि नया पट्टा मूल से अधिक लाभकारी हो, तो क्या बंधकदार को उसका लाभ मिल सकता है? |
हाँ, क्योंकि वह बंधक का हिस्सा बन जाता है |
बन्धककर्ता द्वारा विवक्षित संविदाएँ (Implied contracts by mortgagor) किस धारा से संबधित है? |
धारा 65 |
बंधककर्ता की पट्टा करने की शक्ति (Mortgagor’s power to lease) किस धारा से संबधित है? |
धारा 65(A) |
कब्जा रखने वाले बन्धककर्ता द्वारा दुर्व्यय (Waste by mortgagor in possession) किस धारा से संबधित है? |
धारा 66 |
|
|
बन्धकदार के अधिकार और दायित्व (Rights and Liabilities of Mortgagee) |
|
धारा 67 किस विषय से संबंधित है? |
पुरोबंध या विक्रय का अधिकार (Right to foreclosure or sale) |
धारा 67 के अंतर्गत बंधकदार को पुरोबंध (foreclosure) और विक्रय (sale) का अधिकार कब मिलता है? |
जब बंधककर्ता ऋण चुकता नहीं करता |
यदि बंधककर्ता ऋण चुकता करने में विफल रहता है, तो बंधकदार किस अधिकार का उपयोग कर सकता है? |
संपत्ति का विक्रय या पुरोबंध |
"फोरक्लोजर" का उद्देश्य क्या है? |
बंधकदार को संपत्ति पर पूर्ण कब्जा देना |
“बिक्री" और "फौजदारी"में क्या अंतर है? |
बिक्री में संपत्ति की बिक्री होती है, फोरक्लोजर में बंधकदार को संपत्ति का पूरा अधिकार मिलता है |
बंधककर्ता को संपत्ति के विक्रय से बचाने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं? |
न्यायालय में स्थगन का आवेदन करना |
यदि बंधकदार ने विक्रय की प्रक्रिया शुरू कर दी, तो बंधककर्ता क्या कर सकता है? |
ऋण का भुगतान करके विक्रय को रोक सकता है |
बंधकदार का विक्रय करने का अधिकार किसके द्वारा नियंत्रित किया जाता है? |
बंधक अनुबंध के शर्तों के आधार पर |
बंधकदार के पास विक्रय के अधिकार की शुरुआत कब होती है? |
जब बंधककर्ता ऋण चुकता करने में असफल होता है |
धारा 67 के तहत बंधकदार को विक्रय के अधिकार का प्रयोग करने के लिए किसकी आवश्यकता होती है? |
न्यायालय का आदेश या ऋण की चुकता न होने पर बंधक अनुबंध में यह प्रावधान |
"फौजदारी" के दौरान बंधककर्ता को क्या अधिकार मिलता है? |
विक्रय से पहले एक अंतिम प्रयास करना |
धारा 67 के तहत बंधकदार को "बिक्री " का अधिकार मिल सकता है यदि: |
बंधककर्ता ऋण चुकता नहीं करता है और बंधक अनुबंध में विक्रय का अधिकार है |
क्या बंधकदार के पास "बिक्री करना" का अधिकार संपत्ति के मूल्य के अनुसार सीमित है? |
नहीं, विक्रय का अधिकार ऋण की वसूली के लिए होता है, मूल्य से कोई फर्क नहीं पड़ता |
धारा 67 में बंधकदार द्वारा "फौजदारी" या "बिक्री" की प्रक्रिया में न्यायालय की भूमिका क्या है? |
न्यायालय बंधकदार को विक्रय के आदेश दे सकता है या रोक सकता है |
बंधकदार कई बंधकों के आधार पर एक वाद लाने को कब आबद्ध होता है (Mortgagee when bound to bring one suit on several mortgages) किस धारा से संबधित है? |
धारा 67(A) |
धारा 68 किस विषय से संबंधित है? |
बंधक-धन की प्रत्यक्ष वसूली हेतु वाद दायर करने का अधिकार (Right to sue for mortgage-money) |
कौन-सी परिस्थिति में बंधकदार धारा 68 के अंतर्गत वाद दायर कर सकता है? |
जब बंधकदार को बंधक संपत्ति से वसूली की कोई संभावना न हो |
कौन-सा केस धारा 68 से संबंधित है? |
एम.सी. चोकलिंगम बनाम मांगीलाल, एआईआर 1969 एससी 387 |
यदि बंधककर्ता ने ऋण चुकाने का व्यक्तिगत वादा किया हो, तो क्या बंधकदार धारा 68 के तहत वाद दायर कर सकता है? |
हाँ |
यदि बंधक संपत्ति बाढ़ में नष्ट हो जाए और बंधककर्ता की कोई गलती न हो, तो क्या धारा 68 लागू होगी? |
नहीं, प्राकृतिक आपदा में धारा 68 लागू नहीं होती जब तक बंधककर्ता की गलती न हो |
क्या धारा 68 केवल सरल बंधक पर लागू होती है? |
यह उन सभी बंधकों पर लागू होती है जिनमें बंधककर्ता द्वारा ऋण चुकाने का वादा हो |
धारा 68 के अंतर्गत बंधकदार कौन से प्रकार के दावे कर सकता है? |
ऋण की धनराशि की वसूली हेतु व्यक्तिगत दावा |
जब बंधकदार को बंधक संपत्ति से वसूली की कोई आशा नहीं होती, तब वह: |
बंधक-धन की वसूली के लिए वाद दायर करता है |
क्या धारा 68 के तहत दावा करने के लिए न्यायालय की अनुमति आवश्यक है? |
नहीं, यदि उपयुक्त परिस्थितियाँ मौजूद हों तो बंधकदार स्वयं वाद दायर कर सकता है |
यदि बंधककर्ता ने बंधक संपत्ति नष्ट कर दी हो, तब क्या बंधकदार को धारा 68 के अंतर्गत अधिकार मिलेगा? |
हाँ, यह बंधककर्ता की गलती है और बंधकदार को वाद का अधिकार है |
बंधक-धन के लिए वाद लाने का अधिकार बंधक अनुबंध की किस विशेषता पर निर्भर करता है? |
बंधककर्ता द्वारा किया गया व्यक्तिगत भुगतान का वादा |
कौन-सी स्थिति धारा 68 में नहीं आती? |
बंधकदार द्वारा संपत्ति का पट्टा किया जाना |
धारा 68 का प्रयोग बंधकदार कब नहीं कर सकता? |
जब वह अभी भी बंधक संपत्ति से लाभ उठा सकता है |
क्या धारा 68 तब भी लागू होती है जब बंधककर्ता जीवित नहीं हो? |
हाँ, बंधककर्ता के कानूनी उत्तराधिकारी पर वाद किया जा सकता है |
धारा 69 का संबंध किससे है? |
विक्रय करने की शक्ति कब विधिमान्य होती है (Power of sale when valid) |
धारा 69 केवल किस प्रकार के बंधक अनुबंध पर लागू होती है? |
अंग्रेजी बंधक |
कौन-सी स्थिति में धारा 69 लागू नहीं होती? |
बंधक अनुबंध में विक्रय की शक्ति नहीं दी गई |
किस केस में यह कहा गया कि विक्रय की शक्ति यदि दुरुपयोग की जाए, तो विक्रय शून्य हो सकता है? |
नरेंद्रदास करसोनदास बनाम एस.ए. कामतम |
धारा 69 के अंतर्गत विक्रय की शक्ति का प्रयोग करने के लिए कौन-सा नोटिस आवश्यक है? |
लिखित नोटिस, न्यूनतम तीन महीने पूर्व |
यदि बंधककर्ता ने पूरी राशि चुका दी है लेकिन विक्रय हो चुका है, तो वह क्या उपाय कर सकता है? |
अदालत में विक्रय को निरस्त करने की याचिका |
अंग्रेजी बंधक की विशेषता क्या है? |
संपत्ति का कब्ज़ा तुरंत स्थानांतरित होता है |
कौन-सा केस यह दर्शाता है कि अंग्रेजी बंधक में धारा 69 के अंतर्गत बंधककर्ता को संरक्षण आवश्यक है? |
अपकार बनाम गोपालचंद्र
|
धारा 69 के अनुसार, यदि संपत्ति का विक्रय गलत तरीके से किया गया हो, तो बंधककर्ता का क्या अधिकार है? |
मुआवजे की मांग करना |
धारा 69A का संबंध किससे है? |
रिसीवर की नियुक्ति (Appointment of receiver) |
धारा 69A के अनुसार, रिसीवर की नियुक्ति कौन कर सकता है? |
बंधकदार |
यदि रिसीवर की नियुक्ति के बाद बंधककर्ता और बंधकदार दोनों सहमत होते हैं, तो रिसीवर को किसके द्वारा हटाया जा सकता है? |
न्यायालय द्वारा |
धारा 69A के तहत, यदि बंधककर्ता और बंधकदार दोनों सहमत नहीं होते हैं, तो रिसीवर की नियुक्ति के लिए किसे आवेदन करना चाहिए? |
न्यायालय को |
रिसीवर की नियुक्ति के बाद, वह किसके लिए कार्य करेगा? |
बंधककर्ता के एजेंट के रूप में |
बंधक सम्पत्ति में अनुवृद्धि (Accession to mortgaged property) किस धारा से संबधित है? |
धारा 70 |
धारा 71 किस विषय से संबंधित है? |
बन्धकित पट्टे का नवीकरण (Renewal of mortgaged lease) |
यदि बंधकित संपत्ति एक पट्टे पर दी गई भूमि है, और पट्टे की अवधि समाप्त हो गई है, पर बंधककर्ता ने उसका नवीकरण करा लिया है, तो नवीकृत पट्टा किसका माना जाएगा? |
उसी बंधक का हिस्सा, जब तक कि विपरीत प्रावधान न हो |
धारा 71 के अंतर्गत "नवीकरण" से क्या अभिप्राय है? |
मूल पट्टे की मियाद का औपचारिक विस्तार |
यदि बंधककर्ता पट्टे का नवीकरण करते समय बंधकदाता को सूचित नहीं करता, तो नवीकरण वैध है या नहीं? |
वैध है, जब तक कि धोखा सिद्ध न हो |
कौन-सा सिद्धांत धारा 71 की व्याख्या में लागू होता है? |
प्रतिस्थापित सुरक्षा का सिद्धांत |
क्या बंधककर्ता पट्टे का नवीकरण बंधक समाप्त होने के बाद कर सकता है? |
हाँ, लेकिन वह नवीकरण बंधक में शामिल नहीं होगा |
किस केस में यह कहा गया कि नवीकरण मूल संपत्ति का ही विस्तार है? |
राधा किशन बनाम श्रीधर |
किस केस में कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि, नवीकरण स्वतः बंधक का अंग बनता है यदि कोई विपरीत प्रावधान न हो? |
मोती लाल बनाम कर्राबुलदीन (1897) |
किसी बंधकित पट्टे का नवीकरण हुआ है, लेकिन नया पट्टा पहले से अलग शर्तों पर है। क्या वह धारा 71 के तहत बंधक का हिस्सा बनेगा? |
हाँ, यदि मुख्य विशेषताएँ समान हैं |
धारा 71 किस प्रकार के बंधकों पर लागू होती है? |
सभी प्रकार के बंधक जिनमें लीजहोल्ड ब्याज हो |
यदि बंधककर्ता नवीकरण से प्राप्त नए पट्टे को किसी तीसरे पक्ष को हस्तांतरित कर देता है, तो क्या बंधकदाता दावा कर सकता है? |
हाँ, यदि वह धारा 71 की शर्तों को पूरा करता है |
सकब्जा बन्धकदार के अधिकार (Rights of mortgagee in possession) किस धारा से संबधित है? |
धारा 72 |
धारा 73 किस विषय से संबंधित है? |
राजस्व के लिए किए गए विक्रय के आगमों पर या अर्जन पर प्रतिकर पर अधिकार (Right to proceeds of revenue sale or compensation on acquisition) |
धारा 73 के अनुसार, यदि बंधकित संपत्ति को राजस्व के लिए विक्रयित किया जाता है, तो बंधकदाता को किस प्रकार का अधिकार प्राप्त होता है? |
विक्रय की आय में से शेष राशि पर अधिकार |
यदि बंधकित संपत्ति को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के तहत अधिग्रहित किया जाता है, तो बंधकदाता को क्या अधिकार प्राप्त होता है? |
अधिग्रहण की राशि में से बंधक राशि की वसूली का अधिकार |
धारा 73 के तहत, बंधकदाता का दावा किन दावों के मुकाबले प्राथमिकता रखता है? |
केवल पहले से स्थापित बंधकों के मुकाबले |
यदि बंधककर्ता ने बंधकित संपत्ति की देखभाल के लिए धन व्यय किया है, तो वह धन किस दर से ब्याज सहित वसूल कर सकता है? |
9% प्रति वर्ष |
धारा 73 के तहत, बंधकदाता का दावा किस स्थिति में लागू नहीं होता है? |
जब बंधककर्ता ने बंधक राशि का भुगतान नहीं किया हो |
किस मामले में, न्यायालय ने धारा 73 के तहत बंधकदाता के अधिकारों पर निर्णय दिया था, कि बंधकदाता को विक्रय की आय में से शेष राशि पर अधिकार है, बशर्ते वह पहले से स्थापित बंधकों से नीचे हो? |
राणा शेओ अंबर सिंह बनाम इलाहाबाद बैंक लिमिटेड (1961) |
किस मामले में, न्यायालय ने निर्णय दिया था कि, बंधकदाता को भूमि अधिग्रहण की राशि में से बंधक राशि की वसूली का अधिकार है? |
कुंजुकुट्टी साहिब बनाम केरल राज्य (1972) |
किस मामले में, न्यायालय ने निर्णय दिया था कि, बंधकदाता का दावा केवल पहले से स्थापित बंधकों के मुकाबले प्राथमिकता रखता है? |
प्रताप सिंह बनाम उप निदेशक (1999) |
किस मामले में, न्यायालय ने निर्णय दिया था कि,बंधकदाता का दावा भूमि अधिग्रहण और राजस्व विक्रय दोनों के मामलों में लागू होता है? |
राकेश बनाम राजस्व बोर्ड यू.पी. (2019) |
सकब्जा बन्धकदार का दायित्व (Liabilities of mortgagee in possession) किस धारा से संबधित है? |
धारा 76 |
व्याज के बदले में प्राप्तियाँ (Receipts in lieu of interest) किस धारा से संबधित है? |
धारा 77 |
|
|
पूर्विकता (Priority) |
|
पूर्विक बंधकदार का मुल्तवी होना (Postponement of prior mortgagee) किस धारा से संबधित है? |
धारा 78 |
जब कि अधिकतम रकम अभिव्यक्त है, तब अनिश्चित रकम को प्रतिभूत करने के लिए बंधक (Mortgage to secure uncertain amount when maximum is expressed) किस धारा से संबधित है? |
धारा 79 |
क्रमबंधन और अभिदाय (Marshalling and Contribution) |
|
प्रतिभूतियों का क्रमबंधन (Marshalling securities) किस धारा से संबधित है? |
धारा 81 |
"प्रतिभूतियों का क्रमबंधन" (Marshalling of Securities) से आप क्या समझते हैं? |
कई संपत्तियों पर एक ऋणदाता के अधिकार को सीमित करके, बाद के हस्तांतरियों की रक्षा करना |
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 में किसके हित की रक्षा की गई है? |
बाद के खरीदार या उपबंधककर्ता के |
यदि कोई ऋणदाता दो संपत्तियों (A और B) पर एक साथ बंधक रखता है, और इनमें से एक संपत्ति को बाद में कोई तीसरा व्यक्ति खरीद लेता है, तो धारा 81 के अनुसार क्या होगा? |
ऋणदाता पहले उस संपत्ति से वसूली करेगा जो खरीदी नहीं गई है |
X ने Y को दो संपत्तियाँ P और Q बंधक रखकर ऋण लिया। बाद में P को Z को बेच दिया। अब Y ऋण की वसूली करना चाहता है। धारा 81 के अनुसार Y को क्या करना चाहिए? |
पहले Q से वसूली करे और केवल शेष राशि के लिए P से वसूली करे |
बंधक ऋण की बाबत अभिदाय (Contribution to mortgage-debt) किस धारा से संबधित है? |
धारा 82 |
बंधक ऋण की बाबत अभिदाय के अनुसार, बंधकदार को ऋण का भुगतान पूरी तरह से प्राप्त होने के बाद क्या करना होगा? |
बंधकदार को बंधक संपत्ति को मुक्त करना होगा |
धारा 82 के तहत, बंधक ऋण का भुगतान होने पर बंधकदार को संपत्ति की वापसी करने का क्या कर्तव्य होता है? |
बंधकदार को संपत्ति को पूरी तरह से वापस करना होता है |
किस मामले में धारा 82 के तहत निर्णय लिया गया था कि, बंधकदार को संपत्ति का विक्रय करने का अधिकार मिला I |
पंजाब नेशनल बैंक बनाम आर.के. शर्मा (2007) |
किस मामले में धारा 82 के तहत निर्णय लिया गया था कि, बंधकदार को संपत्ति को वापस करने का आदेश दिया गया |
के.के. वर्मा बनाम यूनियन बैंक (1980) |
|
|
न्यायालय में निक्षेप (Deposit in Court) |
|
बंधक मद्धे शोध्य धन का न्यायालय में निक्षेप करने की शक्ति (Power to deposit in Court money due on mortgage) किस धारा से संबधित है? |
धारा 83 |
ब्याज का बन्द हो जाना (Cessation of interest) किस धारा से संबधित है? |
धारा 84 |
|
|
मोचन (Redemption) |
|
वे व्यक्ति जो मोचन के लिए वाद ला सकेंगे (Persons who may sue for redemption) किस धारा से संबधित है? |
धारा 91 |
धारा 91 के अंतर्गत मोचन का अधिकार किसके पास होता है? |
कोई भी व्यक्ति जिसे संपत्ति में हित है |
क्या एक बंधकदार भी धारा 91 के तहत मोचन के लिए वाद ला सकता है? |
हां |
क्या धारा 91 के अंतर्गत एक खरीदार जो बंधक संपत्ति को खरीद चुका है, वह मोचन के लिए वाद ला सकता है? |
हां, अगर उसे स्वामित्व का अधिकार प्राप्त है |
यदि किसी व्यक्ति ने संपत्ति में लाभ प्राप्त किया है लेकिन उसका नाम दस्तावेज़ों में नहीं है, तो क्या वह धारा 91 के अंतर्गत वाद दायर कर सकता है? |
हां, यदि उसके पास वैध हित है |
धारा 91 में मोचन के लिए कौन पात्र नहीं है? |
कोई व्यक्ति जिसे संपत्ति में कोई हित नहीं है |
क्या सह-बंधककर्ता भी संपत्ति को मोचन करने के लिए धारा 91 के अंतर्गत वाद कर सकता है? |
हां, लेकिन केवल अपने हिस्से के लिए |
क्या धारा 91 के तहत वह व्यक्ति मोचन कर सकता है जो संपत्ति के लिए वसीयतनामा के तहत उत्तराधिकारी बना हो? |
हां, अगर उसे हित प्राप्त हो |
किस केस में निर्णय दिया गया कि, सह-स्वामी मोचन का वाद ला सकता है |
केदार नाथ बनाम हरक चंद (1921) |
प्रत्यासन (Subrogation) किस धारा से संबधित है? |
धारा 92 |
प्रत्यासन (Subrogation) का सामान्य अर्थ क्या है? |
किसी ऋण का स्थान ले लेना |
धारा 92 किस व्यक्ति को प्रत्यासन का अधिकार देती है? |
वह व्यक्ति जिसने बंधक ऋण चुकाया है |
प्रत्यासन का उद्देश्य क्या है? |
उस व्यक्ति को प्राथमिक बंधक का स्थान देना जिसने ऋण चुका दिया |
प्रत्यासन का अधिकार कब उत्पन्न होता है? |
जब कोई व्यक्ति पहले वाले ऋण को चुका देता है |
कौन-सा प्रत्यासन का एक उदाहरण है? |
खरीदार द्वारा ऋण चुकाने पर बंधक की स्थिति में आ जाना |
आबंधन का प्रतिषेध (Prohibition of tacking) किस धारा से संबधित है? |
धारा 93 |
धारा 93 " आबंधन " को किस संदर्भ में प्रतिबंधित करती है |
बंधक के अधिकारों को जोड़ने में |
आबंधन" का सामान्य अर्थ क्या है? |
एक बाद वाले ऋण को पहले ऋण में जोड़कर प्राथमिकता प्राप्त करना |
धारा 93 का उद्देश्य क्या है? |
तृतीय पक्ष की सुरक्षा करना |
आबंधन (Tacking) का प्रयोग मुख्यतः किस प्रकार के कानून में होता था, जिसे धारा 93 समाप्त करती है? |
अंग्रेजी सामान्य विधि (Common Law) |
भारतीय संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 की धारा 93 के अनुसार, क्या कोई द्वितीयक बंधकदाता अपनी स्थिति को जोड़कर प्राथमिक बंधकदाता जैसा अधिकार प्राप्त कर सकता है? |
नहीं |
धारा 93 का सीधा प्रभाव किस पर पड़ता है? |
प्राथमिक बंधककर्ता पर |
यदि द्वितीय ऋणदाता को पहले ऋण के बारे में जानकारी नहीं थी, तब भी क्या आबंधन (Tacking) निषिद्ध है? |
हां |
धारा 93 किस न्यायसंगत सिद्धांत को चुनौती देती है? |
आबंधन (Tacking) |
आबंधन (Tacking) को निषिद्ध कर धारा 93 किसका संरक्षण करती है? |
तृतीय पक्ष अधिकारों का |
किस केस में निर्णय दिया गया कि, आबंधन (Tacking) अनुमेय नहीं है |
हॉपकिंसन बनाम रोल्ट (1861) |
किस केस में निर्णय दिया गया कि, आबंधन (Tacking) निषिद्ध है |
के. कुन्हिकन्नन बनाम टी. अजिता (केरल एचसी, 2002) |
किस केस में निर्णय दिया गया कि, आबंधन (Tacking) भारतीय कानून में मान्य नहीं |
एम.सी. चोकलिंगम बनाम मांगीलाल (1974) |
क्या धारा 93 के अंतर्गत आबंधन (Tacking) की अनुमति है यदि द्वितीय ऋणदाता ने पहला ऋण चुका दिया हो? |
नहीं, तब भी निषेध है |
मध्यवर्ती बन्धकदार के अधिकार (Rights of mesne mortgagee) किस धारा से संबधित है? |
धारा 94 |
मध्यवर्ती बंधकदार (Mesne Mortgagee) का अर्थ क्या है? |
जो बंधक के बाद संपत्ति को खरीदता है |
धारा 94 किस प्रकार के बंधकदार के अधिकारों की बात करती है? |
मध्यवर्ती बंधकदार |
क्या मध्यवर्ती बंधकदार को मोचन का अधिकार प्राप्त है? |
हां, धारा 94 के अंतर्गत |
क्या मध्यवर्ती बंधकदार संपत्ति का कब्जा ले सकता है? |
हां, यदि बंधक शर्तों का उल्लंघन हुआ हो |
धारा 94 का उद्देश्य क्या है? |
सभी स्तर के बंधकदारों को अधिकार की सुरक्षा देना |
यदि मध्यवर्ती बंधकदार मोचन करता है, तो उसे कौन-से अधिकार प्राप्त होते हैं? |
पूर्ववर्ती बंधक के अधिकार |
धारा 95 किससे संबधित है? |
मोचन कराने वाले सह-बन्धककर्ता का व्यय पाने का अधिकार (Right of redeeming co-mortgagor to expenses) |
धारा 95 के अंतर्गत “सह-बंधककर्ता” (Co-mortgagor) किसे कहा जाता है? |
दो या अधिक व्यक्तियों में से वह जिसने बंधक का ऋण चुकाया |
यदि सह-बंधककर्ता अकेले ऋण का मोचन करता है, तो उसे क्या अधिकार प्राप्त होता है? |
अन्य सह-बंधककर्ताओं से उनकी हिस्सेदारी के अनुसार खर्च की वसूली |
क्या सह-बंधककर्ता, जिसने पूरा बंधक ऋण चुकाया है, को प्रत्यासन (subrogation) का अधिकार भी मिलता है? |
हाँ |
धारा 95 किस सिद्धांत पर आधारित है? |
न्यायसंगत योगदान (Equitable Contribution) |
क्या सह-बंधककर्ता बिना सहमति के भी मोचन कर सकता है? |
हाँ, और उसे धारा 95 के अंतर्गत अधिकार भी मिलते हैं |
यदि सह-बंधककर्ता पूरे ऋण का भुगतान करता है, तो क्या वह अन्य सह-बंधककर्ताओं से केवल उनके हिस्से के अनुसार भुगतान मांग सकता है? |
हाँ |
धारा 95 के अंतर्गत व्यय की वसूली का दावा करने के लिए कौन-सा उपाय उपलब्ध है? |
सिविल वाद (civil suit) |
सह-बंधककर्ता द्वारा चुकाया गया खर्च कौन-से खर्च को कवर करता है? |
दोनों मूलधन और कानूनी शुल्क |
क्या सह-बंधककर्ता को उसके हिस्से से अधिक अंश का स्वामित्व मिल जाता है? |
नहीं, केवल वसूली का अधिकार है |
धारा 95 में निहित अधिकार किस प्रकार के न्यायिक सिद्धांत पर आधारित हैं? |
न्यायसंगत भागीदारी (Equitable Sharing) |
किस केस में निर्णय दिया गया कि, व्यय की वसूली के लिए सह-बंधककर्ता का दावा न्यायसंगत है? |
राम तुहीराम बनाम बिसेसर (1910) |
किस केस में निर्णय दिया गया कि, वह अन्य बंधककर्ताओं से अनुपातिक रूप से राशि वसूल सकता है? |
गोपाल कृष्ण बनाम कृष्णाजी (1924) |
किस केस में निर्णय दिया गया कि, सह-बंधककर्ता ऋण चुकाने के 3 वर्ष के भीतर वसूली कर सकता है,? |
शंकरलाल बनाम बाबूलाल (1961) |
किस केस में निर्णय दिया गया कि, सह-बंधककर्ता को व्यय के अनुसार हिस्सा पाने का अधिकार है? |
सूरजमल बनाम मदन मोहन (1974) |
हक विलेखों के निक्षेप द्वारा बंधक को सामान्यतः क्या कहा जाता है? |
न्यायसंगत बंधक |
हक विलेखों का निक्षेप कहां किया जाना चाहिए जिससे यह बंधक बन सके? |
अधिसूचित नगरों में |
कौन-सा एक आवश्यक तत्व है हक विलेखों के निक्षेप द्वारा बंधक के लिए? |
टाइटल डीड्स का स्वैच्छिक जमा |
हक विलेखों का निक्षेप द्वारा बंधक की अनुमति किन नगरों में दी गई है? |
अधिसूचित नगर जैसे मुंबई, चेन्नई, कोलकाता |
क्या इस प्रकार के बंधक को लिखित दस्तावेज की आवश्यकता होती है? |
नहीं, मौखिक समझौता पर्याप्त है |
धारा 96 में किस धारा के अधिकारों का स्थानांतरण माना गया है? |
धारा 58(f) |
यदि टाइटल डीड्स किसी अधिकृत बैंक में जमा किए जाते हैं तो क्या यह बंधक होगा? |
हां, यदि मंशा स्पष्ट हो |
धारा 96 किस प्रकार के बंधक को प्रभाव देता है? |
न्यायसंगत बंधक |
क्या हक विलेखों का निक्षेप लिखित एग्रीमेंट के बिना वैध माना जाएगा? |
हां, यदि जमा की मंशा ऋण सुरक्षा हेतु हो |
धारा 96 किसके अधिकारों को स्पष्ट करती है? |
बंधकधारी और उसका उत्तराधिकारी |
किस केस में निर्णय दिया गया कि, विलेख का भौतिक निक्षेप और ऋण का संबंध स्थापित होना चाहिए? |
बैंक ऑफ बिहार बनाम बिहार राज्य (1971) |
किस केस में निर्णय दिया गया कि, हक विलेख का मात्र निक्षेप पर्याप्त है? |
रछपाल महराज बनाम भगवानदास दारुका (1950) |
|
|
विलक्षण बन्धक (Anomalous Mortgages) |
|
विलक्षण बन्धकों के पक्षकारों के अधिकार और दायित्व (Rights and liabilities of parties to anomalous mortgages) किस धारा से संबधित है? |
धारा 98 |
|
|
भार (Charges) |
|
कौन सी धारा 'चार्ज' (Charge) से संबंधित है? |
धारा 100 |
चार्ज' किस प्रकार की संपत्ति पर बनता है? |
केवल अचल संपत्ति पर |
चार्ज किसके समान होता है? |
बंधक |
चार्ज किसकी सहमति से उत्पन्न हो सकता है? |
केवल पक्षकारों की सहमति से |
क्या चार्ज द्वारा संपत्ति बेची जा सकती है? |
हां, यदि चार्ज का प्रवर्तन आवश्यक हो |
चार्ज से संपत्ति किस प्रकार प्रभावित होती है? |
संपत्ति पर ऋण समान अधिकार उत्पन्न होता है |
चार्ज क्या है? |
बिना व्यक्तिगत उत्तरदायित्व के ऋण सुरक्षा |
चार्ज स्वेच्छिक हो सकता है या विधिक" – यह सिद्धांत किस केस में प्रतिपादित किया गया? |
बीबी जुबैदा खातून बनाम नबी हसन साहब |
धारा 100 के अंतर्गत बनाए गए चार्ज को क्या कहा जाता है यदि वह पंजीकृत नहीं है? |
न्यायालय में प्रवर्तनीय नहीं |
धारा 101 किससे संबधित है? |
पाश्चिक विल्लंगमों के विद्यमान होने पर विलयन न होगा (No merger in case of subsequent encumbrance) |
धारा 101 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
हितों के विलयन को रोकना |
"विलय" से क्या तात्पर्य है धारा 101 में? |
स्वामित्व और हित एक ही व्यक्ति में समाहित होना |
धारा 101 का प्रयोग कब नहीं किया जा सकता? |
जब पाश्चिक विल्लंगम (subsequent encumbrance) मौजूद हो |
धारा 101 का लाभ किसे नहीं मिलेगा? |
जब पाश्चिक हित मौजूद हों |
यदि किसी संपत्ति पर प्रथम बंधक और स्वामित्व एक ही व्यक्ति को मिल जाए, तो धारा 101 कब लागू होगी? |
जब तीसरे पक्ष के अधिकार मौजूद हों |
"पाश्चिक विल्लंघन" का क्या अर्थ है? |
पहले से मौजूद लेकिन बंधक के बाद का हित |
किस केस में निर्णय दिया गया कि, यदि पाश्चिक हित हैं, तो मर्जर नहीं होगा? |
गोकुल चंद बनाम हुकुम चंद (1907) |
किस केस में निर्णय दिया गया कि, यदि मर्जर से किसी तीसरे के अधिकार प्रभावित होते हैं, तो वह नहीं होगा? |
रामेश्वर सिंह बनाम माउंट चंपा (1914) |
|
|
सूचना और निविदा (Notice and Tender) |
|
अभिकर्त्ता पर तामील या उसकी निविदा (Service or tender on or to agent) किस धारा से संबधित है? |
धारा 102 |
धारा 103 किससे संबधित है? |
संविदा करने के लिए अक्षम व्यक्ति को या उस द्वारा सूचना इत्यादि (Notice, etc., to or by person incompetent to contract) |
धारा 103 के अनुसार, अक्षम व्यक्ति से संबंधित नोटिस किसे वैध रूप से दिया जा सकता है? |
उसके वैधानिक अभिकर्त्ता को |
धारा 104 किससे संबधित है? |
नियम बनाने की शक्ति (Power to make rules) |
धारा 104 के अंतर्गत नियम बनाने की शक्ति किसके पास है? |
उच्च न्यायलय |
|
|
अध्याय 5 |
|
स्थावर सम्पत्ति के पट्टों के विषय में (Of Leases of Immoveable Property) |
|
पट्टे की परिभाषा (Lease defined) किस धारा से संबधित है? |
धारा 105 |
धारा 105 के अंतर्गत "पट्टा" का तात्पर्य क्या है? |
अचल संपत्ति का अस्थायी अधिकार |
धारा 105 के अनुसार, पट्टे के अंतर्गत किराए के रूप में भुगतान क्या हो सकता है? |
नगद, वस्तुएँ या सेवा – तीनों हो सकते हैं |
पट्टे में कौन-कौन से पक्ष होते हैं? |
पट्टेदार और पट्टे पर लेने वाला |
धारा 105 के तहत संपत्ति का कब्ज़ा किसे सौंपा जाता है? |
पट्टे पर लेने वाले को |
किस केस में "पट्टे" और "लाइसेंस" के बीच अंतर को स्पष्ट किया गया? |
एसोसिएटेड होटल्स ऑफ इंडिया लिमिटेड बनाम आर.एन. कपूर |
क्या पट्टे की लिखित अभिव्यक्ति आवश्यक है? |
केवल तब जब अवधि 11 महीने से अधिक हो |
पट्टेदार कौन होता है? |
जो संपत्ति पर अधिकार देता है |
धारा 105 के अनुसार पट्टे के अंतर्गत अधिकार किस प्रकार के होते हैं? |
अस्थायी अधिकार के |
किराए का भुगतान किस पर आधारित होता है? |
समय-समय पर समझौते अनुसार |
कौन-सा पट्टे का आवश्यक घटक नहीं है? |
ट्रांसफर ऑफ ओनरशिप |
धारा 106 किससे संबधित है? |
लिखित संविदा या स्थानीय प्रथा के अभाव में कुछ पट्टों की कालावधि (Duration of certain leases in absence of written contract or local usage) |
धारा 106 के अनुसार, अगर लिखित संविदा या स्थानीय प्रथा नहीं है, तो आवासीय (residential) पट्टा किस अवधि का माना जाएगा? |
मासिक |
धारा 106 के अनुसार, कृषि या निर्माण (agriculture or manufacturing) प्रयोजन के पट्टे की अनुमानित अवधि क्या होगी? |
6 महीने |
यदि पट्टा बिना लिखित संविदा या स्थानीय प्रथा के बनाया गया है, तो उसे समाप्त करने के लिए कितना नोटिस आवश्यक है? |
1 महीना |
नोटिस की समाप्ति की तारीख कौन-सी होनी चाहिए? |
पट्टे की किराया अवधि की समाप्ति की तारीख |
किस केस में धारा 106 के नोटिस प्रावधानों की व्याख्या की गई थी? |
भगवानदास अग्रवाल बनाम भगवानदास कानू |
क्या धारा 106 के अंतर्गत नोटिस मौखिक रूप से दिया जा सकता है? |
नहीं |
यदि किराए की अवधि स्पष्ट नहीं है, तो किस आधार पर पट्टे की वैधता तय की जाएगी? |
धारा 106 के प्रावधान |
यदि कृषि उद्देश्य से बना पट्टा बिना लिखित संविदा हो और 6 महीने बाद बिना नोटिस के समाप्त कर दिया जाए, तो क्या यह वैध है? |
नहीं, कम से कम 6 महीने और नोटिस आवश्यक है |
धारा 106 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
जब संविदा और प्रथा न हो, तब पट्टे की अवधि व समाप्ति को विनियमित करना |
"छोड़ने का नोटिस" को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने किस केस में गाइडलाइंस दी? |
गंगा दत्त मुरारका बनाम कार्तिक चंद्र दास |
धारा 107 किससे संबधित है? |
पट्टे कैसे किए जाते हैं (Leases how made) |
धारा 107 के अनुसार, एक वर्ष से अधिक की अवधि के पट्टे को वैध रूप से निष्पादित करने के लिए क्या आवश्यक है? |
लिखित दस्तावेज पंजीकृत (Registered Deed) |
एक वर्ष तक या उससे कम समय के लिए पट्टा करने के लिए किस प्रकार की प्रक्रिया पर्याप्त मानी गई है? |
लिखित या मौखिक करार + कब्जा |
धारा 107 किन संपत्तियों के पट्टे पर लागू होती है? |
अचल संपत्ति (Immovable Property) |
न्यायालय ने किस केस में कहा कि एक वर्ष से अधिक के पट्टे के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है? |
एंथोनी बनाम के.सी. इट्टूप एंड संस |
अगर पट्टा एक वर्ष के लिए किया गया हो, लेकिन रजिस्टर्ड न हो, तो उसका क्या प्रभाव होगा? |
उसे लाइसेंस माना जाएगा |
धारा 107 के अंतर्गत रजिस्टर्ड पट्टे के लिए किन दो तत्वों की आवश्यकता होती है? |
लिखित दस्तावेज और रजिस्ट्रेशन |
कौन-सा अधिनियम रजिस्टर्ड पट्टों के पंजीकरण को नियंत्रित करता है? |
भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 |
"लीज डीड" को रजिस्टर्ड न करने पर कौन-सा सेक्शन प्रभावी होता है? |
भारतीय पंजीकरण अधिनियम की धारा 49 |
क्या धारा 107 केवल मकानों पर लागू होती है? |
नहीं, यह सभी अचल संपत्तियों पर लागू होती है |
यदि कोई अनरजिस्टर्ड पट्टा एक वर्ष से अधिक के लिए किया जाए, तो उसका क्या कानूनी दर्जा होगा? |
लाइसेंस माना जाएगा |
केस में न्यायालय ने क्या निर्णय दिया, एक वर्ष से अधिक के पट्टे के लिए रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य ठहराया? |
एंथनी बनाम के.सी. इट्टूप एंड संस |
पट्टाकर्त्ता और पट्टेदार के अधिकार और दायित्व (Rights and liabilities of lessor and lessee) किस धारा से संबधित है? |
धारा 108 |
पट्टाकर्ता के अन्तरिती के अधिकार (Rights of lessor’s transferee) किस धारा से संबधित है? |
धारा 109 |
धारा 110 किससे संबधित है? |
उस दिन का अपवर्जन जिससे अवधि का प्रारम्भ होता है (Exclusion of day on which term commences) |
धारा 110 के अनुसार, यदि कोई पट्टा 1 जनवरी को शुरू होता है और 1 साल के लिए है, तो वह किस दिन समाप्त होगा? |
31 दिसंबर |
धारा 110 में कौन-सा सिद्धांत लागू होता है? |
प्रारंभ दिवस का अपवर्जन |
धारा 110 के अनुसार, यदि कोई पट्टा 15 मार्च को आरंभ होता है और 3 महीने की अवधि का है, तो उसकी समाप्ति तिथि क्या होगी? |
14 जून |
धारा 110 किस प्रकार के पट्टों पर लागू होती है? |
लिखित व निश्चित अवधि के पट्टों पर |
धारा 110 का उद्देश्य क्या है? |
पट्टे की अवधि को निश्चित रूप से स्पष्ट करना |
धारा 110 के सिद्धांत की पुष्टि किस प्रमुख केस में की गई थी? |
राम कुमार दास बनाम जगदीश चंद्र देव |
यदि पट्टे की अवधि 1 मई से 1 वर्ष है, और इसमें प्रारंभ दिवस को भी जोड़ा जाए, तो यह किस दिन समाप्त होगा? |
30 अप्रैल |
क्या धारा 110 केवल तभी लागू होती है जब पट्टे की अवधि निश्चित हो? |
हां, केवल निश्चित अवधि के पट्टों पर |
धारा 111 किससे संबधित है? |
पट्टे का पर्यवसान (Determination of lease) |
कौन सा मामला "समर्पण द्वारा पट्टे का पर्यवसान" (धारा 111(ई) को स्पष्ट करता है? |
गजधर प्रसाद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य |
किस केस में न्यायालय ने माना कि "पट्टा रद्द करने के लिए विधिवत नोटिस आवश्यक है"? |
एम.सी. चोकलिंगम बनाम मांगीलाल |
धारा 111(g) के तहत "विलंघन द्वारा समाप्ति" में कौन शामिल होता है? |
पट्टेदार द्वारा शर्तों का उल्लंघन और पट्टेदार को हटाना |
"धारा 111(h) - नोटिस द्वारा समाप्ति" को कौन जारी कर सकता है? |
पट्टेदार या पट्टाधारी में से कोई |
किस न्यायिक निर्णय में कहा गया कि "पट्टे की समाप्ति के बाद कब्जा न छोड़ने पर अतिक्रमण माना जाएगा"? |
नायर सर्विस सोसायटी बनाम के.सी. अलेक्जेंडर |
धारा 111(c) के अनुसार, "विनाश द्वारा पट्टे का समाप्त होना" का अर्थ क्या है? |
संपत्ति का पूर्ण नाश |
किस प्रकार की समाप्ति में न्यायालय की अनुमति आवश्यक नहीं होती? |
विलीनता द्वारा |
धारा 112 किससे संबधित है? |
समपहरण का अधित्यजन (Waiver of forfeiture) |
"अधित्यजन (waiver)" का अर्थ धारा 112 के संदर्भ में क्या है? |
उल्लंघन के बावजूद पट्टेदार को बने रहने देना |
धारा 112 में "समपहरण का अधित्यजन" किसके द्वारा किया जाता है? |
पट्टाकर्ता द्वारा |
कौन-सा व्यवहार "अधित्यजन" माने जाने की श्रेणी में आता है? |
उल्लंघन के पश्चात किराया स्वीकार करना |
किस निर्णय में यह कहा गया कि यदि पट्टाकर्ता उल्लंघन के बाद किराया स्वीकार कर ले, तो वह अधित्यजन माना जाएगा? |
भवनजी लखमशी बनाम हिम्मतलाल जमनादास दानी |
धारा 112 के अंतर्गत "अधित्यजन" मानने के लिए आवश्यक शर्त क्या है? |
उल्लंघन की जानकारी के बावजूद किराया लेना |
क्या पट्टाकर्ता के किराया स्वीकार करने के बाद भी वह पट्टा समाप्त कर सकता है? |
नहीं, अधित्यजन के बाद वह अधिकार समाप्त हो जाता है |
यदि किराया बिना उल्लंघन की जानकारी के स्वीकार किया गया हो, तो क्या अधित्यजन माना जाएगा? |
नहीं |
धारा 112 किस प्रकार के उल्लंघनों पर लागू होती है? |
पट्टे की शर्तों के उल्लंघन |
अधित्यजन को सिद्ध करने के लिए आवश्यक है कि: |
पट्टाकर्ता ने उल्लंघन के बाद किराया लिया हो |
किस केस में कहा गया कि "न्यायालय अधित्यजन को व्यवहार से निर्धारित करता है"? |
मोहम्मद गौस बनाम सैयद शाह वदूद |
धारा 113 किससे संबधित है? |
छोड़ देने की सूचना का अधित्यजन (Waiver of notice to quit) |
धारा 113 के अनुसार, "छोड़ देने की सूचना" का अधित्यजन कब माना जाएगा? |
जब पट्टाकर्ता पट्टेदार से फिर से किराया स्वीकार कर ले |
"नौकरी छोड़ने के नोटिस की छूट" का तात्पर्य क्या है? |
पहले दी गई नोटिस को निष्क्रिय मान लेना |
धारा 113 की क्या मुख्य शर्त है? |
पट्टाकर्ता द्वारा किराया स्वीकार कर लेना |
किस न्यायिक निर्णय में स्पष्ट किया गया कि नोटिस के बाद किराया लेना अधित्यजन है? |
भवनजी लखमशी बनाम हिम्मतलाल जमनादास दानी |
क्या नोटिस को मौखिक रूप से भी माफ कर दी किया जा सकता है? |
नहीं, केवल लिखित रूप में ही संभव है (जैसा कि धारा 113 में वर्णित है) |
अगर नोटिस देने के बाद किराया स्वीकार नहीं किया गया, तो क्या नोटिस वैध रहेगा? |
हां |
अधित्यजन का प्रभाव क्या होता है? |
पूर्व नोटिस अमान्य हो जाता है |
क्या पट्टेदार द्वारा पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद पुनः कब्जा लेने पर अधित्यजन होगा? |
हां, यदि किराया लिया जाए |
यदि नोटिस के बाद पट्टेदार को नया किरायानामा भेजा जाए, तो यह क्या दर्शाता है? |
अधित्यजन |
कौन-सा तत्व अधित्यजन साबित करने के लिए महत्वपूर्ण है? |
किराया स्वीकार करने का व्यवहार |
भाटक का संदाय न करने के कारण समपहरण से मुक्ति (Relief against forfeiture for non-payment of rent) किस धारा से संबधित है? |
धारा 114 |
कुछ अन्य दशाओं में समपहरण से मुक्ति (Relief against forfeiture in certain other cases) किस धारा से संबधित है? |
धारा 114(A) |
अभ्यर्पण और समपहरण का उपपट्टों पर प्रभाव (Effect of surrender and forfeiture on under-leases) किस धारा से संबधित है? |
धारा 115 |
धारा 116 किससे संबधित है? |
अतिधारण का प्रभाव (Effect of holding over) |
"पकड़े रहना" का तात्पर्य है: |
जब पट्टेदार, पट्टा समाप्ति के बाद भी संपत्ति पर क़ब्ज़ा बनाए रखता है और मकान मालिक इसे स्वीकार करता है |
धारा 116 कब लागू होती है? |
जब पट्टा समाप्त होने के बाद भी किराया स्वीकार किया जाए |
धारा 116 के तहत कौन-सा नया संबंध उत्पन्न होता है? |
महीने-दर-महीने किरायेदारी (मासिक पट्टा) |
किस केस में कहा गया कि धारा 116 के अंतर्गत "पकड़े रहना” से महीने-दर-महीने किरायेदारी बनती है? |
एम.सी. चोकलिंगम बनाम मांगीलाल |
क्या केवल किराया स्वीकार करना " पकड़े रखना " माना जाएगा? |
नहीं, मकान मालिक की मंशा स्पष्ट होनी चाहिए |
"किरायेदार ने पकड़ रखा है" से मकान मालिक को क्या विकल्प मिलते हैं? |
वह उसे महीने-दर-महीने किराएदार मान सकता है |
धारा 116 के अंतर्गत महीने-दर-महीने किरायेदारी समाप्त करने के लिए क्या आवश्यक है? |
लिखित नोटिस (कम से कम 15 दिन का) |
क्या किरायेदार का कब्जा को बेदखल किया जा सकता है? |
हां, विधिवत नोटिस देकर |
कौन-सा निर्णय “मकान मालिक की स्वीकृति” की अनिवार्यता को स्थापित करता है? |
गंगा दत्त मुरारका बनाम कार्तिक चंद्र दास |
यदि पट्टेदार पट्टा समाप्ति के बाद संपत्ति में बना रहता है और मकान मालिक चुप रहता है, तो क्या यह " "पर पकड़" होगा? |
नहीं, मकान मालिक की सक्रिय सहमति जरूरी है |
धारा 117 किससे संबधित है? |
कृषि-प्रयोजनों वाले पट्टों को छूट (Exemption of leases for agricultural purposes) |
धारा 117 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
कृषि पट्टों को संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की कुछ धाराओं से छूट देना |
धारा 117 के अनुसार कृषि प्रयोजनों के पट्टों पर कब TPA लागू नहीं होता? |
जब राज्य सरकार अधिसूचना जारी न करे |
क्या धारा 105 से 116 तक की धाराएं कृषि पट्टों पर स्वतः लागू होती हैं? |
नहीं, जब तक सरकार अधिसूचना न करे |
कृषि प्रयोजनों वाला पट्टा किस पर लागू नहीं होता? |
संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 106 |
धारा 117 की प्रकृति क्या है? |
अपवादात्मक (Exemptional) |
किस केस में यह कहा गया कि कृषि पट्टों पर TPA की धाराएं स्वतः लागू नहीं होतीं? |
नारायणस्वामी बनाम रामकृष्णन |
क्या राज्य सरकार कृषि पट्टों पर TPA की धाराएं लागू कर सकती है? |
हां, अधिसूचना द्वारा |
कृषि प्रयोजनों के पट्टों में TPA की कौन सी धाराएं निष्प्रभावी रहती हैं? |
धारा 105–116 |
कृषि पट्टे किस प्रकार के पट्टे होते हैं? |
कृषि उपयोग हेतु |
कृषि पट्टों पर छूट देने का उद्देश्य क्या है? |
व्यावसायिक पट्टों से अलग व्यवहार करना |
धारा 117 के तहत राज्य सरकार की अधिसूचना कैसी होनी चाहिए? |
लिखित और राजपत्र में प्रकाशित |
|
|
अध्याय 6 |
|
विनिमय के विषय में (Of Exchanges) |
|
धारा 118 किससे संबधित है? |
विनिमय' की परिभाषा (Exchange defined) |
धारा 118 में "विनिमय" का क्या अर्थ है? |
अचल संपत्ति का बिना पैसे के बदले में लेन-देन करना |
"विनिमय" में क्या लेन-देन नहीं होता? |
कीमत (Price) |
"विनिमय" और "बिक्री" में मुख्य अंतर क्या है? |
कीमत की अदायगी |
क्या विनिमय केवल अचल संपत्ति के लिए लागू होता है? |
हां |
यदि दो पक्ष अपनी जमीनों की अदला-बदली करते हैं, तो वह किस रूप में माना जाएगा? |
विनिमय |
विनिमय को वैध बनाने के लिए क्या आवश्यक है? |
पंजीकृत विलेख (Registered Deed) |
क्या विनिमय में एक पक्ष को पैसे और संपत्ति दोनों मिल सकते हैं? |
नहीं, वह बिक्री मानी जाएगी |
किस केस में स्पष्ट किया गया कि विनिमय में कीमत नहीं होनी चाहिए? |
लल्लू सिंह बनाम गुर नारायण |
यदि एक किसान अपनी जमीन के बदले दूसरे किसान से दूसरी जमीन लेता है, तो वह क्या कहलाएगा? |
विनिमय |
धारा 118 के अंतर्गत संपत्ति का विनिमय बिना पंजीकरण के वैध है या नहीं? |
नहीं, पंजीकरण आवश्यक है |
“अदला-बदली" किस प्रकार का अनुबंध है? |
लिखित और पंजीकृत |
क्या विनिमय में स्वामित्व (ownership) का स्थानांतरण होता है? |
हां |
धारा 119 किससे संबधित है? |
विनिमय में प्राप्त चीज से वंचित किए गए पक्षकार का अधिकार (Right of party deprived of thing received in exchange) |
धारा 119 किस स्थिति को नियंत्रित करती है? |
जब किसी पक्ष को विनिमय में प्राप्त संपत्ति से वंचित कर दिया जाए |
यदि विनिमय में प्राप्त संपत्ति पर तीसरे व्यक्ति का बेहतर अधिकार निकलता है, तो वंचित पक्ष को क्या अधिकार प्राप्त है? |
मूल दी गई संपत्ति वापस मांगने का |
धारा 119 में 'वंचित किया जाना' (deprived) किससे संबंधित है? |
तीसरे पक्ष द्वारा वैध स्वामित्व का दावा |
धारा 119 किस प्रकार का सुरक्षा तंत्र प्रदान करता है? |
सिविल राहत |
पक्षकारों के अधिकार और दायित्व (Rights and liabilities of parties) किस धारा से संबधित है? |
धारा 120 |
धारा 121 किससे संबधित है? |
धन का विनिमय (Exchange of money) |
धारा 121 के अनुसार, केवल धन के लेन-देन को क्या नहीं माना जाएगा? |
विनिमय |
यदि दो लोग ₹50,000 और ₹70,000 आपस में बदलते हैं, तो यह लेन-देन किस श्रेणी में आएगा? |
बिक्री |
संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 121 किस बात को स्पष्ट करती है? |
केवल धन का लेन-देन विनिमय नहीं है |
धारा 121 किन लेन-देन को विनिमय से अलग करती है? |
धन का आपसी आदान-प्रदान |
|
|
अध्याय 7 |
|
दान के विषय में (Of Gifts) |
|
धारा 122 किससे संबधित है? |
'दान' की परिभाषा (“Gift” defined) |
धारा 122 के अनुसार, दान किस प्रकार का हस्तांतरण होता है? |
स्वैच्छिक और नि:शुल्क |
दान के लिए किन दो पक्षों की उपस्थिति आवश्यक है? |
दाता और प्राप्तकर्ता |
दान संपत्ति अंतरण अधिनियम की किस धारा के अंतर्गत परिभाषित है? |
धारा 122 |
दान के लिए कौन-सी शर्त अनिवार्य नहीं है? |
प्राप्तकर्ता का भुगतान |
क्या अवयस्क (minor) व्यक्ति दान प्राप्त कर सकता है? |
हां, यदि उसकी ओर से संरक्षक कार्य करे |
दान में स्वामित्व कब स्थानांतरित होता है? |
संपत्ति के हस्तांतरण पर |
कौन-सी संपत्ति दान के योग्य नहीं मानी जाती? |
भविष्य की संपत्ति |
कौन-सा केस "दान की परिभाषा" पर महत्वपूर्ण है? |
रेनिकुंटला राजम्मा बनाम के. सरवनम्मा (2014) |
दान की वैधता के लिए कौन-सा सही नहीं है? |
प्राप्तकर्ता का उत्तरदायित्व |
क्या दान मौखिक रूप में किया जा सकता है? |
हां, यदि वह चल संपत्ति हो |
अगर दान की गई संपत्ति वापस मांगी जाए, तो उसे क्या कहा जाएगा? |
दान की वापसी |
"दान" किस कानून के अंतर्गत नहीं आता? |
विवाह अधिनियम |
दान के लिए सबसे आवश्यक कानूनी दस्तावेज (अचल संपत्ति के मामले में) कौन-सा है? |
पंजीकृत दान-पत्र |
दान का कौन-सा रूप बिना पंजीकरण के वैध होता है? |
चल संपत्ति का दान |
धारा 123 किससे संबधित है? |
अन्तरण कैसे किया जाता है (Transfer how effected) |
धारा 123 के अनुसार, अचल संपत्ति का दान बिना रजिस्ट्रेशन के होने पर क्या परिणाम होगा? |
दान अमान्य होगा |
रजिस्ट्रीकृत दान-पत्र के बिना अचल संपत्ति दान करने पर प्राप्तकर्ता के पास क्या होगा? |
कोई कानूनी अधिकार नहीं |
धारा 123 किस प्रकार के दस्तावेज की मांग करती है अचल संपत्ति के दान के लिए? |
पंजीकृत दान पत्र (कम से कम दो साक्षियों द्वारा अनुप्रमाणित) |
यदि दान-पत्र पर हस्ताक्षर हैं परंतु रजिस्ट्रेशन नहीं है, तो क्या वह मान्य होगा? |
नहीं |
धारा 123 की कानूनी प्रकृति कैसी है? |
अनिवार्य |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रजिस्ट्री के बिना दान अमान्य है? |
गोमतीबाई बनाम मट्टूलाल |
पंजीकरण की शर्त किस संपत्ति पर लागू नहीं होती? |
चल संपत्ति |
क्या पंजीकरण के बाद भी दान को चुनौती दी जा सकती है? |
हां, यदि धोखाधड़ी हुई हो |
धारा 123 के अंतर्गत यदि पंजीकृत दान के बाद दाता उसे वापस लेना चाहे तो क्या होगा? |
नहीं ले सकता, दान पूर्ण हो चुका है
|
धारा 124 किससे संबधित है? |
वर्तमान और भावी सम्पत्ति का दान (Gift of existing and future property) |
धारा 124 के अनुसार, दान में यदि वर्तमान और भविष्य की संपत्ति दोनों शामिल हों, तो कौन-सी संपत्ति का दान मान्य होगा? |
केवल वर्तमान की |
भविष्य की संपत्ति का दान क्यों अमान्य होता है? |
क्योंकि उसका अस्तित्व नहीं होता |
“भविष्य की संपत्ति”का अर्थ क्या है? |
वह संपत्ति जो अभी मौजूद नहीं है |
कौन-सी संपत्ति “भावी संपत्ति” मानी जाएगी? |
आगामी वेतन |
यदि कोई दान-पत्र “एक वर्ष बाद प्राप्त होने वाली रकम” का दान करता है, तो उसका क्या कानूनी प्रभाव होगा? |
अमान्य |
कौन-सा केस धारा 124 के सिद्धांत पर आधारित है? |
रघुनाथ प्रसाद बनाम सरजू प्रसाद |
“कोई संपत्ति जो दाता के स्वामित्व में भविष्य में आएगी” – इसका दान कैसा होगा? |
पूरी तरह अमान्य |
क्या “परिश्रम से अर्जित भविष्य की संपत्ति” का दान किया जा सकता है? |
नहीं |
धारा 124 का मूल उद्देश्य क्या है? |
भविष्य की अनिश्चितताओं से सुरक्षा |
यदि दान-पत्र में लिखा है: “मैं अपनी वर्तमान कार और भविष्य में खरीदी जाने वाली कार दान करता हूं” – तो क्या होगा? |
केवल वर्तमान कार का दान वैध |
भावी संपत्ति का दान करने का प्रभाव क्या होता है? |
कोई कानूनी प्रभाव नहीं होता |
क्या दाता, भविष्य की संपत्ति का दान करते समय, उसे वसीयत से पूर्ति कर सकता है? |
हां (वसीयत द्वारा किया गया उपबंध अलग कानून के अंतर्गत मान्य हो सकता है) |
धारा 124 के अनुसार, भविष्य की संपत्ति का दान क्यों अमान्य है? |
क्योंकि वह अस्तित्व में नहीं है और स्थानांतरित नहीं की जा सकती |
क्या दाता अपनी आने वाली पेंशन का दान कर सकता है? |
नहीं |
भविष्य की संपत्ति के दान से कौन-सा अधिकार उत्पन्न होता है? |
प्रत्याशा (Expectation), परंतु कोई कानूनी अधिकार नहीं |
धारा 125 किससे संबधित है? |
ऐसे कई व्यक्तियों को दान, जिनमें से एक प्रतिगृहीत नहीं करता है (Gift to several, of whom one does not accept) |
धारा 125 के अनुसार, यदि दान कई लोगों को किया गया हो, लेकिन एक व्यक्ति दान को स्वीकार नहीं करता, तो क्या होगा? |
केवल स्वीकार करने वालों को हिस्सा मिलेगा |
दान की वैधता के लिए सबसे आवश्यक तत्व क्या है? |
प्राप्तकर्ता की स्वीकृति |
यदि चार व्यक्तियों को दान किया गया और दो ने अस्वीकार किया, तो दान किसके पक्ष में वैध होगा? |
केवल दो जिन्होंने स्वीकार किया |
क्या दान करने वाला व्यक्ति उन व्यक्तियों को संपत्ति दे सकता है जिन्होंने दान अस्वीकार कर दिया? |
नहीं |
प्राप्तकर्ता की स्वीकृति कब तक दी जानी चाहिए? |
दाता के जीवित रहते हुए |
यदि दान को कोई व्यक्ति मौखिक रूप से अस्वीकार कर देता है, तो क्या वह मान्य अस्वीकृति होगी? |
हां |
धारा 125 किस सिद्धांत को स्पष्ट करती है? |
आंशिक स्वीकृति का सिद्धांत |
कौन-सा केस धारा 125 के सिद्धांत पर लागू होता है? |
टी. लक्ष्मीचंद बनाम बी. रामय्या |
यदि दान केवल एक व्यक्ति स्वीकार करता है और अन्य मौन रहते हैं, तो क्या वह मौन स्वीकृति मानी जाएगी? |
नहीं, मौन स्वीकृति नहीं मानी जाएगी |
प्राप्तकर्ता की अस्वीकृति का क्या प्रभाव होता है? |
केवल अस्वीकारकर्ता को हिस्सा नहीं मिलेगा |
क्या धारा 125 केवल अचल संपत्ति पर लागू होती है? |
नहीं, चल व अचल दोनों पर लागू होती है |
यदि दाता की मृत्यु से पहले कोई प्राप्तकर्ता दान स्वीकार कर लेता है, तो क्या वह दान वैध माना जाएगा? |
हां |
क्या दाता स्वीकृति से पहले दान वापस ले सकता है? |
हां |
क्या अस्वीकारकर्ता को बाद में दान स्वीकार करने का अधिकार है? |
हां, यदि दाता जीवित हो |
धारा 126 किससे संबधित है? |
दान निलम्बित या प्रतिसंहत कब किया जा सकेगा (When gift may be suspended or revoked) |
धारा 126 के अनुसार, यदि दान कपट या धोखाधड़ी पर आधारित हो, तो क्या होगा? |
दान रद्द किया जा सकता है |
दान को निलंबित या रद्द करने की शक्ति किसके पास होती है? |
दाता के पास, यदि शर्त अनुसार हो |
यदि शर्त अवैध हो, तो क्या दान रद्द किया जा सकता है? |
नहीं |
धारा 126 का उद्देश्य क्या है? |
शर्तीय दान को मान्यता देना |
"दान रद्द किया जा सकता है यदि प्राप्तकर्ता दाता के विरुद्ध व्यवहार करे" – यह शर्त वैध मानी जाएगी: |
हां, यदि दान के समय निर्धारित हो |
शर्तीय दान में किस बात की अनुमति नहीं है? |
शर्त बाद में जोड़ना |
यदि दान बिना किसी शर्त के किया गया हो, तो क्या उसे रद्द किया जा सकता है? |
नहीं, दान पूर्ण और अपरिवर्तनीय होगा |
कौन-सा केस धारा 126 के सैद्धांतिक आधार को स्पष्ट करता है? |
कृष्ण बिहारी बनाम भगवान बख्श |
धारा 127 किससे संबधित है? |
दुर्भर दान (Onerous gifts) |
“दुर्भर दान” का अर्थ क्या है? |
ऐसा दान जिसमें लाभ के साथ उत्तरदायित्व (liability) भी जुड़ा हो |
यदि कोई प्राप्तकर्ता दुर्भर दान को स्वीकार करता है, तो उसे क्या करना होगा? |
लाभ और भार दोनों स्वीकार करने होंगे |
क्यूई सेंटिट कमोडम, सेंटेयर डिबेट एट ओनस का अर्थ क्या है? |
जो लाभ चाहता है, उसे भार भी सहन करना होगा |
क्या प्राप्तकर्ता केवल लाभ को स्वीकार कर सकता है और भार को अस्वीकार कर सकता है? |
नहीं |
कौन-सा उदाहरण दुर्भर दान है? |
एक मकान जिसमें कर्ज है |
यदि प्राप्तकर्ता नाबालिग है, तो दुर्भर दान को स्वीकृति के विषय में क्या स्थिति होगी? |
बालिग होने पर वह स्वीकृति या अस्वीकृति का निर्णय ले सकता है |
कौन-सा केस दुर्भर दान के सिद्धांत पर लागू होता है? |
मैकेंज़ी बनाम मैकेंज़ी |
धारा 127 का उद्देश्य क्या है? |
लाभ और उत्तरदायित्व की संतुलित व्यवस्था |
क्या दुर्भर दान को आंशिक रूप से स्वीकार किया जा सकता है? |
नहीं |
यदि प्राप्तकर्ता बालिग हो और दान के लाभ को लेता है लेकिन भार चुकाने से इंकार करता है, तो क्या होगा? |
उसे पूरा दान छोड़ना होगा या पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी |
“दुर्भर दान” की अवधारणा किस न्याय सिद्धांत पर आधारित है? |
लाभ-भार के संयुक्त अधिकार |
यदि प्राप्तकर्ता दान का लाभ ले ले और बाद में भार से इनकार करे, तो क्या यह कानूनी रूप से मान्य है? |
नहीं |
धारा 127 के अनुसार नाबालिग को दुर्भर दान की स्वीकृति का अधिकार किस समय मिलता है? |
बालिग होने पर |
दुर्भर दान की अस्वीकृति किस रूप में की जा सकती है? |
स्पष्ट रूप से |
अगर दुर्भर दान स्वीकार कर लिया गया है, तो बाद में प्राप्तकर्ता क्या कर सकता है? |
कुछ नहीं, उसे पूरा दान लेना होगा |
धारा 128 किससे संबधित है? |
सर्वस्व आदाता (Universal donee) |
“सर्वस्व आदाता” का अर्थ क्या है? |
जो दाता की पूरी संपत्ति प्राप्त करता है |
यदि कोई व्यक्ति सर्वस्व आदाता है, तो वह किसका उत्तरदायी होता है? |
दाता की देनदारियों का, उसकी संपत्ति की सीमा तक |
सर्वस्व आदाता को दायित्व किस सीमा तक निभाना होता है? |
प्राप्त की गई संपत्ति की सीमा तक |
क्या सर्वस्व आदाता दाता की संपत्ति के सभी ऋण चुकाने को बाध्य है? |
हां, लेकिन केवल संपत्ति की वैल्यू तक |
कौन-सा सिद्धांत धारा 128 के मूल में है? |
क्वि सेंटिट कमोडम, सेंटियर डिबेट एट ओनस |
यदि दान किसी बालक को किया गया हो तो क्या वह सर्वस्व आदाता बन सकता है |
हां, लेकिन बालिग होने पर देनदारियों का उत्तरदायित्व लागू होगा |
यदि दाता की संपत्ति पर कोई कर्ज है, और सर्वस्व आदाता ने वह संपत्ति ले ली, तो वह: |
कर्ज को भुगतान करने को बाध्य होगा |
क्या सर्वस्व आदाता को दाता के निजी कर्ज के लिए भी जिम्मेदार माना जाएगा? |
हां, पर केवल संपत्ति से संबंधित कर्ज के लिए |
धारा 128 के अनुसार दायित्व कब लागू होता है? |
दान के प्रभावी होने पर |
यदि कोई व्यक्ति केवल 90% संपत्ति प्राप्त करता है, तो क्या वह सर्वस्व आदाता कहलाएगा? |
नहीं |
क्या सर्वस्व आदाता अपनी जिम्मेदारी से बच सकता है? |
नहीं, उसे दायित्व निभाना होगा |
यदि संपत्ति के मूल्य से अधिक दायित्व हो, तो क्या होगा? |
उत्तरदायित्व सीमित रहेगा संपत्ति तक |
“संपत्ति के साथ उसकी जिम्मेदारी भी आती है” – यह कथन किस धारा से जुड़ा है? |
धारा 128 |
धारा 129 किससे संबधित है? |
आसन्न मरण दान और मोहमेडन विधि (मुस्लिम विधि) की व्यावृत्ति (Saving of donations mortis causa and Muhammadan law) |
धारा 129 किस बात को स्पष्ट करता है? |
मुस्लिम विधि में दान और जंगम संपत्ति का आसन्न मरण दान पर संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम का अध्याय 7 लागू नहीं होगा |
|
|
अध्याय 8 |
|
अनुयोज्य दावों के अन्तरण के विषय में (Of Transfers of Actionable Claims) |
|
धारा 130 किससे संबधित है? |
अनुयोज्य दावों का अन्तरण (Transfer of actionable claim) |
अनुयोज्य दावा का ट्रांसफर मान्य होता है: |
लिखित और हस्ताक्षरित दस्तावेज़ द्वारा |
"असाइनमेंट की सूचना" का महत्व किस केस में सर्वोपरि माना गया है? |
दुर्गा प्रसाद बनाम बलदेव |
यदि देनदार को ट्रांसफर का नोटिस नहीं दिया गया और उसने मूल ट्रांसफरर को भुगतान कर दिया, तो उसका दायित्व: |
समाप्त हो जाएगा |
यदि एक ऋण को दो अलग-अलग व्यक्तियों को असाइन किया गया हो, तो प्राथमिकता किसे मिलेगी? |
जो पहले नोटिस भेजे |
धारा 130 का प्रयोग किस प्रकार के ट्रांसफर के लिए किया जाता है? |
ऋण वसूली का अधिकार |
अनुयोज्य दावे का असाइनमेंट पर कौन-सी शर्त लागू नहीं होती? |
मौखिक प्रमाण |
क्या भावी ऋण को भी असाइन किया जा सकता है? |
हाँ, यदि पार्टियाँ सहमत हों |
एक कार्रवाई योग्य दावा को उपहार (gift) के रूप में ट्रांसफर करने के लिए जरूरी है: |
उपहार विलेख रजिस्टर्ड हो |
धारा 130(क) किससे सम्बंधित था? |
समुद्री बीमा पालिसी का अंतरण (Transfer of policy of marine insurance) |
धारा 130(क) किस अधिनियम द्वारा निर्रसित किया गया? |
समुद्री बीमा अधिनियम, 1963 (1963 का 11 ) |
धारा 130(क) समुद्री बीमा अधिनियम, 1963 (1963 का 11 ) की किस धारा द्वारा निर्रसित किया गया? |
धारा 92 द्वारा (1-8-1963 से) निरसित |
धारा 131 किससे संबधित है? |
सूचना का लिखित और हस्ताक्षरित होना (Notice to be in writing, signed) |
धारा 131 के अनुसार, ट्रांसफर की सूचना किस रूप में होनी चाहिए? |
लिखित और हस्ताक्षरित |
धारा 131 में "दस्तखत" की आवश्यकता किस उद्देश्य से होती है? |
ट्रांसफर की प्रमाणिकता के लिए |
धारा 131 की सूचना पर यदि ट्रांसफरर साइन न करे तो कौन हस्ताक्षर कर सकता है? |
ट्रांसफरी या उसका अधिकृत एजेंट |
अनुयोज्य दावे के अन्तरिती का दायित्व (Liability of transferee of actionable claim) किस धारा से संबधित है? |
धारा 132 |
ऋणी की शोधन क्षमता की वारंटी (Warranty of solvency of debtor) किस धारा से संबधित है? |
धारा 133 |
बन्धकित ऋण (Mortgaged debt) किस धारा से संबधित है? |
धारा 134 |
अग्नि बीमा पालिसी के अधीन के अधिकारों का समनुदेशन (Assignment of rights under policy of insurance against fire) किस धारा से संबधित है? |
धारा 135 |
धारा 135(क) किस अधिनियम द्वारा निर्रसित किया गया? |
समुद्री बीमा अधिनियम, 1963 (1963 का 11 ) |
धारा 135(क) समुद्री बीमा अधिनियम, 1963 (1963 का 11 ) की किस धारा द्वारा निर्रसित किया गया? |
धारा 92 द्वारा (1-8-1963 से) निरसित |
धारा 135(क) किससे सम्बंधित था? |
अग्नि बीमा पालिसी के अधीन के अधिकारों का समनुदेशन (Assignment of rights under policy of marine insurance) |
न्यायालय से संसक्त आफिसरों की असामर्थ्य (Incapacity of officers connected with Courts of Justice) किस धारा से संबधित है? |
धारा 136 |
धारा 137 किससे संबंधित है? |
परक्राम्य लिखतों की व्यावृत्ति (Saving of negotiable instruments, etc) |
धारा 137 "परक्राम्य लिखतों की व्यावृत्ति" किससे संबंधित है? |
परक्राम्य लिखतों के अधिकारों और हस्तांतरण से |
संपत्ति-अंतरण अधिनियम, 1882 की धारा 137 परक्राम्य लिखतों की व्यावृत्ति का अर्थ क्या है? |
अध्याय 8 की धाराओं की कोई भी बात, स्टाकों, अंशों या डिबेंचरों को अथवा उन लिखतों को, जो विधि या रूढ़ि द्वारा तत्समय परक्राम्य हैं, अथवा माल पर हक की वाणिज्यिक दस्तावेज को, लागू नहीं है |
धारा 137 के तहत, परक्राम्य लिखतों की व्यावृत्ति किसे प्रभावित करती है? |
सभी पक्षकारों को |